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खजुराहो नृत्य समारोह में “पर्दे के पीछे” – “नैपथ्य” प्रदर्शनी में कथक यात्रा

 

मध्यप्रदेश की विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो में आयोजित 48वें खजुराहो नृत्य महोत्सव में “नैपथ्य” प्रदर्शनी सभी के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जैसा कि नैपथ्य का अर्थ ही है “पर्दे के पीछे”, उसी तरह प्रदर्शनी में नृत्य से संबंधित पर्दे के पीछे का सब है। इस वर्ष प्रदर्शनी में कथक के सांस्कृतिक परिदृश्य एवं उसकी विकास यात्रा को दिखाया गया है। प्रदर्शनी में कथक के चारों घरानों लखनऊ, जयपुर, बनारस और रायगढ़ से जुड़ी चीज़ें हैं।

समारोह का पिछले आठ सालों से हिस्सा बने नैपथ्य में इस वर्ष प्रख्यात कथक नृत्यांगना और पंडित बिरजू महाराज की शिष्या मैत्रीय पहाड़ी के संयोजकत्व में प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें कथक से चारों घरानों के पुराने कलाकारों के चित्र, परिधान और आभूषण से लेकर तमाम चीजें प्रदर्शित है। इनके साथ लगे संदर्भों के पर्यटक कथक की विकास यात्रा को जान रहे हैं। प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण युवा नृत्यांगनाएँ हैं, जो लाइव नृत्य कर दर्शकों को नृत्य संस्कृति से जोड़ने का काम कर रही हैं।

कथक महाराज पर विशेष प्रदर्शनी

नैपथ्य में कथक सम्राट पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज के व्यक्तित्व पर केंद्रित प्रदर्शनी अपने आप में अदभुत है। उनके नृत्यगत अवदान को समर्पित यह विशेष प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदर्शनी में विशेष रूप से कथक के सम्राट पंडित बिरजू महाराज का अंगरखा भी प्रदर्शित किया गया है। साथ ही बिरजू महाराज के 60 छायाचित्र लगाए गए हैं। इन चित्रों में कुछेक ऐसे हैं, जिनमें बिरजू महाराज लता मंगेशकर, उस्ताद जाकिर हुसैन जैसी तमाम हस्तियों के साथ हैं। ज्यादातर चित्र उनकी नृत्यरत मुद्राओं पर हैं। इनमें घुंघरू बांधते हुए किसी विशेष भाव में लीन कथक सम्राट बिरजू महाराज की भाव मुद्राएँ दर्शक देख सकते हैं।

 

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