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गैर विधायक के त्याग पत्र को स्वीकृत करा कर राजभवन की गरिमा को ठेस पहुँचाने गई इसकी जाँच हो -कांग्रेस पार्टी के चुनाव आयोग कार्य प्रभारी एडवोकेट जेपी धनोपिया

गैर विधायक के त्याग पत्र को स्वीकृत करा कर राजभवन की गरिमा को ठेस पहुँचाने गई इसकी जाँच हो -कांग्रेस पार्टी के चुनाव आयोग कार्य प्रभारी एडवोकेट जेपी धनोपिया

मंत्री तुलसी सिलावट और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसे मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मंजूर कर लिया है. दोनों ही मंत्रीयों ने अपना इस्तीफा मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया था. मीडिया में कल से ही खबरें चल रही थी सिलावट मंत्री और गोविंद सिंह राजपूत पद से इस्तीफा दे सकते हैं, क्योंकि उनका 6 महीने का कार्यकाल मंगलवार को ही पूरा हो गया था।

मप्र कांग्रेस पार्टी द्वारा आज इस संबंध में मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को एक लिखित में शिकायत करते हुए कांग्रेस पार्टी के चुनाव आयोग कार्य प्रभारी एडवोकेट जेपी धनोपिया ने की है। मध्य प्रदेश की राज्यपाल से मांग की है की तुलसी सिलावट और गोविन्द राजपूत दोनों गैर विधायक के त्याग पत्र को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राज्यपाल से स्वीकृत कराकर राजभवन जैसे महत्वपूर्ण और संवैधानिक संस्था की गरिमा को ठेस पहुँचाने गई है लिहाजा इसकी जाँच होना चाहिए।

एडवोकेट जेपी धनोपिया ने संविधान के अनुच्छेद 164 ( 1 ) , ( 4 ) में उल्लेखित प्रावधान का हवाला देते हुए बताया की कोई मंत्री जो निरंतर 6 मास की अवधि
तक राज्य के किसी विधान -मंडल का सदस्य नहीं है उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा। इससे स्पष्ट है की जब 20 अक्टूबर 2020 तक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत संविधान अनुसार पदस्थ ही नहीं हैं तब उनका त्यागपत्र किस पद से हुआ यह अपने आप में विचारणीय प्रश्न है।

एडवोकेट जेपी धनोपिया ने मध्य प्रदेश की राज्यपाल से मांग की है की तुलसी सिलावट और गोविन्द राजपूत दोनों गैर विधायक के त्याग पत्र को राज्यपाल से स्वीकृत कराकर राज भवन जैसे महत्वपूर्ण और संवैधानिक संस्था की गरिमा को ठेस पहुँचाने गई है। जबकि विधि अनुसार कोई त्याग पत्र देय होता ही नहीं है।

क्योंकि दोनों गैर विधायक तुलसी सिलावट और गोविन्द राजपूत को राज्यपाल द्वारा 21 अप्रैल 2020 मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। इस हिसाब से 20 अक्टूबर 2020 तक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत संविधान अनुसार स्वतः पदस्थ ही नहीं रहे।

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