मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, ओबीसी के समर्थन का दिखावा बंद करें – मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री चुनाव आयोग कार्य प्रभारी,प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट जे.पी. धनोपिया ने कहा

ओबीसी के समर्थन का दिखावा बंद
करें मुख्यमंत्री: जे.पी. धनोपिया

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री चुनाव आयोग कार्य प्रभारी,प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट जे.पी. धनोपिया ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान दिल्ली जाकर वरिष्ठ अधिवक्ताओं की बैठक लेने का एवं ओबीसी के आरक्षण के समर्थन में लंबित याचिकाओं में वरिष्ठ अधिवक्ताओं को लगाए जाने का दिखावा कर रहे हैं।
श्री धनोपिया ने कहा कि जबकि सच्चाई यह है कि राज्य सरकार के महाधिवक्ता द्वारा ओबीसी को स्वीकृत 27 प्रतिशत आरक्षण देने के बजाय 14 प्रतिशत आरक्षण देने तथा बढ़ा हुआ 13 प्रतिशत आरक्षण होल्ड पर रखने का आवेदन उच्च न्यायालय में दिया गया तथा सरकारी अधिकारियों की ओर से इसी आशय के शपथ पत्र पेश कराए गए। जिस आधार पर न्यायालय ने ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण देने तथा बढ़ा हुआ 13 प्रतिशत आरक्षण होल्ड पर रखे जाने का आदेश जारी किया है। अब ओबीसी संगठनों एवं कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शनों को देख कर डरी हुई भाजपा सरकार यह दिखावा कर रही है कि वह ओबीसी की हितैषी सरकार है। जबकि भाजपा की नीति हमेशा से ओबीसी आरक्षण के विरोधी रही है।
श्री धनोपिया ने कहा कि यह बात इससे स्पष्ट होती है कि भाजपा ने वर्ष 2003 में कांग्रेस सरकार द्वारा दिये गए आरक्षण के विरुद्ध दायर याचिका न्यायालय में 11 साल लंबित रखी। किन्तु न्यायालय के समक्ष न तो तथ्यात्मक जबाब रखा और न ही सक्षमता से पक्ष रखा जिस कारण ओबीसी का बढाया गया 13 प्रतिशत आरक्षण न्यायालय ने वर्ष 2014 में रद्द कर दिया था।
श्री धनोपिया ने कहा कि भाजपा सरकार 2003 से 2018 तक सत्ता में रही। यदि चाहते तो ओबीसी के हित में बहुत कुछ कर सकती थी किन्तु कुछ नहीं किया। जब 2019 में कांग्रेस की सरकार आई तब पुनः ओबीसी को 14 प्रतिशत से बढाकर 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। भाजपा सरकार इसे लागू नहीं कर रही है। न्यायालय में स्वयं आवेदन देकर 27 प्रतिशत आरक्षण में से 14 प्रतिशत लागू करवाने का कार्य कर रही है। ओबीसी वर्ग के लोगों को अब यह बात मालूम हो चुकी है तो अपनी गलती छिपाने वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त करनें का दिखावा कर रही है। शिवराज सिंह यह ड्रामा बंद करें तथा कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए ओबीसी के आरक्षण में कोई रुकावट या बाधा न डालते हुए उसे ईमानदारी से लागू करवायें।

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