JNU हिंसा पर बोले राहुल, फासीवादी सत्ता में हैं
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा पर विपक्षी पार्टियों ने रविवार को भाजपा पर हमला बोला। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि “हमारे देश को नियंत्रित कर रही फासीवादी ताकतें” बहादुर बच्चों की आवाज से डरती हैं लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी ने घटना में “टुकड़े टुकड़े गिरोह” की भूमिका की जांच करने की मांग की।
भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंसा को “खौफनाक” बताया और कहा कि मोदी सरकार चाहती है कि सभी छात्रों के लिए विश्वविद्यालय सुरक्षित स्थान रहें।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार रात हिंसा भड़क उठी थी जब डंडों से लैस नकाबपोश लोगों ने छात्रों एवं शिक्षकों पर हमला किया और परिसर की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, जिसके चलते प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी।
जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष समेत कम से कम 18 लोग घायल हो गए।
गांधी ने घटना पर निराशा जाहिर की और कहा कि यह उस डर को दिखाती है जो “हमारे देश को नियंत्रित कर रही फासीवादी ताकतों को” छात्रों से लगता है।
उन्होंने ट्वीट किया, “नकाबपोश लोगों द्वारा जेएनयू छात्रों और शिक्षकों पर किया गया नृशंस हमला चौंकाने वाला है जिसमें कई गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। हमारे देश को नियंत्रित कर रही फासीवादी ताकतें, बहादुर विद्यार्थियों की आवाज से डरती हैं। जेएनयू में आज हुई हिंसा उस डर को दर्शाती है।”
भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि किसी भी रूप में हिंसा की निंदा की जानी चाहिए लेकिन साथ ही कहा कि यह गौर करना भी उतना ही जरूरी है कि जेएनयू में लोगों के एक एक खास समूह की, “मानसिकता ऐसी है जो भारत के टुकड़े करने की अपील करती है और उच्चतम न्यायालय द्वारा एक ज्ञात आतंकवादी को सुनाई गई मौत की सजा को हत्या मानते हैं।”
उन्होंने कहा कि इन लोगों को अक्सर “टुकड़े टुकड़े गिरोह” कहा जाता है और कहा, “निश्चित तौर पर उनकी विचारधारा शांति की नहीं हो सकती। हिंसा की इस संस्कृति में उनकी क्या भूमिका है, यह पता लगाना जरूरी है खासकर आज की घटना में।”
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि खबरों से मालूम चलता है कि छात्रों एवं शिक्षकों पर हिंसा करने के लिए प्रशासन और एबीवीपी के “गुंडों” के बीच साठगांठ है।
उन्होंने कहा कि यह सत्ता में बैठे लोगों का सुनियोजित हमला है जो उसके हिंदुत्व के एजेंडे की राह में बाधा डाल रहे जेएनयू से डरते हैं।
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि जेएनयू के छात्रावासों में नकाबपोश लोगों के घुसने और छात्रों पर हमले करने का सीधा प्रसारण टीवी पर देखना भयावह था और ऐसा केवल सरकार की मदद से ही हो सकता है।
सीतारमण ने ट्वीट किया, “जेएनयू से बहुत ही खौफनाक तस्वीरें सामने आईं हैं – वह जगह जिसे मैं जानती हूं और ऐसी जगह के तौर पर याद करती हूं जिसे निर्भीक चर्चाओं एवं विचारों के लिए याद किया जाता था, लेकिन हिंसा कभी नहीं। मैं आज हुई हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करती हूं। यह सरकार, पिछले कुछ हफ्तों में जो कुछ कहा गया उसके बावजूद, चाहती है कि विश्वविद्यालय सभी छात्रों के लिए सुरक्षित रहें।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ट्वीट किया, “जेएनयू में जो हुआ उसकी तस्वीरें देखीं। हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करते हैं। यह विश्वविद्यालय की संस्कृति एवं परंपरा के पूरी तरह खिलाफ है।” सीतारमण और जयशंकर दोनों ही पूर्व में जेएनयू के छात्र रहे हैं।
द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने भी जेएनयू परिसर में हुई हिंसा की रविवार को निंदा की और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता स्टालिन ने इसे विवादित नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बाद हुई हिंसा करार दिया और इसकी निंदा की।
स्टालिन ने कहा, “नकाबपोश शरारती तत्वों के परिसर के भीतर जेएनयू छात्रों पर हमला करने की तस्वीरें देख कर सदमे में हूं।”