सूचना प्रौद्योगिकी के निर्धारित मापदण्डों के उल्लंघन, दुरुपयोग को रोकने और नागरिकों के हितों के संरक्षण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में कई प्रावधान हैं। अधिनियम की धारा-43 एवं 43A के उल्लंघन पर बैंक, दूरसंचार नेटवर्क प्रदाता को दोषी पाने पर प्रभावित व्यक्ति को हुई क्षति की पूर्ति कराने के प्रावधान हैं। उप सचिव विज्ञान और प्रोद्योगिकी श्री आदित्य सिंह ने बताया है कि अधिनियम के तहत अब तक न्याय निर्णयन प्राधिकारी ने पंजीकृत 46 याचिकाओं में से 36 याचिकाएँ निराकृत की हैं।
पंजीकृत प्रकरणों और याचिकाओं में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया एवं दूरसंचार विभाग की गाइडलाईन के उल्लंघन से याचिकाकर्ताओं को हुई क्षति के लिए दोषी पाये जाने पर संबंधित सेवा प्रदाता से क्षतिपूर्ति अधिनियम की धारा 46 के तहत कराई जाती है। अधिनियम के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव, न्यायनिर्णयन प्राधिकारी हैं। उन्हें अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति कराने की शक्तियाँ प्राप्त हैं।
विभिन्न प्रकरणों में न्याय निर्णयन प्राधिकारी ने कराई क्षतिपूर्ति
न्याय निर्णयन प्राधिकारी द्वारा आईटी एक्ट के प्रावधान अनुसार उल्लंघन पर दोषी बैंक और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर कार्यवाही कर नागरिकों के हितों का संरक्षण किया जा रहा है। प्रभावित नागरिक की याचिका पर दूरसंचार सेवा प्रदाता को दिशा-निर्देशों का पालन न कर मोबाईल सिम जारी करने के लिए दोषी पाये जाने पर याचिकाकर्ता को वास्तविक हानि की 75 प्रतिशत राशि 31 लाख 52 हज़ार 250 रुपये तथा संबंधित बैंक को दोषी पाये जाने पर क्षति की 25 प्रतिशत राशि 10 लाख 50 हज़ार 750 रुपये की क्षतिपूर्ति का आदेश किया गया। साथ ही न्यायालय शुल्क, मानसिक प्रताड़ना आदि के लिए दूरंसचार नेटवर्क प्रदाता एवं संबंधित बैंक को 1-1 लाख रुपये का जुर्माना ब्याज सहित याचिकाकर्ता को दिये जाने के लिए आदेशित किया गया।
एक अन्य याचिका में दूरसंचार नेटवर्क प्रदाता तथा संबंधित बैंक दोनों को समान रूप से दोषी पाये जाने पर दोनों दोषियों द्वारा 17 लाख 50 हज़ार रुपये की क्षतिपूर्ति तथा 25-25 हज़ार का जुर्माना ब्याज सहित याचिकाकर्ता को किये जाने का न्याय निर्णयन प्राधिकारी ने आदेश किया।
एटीएम कार्ड क्लोन कर राशि आहरण में क्षतिपूर्ति के साथ 50 हज़ार का जुर्माना
एटीएम कार्ड क्लोन कर खाते से अनाधिकृत रूप से राशि आहरित होने पर बैंक को दोषी पाया गया और 80 हज़ार रुपए वास्तविक हानि तथा 50 हज़ार रुपये का जुर्माना ब्याज सहित याचिकाकर्ता को किये जाने का आदेश किया। गैर कानूनी रूप से बैंक खाते से ऑनलाईन ट्रांजेक्शन्स से अनाधिकृत ट्रांजेक्शन पर दोषी बैंक को याचिकाकर्ता की वास्तविक हानि की शत-प्रतिशत राशि 50 हज़ार 246 रुपये तथा न्यायालय शुल्क, मानसिक प्रताड़ना आदि के लिए राशि रूपये 50 हज़ार का ब्याज सहित याचिकाकर्ता को किये जाने का आदेश किया।