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एमपी के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर मध्यप्रदेश विधानसभा में मुख्य विपक्षीदल इंडियन नेशनल कांग्रेस के विधायकों ने हजारों करोड़ के पोषण आहार घोटाले की उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कराये जाने की मांग की

कांग्रेस विधायकों ने महामहिम राज्यपाल मध्यप्रदेश को ज्ञापन सौंपते हुए उनका ध्यान पिछले पन्द्रह वर्षाे से अधिक समय से शासन के संरक्षण में चल रहे पोषण आहार घोटाले की ओर आकर्षित किया।

Story Highlights
  • विधायकों ने सौंपे ज्ञापन में कहा है कि पोषण आहार पर हुये कुल खर्च का 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार से पोषण अभियान के तहत प्राप्त होता है, लेकिन आश्चर्य जनक सत्य है कि जब-जब केन्द्र सरकार ने पोषण अभियान के मूल्यांकन के लिये शासन को सर्वे इत्यादि करने के निर्देश दिये, तो राज्य शासन ने केन्द्र सरकार के किसी भी निर्देश का पालन नही किया। जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि राज्य शासन की संरक्षण में घोटाला हो रहा है, तथा उसको उजागर होने से रोकने के लिये केन्द्र शासन के निर्देशानुसार सर्वे इत्यादि नही किया जा रहा है। कांग्रेस विधायकों ने महामहिम राज्यपाल महोदय को सौंपे ज्ञापन में बिंदुबार मांगे रखी। 1. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, नई दिल्ली ने शाला त्यागी 11 से 14 वर्ष की बालिकाओं का बेस लाईन सर्वे करने हेतु फार्मेट तथा इंस्ट्रक्शन भेजे। लेकिन महिला बाल विकास विभाग द्वारा 31/12/2017 तक ही सर्वे करना था वह वर्ष 2022 में किया गया जिससे सर्वे का महत्व ही समाप्त हो गया, ताकि महाघोटाले को उजागर होने से रोका जा सकें।

 

एमपी के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर मध्यप्रदेश विधानसभा में मुख्य विपक्षीदल इंडियन नेशनल कांग्रेस के विधायकों ने
हजारों करोड़ के पोषण आहार घोटाले की उच्च न्यायालय
की निगरानी में जांच कराये जाने की मांग की

कांग्रेस विधायकों ने महामहिम राज्यपाल मध्यप्रदेश को ज्ञापन सौंपते हुए उनका ध्यान पिछले पन्द्रह वर्षाे से अधिक समय से शासन के संरक्षण में चल रहे पोषण आहार घोटाले की ओर आकर्षित किया।

विधायकों ने सौंपे ज्ञापन में कहा है कि पोषण आहार पर हुये कुल खर्च का 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार से पोषण अभियान के तहत प्राप्त होता है, लेकिन आश्चर्य जनक सत्य है कि जब-जब केन्द्र सरकार ने पोषण अभियान के मूल्यांकन के लिये शासन को सर्वे इत्यादि करने के निर्देश दिये, तो राज्य शासन ने केन्द्र सरकार के किसी भी निर्देश का पालन नही किया। जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि राज्य शासन की संरक्षण में घोटाला हो रहा है, तथा उसको उजागर होने से रोकने के लिये केन्द्र शासन के निर्देशानुसार सर्वे इत्यादि नही किया जा रहा है। कांग्रेस विधायकों ने महामहिम राज्यपाल महोदय को सौंपे ज्ञापन में बिंदुबार मांगे रखी।
1. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, नई दिल्ली ने शाला त्यागी 11 से 14 वर्ष की बालिकाओं का बेस लाईन सर्वे करने हेतु फार्मेट तथा इंस्ट्रक्शन भेजे। लेकिन महिला बाल विकास विभाग द्वारा 31/12/2017 तक ही सर्वे करना था वह वर्ष 2022 में किया गया जिससे सर्वे का महत्व ही समाप्त हो गया, ताकि महाघोटाले को उजागर होने से रोका जा सकें।

2. महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय नई दिल्ली ने पत्र भेजकर विभाग द्वारा डिस्बरसमेंट लिंक्ड इंडिकेटर्स (क्स्प्) नही भेजने पर आपत्ति की। मंत्रालय ने लिखा म.प्र. कुपोषण की उच्च श्रेणी में है तथा विश्व बैंक से ऋण प्राप्त करने हेतु राज्य शासन द्वारा डिस्बरसमेंट लिक्ड इंडिकेटर्स (क्स्प्) नही भेजने से राज्य का 21.03 करोड़ का हिस्सा निरस्त हो जायेगा । इसके बावजूद (क्स्प्) नही भेजा गया क्योकि इसके तहत 60 प्रतिशत गर्भवती तथा धात्री महिला तथा 3 वर्ष तक के बच्चों के निवास पर जाकर उनकी जानकारी मोबाइल के माध्यम से भेजना थी क्योकि वास्तव में 80 प्रतिशत से अधिक आंकडे बोगस है, ऐसे में 60 प्रतिशत का भौतिक सत्यापन केसे किया जा सकता है?

3. राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग नई दिल्ली ने स्कूल शिक्षा विभाग की 8680 तथा महिला बाल विकास विभाग की 217211 वर्ष 2019-20 के शाला त्यागी 11 से 14 वर्ष की बालिकाओं की संख्या, की भिन्नता पर अभिमत चाहा। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संदर्भ में महिला बाल विकास विभाग को पत्र क. 2019 / 3153 दिनांक 30.05.2019 पत्र के. 2019 / 3817 दिनांक 26.06. 2019 पत्र क्र. 1562/179/50-2 दिनांक 19.11.2019 पत्र लिखकर 2019-20 की शाला त्यानी बालिकाओं की सूची मांगी, ताकि उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। विभाग ने कई पत्रों के बाद भी सूची नहीं भेजी।

4. स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल ने समस्त जिले के कलेक्टर को पत्र क्र. 96/179/2019/20-2 दिनांक 14.01.2020 लिखकर कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली के पत्र क्र. 106603/2019-20 / सीएम / पार्ट 1/97620 दिनांक 08.08.2019 के संदर्भ में शाला त्यागी बालिकाओं की पुष्टि हेतु जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला बाल विकास विभाग से नामजद सूची प्राप्त कर राज्य शिक्षा केन्द्र को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।

5. महालेखाकार ने पोषण आहार के अर्न्तगत टेक होम राशन के वर्ष 2018-19 से 2020-2021 के तीन वर्षों का जिलों के 49 आंगनबाड़ी केन्द्र का आडिट किया और उसमें सैकड़ों करोड़ों की गडबडी पाई गई।

6. प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के अन्तर्गत स्कूल छोड़ने वाली किशोरी बालिकाओं, गर्भवती और धात्री माताओं 6 माह से तीन वर्ष के बच्चों 0 से 6 वर्ष के कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों से दिए जाने वाले टेक होम राशन के नाम पर करोड़ों रूपए की गड़बड़ी की गई है । महालेखाकार की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2018 से 2021 तक 4.05 लाख मीट्रिक टन टेक होम राशन 1.35 करोड़ लाभार्थियों को 2393.21 करोड़ मूल्य का वितरण किया किन्तु टेक होम राशन के परिवहन में जिन ट्रकों का उपयोग किया गया वे ट्रक थे ही नहीं । ट्रकों के जो नम्बर पाए गए वे वास्तव में मोटर सायकल, कार, टैंकर एवं ऑटो के थे ।

7. 62 करोड़ 72 लाख रू. का 10176 टन पोषण आहार न तो गोदाम में पाया गया और न ही परिवहन के प्रमाण पाए गए। रिपोर्ट की जांच में पाया गया कि जिन छह संयंत्रों बाड़ी, धार, मण्डला, रीवा सागर एवं शिवपुरी में निर्धारित और अनुमानित क्षमता से अधिक पोषण आहार के उत्पादन की जानकारी दी है।

8. कच्चे माल और बिजली की खपत में अंतर पाया गया जिसमें 58 करोड़ रूपए की हेराफरी की गई । उक्त जिलों में प्रतिदिन 11,456 मीट्रिक टन उत्पादन दिखाया गया है, जिसके लिए 5,50,877 यूनिट बिजली की जरूरत थी किन्तु एजी ने पाया कि चारों जिलों के प्लांट में 2,89,587 यूनिट बिजली की खपत हुई है, जबकि बिजली की खपत के अनुसार 5866 मीट्रिक टन पोषण आहार प्रतिदिन होना चाहिए था। ऑडिट आपत्ति में उक्त जिलों में 5589 मीट्रिक टन प्रतिदिन काल्पनिक उत्पादन दिखाया गया ।

9. ऑडिट रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि टेक होम राशन के नाम पर वितरित किए गए 237 करोड़ मूल्य के 38304 टन निम्न गुणवत्ता के पोषण आहार की जांच सक्षम एजेन्सी से नही कराई गई, महालेखाकार की रिपोर्ट के अनुसार नेपाल, छिंदवाड़ा, घार, झाबुआ, रीवा, सागर, सतना एवं शिवपुरी जिले में टैंक होम राशन वितरण की 49 आंगनबाड़ों केन्द्रों की जांच में स्कूल शिक्षा विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग के द्वारा बताए गए लाभार्थियों की संख्या में अंतर पाया गया । टेक होम राशन वितरण हेतु कोई आधारभूत सर्वे नहीं कराकर पोषण आहार का वितरण किया गया । जांच में पाया गया कि उक्त 49 आंगनबाड़ी केन्द्रों में शाला त्यागी किशोरी बालिकाएं केवल तीन दर्ज थी, जबकि एमआइएस पोर्टल पर 63 हजार 748 और 2018 से 2021 के बीच 29 हजार 104 को टेक होम राशन वितरित करना दिखाया गया है। यदि 49 आंगनबाड़ी केन्द्र में यह स्थिति है तो प्रदेश की 97135 आंगनबाड़ी केन्द्रों में आंकडों का कितना बड़ा खेल होगा।

10. विभाग के जिला स्तर के अमले ने 2018-19 से 2020-2021 तक तीन साल की शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या 36.08 लाख रजिस्टर्ड की जिसे डायरेक्टर ने घटाकर 5.51 लाख कर दिया तथा 30.57 लाख पंजीकृत संख्या थी कम करने का कोई कारण नहीं दिया 9 जबकि इसी अवधि में शिक्षा विभाग द्वारा सर्व शिक्षा अभियान के तहत घर-घर जाकर किये गये सर्वे में शाला त्यागी बालिकाओं की वर्ष 2018 से 21 तक की संख्या मात्र 43 हजार बताई गई।

11. कोरोना काल के वर्ष 2020-21 में जब पूरे प्रदेश में अधिकांश समय लॉकडाउन रहा, 1200 करोड़ का पोषण आहार घर-घर जाकर दिया गया। मार्च 2020 से जुलाई 2020 तक कोरोना अवधि में, मात्र 5 माह में रेडी टू ईट 209 करोड़ का, टेक होम राशन 90 करोड़ का, घर-घर जाकर वितरित करने हेतु आवश्यक अनुमति किससे ली । कलेक्टर ने इसके लिये भोजन पकाने, वाहन से ले जाने, आदि की किस-किस जिले में किस-किस व्यक्ति को अनुमति दी । कोरोना काल में राशन वितरीत करने वाले वाहनों के क्रमांक क्या है?

12. कोरोना काल में भिण्ड, मुरैना, झाबुआ, धार, रतलाम, मण्डला, डिण्डौरी आदि कई जिलों में पोषण आहार नहीं दिया गया लेकिन उसका व्यय दिखाया गया, 13. वर्ष 2015-16 से 2021-2022 तक 13 लाख 39 हजार शाला त्यागी बालिकाओं को टेक होम राशन दिया, जबकि शिक्षा विभाग के अनुसार इस अवधि में शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या मात्र 82493 है 12 लाख 56 हजार 605 शाला त्यागी बालिकाओं का अता-पता ही नहीं है जबकि शासन का यह गलत तर्क है कि शिक्षा विभाग उन बालिका की गणना करता है जिन्होंने स्कूल में प्रवेश नहीं लिया तथा महिला बाल विकास विभाग उन बालिकाओं को भी गणना में शामिल करता है जो प्रवेश तो लेती है, लेकिन स्कूल नहीं जाती है।

13. महिला बाल विकास की शाला त्यागी बालिका की यह व्याख्या गलत है यह योजना सिर्फ शाला त्यागी बालिकाओं के लिये है जिन्होंने प्रारंभ से विद्यालय में प्रवेश ही नही लिया (निरक्षर) या जिन्होंने 5वीं या 6वीं बाद पढ़ना छोड़ दिया।

14. शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या में प्रतिवर्ष माह अनुसार काफी अंतर है, मई 2018 में 352063 मार्च 2019 में 157950, जून 2020 में 158050 तथा जनवरी 2021 में 107012 तथा मई 2021 में मात्र 15252 एक ही शैक्षणिक वर्ष की संख्या में लाखों में अंतर यह दर्शाता है कि संख्या का नियमानुसार परीक्षण एवम् सत्यापन अधिकारियों द्वारा नहीं किया गया ।

15. केन्द्र शासन की शाला त्यागी बालिकाओं को योजना अनुसार वर्ष में 300 दिन प्रतिमाह 24 दिन टेक होम राशन देना था लेकिन विभाग ने प्रतिवर्ष अपनी मर्जी से निर्धारित दिवस के नियम का पालन ही नहीं किया । वर्ष 2018 से 2022 तक अप्रैल माह मई 2020 जुलाई 2020 सितम्बर 2020, पर मार्च 2021 तथा जून 2021 से मार्च 2022 तक किसी भी शाला त्यागी बालिका को टेक होम राशन नहीं दिया गया तथा इसका कोई कारण नहीं बताया गया।

16. शाला त्यागी बालिका की mis पोर्टल में संख्या विभाग द्वारा तय की गई शाला त्यागी बालिका की संख्या टेक होम राशन प्राप्त करने वाली बालिकाओं की संख्या तथा शिक्षा विभाग द्वारा सर्व शिक्षा अभियान के तहत घर-घर जाकर सर्वे में पाई गई बालिकाओं की संख्या में जमीन आसमान का अंतर महाघोटाले का आईना है ।

17. सैलाना विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2018 से 2021 तक टेक होम राशन प्राप्त करने वाली बालिकाओं की सूची में अधिकांश की उम्र 14 वर्ष से ज्यादा तथा 19 वर्ष तक की है जो कि नियम के विपरीत है. ऐसा लगाभग सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों की सूची में पाया जायेगा जो इस महाघोटाले की कहानी कह रहा है।

18. mis पोर्टल पर शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या रतलाम शाजापुर तथा धार जिले में 2016-17, 2017-18 में हजारों में बताई गई तथा उन्हें टेक होम राशन देना विधायकों के प्रश्न में बताया गया, जब विभिन्न प्रश्नों में संख्या में हजारों का अंतर पाया गया तो बताया गया कि वह संख्या डप्ै पोर्टल की है तथा यह संख्या लाभान्वित बालिका की है और अगले प्रश्नों में कहा कि रतलाम, शाजापुर, धार आदि कई जिलों में 2016-17 तथा 2017-18 में यह योजना नहीं थी पर योजना मात्र 15 जिलों में उस दौरान लागू की।

19. 06 माह से 3 साल के बच्चों तथा 3 वर्ष से 6 वर्ष के बच्चों की संख्या में भी प्रतिवर्ष काफी अंतर है, 06 माह से 3 वर्ष के बच्चे वर्ष 2018-19 से 2020-21 में क्रमशरू (1) 3295929 (2) 3132826 तथा (3) 2447944 है दो वर्ष में बच्चों की संख्या में 847985 का अंतर समझ से परे है ।

20. 3 वर्ष से 6 वर्ष के हितग्राही बच्चों की संख्या तो चौकाने वाली करोड़ों में विधानसभा के प्रश्न में दी गई है, वर्ष 2018-19 में 3835660220196-20 में 33538752 तथा 2020-21 में 20481107 बताई गई है। तीन करोड़ से अधिक हितग्राही बताना इस महाघोटाले का अंश स्पष्टः दृष्टिगोचर होता है।

21. इसी प्रकार संख्या का अंतर गर्भवती महिला में भी पाया गया है। विधानसभा में हमारे विधायकों के प्रश्न में एक बार वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक संख्या क्रमशः (1) 1343103 (2) 1308507 तथा ( 3 ) 1193365 बताई उसी प्रश्न में संख्या क्रमशः (1) 703627 (2) 656069 तथा (3) 366166 बताई यह संख्या का खेल भ्रष्ट्राचार का जीता जागता उदाहरण है ।

22. सभी 52 जिलों की 97135 आंगनबाड़ी में जिला कार्यक्रम अधिकारी तथा चाइल्ड जिला कार्यक्रम अधिकारी के नियमानुसार पिछले 10 वर्षों में कमी भी नियमानुसार आहार की मात्रा, स्टाक, गुणवत्ता, संख्या, टेकहोम राशन के पैकेज वितरण इत्यादि का निरीक्षण तथा मूल्यांकन नहीं किया तथा महाघोटाले की जानबुझकर नजर अंदाज का कर इसे होने दिया ।

कांग्रेस विधायकों ने कहा कि इन बिंदुओं के अलावा इस महाघोटाले से जुड़े कई ओर बिंदु हैं, जिसकी जांच से शत प्रतिशत् उजागर होगें। हाल ही में महालेखाकार ने वर्ष 2018 से 2021 के बीच महिला बाल विकास विभाग के कतिपय कार्यालयों का आडिट कर 30 से ज्यादा अनियमितता सहित 36 पृष्ठीय रिपोर्ट 12 अगस्त 2022 को राज्य सरकार के पास उनका अभिमत जानने के लिये भेजी है। बीते 14 सितम्बर, 2022 को विधानसभा में प्रस्तुत प्रथम अनुपूरक अनुमान में महिला बाल विकास विभाग की मांग संख्या 55 में सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण.02 में विशेष सेवाओं के लिये मानदेय के भुगतान हेतु 1003 करोड़ का प्रावधान समझ से परे है। मात्र तीन माह के अंतराल से इतनी बड़ी राशि का अनुपूरक आश्यर्च जनक है और विभाग की आर्थिक कुप्रबंधन स्पष्टः महाघोटाले की ओर इशारा करती है। पिछले 18 वर्षों में पोषण अभियान के तहत चल रहे पोषण आहार योजना, जिसमें 50 प्रतिशत राशि केन्द्र से प्राप्त होती है, हजारों करोड़ का महाघोटाला हुआ है।

मुख्यमंत्री वर्तमान में इस विभाग के मुखिया है तथा 14 सितम्बर 2022 को विधानसभा से उनके भाषण से स्पष्ट है कि इस विभाग पर महालेखाकार की आब्जर्वेशन रिपोर्ट पर तथा 2018 से पहले हुई अनियमितता पर शासन स्तर पर कोई सही कदम न उठाकर इस महाघोटाले को दबाने का प्रयास किया जायेगा, चूकिं CBI का वर्तमान चेहरा भी दागदार है और उसकी विश्वसनीयता समाप्ति की ओर है।
कांग्रेस दल के समस्त विधायकों ने महाघोटाले की माननीय उच्च न्यायालय म.प्र. की निगरानी में जांच कराये जाने का अनुरोध महामहिम राज्यपाल महोदय से किया है।

इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायकगण एन.पी. प्रजापति, सज्जन सिंह वर्मा, पी.सी.शर्मा. आरिफ मसूद सहित कांग्रेस विधायक दल के समस्त विधायक उपस्थित थे।

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