जन-समुदाय का सहयोग टी.बी. मुक्त भारत अभियान की सफलता का आधार

मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल

राज्यपाल श्री पटेल ने “नि-क्षय मित्र” समारोह को संबोधित किया
हानिकारक पदार्थों का सेवन, चिंता और चिंतन का विषय

 

मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि तंत्र के प्रयासों में जन का सहयोग सफलता का आधार होता है। किसी भी अभियान के साथ जन-समुदाय का व्यक्तिगत और सामूहिक जुड़ाव उसकी सफलता की संभावना को बहुत बढ़ा देता है। प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के साथ प्रदेश के जन और तंत्र की सहभागिता, अभियान की सफलता का संदेश हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू के खेत में बागुड़ नहीं लगाई जाती क्योंकि उसे पशु नहीं खाते हैं। मानव द्वारा उसका सेवन कर अपनी सेहत को खराब करना चिंता और चिंतन का विषय है। इसलिए जरूरी है कि टी.बी. होने के कारण, बचाव और उपचार के लिए नियमित दवा, पोषक आहार के सेवन के साथ ही आहार-विहार की सावधानियों के संबंध में जागरूकता का व्यापक स्तर पर प्रसार किया जाए।

राज्यपाल श्री पटेल आज कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में टी.बी. मुक्त भारत अभियान म.प्र. के “नि-क्षय मित्र” समारोह को संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सोच और कार्य-प्रणाली दुनिया में देश को आगे रखने की है। वैश्विक महामारी कोविड का सामना करने में भारत ने एक मिसाल पेश की है। नए भारत की रीति-नीति और आत्म-विश्वास के साथ टी.बी. उन्मूलन के लिए प्रदेश में हो रहे प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि टी.बी. उन्मूलन अभियान को जन-आंदोलन बनाने के लिए यह बताना जरूरी है कि बीमारी की रोकथाम बहुत सरल है। सुलभ और कारगर नि:शुल्क इलाज उपलब्ध है। बीमारी से जुड़ी हीन भावनाओं और भ्रम को दूर करने के प्रयास भी जरूरी हैं। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पोषक खाद्य सामग्री को आहार में शामिल करने के संबंध में व्यापक जन- जागरूकता के कार्य किए जाना चाहिए। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि सामान्यत: देखा गया है कि बीमारी के इलाज के लिए लोग दवा खाते हैं, लेकिन आहार में सही बदलाव नहीं करते हैं। उन्होंने नि-क्षय मित्रों से अपील की कि पोषण आहार में सहयोग के साथ ही टी.बी. रोग उपचार के लिए आवश्यक आहार-विहार की सावधानियों के पालन में क्षय रोगियों और उनके परिजन का मार्गदर्शन करें।

राज्यपाल ने उपस्थित जनों को टी.बी. मुक्त भारत की शपथ दिलाई। प्रचार-प्रसार, प्रिंट-सामग्री और फिल्म “मेरी तब की कहानी” का लोकार्पण किया। टी.बी. चेम्पियन के अनुभवों को सुना। नि-क्षय मित्रों को प्रशस्ति-पत्र वितरित किए। अनूपपुर और उमरिया जिलों के एक हजार 355 क्षय रोगी के लिए सामुदायिक सहयोग के रूप में 4 लाख 33 हजार 500 रूपये की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा प्रदाय की गई। भोपाल के 20 टी.बी. मरीज को फूड बास्केट का वितरण किया गया।

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान को प्रदेश में पूरी गति के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है। मध्यप्रदेश, विकासखण्ड स्तर पर टी.बी. रोग की जाँच सुविधा उपलब्ध कराने वाला देश का पहला राज्य है। रोगियों के चिन्हांकन का कार्य भी व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। गतवर्ष 74 हजार 337 जाँच की तुलना में, इस वर्ष एक लाख 81 हजार 800 जाँच की जाकर दोगुना से अधिक की उपलब्धि अर्जित की गई है। उन्होंने बताया कि देश के बड़े राज्यों में टी.बी. मुक्त भारत अभियान में 88 प्रतिशत की सहमति प्राप्त कर मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है। अभी तक 4 हजार 609 नि-क्षय मित्र का पंजीयन हुआ है, जिनमें 3 हजार 89 नि-क्षय मित्र टी.बी. मरीजों से जुड़ गए हैं। नि-क्षय मित्र बनने के लिए सांसद और विधायकों से भी अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि नि-क्षय मित्र के रूप में प्रदेश के सभी स्तर के जन-प्रतिनिधि, अधिकारी और समाजसेवियों को अभियान के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

जबलपुर जिले से आए टी.बी. चेम्पियन सुश्री कंचन सेन और श्री अरूण बावरिया ने टी.बी. रोग से पीड़ित होने की परिस्थिति और समस्याओं की जानकारी देते हुए टी.बी. के साथ अपनी लड़ाई और जीत की कहानी सुनाई। उन्होंने टी.बी. उन्मूलन प्रयासों में सहयोग के संकल्प के साथ कहा कि “करते है यह वादा होगा टी.बी. मुक्त मध्यप्रदेश हमारा”।

अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान ने प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के संबंध में स्वास्थ्य विभाग की रणनीति और उन्मूलन प्रयासों की जानकारी दी। प्रदेश के जनजाति बहुल इलाकों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किए जाने के सम्बन्ध में बताया। आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. सुदाम पी. खाडे ने आभार माना। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक सुश्री प्रियंका दास सहित बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे।

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