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भौतिक उन्नति में आध्यात्मिकता का समन्वय जरूरी

  मध्यप्रदेश के राज्यपाल,मंगुभाई पटेल ने कहा

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  • सुविधाओं की अंधी दौड़ में आत्मिक आनंद की अनुभूतियों से मानवता हो रही है वंचित बुद्धि एवं संस्कार के दिव्यकरण से आध्यात्मिक प्रकृति को विकसित करना सहाहनीय पहल राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने मूल्य शिक्षा प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र के प्रथम चरण का उद्घाटन एवं शिक्षाविद् सम्मेलन का शुभारंभ किया

सुविधाओं की अंधी दौड़ में आत्मिक आनंद की अनुभूतियों से मानवता हो रही है वंचित
बुद्धि एवं संस्कार के दिव्यकरण से आध्यात्मिक प्रकृति को विकसित करना सहाहनीय पहल
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने मूल्य शिक्षा प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र के
प्रथम चरण का उद्घाटन एवं शिक्षाविद् सम्मेलन का शुभारंभ किया

 

मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि संस्कारित राष्ट्र के लिए भौतिक प्रगति के साथ ही आध्यात्मिक आनंद के प्रयासों में समन्वय होना आवश्यक है। सभी वर्गों को जोड़ कर बुद्धि एवं संस्कार के दिव्यकरण द्वारा उनमें आध्यात्मिक प्रकृति को विकसित करने की पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि जीवन में आनंद के अनेक साधन उपलब्ध हैं, जिन्हें धन से क्रय किया जा सकता है। इन सभी साधनों से क्षणिक शारीरिक और बौद्धिक सुख की प्राप्ति होती है। आत्मिक शांति आध्यात्मिकता से ही प्राप्त होती है। आध्यात्मिकता का मूलाधार स्नेह, सम्मान, सहयोग और संवेदनशीलता है। इसलिए परमात्मा ने मानव को वाणी और बुद्धि जैसी असीम शक्तियाँ प्रदान की हैं।

राज्यपाल श्री पटेल प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सह-निकाय राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के मूल्य शिक्षा प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र के प्रथम चरण के उद्घाटन एवं शिक्षाविद् सम्मेलन शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि फाउंडेशन का प्रशिक्षण कार्यक्रम शाश्वत मूल्यों और जीवन सूत्रों को आधुनिकतम वैज्ञानिक ढंग से जन-मानस में संप्रेषित करेगा। समाज में सकारात्मकता, आध्यात्मिकता के यथा योग्य वातावरण का निर्माण करेगा। मूल्य शिक्षा, आध्यात्मिकता और आत्म-शांति का मार्ग है। राज्यपाल ने आज़ादी के अमृत महोत्सव के प्रसंग पर दिव्य मूल्यों की पुनर्स्थापना से आध्यात्मिक क्रांति की पहल के लिए फाउंडेशन की सराहना की।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि आज तेजी से हो रहे भौतिक विकास में मानव अस्तित्व को केवल एक शरीर के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। भौतिक प्रगति में जीवन की सार्थकता है। इस मिथक की अंधी दौड़ में व्यक्ति का जीवन यंत्रवत हो गया है। शारीरिक सुख के साधन और सुविधाओं की अंधी दौड़ में आत्मिक आनंद की अनुभूतियों से मानवता वंचित हो रही है। आध्यात्मिकता से ही व्यक्ति में भरोसा, आदर और धैर्य जैसे सद्गुण प्रगट होते हैं और आंतरिक अनुभूतियों को जगा कर शरीर को आत्मा के अनुरूप बनाते हैं।

कार्यकारी सचिव ब्रह्माकुमारीज़, माउंटआबू राजयोगी बी. के. मृत्युंजय ने कहा कि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय परमात्मा की दैवीय कृपा से स्थापित संस्थान है। संस्थान का प्रयास हर आत्मा को दैवीय गुण से संपन्न कर मानव को देव बनाना है। प्रशिक्षण अन्याय, भ्रष्टाचार और विकारों से मुक्त महामानव निर्माण का प्रकल्प है। उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा 24 विश्वविद्यालयों के साथ थॉट लेब स्थापना का पारस्परिक समझौता किया है। संस्थान की 30 हजार से ज्यादा बहने सम्पूर्ण विश्व के करीब 147 देशों में संचालित केंद्रों से नैतिक और मूल्य परक शिक्षा का प्रसार कर रही हैं।

भोपाल ज़ोन की निदेशक राजयोगिनी बी. के. अवधेश ने स्वागत उद्बोधन दिया। राज्यपाल का बैज लगा एवं गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया गया। बालिकाओं द्वारा स्वागत नृत्य की प्रस्तुति दी गई। मूल्य शिक्षा एवं शोध केंद्र निर्माण परियोजना के मॉडल और ऑडियो, वीडियो फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।

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