भोपाल,16 सितंबर 2020 । भारत के किसानों के बेहतर कल्याण, कृषि के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग खेती और कृषि को बढ़ावा देने के लिए नेशनल डिजिटल ,एग्रीकल्चर और मार्केटिंग इको सिस्टम जल्द आकर लेगा। इससे किसानों को और किसानों के लिए सेवा देने बाले सेवा प्रदाता निजी एवं सरकारी एजेंसियों को ने केवल काम काज करने में मदद मिलेंगे बल्कि किसानों को आर्थिक लाभ भी होगा। इस दिशा में तेजी के साथ व्यापक स्तर पर प्रभावी तरीके से काम हो रहा है।
श्री विवेक अग्रवाल,संयुक्त सचिव एवं सीईओ पीएम किसान भारत सरकार,कृषि मंत्रालय ने “डिजिटल कृषि शासन-प्रशासन और इसके बहुस्तरीय लाभ” विषय पर बोलते हुए एमपीपोस्ट के सकारात्मक डिजिटल जर्नलिज्म के दो दशक के अवसर पर विशेष सीरीज के तहत ऑनलाइन आयोजन फेसबुक लाइव संवाद के दौरान यह बात कही।
विवेक अग्रवाल ने कहा की इनोवेशन और नॉलेज हब का प्राइवेट पार्टनर्स के साथ अलाइंस भी बना रहे हैं
उन्होंने फेसबुक लाइव संवाद के मॉडरेटर और एमपीपोस्ट संपादक सरमन नेगेले से चर्चा में बताया की भारत में किसानों का नेशनल डिजिटल इको सिस्टम बनाया जा रहा है क्योंकि किसानों की पीएम किसान योजना के जरिये जैसे नाम, आधार नंबर, गांव का नाम और निजी जानकारी आ चुकी है। अब इस डेटाबेस को 11 राज्यों के लैंड रेकॉर्डस के डेटाबेस से जोड़कर इंटर मीडिएट इंटरफ़ेस बनाकर एपीआई शेयरिंग के जरिये किसान के डेटाबेस को ऑनबोर्ड किया है। अब जितने भी तरह के किसान और किसान के उत्पाद से संबंधित जो डाटा बेस है उसका डिजिटल एक्सचेंज -डिजिटल प्लेटफार्म भी बनाया जा रहा है। अभी तक 5 करोड़ किसानों के लैंड रेकॉर्डस की मैपिंग की जा चुकी है।
श्री अग्रवाल ने बताया की सरकार की सभी योजनाओं और योजनाओं के डेटाबेस का फेडरटेड एक लिंक नेशनल लेवल पर बनाया जा रहा है। जो नेशनल एक्सचेंज बनकर एग्रीस्टॉक का रूप लेगा। इस एग्रीस्टॉक में आईओटी डिवाइस और सेटेलाइट इमेजरी का डेटा भी शामिल हो सकेगी। और ये डेटाबेस किसानों के लिए सेवा देने बाले सेवा प्रदाता निजी एवं सरकारी एजेंसियों को पब्लिक सर्विस के लिए दिया जायेगा।
उन्होंने बताया की इस डेटाबेस के आधार पर आर्टिफिशिअल इंटेलिजेंस – एआई और ब्लॉक चैन के जरिये लगभग 10 करोड़ किसानों का डेटाबेस इस वर्ष तक बना लेंगे जिसका किसानों के हित में अदन – प्रदान करेंगे। इसके साथ- साथ किसानों को फ़सल और बारिश से संबंधित लोकल व खेत स्पेसिफिक एडवाइजरी जारी हो सकेगी।
इससे किसानों को सरकार की अनेक योजनाओं का सीधे लाभ मिल सकेगा। इस डाटा को राज्यों के साथ और अन्य एजेन्सियों के साथ भी आदान प्रदान किया जाएगा जो किसानों के हित में उपयोग कर सकें।
विवेक अग्रवाल ने फेसबुक लाइव संवाद के मॉडरेटर सरमन नगेले फाउंडर एडिटर एमपीपोस्ट से सवालों के जबाव में बताया की किसानों के कल्याण और सुविधा के लिए किसानों के उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य ( संवर्धन और सुविधा ) किसानों के ( सशक्तीकरण और संरक्षण ) के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग-समझौता कानून कानून लाये जा रहे हैं। किसान को अपने उत्पाद की सही कीमत मिले और दूसरे राज्यों में जाकर भी उत्पाद बेच सके उसके लिए और अपनी फसल तैयार होने से पहले बेच सके के लिए अध्यादेश आ चुके हैं जो जल्द ही कानून का रूप लेगा।
उन्होंने बताया की किसानों की सुविधा के लिए डिजिटल गवर्नेंस के अनेक कार्य बड़े स्तर पर किये जा रहे हैं इसीलिए एग्रीकल्चर डिजिटल विंग अलग से बनाई गई है। किसान और कृषि के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का सर्वाधिक उपयोग हो किसानों को ई मार्केटिंग की सुविधा मिले इस दिशा में काम जारी है।
विवेक अग्रवाल ने कहा की डिजिटल स्टार्टअप्स, डिजिटल मार्केट और किसानों से जुड़े सभी नवाचार को प्रोत्साहित करने के साथ साथ केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को बहुत उच्च प्राथमिकता दी जाती है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देकर किसानों की आय में बढ़ोत्तरी करने और युवाओं को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए, स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत एक घटक के रूप में, नवाचार और कृषि उद्यमिता विकास कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसको वित्तीय सहायता प्रदान करके और ऊष्मायन पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करके, नवाचार और कृषि उद्यमीता को बढ़ावा दिया जा सके। ये स्टार्ट-अप्स विभिन्न श्रेणियों जैसे कृषि प्रसंस्करण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल कृषि, कृषि यंत्रीकरण, वेस्ट टू वेल्थ, डेयरी, मत्स्य पालन आदि में हैं।
सीईओ प्रधानमंत्री किसान योजना ने बताया की किसानों के लिए एक लाख करोड़ का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से डिजिटल स्टार्टअप को और आई सी टी के क्षेत्र में काम करने बाले उद्यमियों को बिना गारंटी के कम ब्याज दर पर लोन देने के लिए प्रावधान किया गया है। कृषि,के क्षेत्र के लिए नॉलेज पार्टनर्स सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है नॉलेज सेंटर भी बनाया जा रहा है। एग्रीप्रेन्योरशिप, आरकेवीवाई के जरिये भी किसानों को मदद दी जा रही है।
उन्होंने बताया की मोबाइल गवर्नेंस के जरिये भी किसानों को सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं जैसे एम गवर्नेंस पोर्टल्स काम कर रही है साथ ही 80 करोड़ एसएमएस प्रत्येक सप्ताह अलग अलग विधा के द्वारा किसानों को भेजे जा रहे हैं और अनेक प्रकार की केवल किसानों के लिए मोबाइल एप्प भी कृषि और किसानों को सुविधा के लिए चल रहीं हैं।
सोशल मीडिया के द्वारा भी किसानों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
संयुक्त सचिव कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने कहा की देश में 10 हजार नए फार्मर प्रोडूसर ऑर्गनाइज़ेशन बनाये जा रहे हैं ,देश के प्रत्येक ब्लॉक में एक फार्मर प्रोडूसर ऑर्गनाइज़ेशन स्थापित होगा। उन्होंने बताया की कोरोना के कारण देश की कृषि और कृषि आर्थिक गतिविधि बाधित नहीं हुई।