16 लाख किसान ऑनलाइन उपार्जन प्रबंध की बदौलत कोरोना से डरे बिना केंद्रों में आए,असली कोरोना वॉरियर्स हैं किसान – शिव शेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव,म.प्र.शासन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग
फूड हेल्प लाइन की सहायता से 3 करोड़ से अधिक असहाय, बेसहारा और राज्य के बाहर से आए श्रमिकों को खाद्यान्न, पके हुए भोजन के पैकेट की व्यवस्था भी कोरोना के समय में की गई,
किसानों ने किसान एप्प डाउनलोड कर गेहूँ ख़रीदी का पंजीयन किया,
ई – उपार्जन के तहत पच्चीस हजार करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंच चुकी, इस अभियान के महानायक प्रदेश के किसान भाई रहे जो कि वास्तविक ‘‘कोराना विजेता’
कोरोना योद्धा’ के रूप में पूरा शासकीय अमला एक जुट होकर इस महाअभियान में लगातार दो महीने बिना किसी अवकाश के निरन्तर जुटा रहा। 16 लाख किसान तथा 5 लाख कर्मचारी लगातार दो माह उपार्जन कार्य में घर की सीमा से बाहर निकले परंतु एक भी प्रकरण में कोरोना संक्रमण नहीं हुआ। किसान डरे नहीं,कोरोना के प्रति किसान रहे सावधान, ई -उपार्जन के दौरान कोरोना संक्रमण किसी को नहीं हुआ,
असली कोरोना वॉरियर्स हैं किसान – शिव शेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव,म.प्र.शासन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग
भोपाल , 22 जून 2020 । मध्यप्रदेश के 16 लाख से अधिक किसान ऑनलाइन प्रबंध की बदौलत कोरोना से डरे बिना मंडियों में आये। किसानों ने किसान एप्प डाउनलोड कर विवरण भी दर्ज किये। ई – उपार्जन के तहत पच्चीस हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंच चुकी है। कोरोना योद्धा के रूप में पूरा शासकीय अमला एक जुट होकर इस महाअभियान में लगातार दो महीने बिना किसी अवकाश के निरन्तर जुटा रहा। 16 लाख किसान एवं 5 लाख कर्मचारी लगातार दो माह उपार्जन कार्य में घर की सीमा से बाहर निकले और एक भी प्रकरण में कोरोना संक्रमण नहीं हुआ। किसान डरे नहीं। कोरोना के प्रति किसान सावधान रहे, ई -उपार्जन के दौरान कोरोना संक्रमण किसी को नहीं हुआ। फूड हेल्प लाइन की सहायता से 3 करोड़ से अधिक असहाय, बेसहारा और राज्य के बाहर से आए श्रमिकों को खाद्यान्न, पके हुए भोजन के पैकेट की व्यवस्था भी कोरोना के समय में की गई। मध्यप्रदेश के किसानों ने पूरे देश के उपार्जन का एक तिहाई से भी अधिक हिस्सा स्वयं अपनी दम पर उपार्जित करके एक नया कीर्तिमान बनाया। दरअसल असली कोरोना वॉरियर्स हैं किसान, यह बात एमपीपोस्ट के सकारात्मक डिजिटल जर्नलिज्म के दो दशक के अवसर पर विशेष सीरीज के तहत ऑनलाइन आयोजन फेसबुक लाइव के स्पीकर के रूप में श्री शिव शेखर शुक्ला, वरिष्ठ आईएएस अफसर और प्रमुख सचिव,म.प्र.शासन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने कही। श्री शुक्ला ने मॉडरेटर और एमपीपोस्ट के संस्थापक संपादक सरमन नगेले के साथ फेसबुक लाइव के जरिये कोविड -19, कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए ऑनलाइन माध्यमों की भूमिका – विषय पर सवालों के जवाबों के दौरान विस्तार से जानकारी साझा की।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में बताया की आज पूरा विश्व कोरोना काल के विकट दौर से गुजर रहा है। इस समय मध्यप्रदेश के किसानों ने और ई-उपार्जन के कार्य में लगे हुए लोगों ने मिसाल कायम की है। उन्होंने एक सवाल के उत्तर में बताया की राज्य का किसान बहुत जागरूक और समझदार है। तभी तो लाखों किसानों ने बिना ट्रेनिंग के किसान एप्प डाउनलोड कर अपनी जानकारी दर्ज की है। मध्यप्रदेश ने समर्थन मूल्य पर गेहॅूं उपार्जन में पंजाब को पीछे छोड़ते हुए देश का अग्रणी राज्य बन एक नया इतिहास बनाया है।
प्रमुख सचिव ने बताया की केन्द्र सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी दो कारणों से की जाती है-पहली सभी प्रदेशों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत हितग्राहियों को अत्यन्त सस्ती दर पर खाद्यान्न सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए और दूसरी किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्रदान कर बाजार में मूल्य स्थरीकरण करनेके लिये। इसके लिए दो प्रकार की प्रक्रियाएं हैं- एक वे प्रदेश जहां भारत सरकार द्वारा भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से स्वयं समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है एवं दूसरे वे प्रदेश जो अपनी आवश्यकता के लिये तो समर्थन मूल्य पर खरीदी करते ही हैं बल्कि देश के अन्य प्रदेशों की आवश्यकता के लिये भी उपार्जन करके भारत सरकार को केन्द्रीय परिदान में सौंप देते हैं।
यह दूसरी प्रक्रिया विकेन्द्रीकृत उपार्जन DCP (Decentralized Procurement) कहलाती है और मध्यप्रदेश इस प्रक्रिया के तहत एक DCP प्रदेश है जो स्वयं की आवश्यकता लगभग 37 लाख मी.टन ;29 लाख मी.टन गेहूं एवं 9 लाख मी.टन चावल के अलावा अन्य प्रदेशों के लिये भी गेहूं,चावल एवं अन्य दलहन,तिलहन की समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदी करता है। इस कारण मध्यप्रदेश द्वारा किया गया उपार्जन पूरे देश के लिये अत्याधिक महत्व रखता है। इस वर्ष मध्यप्रदेश ने पूरे देश के उपार्जन का एक तिहाई से भी अधिक हिस्सा स्वयं अपनी दम पर उपार्जित करके एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है।पंजाब जैसे प्रदेश जो कि ऐतिहासिक रूप से देश का सर्वाधिक गेहूं उपार्जन करते थे उन्हें पीछे छोड़कर मध्यप्रदेश ने एक नया आयाम स्थापित कर दिया है।
श्री शुक्ला ने बताया की पिछले डेढ़ दशकों में सरकार द्वारा किये गये अनेक प्रयासों जैसे सिंचाई सुविधायें बढ़ाने, खेतों में बिजली पहुंचाने तथा खेती को लाभ का धंधा बनाने का नतीजा है और यह संभव हुआ है प्रदेश के किसानों की कड़ी मेहनत तथा प्रदेश सरकार की संवेदनशीलता से।
उन्होंने कहा की रबी-2020 की तैयारियां अमूमन जनवरी-फरवरी माह में प्रारंभ हो जाती हैं। मध्यप्रदेश एक इकलौता राज्य है जहॉं वर्ष 2012-13 से ही एनआईसी द्वारा e-Uparjan नाम का एक ऐसा साफ्टवेयर तैयार किया गया जिसके माध्यम से किसानों के पंजीकरण से लेकर, उपार्जन केन्द्रों का निर्धारण, किसानों से क्रय की प्रक्रिया, गोदामों तक ट्रकों से परिवहन व किसानों का भुगतान समेत अन्य सभी प्रक्रियाएं पूर्णतः ऑनलाईन हैं। इस सिस्टम से SMS द्वारा किसानों को उनके विकल्प अनुसार उपार्जन केन्द्र आने का आमंत्रण दिया गया। ताकि किसान अपनी उपज केन्द्रों पर सुविधानुसार ला सके। यह SMS की प्रक्रिया कोविड के दौरान बहुत ही कारगर रही और इसी प्रणाली से किसानों को कोविड के खतरे तथा बचने के उपायों जैसे 2 गज दूरी, मास्क तथा सेनिटाइजेशन का प्रयोग की जानकारी सरल तरीके से जैसे गमछा लगाइये ,बार -बार साबुन से हाँथ धोइये के बारे में बताया गया ।
शिव शेखर शुक्ला ने कहा की कोविड -19 के कारण एक बहुत बड़ी चुनौती उपार्जन केन्द्रों एवं गोदामों में श्रमिकों और परिवहन के लिये ट्रकों के ड्राईवर एवं अन्य कर्मचारियों की पर्याप्त उपलब्धता की थी। श्रमिकों की उपलब्धता के लिये पंचायतों को जोड़ा गया जिससे मनरेगा एवं अन्य प्रदेश से लौटे हुए श्रमिकों को उन्ही के गांव के उपार्जन केन्द्रों पर काम मिल सके। ट्रकों के सुचारू रूप से संचालन के लिये सभी ट्रांसपोर्टरों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा कर प्रोत्साहित किया गया इन प्रयासों का परिणाम बहुत अच्छा रहा जो आज सभी के सामने है।
श्री शिव शेखर ने बताया की शासन के समक्ष एक और बड़ी चुनौती पर्याप्त भण्डारण व्यवस्था उपलब्ध कराने की थी। यह इसलिये भी अत्यंत कठित था क्योंकि प्रदेश की लगभग 60 प्रतिशत भण्डारण क्षमता पूर्व वर्षों के उपार्जित स्कंध गेहूं, चना, दलहन आदि से भरी हुई थी परंतु यहॉं भी पूर्व वर्षों का परिश्रम एवं अनुभव काम आया।
उन्होंने एक सवाल के जबाव में बताया की मध्यप्रदेश एकमात्र राज्य है जहां स्टील साइलो एवं साइलो बैग जैसी अत्याधुनिक भण्डारण सुविधाओं का विस्तार वर्ष 2012-13 में ही कर लिया गया था। इसलिए भंडारण ख़राब नहीं होता है।
उन्होंने बताया की इस वर्ष उपार्जन की मात्रा वर्ष 2019-20 में 73 लाख मी.टन की अपेक्षा बढ़कर एकदम से 130 लाख मी.टन पहुंचने पर भी गेहूं के सुरक्षित भण्डारण की व्यवस्था सुचारू रूप से की जा रही है। यह कोई जादू नहीं था बल्कि योजनाबद्ध तरीके से पूर्व तैयारियों के कारण संभव हो पाया।
मार्च माह में ही तीन माह के राशन का अग्रिम उठाव एक कुशल रणनीति का हिस्सा थी जिससे एक ओर अतिरिक्त भण्डारण स्थान उपलब्ध हुआ और दूसरी ओर हितग्राहियों को लॉकडाउन के दौरान खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता बनी रही।
उन्होंने बताया की उपार्जन के लिए पर्याप्त बारदानों की व्यवस्था होना बहुत जरूरी था । शासन द्वारा इस दिशा में पूर्व से ही अनुमान लगाकर पर्याप्त बारदानों की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। लॉकडाउन के कारण पश्चिम बंगाल से जूट के बोरे मिलने बंद हो गये परंतु तत्परता से पूरे देश के HDPE बारदाना निर्माताओं से संपर्क कर शासकीय न्यूनतम मूल्य पर लगातार आपूर्ति सुनिश्चित की गयी। इसमें भी बहुत चुनौतियां आयीं परन्तु नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा बड़ी सूझ-बूझ एवं निरंतर फालोअप कर यह बेहद कठिन कार्य भी सुगम कर दिखाया गया।
श्री शुक्ला ने बताया की सबसे बड़ी बात तो यह थी कि सबसे अगली पंक्ति में सहकारी समितियों द्वारा बिना कोरोना से डरे किसान भाईयों का गेहूं सुविधाजनक तरीके से उपार्जित किया गया तथा समय पर उनका भुगतान सीधे उनके खाते में पहुंचाया गया। ‘कोरोना योद्धा’ के रूप में पूरा शासकीय अमला एक जुट होकर इस महाअभियान में लगातार दो महीने बिना किसी अवकाश के निरन्तर जुटा रहा। 16 लाख किसान तथा 5 लाख कर्मचारी लगातार दो माह उपार्जन कार्य में घर की सीमा से बाहर निकले परंतु एक भी प्रकरण में कोरोना संक्रमण नहीं हुआ। किसान डरे नहीं।
उन्होंने कहा की इस अभियान के महानायक प्रदेश के किसान भाई रहे जो कि वास्तविक ‘‘कोराना विजेता’’ हैं। सभी किसान भाईयों ने अत्यन्त अनुशासन के साथ कोरोना से बचने़ के उपायों को आत्मसात करते हुए शासन के साथ सहयोग किया एवं धैर्यपूर्वक अपनी उपज उपार्जन केन्द्रों पर लेकर आये। शासन की ई-उपार्जन प्रणाली से उनकी उपज का सही मूल्य सीधे उनके खातों में पहुंच गया। कोविड एवं लॉकडाउनके कारण बाजार एवं मंडियों में क्रय -विक्रय के अभाव में मध्यप्रदेश द्वारा समर्थन मूल्य पर रिकार्ड गेहूं खरीदी कर पच्चीस हजार करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंच चुकी है जिससे मध्यप्रदेश में आर्थिक गतिविधि को गति मिलेगी।