मध्यप्रदेश में खदानों की ई-नीलामी – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
खनिज सम्पदा रोजगार और राजस्व प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण
प्रदेश में 71 निष्क्रिय खदानों का कार्य हुआ फिर प्रारंभ
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दिए रिक्त पदों की पूर्ति करने के निर्देश
प्रदेश के तीन जिलों में चल रहा है दुर्लभ धातुओं की खोज का सर्वेक्षण
इस वर्ष प्राप्त होंगे खनिज राजस्व से 7 हजार करोड़
खनिज साधन विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि खनिज सम्पदा, रोजगार और राजस्व प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है। खनिज संपदाओं का वैज्ञानिक दोहन कर रोजगार प्रदान करने के लक्ष्य के लिए तेजी से कार्य किया जाए। पारदर्शी, सुनियोजित और व्यवस्थित रूप से कार्यों की पूर्णता हो। राजस्व प्राप्ति के प्रयासों में कमी न रहे। जिलों में खनिजों की उपलब्धता के सर्वे का कार्य शीघ्र पूर्ण करवाने के लिए भारत सरकार से आवश्यक समन्वय किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने खनिज साधन विभाग में रिक्त पदों की पूर्ति की प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश भी दिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में खनिज साधन विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। खनिज साधन और श्रम मंत्री श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह , मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव खनिज साधन श्री सुखबीर सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री एम. सेलवेंद्रन, संचालक खनिज साधन श्री वी.के. ऑस्टिन और अधिकारी उपस्थित थे।
जिलों में संचालित सर्वेक्षण कार्य
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में विभिन्न करारनामों में सर्वेक्षण कार्य चल रहे हैं। मैगनीज और इंडिया लिमिटेड (मॉयल लि.) और खनिज विभाग के मध्य निष्पादित करारनामों के फलस्वरूप दमोह, छतरपुर, पन्ना, जबलपुर, कटनी, सीधी और सिंगरौली के 14 ब्लॉक एवं बालाघाट और छिंदवाड़ा में 24 ब्लॉकों का सर्वेक्षण प्रारंभ किया गया है। इनमें 20 क्षेत्र हीरा खनिज के शामिल हैं। साथ ही छतरपुर में लौह अयस्क और झाबुआ में मैगनीज के लिए सर्वे किया गया है। मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लि. और खनिज विभाग के मध्य सर्वेक्षण के करारनामे के फलस्वरूप 7 ब्लॉक उपलब्ध कराये गये हैं। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के द्वारा प्रदेश के तीन जिलों सीधी, बैतूल और कटनी में दुर्लभ धातुओं की खोज के लिए सर्वेक्षण कार्य पूर्ण किया जाएगा। इसके लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
71 निष्क्रिय खानों का संचालन फिर से शुरू
मुख्य खनिज की 100 निष्क्रिय खदानों का लक्ष्य निर्धारित कर चूना पत्थर, बाक्साइट, मैगनीज, फायरक्ले, डोलोमाइट और लेटेराइट की 71 खदानों में कार्य प्रारंभ किया गया है। प्रमुख खनिजों की नीलामी के लिए नई लघु खनिज नीति में मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन की अधिसूचना जारी करने, गौण खनिजों की डेड रेंट दरों और फर्शी पत्थर खनिज की डेड रेंट के युक्तियुक्तकरण और 31 गौण खनिजों की रायल्टी दरों के पुनर्निक्षण की अधिसूचना भी प्रकाशित की गई है। खनिज साधन विभाग ने कोयला खनिज के खनन के लिए सिंगरौली जिले के दो ब्लॉक निजी क्षेत्र को आवंटित करने की स्वीकृति दी है।
खनिजों से बढ़ी है राजस्व प्राप्ति
जानकारी दी गई कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोड मैप और दीर्घकालिक लक्ष्यों के आधार पर वित्त वर्ष में विभाग के विजन और उसके क्रियान्वयन के फलस्वरूप खनिज राजस्व प्राप्ति में वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में 4284 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2020-21 में आय 5185 करोड़ रुपये हुई। वर्तमान वित्त वर्ष में इसके 7 हजार करोड़ तक पहुँचने की आशा है। वर्तमान में स्वीकृत रेत ठेके समर्पित/निरस्त किए जाने से जिला स्तर से पुन: आवंटन की कार्यवाही प्रचलन में है।
ई-नीलामी और अन्य नवाचार
खदानों को प्रदेश में मुख्य खनिजों के 32 खनिज ब्लॉक की ई-नीलामी प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश में मुख्य खनिजों से वार्षिक 735 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति और 14 कोल ब्लॉक के आवंटन से सालाना 1360 करोड़ रूपये की राजस्व प्राप्ति होगी। इसी तरह 31 गौण खनिजों की ई-निविदा के उपरांत 9 खनिज ब्लॉक आवंटित करने की कार्यवाही चल रही है। मध्यप्रदेश ई-नीलामी के क्षेत्र में देश के अग्रणी प्रांतों में शामिल है। इसी तरह समस्त गौण खनिजों पर ग्रामीण अवसंरचना और सड़क विकास अधिनियम 2005 के तहत कर अधिरोपित होने से 100 करोड़ रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्ति संभावित है। गौण खनिजों की ई- एप्लीकेशन के आधार पर नवीन आवंटन प्रक्रिया से मंजूरी दी जा रही है। इससे वर्तमान वित्तीय वर्ष में 15 करोड़ रूपए की राजस्व वृद्धि होगी। गौण खनिज नियम में संशोधन के बाद एम-सेण्ड के प्रावधान लागू होने से प्राकृतिक रेत पर निर्भरता में कमी आएगी। प्रदेश में 5 जिलों में एम-सेण्ड की 6 खदान स्वीकृत की गई हैं। विभागीय पोर्टल का इंटरग्रेशन उत्तर प्रदेश खनिज विभाग के पोर्टल से किए जाने से डाटा शेयरिंग की सुविधा उपलब्ध हुई है। विभाग में समस्त प्राप्तियाँ और भुगतान का कार्य ऑनलाइन हो रहा है।