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ड्रोन टेक्नोलॉजी का इकोसिस्टम बनाएगा मध्यप्रदेश
ड्रोन स्कूलों की स्थापना, इमेज एनालिटिक्स, एआई टूल्स, पाठ्यक्रम विकसित करने को बढ़ावा दिया जाएगा
मध्यप्रदेश ड्रोन इंडस्ट्री का इकोसिस्टम बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुका है। शुरुआत में ड्रोन डेटा रिपॉजिटरी बनाई जायेगी। उल्लेखनीय है कि राज्य मंत्रिमंडल ने
“मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति-2025” को पिछले दिनों स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अनुसार ड्रोन डेटा रिपॉजिटरी सरकार के ड्रोन डेटा और इमेजरी के लिए एक केंद्रीयकृत प्लेटफ़ॉर्म होगा। यह भारत के प्रधानमंत्री गति शक्ति पहल से प्रेरित होगा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संबंधित विभागों और एजेंसियों से को ड्रोन निर्माण और प्रौद्योगिकी का ईको सिस्टम बनाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने को कहा है ताकि ड्रोन के सुरक्षित और कुशलतम उपयोग के माध्यम से नवाचार, आर्थिक संपन्नता और रोजगार को बढ़ावा मिल सके।
अपर मुख्य सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मध्यप्रदेश शासन,श्री संजय दुबे के अनुसार राज्य में ड्रोन टेक्नोलॉजी के लिए बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने और ड्रोन नीति पर विचार विमर्श के लिए 23, दिसम्बर, 2024 को “शासन में ड्रोन का उपयोग एवं मध्यप्रदेश में ड्रोन पारिस्थितिक तंत्र का विकास” विषय मध्यप्रदेश में पहली राज्य स्तरीय कार्यशाला हुई। जिसमें देश के सभी स्टेक होल्डर और एक्सपर्ट ने ड्रोन प्रौद्योगिकी के व्यापक अनुप्रयोगों पर चर्चा की साथ ड्रोन पॉलिसी के लिए अपने -अपने सुझाव भी साझा किये थे।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मध्यप्रदेश शासन “मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति-2025” लिए नोडल विभाग होगा तथा इसके लिए मानदंड बनाने और नियमों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होगा।
ड्रोन डेटा रिपॉजिटरी विभिन्न विभागों के मध्य परस्पर डेटा साझा करने और सहयोग को बढ़ावा देगी। यह जीआईएस आधारित योजना और विश्लेषणात्मक उपकरणों का उपयोग करके बेहतर निगरानी तंत्र विकसित करेगी। यह रिपॉजिटरी तत्काल अद्यतन निगरानी सुविधा प्रदान करेगी, जिससे संसाधनों का त्रुटिरहित आवंटन होगा और अधोसंरचना विकास में सहयोग मिलेगा। इससे होने वाले लाभों में बेहतर समन्वय, निर्णय-प्रक्रिया में मदद मिलेगी, लागत और समय का सदुपयोग होगा और परियोजनाओं की समीक्षा में सुधार होगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि डेटा प्रबंधन सुरक्षित रूप से किया जाए और सहयोगी भागीदारों के साथ रिपॉजिटरी की प्रबंधन व्यवस्था बनाए रखी जाए। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य की एजेंसियों द्वारा एकत्र किए गए सभी ड्रोन डेटा को राष्ट्रीय भौगोलिक नीति 2022 या उसके बाद के किसी संशोधन या नीति के अनुसार डेटा सुरक्षा कानूनों और विनियमों के अंतर्गत संग्रहीत किया जाए। संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा के लिए सुरक्षित डेटा भंडारण और प्रसारण प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जायेगा।
गौरतलब है कि भविष्य में ड्रोन का उपयोग तेज़ी से बढ़ेगा। यह बिना पायलट वाला यंत्र है जो विभिन्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। यह कई प्रकार से अभिनव समाधान प्रस्तुत करता है और मानवीय श्रम की बचत करता है। इस तकनीकी से समय पर डेटा संधारित हो जाता है। सटीकता और दक्षता के साथ कठिन स्थानों से डेटा संग्रह हो जाता है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से कई क्षेत्रों के लिए यह अमूल्य उपकरण साबित हो रहा है।
यह फसल की निगरानी के लिए उपयोग किया जाता है। ड्रोन से फसल की सेहत की निगरानी, रोगों का पता लगाने और फसल की पैदावार का मूल्यांकन करने में सहायता मिल रही है। ड्रोन उर्वरक और कीटनाशक का छिड़काव सटीकता से कर सकते हैं, जिससे अपशिष्ट और पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा। वे उन क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं जिन्हें अधिक या कम पानी की आवश्यकता है। सिंचाई के तरीकों का बेहतर उपयोग करने में मदद करता है।
ड्रोन आपदा प्रभावित क्षेत्रों में थर्मल इमेजिंग और हाई-रिजोल्यूशन कैमरों का उपयोग करके प्रभावित लोगों का पता लगा सकते हैं। ड्रोन प्रभावित क्षेत्रों की विस्तृत तस्वीरें देक बचाव के प्रयासों में मदद करते हैं। पुनर्निर्माण के प्रयासों और बीमा दावों को प्रामाणिकता देने में मदद मिलती है। ड्रोन आपातकालीन स्थितियों में चिकित्सा आपूर्ति और खाद्य सामग्री को कठिनाइयों वाले क्षेत्रों में पहुंचा सकते हैं।
ड्रोन पुलों, भवनों और अन्य बुनियादी ढांचे का निरीक्षण कर सकते हैं, जिसमें रखरखाव और सुरक्षा मूल्यांकन शामिल हैं। निर्माण की प्रगति के बारे में वास्तविक समय में अपडेट प्राप्त किया जा सकता है। ड्रोन वन्यजीवों की सुरक्षा की निगरानी कर सकते हैं और बिना उन्हें परेशान किए उनकी गतिविधियों का नजर रख सकते हैं। वे जंगलों की सेहत की निगरानी, अवैध लकड़ी कटाई का पता लगाने और जंगल की आग के प्रभाव का मूल्यांकन कर सकते हैं।
ड्रोन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने और संचालन के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने के लिए नई ड्रोन नीति के अंतर्गत मध्यप्रदेश तहत ड्रोन स्कूल स्थापित करेगा। इसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से निवेश किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य ड्रोन प्रौद्योगिकी में व्यापक प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करना है, ताकि छात्र और पेशेवर दोनों उद्योग की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हों।
पॉलिटेक्निक, आईटीआई और इंजीनियरिंग कॉलेजों को ड्रोन,पार्ट्स डिजाइन, ड्रोन इमेज एनालिटिक्स, एआई टूल्स आदि के लिए विशिष्ट पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उद्योग के साझेदारों के साथ मिलकर प्रशिक्षक कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे, ताकि युवाओं को ड्रोन उद्योग में रोजगार पाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान किया जा सके, विशेष रूप से ड्रोन निर्माण, मरम्मत असेंबलिंग, डेटा प्रोसेसिंग में।
डिजिटलीकरण अभियान की शुरुआत के साथ, ड्रोन क्षेत्र ने सरकारी नीतियों, प्रौद्योगिकी में प्रगति और बढ़ते वित्त पोषण के कारण क्रांतिकारी विकास किया है। इसका वैश्विक बाजार 2022 में 71 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 144 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।भारत का ड्रोन बाजार 2030 तक 13 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। मध्यप्रदेश ड्रोन टेक्नॉलजी में एक अग्रणी स्टेट के रूप में स्वयं को स्थापित कर सकता है। इसके लिए इनोवेशन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए ड्रोन के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित किया जायेगा। इससे एमपी को टेक्नोलॉजी की दृष्टि से आर्थिक संपन्नता बढ़ाने में भी प्रभावी सहायता मिलेगी ।
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