मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली “ग्लोबल अवार्ड फ़ॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड” से सम्मानित
राष्ट्रीय मीडिया के केंद्र में ग्वालियर - चम्बल का सम्मान ...असली हकदारआलोक तोमर को को समर्पित...
प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मध्यप्रदेश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली को दो देशों के उच्चायुक्तों ने दिया “ग्लोबल अवार्ड फ़ॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड”
नोएडा फिल्मसिटी में आयोजित हुआ भव्य आयोजन
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार,लेखक और राजनीतिक विश्लेषक तथा “द सूत्र” के विशेष संवाददाता देव श्रीमाली को नोएडा के मारवाह फ़िल्म और पत्रकारिता इंस्टिट्यूट में आयोजित एक भव्य और गरिमापूर्ण आयोजन में “ग्लोबल अवार्ड फ़ॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म” से अलंकृत किया गया । यह सम्मान पाने वाले वे मध्यप्रदेश के पहले पत्रकार हैं । उन्हें सम्मान संमारोह के मुख्य अतिथि अफ्रीकी देश लिसेथो के हाई कमिश्नर थाबंग लिनस खोलुमो और साइप्रस के डिप्टी हाईकमिश्नर यानिस मेकराइड ने प्रदान किया। अध्यक्षता मारवाह फ़िल्म और पत्रकारिता इंस्टिट्यूट के चेयरमेन संदीप मारवाह ने की।
इस भव्य और गरिमापूर्ण आयोजन में देश के सुप्रसिद्ध पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता, जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक राहुल देव , सुप्रसिद्ध कॉमेंटेटर कुलविंदर सिंह , प्रसिद्ध टीवी एंकर अनुराग मुस्कान और मारवाह फ़िल्म इंस्टिट्यूट के आयोजन समिति के प्रमुख सुशील भारती जाने माने कार्टूनिस्ट इरफान , पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय के मीडिया प्रमुख आलोक पण्ड्या , देश के प्रमुख मीडिया इवेंट ऑर्गनाइजर और नोएडा प्रेस क्लब के प्रमुख पदाधिकारी दिनेश गौर सहित पत्रकारिता,साहित्य ,टीवी और सिनेमा की अनेक हस्तियां मौजूद थीं ।
देव श्रीमाली जी ने यह सम्मान दिवंगत आलोक तोमर जी को समर्पित किया।
इस मौके पर अपने उद्बोधन में देव श्रीमाली ने कहा कि यह सम्मान मेरे लिए खास मायने इसलिए रखता है ,क्योंकि यह मध्यप्रदेश की पत्रकारिता का सम्मान है और इस बात का प्रमाण भी है कि ग्लोबलाइजेशन के दौर में कोई भी पत्रकार गाँव कस्बे में भी अपना बेहतर काम करके देश और दुनिया का ध्यान आकृष्ट कर सकता है । पहले यह केवल राजधानी और मेट्रो सिटी में रहकर ही प्राप्त किया जा सकता था। श्रीमाली ने कहा कि वे यह सम्मान देश के जाने माने पत्रकार स्व आलोक तोमर को समर्पित करते हैं। वे ही थे जिन्होंने तीन दशक पहले मुझे पहली बार दिल्ली बुलाया था और आज उसी दिल्ली में मेरा सम्मान होना उनके मुझ पर किये गए भरोसे और उम्मीद का प्रतिफल है ।इसे मै उन्हें ही सौंपना चाहता हूँ ।
“द सूत्र” की चर्चा रही
इस आयोजन में खास बात ये रही कि सम्मान के बाद वहां अध्ययनरत पत्रकारिता छात्रों से संवाद भी हुआ और उन्होंने द सूत्र पोर्टल में छपी मेरी अनेक खबरों का न केवल जिक्र किया ,बल्कि उसको लेकर अनेक जिज्ञासाएं भी प्रकट की ।
भिण्ड से की पत्रकारिता की शुरुआत
चम्बल अंचल के भिण्ड में 12 सितंबर 1962 में पैदा हुए देव श्रीमाली ने अपनी शिक्षा भी वही हासिल की । भिण्ड के एमजेएस कॉलेज से एम कॉम एलएलबी , ग्वालियर से एमए हिंदी , बीजेएमसी और फिर मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन ( एम जे एमसी) की डिग्री हासिल की । खास बात उन्होंने एमजेएमसी की परीक्षा अपने विद्यार्थियों के साथ ही दी । यानी वे उन्हें पढ़ाने भी गए और फिर खुद भी उनके साथ विद्यार्थी बनकर परीक्षा भी दी ।
18 वर्ष की उम्र में आरंभ की पत्रकारिता
देव श्रीमाली बैंक,शिक्षा,राजस्व,डाक तार विभाग और राज्य प्रशासनिक सेवा में नौकरी के लिए चयनित हुए लेकिन उन्होंने अपना फोकस सिर्फ पत्रकारिता पर ही रखा । उन्होंने महज 18 वर्ष की उम्र से एक साप्ताहिक वनखंडेश्वर से खबरों की दुनिया से मुलाकात की तो फिर इसी के होकर रह गए । इस दौरान उन्होंने भिण्ड के दैनिक उदगार और दैनिक ऋतुराज बसंत और दैनिक आचरण में काम किया। ग्वालियर में पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक आचरण से की और उसमे विभिन्न दायित्व संभाले।1992 से 1999 ग्वालियर में दैनिक भास्कर में विभिन्न पदों पर रहे । यहां “परत दर परत” चर्चित साप्ताहिक स्तंभ भी लिखा। दो वर्ष भोपाल में रहकर भी हिंदी मेल में भी काम किया।
अनेक राष्ट्रीय पत्र – पत्रिकाओं के लिए कर रहे लेखन
उन्होंने लंबे समय तक राष्ट्रीय दैनिक जनसत्ता से जुड़कर ग्वालियर चम्बल संभाग की रिपोर्टिंग की । इसके अलावा उन्होंने आउटलुक , माया,धर्मयुग,नव भारत टाइम्स,आनंद बाजार पत्रिका,जागरण,अमर उजाला, नई दुनिया ,मध्यप्रदेश संदेश, स्वदेश, राज एक्सप्रेस सहित देश की ज्यादातर हिंदी पत्र- पत्रिकाओं के लिए समय समय पर स्वतंत्र लेखन किया और अभी भी कर रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी जमाई धाक
जब नब्बे के दशक में टीवी जर्नलिज्म ने भारत मे पांव पसारे तो उन्होंने इस मीडिया 1999 में जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का रीजनल वर्जन आया तो ईटीवी एमपी से जुड़े और ग्वालियर चम्बल संभाग में पहले स्ट्रिंगर बनकर रिपोर्टिंग की । स्व राजकुमार केसवानी ने सन 2000 में राष्ट्रीय न्यूज चैनल स्टार न्यूज़ के साथ जोड़ा और संभाग के ब्यूरो चीफ के रूप में काम किया। स्टार ग्रुप बाद में एनडीटीवी के पास ही आ गया तो बीस साल से निरंतर काम किया । इस बीच स्टार न्यूज जब एबीपी न्यूज के नाम से चैनल लांच हुआ तो फिर उससे भी जुड़ गए।
– वर्तमान में एबीपी न्यूज़ से सम्बद्ध। 2010 में स्वयं का सांध्य दैनिक इंडिया शाम तक का प्रकाशन शुरू किया जो निरंतर प्रकाशित हो रहा है ।
डिजिटल मीडिया में भी सक्रिय
श्रीमाली बीते एक वर्ष पहले प्रदेश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित डिजिटल प्लेटफॉम “द सूत्र” से जुड़कर ग्वालियर – चम्बल अंचल से रिपोर्टिंग कर रहे हैं । इनके अलावा डिजिटल मीडिया आने के बाद बीबीसी से लेकर देश के सभी बड़े प्लेटफार्म के लिए निरंतर लेखन और विषय विशेषज्ञ के रूप में जुड़े हुए हैं ।
अब तक मिल चुके है सम्मान
देव श्रीमाली को अब तक देश और प्रदेश के अनेक सम्मान मिल चुके है जिनमे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय उदभव एक्सीलेंस पत्रकारिता सम्मान 2021,प्रसिध्द शब्द ऋषि सम्मान (स्टेट प्रेस क्लब इंदौर), राष्ट्रीय संजीवनी मीडिया अवार्ड ,भगवान सहाय शर्मा कलमवीर सम्मान सप्रे संग्रहालय भोपाल का राजेन्द्र नूतन श्रेष्ठ रिपोर्टर सम्मान, चम्बल रत्न सम्मान,राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त पत्रकारिता सम्मान , किस्सा कोताह साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान
सहित देश प्रदेश में अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके है ।
अनेक पुस्तकें लिख चुके है
पत्रकार देव श्रीमाली ने अब तक अनेक पुस्तकें भी लिखी है जिनमे अपराध जुड़ी घटनाओं को लेकर आलोक तोमर के सम्पादन में – परत दर परत ,महासमर के योद्धा ( स्वतंत्रता आंदोलन में ग्वालियर की भूमिका पर पुस्तक), एमपी की कला संस्कृति पर आधारित पुस्तक – विविधा का सम्पादन किया, चम्बल अंचल की पुरा संपदा पर आधारित पुस्तक – गौरवशाली अतीत के साक्षी, कोरोना काल मे दिवंगत पत्रकारों के परिवारों पर आधारित विश्वभर में चर्चित किताब – बिछड़े कई बारी – बारी लिखी। यह कोरोना पर दुनिया का पहला मध्य प्रदेश के पत्रकारों का दस्तावेजीकरण था। इस किताब का विमोचन मध्यप्रदेश की विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम , गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह के द्वारा किया गया। जल्द ही नेशनल बुक ट्रस्ट उनके द्वारा
चम्बल अंचल पर लिखी गयी एक शोधपूर्ण पुस्तक प्रकाशित होने वाली है, जिसका नाम है – चम्बल संस्कृति और विरासत!
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आख़िर यह सम्मान उन्हें समर्पित करना क्यों जरूरी है ?
17 फरवरी 2023 को पूर्वाह्न । कार की ड्रायविंग सीट पर देश के जाने – माने कार्टूनिस्ट श्री इरफान थे और पीछे की सीट पर मेरे चिरंजीव आशीष। मेरी कार फिल्मसिटी में प्रवेश कर चुकी थी। इरफान ने बताया ये इंडिया टीवी का दफ्तर है.. ये आजतक ..ये ज़ी न्यूज़ ..ये एबीपी का । वहां कारों की कतारें थी..माइक आईडी लेकर भागते लोग थे और नौकरी की तलाश करते युवक – युवतियों के झुंड थे। मेरा मन अतीत में जाने लगा था। अस्सी के दशक था जब हम पहली बार फ़िल्म सिटी में आये थे तब यहां न ऐसी चकाचौंध थी न ऐसी भीड़ लेकिन ग्लेमर आज से ज्यादा। कार की ड्राईविंग सीट पर तब स्व आलोक तोमर थे । उनके बगल में स्व शरद श्रीवास्तव और पीछे की सीट पर मै । भिण्ड से निकलकर वाया दिल्ली पहुंचे आलोक जी तब दिल्ली के सितारा पत्रकार थे और जनसत्ता के पहले पन्ने की तकरीबन बॉटम खबर उनके नाम की ही होती थी। वे हमें मित्र अन्नू के लोकप्रिय टीवी प्रोग्राम अंताक्षरी की शूटिंग के लिए लेकर गए थे।
– फिर याद आया वह दिन जब दादा (रामहरि पांडे जी ) ने कहा कि तुम दिल्ली जाकर आलोक से मिलो । तब हम लोग गौरी सरोवर के जीर्णोद्धार के लिए काम कर रहे थे और उसका वैभव लौटाने के लिए संघर्षरत थे । मै आनाकानी करता रहा कि मेरा परिचय नही है । तमाम शंकाएं कुशंकाएँ भी थी । शाम को दादा दिल्ली का ट्रैन का टिकट और आलोक जी के पिता श्री भारत सिंह तोमर (अब स्वर्गीय) की चार लाइन की चिट्ठी लेकर आ गए । बोले – ये आलोक को दे देना । चिट्ठी में लिखा था – प्रिय आलोक , पत्रवाहक देव हैं। बेहतरीन पत्रकार । तुमसे ज्यादा नही तो कम भी नही। बेहतरीन और ऊर्जावान इंसान भी । उम्मीद है इनकी योग्यता अनुसार सम्मान मिलेगा।
– वह दिल्ली का पहला दिन था । सुबह ट्रैन से उतरकर ऑटो से गोल डाकघर के पास कालीबाड़ी पहुँचा और फिर फ्लेट की घण्टी बजाई । गेट खुला । मैंने कहा भिण्ड से आया हूँ। उसने हमें अंदर लिया। बोला – आलोक सो रहे है,तीन बजे आये हैं । थोड़ा सो लें फिर उठाते हैं। तब तक वे चाय ले आये और मेरी भिण्ड स्टाइल की तेज आवाज से आलोक जी भी जागकर आ गए । बोले – भिंड को जे मोड़ा को आ धमको ? मैंने उन्हें चिट्ठी थमाई । पढ़कर मुझे ऊपर से नीचे तक देखा बोले – अरे तुम्ही हो देव । बड़ा अच्छा लिखते हो । चाय बनाकर शख्स से बोले – ओम ये देव हैं देव श्रीमाली । हमारीं भिण्ड ..ग्वालियर के है। बड़ा ही शानदार लिखते हैं । भविष्य के स्टार पत्रकार। और फिर उनका परिचय दिया – देव इन्हें तो जानते ही होंगे । ये है सिने स्टार ओम पुरी । मै रोमांचित हो गया। इसके बाद हम भाई ,दोस्त ,सहकर्मी और सब कुछ बन गए।
– हम फिर 17 फरवरी 2023 में लौट चुके थे जब इरफान ने कहा उतरो महाराज मारवाह स्टूडियो आ गया है । इसी के इंटरनेशनल जनर्नलिज्म सेंटर में आयोजन है। गेट पर पहुंचा तो मेरे अनुज आलोक पण्ड्या,मेरे मित्र दिनेश गौड़ पहले से प्रतीक्षारत थे । एमपी में अनेक मीडिया हाउस में सफ़लतम पारी खलने के बाद आजकल वे भारत सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय में मीडिया प्रमुख जैसा महती दायित्व निभा रहे है लेकिन समय निकालकर वे पहुंच ही गए।
– सभागार में मंच पर और मंच के सामने की पंक्ति में पत्रकारिता और अन्य क्षेत्रो की अंतरराष्ट्रीय हस्तियां थी । उसमें मुझे भी ले जाकर बिठाया गया। सामने थे, देश के जाने माने पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता, मुझे जनसत्ता में जॉइन कराने वाले श्री राहुल देव , मारवाह मीडिया और फ़िल्म इंस्टिट्यूट के चेयरमेन संदीप मारवाह , मुख्य अतिथि के तौर पर अफ्रीकी देश लिसेथो के है कमिश्नर थाबंग लिनस खोलुमो और साइप्रस के डिप्टी हाई कमिश्नर यानिस मेकराइड और जाने माने कमेंटेटर कुलविंदर सिंह ।
– पहले आलोक मेहता जी और फिर राहुल देव के सम्मान के बाद मेरा नाम पुकारा गया । और मुझे ग्लोबल एक्सीलेंस जर्नलिज्म अवार्ड दिया गया । इस घोषणा के साथ कि पहली बार यह सम्मान एमपी के किसी पत्रकार को दिया जा रहा है । ये मेरे लिए भावुक क्षण था । एक तो यह सम्मान जिन हस्तियों के साथ और मौजूदगीं में दिया जा रहा था वे सब मेरी पत्रकारिता की पैदाइश के समय से सचमुच हस्तियां ही हैं। दूसरा आज स्व आलोक तोमर जी द्वारा मुझे मिलाते हुए जनसत्ता के तत्कालीन संपादक से कही गयी बात चरितार्थ हो रही थी – राहुल जी देव मुझसे भी अच्छा पत्रकार है । आप तो उसे रखो सोचो एक स्टार को रख रहे हो।
– लेकिन अत्यंत भावुकता की बजह थी कि कहने वाला यह दृश्य देखने को भौतिक रूप में उपस्थित नही थे। आलोक और शरद दोनो दुनिया से अलविदा कह चुके है लेकिन मै उनकी मौजूदगीं का अहसास कराने को बेचैन था और मुझे ये मौका मिल गया जब संचालक ने मुझे दो शब्द बोलने के लिए मौका दिया । मैने कहा – मैं अपना यह सम्मान अपने मार्गदर्शक स्व आलोक तोमर जी को ही समर्पित करता हूँ जिन्होंने मुझे पहली बार दिल्ली का रास्ता दिखाया। सचमुच ये मेरा नही बल्कि उनका ही सम्मान था हम तक बस उनकी विरासत के चौकीदार भर है।
– ये भिण्ड और ग्वालियर यानी पूरी चम्बल की माटी का सम्मान था जिसने कुछ करने को प्रेरित किया, सादगी से संघर्ष का रास्ता चुनने का माद्दा दिया और पग पग पर बिछे कांटो को हटाकर फूल बिछाने मित्रों,सहयोगियों,शुभ चिंतकों की फौज का सम्मान है । ये मिला मुझे लेकिन है उनका।
– यह सम्मान मध्यप्रदेश की पत्रकारिता का सम्मान है और बताता है कि देश मे हमारीं पत्रकारिता देश की मुख्यधारा की पत्रकारिता में मायने रख रही है।