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Deputy CM Madhya Pradesh मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री (वित्त) श्री जगदीश देवड़ा ने राज्य का वर्ष 2025 और 2026 का, रुपये 4,21,032 करोड़, का राज्य विधानसभा में बजट पेश किया
श्री जगदीश देवड़ा, उपमुख्यमंत्री (वित्त) श्री द्वारा सदन में 12 मार्च 2025 को प्रस्तुत किये गए बजट भाषण का मूलपाठ :-

एमपीपोस्ट, भोपाल : बुधवार , मार्च 12 , 2025 । बजट भाषण वित्त वर्ष 2025-26 ।
श्री जगदीश देवड़ा, उपमुख्यमंत्री (वित्त) मध्यप्रदेश शासन ने वर्ष 2025 और 2026 के आय व्ययक का उपस्थापन किया तथा मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत राजकोषीय नीति का विवरण मध्यप्रदेश विधानसभा में आज बुधवार दिनांक 12 मार्च 2025 को समय 11:02 बजे से अपराह्न 12.35 बजे तक बजट प्रस्तुत किया । मध्यप्रदेश विधानसभा 12 मार्च 2025 को जैसे ही समवेत हुई मध्यप्रदेश विधान सभा के स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर ने विधानसभा की कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए श्री जगदीश देवड़ा, उपमुख्यमंत्री (वित्त) मध्यप्रदेश शासन से विधानसभा में मध्यप्रदेश सरकार का वर्ष 2025 और 2026 के बजट को प्रस्तुत करने को कहा। इसके बाद मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री (वित्त) श्री जगदीश देवड़ा ने राज्य सरकार का बजट सदन में पेश किया।
राज्य के उपमुख्यमंत्री (वित्त) श्री जगदीश देवड़ा द्वारा सदन में पेश किये गए बजट भाषण का मूलपाठ :
मध्यप्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की अनुमति से, उपमुख्यमंत्री (वित्त) श्री जगदीश देवड़ा ने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट प्रस्तुत कर रहा किया –
उन्होंने बजट की शुरुआत
”न त्वहं कामये राज्यम्, न स्वर्गं न पुनर्भवम्।
कामये दु:ख तप्तानां, प्राणिनामार्त्तनाशनम्।।”
अर्थात, “मैं राज्य की कामना नहीं करता, मुझे स्वर्ग और मोक्ष नहीं चाहिए। दु:ख से पीड़ित प्राणियों के दु:ख दूर करने में सहायक हो सकूँ, यही मेरी कामना है।”
हमारी सरकार का सुविचारित व दृढ़ लक्ष्य है ”विकसित मध्यप्रदेश”। विकसित मध्यप्रदेश का आशय है कि प्रदेश में श्रेष्ठतम अधोसंरचनाओं का विस्तार हो, किसानों की आय में वृद्धि हो, जनता का जीवन खुशहाल हो, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधायें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की हों, महिलाओं में आत्मगौरव के दृढ़ भाव बनें, युवाओं के लिए सकारात्मक वातावरण उपलब्ध हो, स्वच्छ जलवायु हो, सामुदायिक सौहार्द्र में वृद्धि हो एवं जन-जीवन व जन-सम्पदा सुरक्षित रहे। मुझे यह अवगत कराते हुए गर्व है कि इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमारी सरकार सुचिन्तित रणनीति के तहत औद्योगिक विकास पर ध्यान केन्द्रित करते हुए समाज के समस्त वर्गों के समावेशी विकास के लिए चार सर्वस्पर्शी मिशनों; गरीब कल्याण मिशन, युवा कल्याण मिशन, किसान कल्याण मिशन एवं नारी कल्याण मिशन के अन्तर्गत कार्य कर रही है से की।
उन्होंने वित्त वर्ष 2025-26 का प्रदेश सरकार का बजट, भारत के संविधान के गौरवशाली 75 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् प्रथम बजट है। इस गरिमामय अवसर पर मैं सभी सम्मानीय सदस्यों को हार्दिक बधाई देता हूँ। उन सभी महान विभूतियों का स्मरण करते हुए उनके श्री-चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ, जिन्होंने भारतवर्ष को गणतंत्र बनाने में महती योगदान दिया। हमारे गणतंत्र का मूल मंत्र है जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए। गणतंत्र का यह मूल मन्त्र, हमारी सरकार की नीति, नियमों एवं क्रियान्वयन में पूर्णत: समाहित है। इस अवसर पर प्रदेश की सम्मानीय जनता का भी मैं हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।
उन्होंने कहा की मुझे सदन को यह अवगत कराते हुये गौरव की अनुभूति हो रही है कि हमने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट ”ज़ीरो बेस्ड बजटिंग” प्रक्रिया से तैयार किया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से बजट में प्रावधानित राशि, सही योजना में, सही आकार में एवं सही परिणाम प्राप्त करने में सार्थक रहेगी। आगामी वर्षों में इस प्रक्रिया से बजट को और अधिक सार्थक, संतुलित व सरल बनाने के प्रयास रहेंगे।
यही जुनून, यही एक, ख्वाब मेरा है
वहां चिराग जला दूं, जहां अंधेरा है।
आम जनता, प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों एवं विषय विशेषज्ञों से प्राप्त सुझावों पर विमर्श के नवाचार को वित्त वर्ष 2025-26 के बजट को तैयार करने में भी निरन्तर रखा गया है। आम जनता से प्राप्त 1 हज़ार 500 से अधिक सुझावों में से महत्वपूर्ण सुझावों तथा विषय विशेषज्ञों के विचारों को बजट तैयार करते समय ध्यान में रखा गया है।
महोदय, सदन के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा लेखा-जोखा निकट अतीत को जानने, वर्तमान को समझने और भविष्य की राह तय करने का प्रयास है:-
बजट नया है, पर शामिल कुछ पुरानी ख्वाहिशें हैं,
प्रस्तावित बजट में, हमारी कुछ नई आज़माईशें हैं,
जनता व जन प्रतिनिधियों की बेशुमार फ़रमाईशें हैं
कर सकें हम सभी पूरी, ये हमारी कोशिशें हैं।
आर्थिक परिदृश्य
अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक घटनाक्रमों का प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर पड़ना स्वाभाविक है। देश का सौभाग्य है कि देश को सक्षम, समर्थ एवं सबल राजनैतिक एवं आर्थिक सूझ-बूझ का नेतृत्व प्राप्त है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदर्शिता एवं संकल्पों के परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था में निरंतर वृद्धि हो रही है ।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रदेश के ऊर्जावान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के कुशल नेतृत्व में हमारी सरकार ने भी प्रदेश के लिए विकसित मध्यप्रदेश 2047 का विज़न डॉक्यूमेंट तैयार किया है। हमारा लक्ष्य है वर्ष 2047 तक राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाकर 2 ट्रिलियन डॉलर अर्थात रुपये 250 लाख करोड़ तक पहुँचाना। इसी तरह प्रति व्यक्ति वार्षिक आय रुपये 1 लाख 42 हज़ार को रुपये 22 लाख 35 हज़ार तक पहुँचाने का हमारा लक्ष्य है। मुझे यह अवगत कराते हुए प्रसन्नता है कि वर्ष 2025-26 के लिये प्रस्तुत किए जा रहे बजट के आकार में वर्ष 2024-25 के बजट की तुलना में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि प्रस्तावित है।
राज्य का सकल घरेलू उत्पाद
प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों में निरन्तर वृद्धि से प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर, राष्ट्रीय औसत से अधिक रहती आ रही है। वर्ष 2003-04 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद रुपये 1 लाख 1 हज़ार 27 करोड़ था, जो वर्ष 2025-26 में रुपये 16 लाख 94 हज़ार 477 करोड़ अनुमानित है, अर्थात पिछले 22 वर्षों में लगभग 17 गुना की वृद्धि दृष्टिगत हुई है।
हाल ही में प्रदेश में सोलहवें वित्त आयोग का प्रवास हुआ था, जिसमें प्रदेश की ओर से, केन्द्रीय करों में अधिक हिस्सेदारी तथा राजकोषीय प्रबन्धन विषयक बिन्दुओं पर अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए, ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। सोलहवें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर वर्ष 2026-27 से आगामी पाँच वर्षों के लिए राज्य को केंद्र से प्राप्त होने वाली राशि का विनिश्चय होगा।
राज्यों में बेहतर राजकोषीय प्रबन्धन के लिए पूर्ववर्ती केन्द्रीय वित्त आयोगों तथा नेशनल काउंसिल ऑफ़ ऐप्लाइड इकॉनमिक रिसर्च द्वारा फिस्कल काउंसिल के गठन की अनुशंसा की गई है। हमारी सरकार, नेशनल काउंसिल ऑफ़ ऐप्लाइड इकॉनमिक रिसर्च के सहयोग से “ग्रोथ एवं फिस्कल काउंसिल” का गठन कर प्रख्यात विषय विशेषज्ञों से वित्तीय अनुशासन, राजकोषीय प्रबन्धन, संसाधनों के प्रभावी उपयोग तथा आर्थिक और सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए सलाह ले सकेगी।
प्रदेश में निवेश तथा औद्योगीकरण
हमारी सरकार ने वर्ष 2025-26 को “उद्योग और रोज़गार वर्ष” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। हमारी सरकार प्रदेश के बहुमुखी विकास के लिए, उपलब्ध संसाधनों का इष्टतम निवेश करती आ रही है। इसके परिणाम निकट भविष्य में और अधिक स्पष्ट व प्रभावी रूप से परिलक्षित होने लगेंगे।
हमारे प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है एवं विगत वर्षों में कृषि क्षेत्र की विकास दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है। कृषि की तुलना में अर्थव्यवस्था के अन्य दो मुख्य क्षेत्रों उद्योग तथा सेवा क्षेत्र की विकास दर धीमी रही है। हमारी सरकार विकास के तीनों क्षेत्रों में संतुलन रखते हुए प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ रही है।
प्रदेश में उद्योग अनुकूल वातावरण निर्मित करने के लिये उद्यम हितैषी आकर्षक नीतियाँ बनाई गई हैं। नीतिगत सुधारों के अन्तर्गत माह फ़रवरी, 2025 में सम्पन्न ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में 18 नवीन नीतियाँ जारी की गई हैं। इसके अतिरिक्त उद्योगों हेतु अनुपालनों की संख्या कम करते हुए प्रक्रियाओं को सहज व सरल बनाया गया है।
औद्योगिक प्रोत्साहन एवं निवेश
हमारी सरकार ने प्रदेश के सभी क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के संतुलन के लिये गत एक वर्ष में प्रदेश में संभाग स्तर पर रीज़नल इंडस्ट्रीज़ कॉन्क्लेव के सफल आयोजन किये हैं। माह फरवरी, 2025 की ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 89 एमओयू हस्ताक्षरित हुए तथा रुपये 26 लाख 61 हज़ार करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुये हैं, जिनके फलीभूत होने से 21 लाख से अधिक नवीन रोज़गार सृजन संभावित हैं। इन निवेश प्रस्तावों के फॉलो-अप के लिए भी विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है।
”डेस्टिनेशन- मध्यप्रदेश निवेश” ड्राइव के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनसे 3 लाख 74 हज़ार 834 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। प्रदेश में पूर्व से स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों के अतिरिक्त 14 हज़ार 500 एकड़ भूमि पर 39 नये औद्योगिक क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप 3 लाख से अधिक रोजगारों का सृजन संभावित है।
हमारी सरकार, उद्योग एवं व्यवसाय को प्रारंभ करने में शासन की भूमिका को सीमित करने के निरंतर प्रयास कर रही है। बिज़नेस रिफॉर्म एक्शन प्लान के 287 बिंदुओं में से 282 को सफलतापूर्वक लागू कर प्रदेश “ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस” में शीर्षस्थ है। जी.आई.एस. आधारित “भूमि आवंटन प्रणाली” से उद्योगों को भूमि आवंटन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हुई है तथा आवंटन की समय अवधि भी 59 दिन से घटकर 29 दिन रह गई है। अब तक 1 हज़ार 880 से अधिक भूखंड, इस प्रणाली के माध्यम से आवंटित किए गए हैं।
प्रदेश के प्रत्येक ज़िले के परम्परागत कौशल को पहचान तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यावसायिक स्वरुप दिया जाना, हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है, जिसका प्रमाण ”एक ज़िला एक उत्पाद” है। इनमें प्रमुख हैं- अशोकनगर ज़िले का चंदेरी हैण्डलूम, धार का बाग प्रिंट, बालाघाट का चिनोर चावल, रतलाम का रतलामी नमकीन एवं सीहोर के लकड़ी के खिलौने। यह गर्व का विषय है कि हमारे प्रदेश के 19 उत्पादों जैसे चंदेरी, महेश्वर एवं वारासिवनी साड़ी, बटिक एवं बाग प्रिंट, रतलामी सेव, मुरैना गजक, शरबती गेहूँ, गोंड चित्रकला को भौगोलिक संकेतक (जी.आई. टैग) प्राप्त है।
हमारी सरकार टियर-2 शहरों में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जी.सी.सी) को प्रोत्साहित कर रही है। एनिमेशन, विजुअल इफैक्ट, कॉमिक्स, सेमी कन्डक्टर निर्माण इकाईयों तथा ड्रोन प्रौद्योगिकी के विस्तार के लिए नवीन नीतियाँ तैयार की गई हैं।
मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के अन्तर्गत इस वर्ष 5 हज़ार 675 लाभार्थियों को लगभग रुपये 378 करोड़ का ऋण प्रदान किया गया। हमारी सरकार ने स्टार्टअप नीति 2025 लागू की है, जिसके अंतर्गत 10 हज़ार स्टार्टअप स्थापित होने की संभावना है।
उद्योगों की स्थापना एवं विस्तार के लिए विभिन्न प्रोत्साहन नीतियों के अंतर्गत इंसेंटिव दिए जाने का प्रावधान है, जिसका सकारात्मक प्रभाव रोज़गार सृजन तथा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद पर पड़ता है। आगामी पाँच वर्षों में उद्योगों को लगभग 30 हज़ार करोड़ के इंसेंटिव दिए जाना संभावित है। इस वर्ष उद्योगों को दिए जाने वाले इंसेंटिव हेतु रुपये 3 हज़ार 250 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो गत वर्ष से रुपये 551 करोड़ अधिक है।
प्रदेश के बुनकरों एवं शिल्पियों को प्राचीन उत्कृष्ट बुनाई कला की सुप्रसिद्ध परम्परा को संरक्षित एवं समृद्ध करने, बुनकरों एवं शिल्पियों को सतत रोज़गार उपलब्ध कराने, नये लोगों को हथकरघा एवं हस्तशिल्प उद्योग से जोड़ने तथा उनके सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान का कार्य किया जा रहा है।
गरीब कल्याण
माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के ऊर्जामय नेतृत्व में हमारी सरकार का एक वर्ष पूरा होने पर दिनांक 17 दिसम्बर, 2024 से 26 दिसम्बर, 2024 की अवधि को “जनकल्याण पर्व” के रूप में सम्पूर्ण प्रदेश में मनाया गया। हमारी सरकार “काम लगातार फैसले असरदार” की प्रबल इच्छाशक्ति के साथ प्रदेश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास कर रही है।
महोदय, हम प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक विकास व कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने के सतत प्रयास करते आ रहे हैं। संभव है कि ये प्रयास पूर्व में स्वाति-बूंद की तरह रहे हों परन्तु हमारी सरकार में वही बूँद अब समुद्र का आकार ले चुकी है।
सुशासन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में प्रत्येक ज़िले में “ज़िला विकास सलाहकार समिति” का गठन किया जाएगा। समिति में ज़िले के प्रभारी मंत्री उपाध्यक्ष तथा समाज के विभिन्न अंगों एवं संस्थाओं के प्रतिनिधि सदस्य होंगे। यह समिति ज़िले की विकास योजना का रोडमैप तैयार करने तथा दिशादर्शन का कार्य करेगी।
हमारा प्रदेश जनजाति बहुल प्रदेश है, इसलिए हमारी सरकार का सतत प्रयास है कि जनजातीय समुदाय अपनी भाषा, साहित्य, संस्कृति, उत्सव एवं परम्पराओं को संरक्षित रखते हुए प्रदेश की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भागीदार बने।
हमारी सरकार जनजातीय वर्ग के प्रतिभावान विद्यार्थियों के भविष्य को और भी बेहतर बनाने हेतु संकल्पित है। इस उद्देश्य से विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु श्रेष्ठ कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। आकांक्षा योजना के अंतर्गत वर्ष 2025-26 में रुपये 20 करोड़ 52 लाख का प्रावधान प्रस्तावित है।
जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए प्रदेश में लगभग 23 हज़ार प्राथमिक शालाऐं, 6 हज़ार 800 माध्यमिक शालाऐं, 1 हज़ार 100 हाईस्कूल, 900 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, 1 हज़ार 78 आश्रम, 1 हज़ार 32 सीनियर छात्रावास, 210 उत्कृष्ट सीनियर छात्रावास, 197 जूनियर छात्रावास, 154 महाविद्यालयीन छात्रावास, 63 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, 81 कन्या शिक्षा परिसर एवं 08 आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित हैं। छात्रावासों में 1 लाख 49 हज़ार से अधिक विद्यार्थी निवासरत हैं। इसके अतिरिक्त, आवास भत्ता योजनान्तर्गत रुपये 1 हज़ार से 2 हज़ार प्रतिमाह की दर से छात्रों को आवास भत्ता दिया जाता है। इस योजना में एक लाख से अधिक विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया है।
जनजातीय वर्ग के लगभग 1 लाख 92 हज़ार विद्यार्थियों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत वर्ष 2024-25 में अब तक रुपये 348 करोड़ का भुगतान किया गया है। जनजातीय क्षेत्र के विद्यालयों हेतु उच्च माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक तथा प्राथमिक शिक्षक संवर्ग में 16 हज़ार 475 पदों पर भर्ती की गई है। जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजनांतर्गत 50 विद्यार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है।
विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के बैगा, भारिया एवं सहरिया परिवारों को कुपोषण से मुक्ति दिलाये जाने हेतु आहार अनुदान योजना में परिवार की महिला मुखिया के बैंक खाते में प्रतिमाह रुपये 1 हज़ार 500 दिये जा रहे हैं, जिससे 2 लाख 20 हज़ार से अधिक महिलाएँ लाभान्वित हो रही हैं।
विशेष पिछड़़ी जनजाति बहुल क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से “प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान” (पी.एम.जन-मन) योजनान्तर्गत 53 हज़ार से अधिक आवास निर्मित हो चुके हैं। इस योजना के अन्तर्गत विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के बच्चों की गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए 22 नवीन छात्रावास शीघ्र प्रारंभ होंगे। इस योजना के क्रियान्वयन में 11 लाख से अधिक हितग्राहियों को लाभान्वित कर हमारा प्रदेश अग्रणी प्रदेशों की पंक्ति में है।
जनजाति बहुल क्षेत्र के समग्र विकास के लिए ”धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” को प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस अभियान के तहत प्रदेश के 267 विकासखंडो के 11 हज़ार 377 गाँवों का कायाकल्प किया जायेगा एवं लगभग 19 लाख जनजातीय परिवारों सहित 94 लाख प्रदेशवासी लाभान्वित होंगे। इस हेतु वर्ष 2025-26 के लिए रुपये 200 करोड़ का बजट प्रावधान प्रस्तावित है।
मैंने अपने विगत बजट भाषण में यह अवगत कराया था कि छिंदवाड़ा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बादल भोई संग्रहालय एवं जबलपुर में श्री शंकर शाह-कुंवर रघुनाथ शाह संग्रहालय का विस्तारीकरण किया जा रहा है। मुझे यह बताते हुये प्रसन्नता है कि इन संग्रहालयों के लोकार्पण से आम जनता जनजाति वर्ग के गौरवमय इतिहास से परिचित हो रही है।
वित्त वर्ष 2025-26 में अनुसूचित जनजाति संस्कृति का संवर्धन, अनुसंधान एवं विकास योजना के अंतर्गत रुपये 15 करोड़, विशेष पिछड़ी जनजातियों का विकास योजना के अंतर्गत रुपये 100 करोड़, छात्रवृत्तियों के अंतर्गत रुपये 803 करोड़ तथा सी.एम.राईज़ विद्यालयों हेतु रुपये 1 हज़ार 617 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित हैं।
हमारी संवेदनशील सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिये अनुसूचित जनजाति उपयोजना अंतर्गत रुपये 47 हज़ार 295 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित किया है, जो वर्ष 2024-25 से रुपये 6 हज़ार 491 करोड़ अधिक है।
अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं के स्वरोज़गार हेतु संत रविदास स्व-रोज़गार योजना, डॉ. भीमराव अम्बेडकर आर्थिक कल्याण योजना तथा सावित्री बाई फुले स्व-सहायता समूह योजना संचालित की जा रही हैं।
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को आवास सहायता में रुपये 200 करोड़, छात्रावास योजना में रुपये 193 करोड़, छात्रवृत्तियों हेतु रुपये 1 हज़ार 19 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त अत्याचार निवारण अधिनियम अन्तर्गत रुपये 180 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
हमारी संवेदनशील सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के विकास के लिये अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत रुपये 32 हज़ार 633 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित किया है जो वर्ष 2024-25 से रुपये 4 हज़ार 733 करोड़ अधिक है।
पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वर्ग के सदस्य विभिन्न परम्परागत व्यवसायों से जुड़े हुऐ हैं। इन परम्परागत व्यवसायों को संरक्षित करने तथा आधुनिक तकनीकों का समावेश करते हुए सम्मानजनक पहचान देने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रदेश के पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं के शैक्षिक विकास के लिए वर्तमान उपलब्ध छात्रावासों को मैस तथा इंटरनेट जैसी सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त छात्रवृत्ति, विदेशों में उच्च शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति, शैक्षणिक सामग्री तथा परिवहन भत्ता की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ वर्ग के लिये वर्ष 2025-26 हेतु रुपये 1 हज़ार 786 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
सामाजिक एवं आर्थिक कारणों से गरिमापूर्ण जीवनयापन में असमर्थ वर्ग को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने में हमारी संवेदनशील सरकार संकल्पित है। विभिन्न सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं यथा राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना, राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना और राष्ट्रीय नि:शक्त पेंशन योजना आदि के माध्यम से प्रतिमाह 55 लाख 60 हज़ार से अधिक हितग्राहियों को सहायता प्रदान की जा रही है। इस बजट में सामाजिक पेंशनों के लिए रुपये 4 हज़ार 66 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
“प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना” के अंतर्गत 1 करोड़ 33 लाख परिवारों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है। योजनान्तर्गत 32 लाख 47 हज़ार 304 मेट्रिक टन खाद्यान्न वितरण किया गया है।
घरेलू उपभोक्ताओं को विद्युत बिलों में लगभग रुपये 5 हज़ार 730 करोड़ की राहत से लगभग 1 करोड़ 8 लाख उपभोक्ता लाभान्वित हो रहे हैं। वर्ष 2025-26 हेतु इस योजना में रुपये 7 हज़ार 132 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
आजीविका के संसाधनों के सुदृढ़ीकरण से परिवार अधिक आय प्राप्त कर सके, इस उद्देश्य से “मुख्यमंत्री समृद्ध परिवार योजना” प्रारम्भ की जा रही है। योजना अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों को एक-दो योजनाओं के स्थान पर, उनकी पात्रता अनुसार योजनाओं का पैकेज प्रदान किया जाएगा।
प्रदेश के नागरिकों को बीमा योजनाओं के लाभ सरलता से उपलब्ध हो सकें, इस हेतु राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) की तर्ज पर राज्य स्तरीय बीमा समिति (SLIC) का गठन किया जाएगा। शासन की सर्वस्पर्शी तथा महत्वाकांक्षी योजनाओं यथा लाड़ली बहना के हितग्राहियों को केंद्र शासन की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना तथा अटल पेंशन योजना से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा ताकि इन हितग्राहियों को बीमा तथा पेंशन के लाभ भी प्राप्त हो सकें।
हमारी सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के उत्थान के लिए प्रतिबद्धता के साथ निरन्तर कार्य कर रही है। प्रसूति, शिक्षा, चिकित्सा, विवाह, अंत्येष्टि सहायता एवं अनुग्रह सहायता आदि के अन्तर्गत लगभग 49 लाख 39 हज़ार श्रमिक हितग्राहियों को रुपये 3 हज़ार 917 करोड़ के हितलाभ प्रदान किए गए हैं।
असंगठित श्रमिकों के हित संवर्धन के लिए लागू की गई ”मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना” अन्तर्गत 1 करोड़ 74 लाख से अधिक श्रमिक पंजीकृत हैं। वर्ष 2024-25 में अब तक असंगठित क्षेत्र के लगभग 42 हज़ार हितग्राहियों को रुपये 300 करोड़ से अधिक की आर्थिक सहायता वितरित की गई है। इस योजना में इस वर्ष 700 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर को बढ़ाने एवं महिला रोज़गार का बेहतर पारिस्थितिकीय तंत्र प्रदान करने के लिए नवीन योजना “कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास का निर्माण” प्रारंभ किया जाना प्रस्तावित है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के 04 सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में कुल 5 हज़ार 772 बेड्स के हॉस्टल निर्मित किए जाएंगे। इसी तरह औद्योगिक कार्यबल हेतु भी जन-निजी भागीदारी आधारित आवासीय व्यवस्था प्रोत्साहित की जायेगी।
श्रम विभाग के लिए वर्ष 2025-26 हेतु रुपये 1 हज़ार 108 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है, जो वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान से रुपये 106 करोड़ अधिक है।
युवा कल्याण
नई सोच और नए जोश से परिपूर्ण युवा वर्ग हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर रहा है।
प्रदेश में ”स्वामी विवेकानंद युवा-शक्ति मिशन” प्रारंभ किया गया है, जिसके माध्यम से प्रदेश के युवाओं की विशिष्ट क्षमताओं का संवर्द्धन तथा दक्षता उन्नयन किया जायेगा। माननीय महोदय, यह मिशन हमारी सरकार की युवाओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भी छात्रवृत्तियाँ, साधन सम्पन्न विद्यालय व छात्रावास, स्वरोज़गार व रोज़गार के लिए प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, विदेश में अध्ययन के लिए छात्रवृत्तियाँ, रियायती ब्याज दर पर ऋण सुविधा एवं उत्कृष्ट खेल संरचनायें आदि के लिये समुचित प्रावधान प्रस्तावित हैं।
महोदय, कहा गया है-
विद्या ददाति विनयम्, विनयाद्याति पात्रत्वाम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनाद्धर्मः तत: सुखम्।।
“विद्या हमें विनम्रता देती है। विनम्रता से योग्यता, योग्यता से धन और इस धन से हम धर्म के काम करते हैं और सुखी रहते हैं।” जीवन में शिक्षा के महत्व के दृष्टिगत, प्रारंभिक स्तर से ही शैक्षिक व मानवीय पहलुओं को जोड़कर समग्र विकास की आधारशिला रखी गई है।
प्रदेश में वर्ष 2024-25 में 4 हज़ार 473 विद्यालयों में पूर्व प्राथमिक अर्थात नर्सरी कक्षाएं प्रारंभ हो गई हैं। सकल नामांकन दर, प्राथमिक शिक्षा में 98 प्रतिशत, माध्यमिक शिक्षा में 70 प्रतिशत तथा उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में 67 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। प्रदेश में शासकीय व निजी क्षेत्र के कुल 1 लाख 25 हज़ार विद्यालय हैं जिनमें 1 करोड़ 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
”राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” के अन्तर्गत अब तक 2 हज़ार 383 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में 14 ट्रेड्स में व्यावसायिक शिक्षा संचालित है। इसे बढ़ाकर वर्ष 2025-26 में 600 नये विद्यालयों में संचालित किए जाने का लक्ष्य है। ”पी.एम.श्री योजना” के अन्तर्गत चिन्हित 780 विद्यालयों में बेहतर शैक्षणिक गुणवत्ता के साथ अध्ययन पाठ्यक्रमों का संचालन प्रारंभ है। प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए ”सी.एम. राइज़ स्कूल” संचालित किए जा रहे हैं। वर्ष 2022-23 से लागू इस योजना में अब तक 275 विद्यालय प्रारंभ हो चुके हैं तथा वर्ष 2025-26 तक इन विद्यालयों में परिवहन सुविधा भी प्रारंभ कर दी जावेगी।
प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक स्तर की कक्षाओं के लिए वर्ष 2024-25 में 3 हज़ार 259 शिक्षकों की नियुक्तियाँ की जा चुकी हैं एवं 19 हज़ार 362 नियुक्तियाँ प्रक्रियाधीन हैं।
स्कूल शिक्षा में समग्र शिक्षा अभियान, एक शाला-एक परिसर, सी.एम. राइज़ विद्यालय, आर.टी.ई. अन्तर्गत निजी विद्यालयों को शिक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति, छात्र-छात्राओं को प्रदाय की जाने वाली नि:शुल्क गणवेश, पुस्तकें, सायकल, लैपटॉप, स्कूटी प्रदाय आदि योजनाओं से प्रदेश में शिक्षा की सर्वव्यापकता बढ़ी है। शिक्षा संबंधी प्रमुख योजनाओं जैसे सी.एम. राइज़ में रुपये 3 हज़ार 68 करोड़, साइकिलों का प्रदाय योजना में रुपये 215 करोड़, पी.एम.श्री योजना में रुपये 430 करोड़, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकों का प्रदाय योजना में रुपये 124 करोड़ तथा शाला भवनों के रख-रखाव के लिए रुपये 228 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित हैं।
उच्च शिक्षा, क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी व्यापक विस्तार हुआ है। प्रदेश में शासकीय व निजी क्षेत्र में 73 विश्वविद्यालय एवं लगभग 1 हज़ार 400 महाविद्यालय हैं।
”प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस” के तहत प्रत्येक ज़िले में एक महाविद्यालय को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इन कॉलेजों में बहुसंकायी पाठ्यक्रमों और नवीनतम विषयों जैसे बायोटेक्नोलॉजी और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की शुरूआत राज्य सरकार के दूरदर्शी दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती है।
राज्य में उच्च शिक्षा का दायरा बढ़ाने के लिए खरगोन, गुना और सागर में तीन नए शासकीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई है। भवन विहीन महाविद्यालयों के लिए 133 नए भवनों के निर्माण तथा 192 महाविद्यालय भवनों के सुदृढ़ीकरण के कार्य भी प्रचलित हैं।
पी.एम. ऊषा परियोजना के अंतर्गत इस वर्ष प्रदेश के 8 विश्वविद्यालयों तथा 27 महाविद्यालयों में अधोसंरचना विकास, शैक्षणिक उत्कृष्टता, अनुसंधान तथा महिलाओं के समानता और समावेशन को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न घटकों के अंतर्गत कुल राशि रुपये 565 करोड़ के कार्य किए जा रहे हैं।
आई.आई.टी. इंदौर, आई.आई.टी. जोधपुर एवं आई.आई.टी. दिल्ली के साथ किये गये एम.ओ.यू. के माध्यम से इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों हेतु प्रयोगशालाओं की विज़िट, लर्निंग रिसोर्स सेंटर्स के उपयोग, नि:शुल्क इंटर्नशिप तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों के क्षेत्र में ज्ञानार्जन के अवसर उपलब्ध हुए हैं। आई.आई.टी. इन्दौर के सहयोग से उज्जैन में डीप-टेक रिसर्च एंड डिस्कवरी कैम्पस स्थापित किया जा रहा है। आगामी पाँच वर्षों में प्रदेश के प्रत्येक संभाग में आई.आई.टी. के स्वरूप की मध्यप्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी संस्थान खोले जाने का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में डिजिटल यूनिवर्सिटी तथा राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के परिसर की स्थापना का भी हमारा लक्ष्य है।
इस वर्ष आई.टी.आई. विहीन 22 विकासखंडों में नवीन आई.टी.आई. प्रारंभ करने की स्वीकृति दी गई है, जिससे प्रदेश में आई.टी.आई. की संख्या बढ़कर 958 तथा प्रशिक्षण क्षमता कुल 1 लाख 21 हज़ार सीटों की हो गई है। विभिन्न आई.टी.आई. में जनजातीय एवं परम्परागत कौशल, एक ज़िला एक उत्पाद से संबंधित पाठ्यक्रम तथा वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम प्रारंभ किये गये हैं। शासकीय आई.टी.आई. देवास, छिंदवाड़ा एवं धार में ग्रीन स्किलिंग से संबंधित पाठ्यक्रम, जैसे सोलर टेक्नीशियन एवं इलेक्ट्रिक व्हीकल मैकेनिक, प्रारंभ किये गये हैं।
प्रदेश में कौशल विकास के विस्तार तथा विविधता के उद्देश्य से “लोकमाता देवी अहिल्याबाई कौशल विकास कार्यक्रम” प्रारम्भ किया जाएगा। यह कार्यक्रम कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक राज्य स्तरीय मंच के रूप में कार्य करेगा।
खेल ऐसा माध्यम है जो युवाओं में अनुशासन, टीम भावना तथा साहस जैसे सद्गुणों का विकास कर उन्हें एक संकल्पवान व सफल जीवन प्रदान करता है।
हमारी सरकार ने प्रदेश के शहरों के साथ-साथ सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की छुपी प्रतिभाओं को सामने लाकर, उन्हें राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सर्वश्रेष्ठता प्रदर्शित करने का अवसर दिया है। ”खेलो इंडिया योजना” के तहत, उभरती प्रतिभाओं को निखारने के लिए प्रदेश के ज़िला मुख्यालयों पर ”खेलो इंडिया स्मॉल सेंटर” स्थापित किये गये हैं।
वर्तमान में प्रदेश में 11 खेल अकादमियों में 18 खेलों की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की अधोसरंचना, उपकरण व प्रशिक्षण की सुविधायें उपलब्ध हैं। प्रदेश में वर्तमान में 18 अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी टर्फ, 7 सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक एवं 114 खेल स्टेडियम के अतिरिक्त 09 अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी टर्फ, 05 सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक तथा 56 खेल स्टेडियम शीघ्र ही उपलब्ध होंगे।
खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “सी.एम. युवा-शक्ति” योजना के अंतर्गत सभी विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम एक सर्वसुलभ एवं सर्वसुविधा संपन्न स्टेडियम सुनिश्चित किया जायेगा। इस योजना हेतु रुपये 25 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
नवीन योजना “परंपरागत खेलों को प्रोत्साहन” अंतर्गत प्रदेश के परम्परागत खेल यथा कबड्डी, खो-खो, गिल्ली-डंडा, शतरंज, कुश्ती, तीरंदाज़ी, गदा, पिट्ठू, कंचे आदि की प्रतियोगिताओं का आयोजन समस्त विकासखंडों में भारत सरकार एवं एन.आई.एस. पटियाला के तत्वाधान में किया जावेगा।
कृषक कल्याण
महोदय, कृषि, अर्थव्यवस्था का एक ऐसा क्षेत्र है जिसके माध्यम से जनता को खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती एवं किसानों को आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त होती है।
पिछला वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया गया था। हमारी सरकार ने इसे आगे बढ़ाते हुये “मध्यप्रदेश राज्य मिलेट मिशन” के माध्यम से ”श्रीअन्न” के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ”रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना” लागू की है।
मध्यप्रदेश सरकार कृषकों की आय में वृद्धि करने हेतु कृतसंकल्पित है। वर्तमान में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि अन्तर्गत सभी किसान परिवारों को रुपये 6 हज़ार प्रतिवर्ष की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त, हमारी सरकार द्वारा भी कृषकों को राशि रुपये 6 हज़ार प्रतिवर्ष का लाभ दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में इस वर्ष रुपये 5 हज़ार 220 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। नवीन योजना “मुख्यमंत्री कृषक उन्नति योजना” के अंतर्गत परम्परागत रूप से एक या दो फ़सलें ले रहे किसानों को, फ़सल विविधीकरण में पारिस्थितिकीय संतुलन हेतु सहायक फ़सलें लेने पर, राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रोत्साहन राशि दी जावेगी।
कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन तथा कीट प्रबंधन जैसे विषयों पर नवीन अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर तथा राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के लिए कुल रुपये 40 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। “नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑइल एण्ड ऑइलसीड” में रुपये 183 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो गत वर्ष के प्रावधान की अपेक्षा दो गुना से भी अधिक है।
कृषि उपभोक्ताओं को विद्युत बिल में दी जा रही राहत को निरन्तर रखा गया है, जिससे लगभग 37 लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इस मद में रुपये 19 हज़ार 208 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अब तक लगभग 2 करोड़ 42 लाख प्रकरणों में रुपये 29 हज़ार 555 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। इस हेतु वर्ष 2025-26 में रुपये 2 हज़ार करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश के किसानों को सिंचाई हेतु कृषि पम्प विद्युत कनेक्शन की वर्तमान व्यवस्था के स्थान पर सौर ऊर्जा पंप उपलब्ध कराये जाने की कार्यवाही की जा रही है। उत्पादित सौर ऊर्जा का उपयोग करने पर विद्युत व्यय में कमी होगी, साथ ही अतिशेष सौर ऊर्जा को ग्रिड में स्थानान्तरित करने से किसान ”अन्नदाता के साथ ऊर्जादाता” भी बनेंगे। इस हेतु नवीन योजना “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” प्रारंभ की गई है जिसमें वर्ष 2025-26 में रुपये 447 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश के किसानों को फ़सलों के समर्थन मूल्य का लाभ उपलब्ध कराने हेतु रबी विपणन वर्ष 2024-25 में 6 लाख 13 हज़ार किसानों से 48 लाख 38 हज़ार मेट्रिक टन गेहूं का उपार्जन कर, रुपये 11 हज़ार 6 सौ करोड़ का भुगतान, किसानों के बैंक खातों में किया गया। इसके अतिरिक्त रुपये 624 करोड़ 92 लाख का बोनस भुगतान भी किया गया है।
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में 6 लाख 69 हज़ार किसानों से 43 लाख 52 हज़ार मेट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया है, जिसकी राशि रुपये 10 हज़ार 11 करोड़ का भुगतान किसानों के खातों में किया गया है। इसके अतिरिक्त, धान उपार्जन अंतर्गत किसानों को रुपये 4 हज़ार प्रति हेक्टेयर के मान से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। धान उपार्जन पर प्रोत्साहन हेतु रुपये 850 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश में फल, फूल एवं सब्ज़ी के उत्पादन के लिए नवीनतम प्रणालियाँ तथा इन उत्पादों के बेहतर विपणन व मूल्य के लिए खाद्य प्रसंस्करण प्रोत्साहित किया जा रहा है। “प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना” के अंतर्गत 4 हज़ार 416 इकाईयों को लाभान्वित किया गया है।
“पर ड्रॉप मोर क्रॉप” योजना अंतर्गत कृषकों को प्रदत्त सिंचाई उपकरणों के माध्यम से पानी के अपव्यय को रोका गया है, साथ ही उत्पादन तथा उत्पादों की गुणवत्ता में भी वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन में रुपये 100 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था तथा आर्थिक एवं सामाजिक विकास में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों के हित में “मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना” प्रारम्भ की गई है, जिसके अंतर्गत मध्यप्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन तथा संबद्ध दुग्ध संघों के संचालन एवं प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ अनुबंध की स्वीकृति दी गई है। इस अनुबंध से दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या तथा दुग्ध संकलन में वृद्धि होगी एवं प्रदेश का साँची ब्रांड मजबूत होगा। दुग्ध उत्पादकों को दूध के उत्पादन और संकलन को बढ़ाने के लिए दुग्ध संकलन पर 5 रुपये प्रति लीटर की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। इस हेतु “मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना” के अंतर्गत रुपये 50 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
मुझे यह बताते हुये गर्व है कि राष्ट्रव्यापी पशु कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में हमारे प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। सेक्स सॉर्टेड सीमेन प्रयोगशाला में 7 लाख 50 हज़ार डोज़ का उत्पादन किया गया है।
प्रदेश में वृहद स्तर पर स्वावलंबी गौशालाएँ स्थापित करने हेतु नीति तैयार की जा रही है। प्रदेश में संचालित लगभग 2 हज़ार 200 गौशालाओं में 3 लाख 45 हज़ार से अधिक गौवंश का पालन हो रहा है। गौशालाओं में पशु आहार के लिए प्रति गौवंश प्रतिदिन रुपये 20 को दोगुना कर रुपये 40 किया जा रहा है। “गौ संवर्द्धन एवं पशुओं का संवर्द्धन योजना” में रुपये 505 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है तथा इस क्षेत्र में निजी भागीदारी भी बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 2 हज़ार 137 हेक्टेयर जलक्षेत्र की निजी भूमि में तालाब निर्माण, 175 बायोफ्लॉक पॉण्ड, मत्स्यबीज उत्पादन हेतु 32 हैचरी, 418 बायोफ्लॉक, 51 आइस प्लांट, 78 फिशफीड मिल स्थापित किए गए हैं। मत्स्य विपणन कार्य को सुगम बनाने हेतु मत्स्य पालकों को 46 इन्सुलेटेड वाहन, 1 हज़ार 881 मोटर साइकिल आइस बॉक्स सहित तथा 297 थ्री व्हीलर आइस बॉक्स सहित, प्रदान किए गए हैं।
मछली उत्पादन व्यवसाय को प्रोत्साहित करने हेतु “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” में रुपये 105 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। “मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना” में रुपये 145 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है, जो गत वर्ष से रुपये 100 करोड़ अधिक है।
सहकारिता की सफलता, एकता की शक्ति तथा सामूहिक प्रयासों में निहित है। प्रदेश में कुल 4 हज़ार 500 प्राथमिक सहकारी समितियाँ क्रियाशील हैं। वर्ष 2024-25 में इन समितियों के माध्यम से लगभग 33 लाख किसानों को रुपये 19 हज़ार 895 करोड़ का अल्पकालीन ऋण शून्य ब्याज दर पर उपलब्ध कराया गया है। “सहकारी बैंकों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन ऋण पर ब्याज अनुदान” योजना हेतु रुपये 694 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश में अब तक तक कुल 69 लाख 63 हज़ार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गए हैं। प्रदेश के 5 लाख 34 हज़ार पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गये हैं। प्रदेश के मत्स्य पालकों को 1 लाख 10 हज़ार से अधिक किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जा चुके हैं। मत्स्य पालक कृषकों के 83 हज़ार 840 प्रकरण स्वीकृत कर रुपये 236 करोड़ 74 लाख की साख सीमा स्वीकृत की गयी है।
कृषि एवं सम्बद्ध सेवाओं का वर्ष 2011-12 से वर्ष 2023-24 में राज्य के सकल मूल्य वर्द्धन (जी.वी.ए.) में योगदान 34 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हो गया है। मुझे बताते हुए गर्व है कि इसी अवधि में कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का योगदान 6 प्रतिशत से बढ़कर लगभग साढ़े बारह प्रतिशत हो गया है।
बजट में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिये रुपये 58 हज़ार 257 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो वर्ष 2024-25 के प्रावधान से रुपये 13 हज़ार 409 करोड़ अधिक है।
नारी कल्याण
”यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता” के सूत्र वाक्य को हमारी सरकार ने प्रेरणा के रूप में लिया है। हमारी सरकार द्वारा नारी कल्याण से संबंधित प्रमुख योजनायें, जैसे गर्भधारण पर देखभाल, प्रसव पर आर्थिक सहायता, लाड़ली लक्ष्मी, शैशवकाल के लिए आँगनबाड़ियाँ, नि:शुल्क शिक्षा व अन्य शैक्षणिक सुविधायें, उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन, जीविका उपार्जन एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए स्व-रोज़गार एवं शासकीय सेवाओं में आरक्षण, विवाह तथा निकाह योजना, आवास योजनाओं का लाभ, स्थायी संपत्तियों के क्रय पर पंजीकरण शुल्क में विशेष छूट, लाड़ली बहना योजना तथा विभिन्न पेंशन योजनाएँ सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं।
वर्ष 2024-25 में ”लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0” अन्तर्गत 2 लाख 43 हज़ार 396 बालिकाओं का पंजीकरण किया गया है। लाड़ली लक्ष्मी योजना अंतर्गत प्रारंभ से अब तक रुपये 12 हज़ार 932 करोड़ का निवेश किया जा चुका है। वर्तमान में लाड़ली बहना योजना में पंजीकृत महिलाओं की संख्या लगभग 1 करोड़ 27 लाख है। इस योजना के लिये रुपये 18 हज़ार 669 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। ”प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना” के अन्तर्गत अब तक लगभग 52 लाख से अधिक माताऐं पंजीकृत की गई हैं। वर्ष 2024-25 में अब तक लगभग 5 लाख 75 हज़ार हितग्राहियों को रुपये 264 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान किया जा चुका है।
प्रदेश में संचालित 57 वन-स्टॉप सेंटर पर हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को एक ही छत के नीचे सभी आवश्यक सेवाएँ, जैसे- आश्रय, पुलिस सहायता, विधिक सहायता तथा चिकित्सा आदि उपलब्ध कराई जाती हैं। इस वर्ष लगभग 22 हज़ार महिलाओं को सहायता दी गई है।
महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने पंचमढ़ी स्थित होटल अमलतास का संचालन महिलाओं को सौंपा है। गर्व की बात है कि यह देश का पहला होटल है, जिसका संचालन पूरी तरह से महिलाओं द्वारा किया जा रहा है।
”मुख्यमंत्री बाल आरोग्य संवर्धन कार्यक्रम” के तहत 14 लाख 64 हज़ार पंजीकृत गंभीर कुपोषित बच्चों में से लगभग 86 प्रतिशत बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हुआ है। प्रदेश में कुल 12 हज़ार 670 मिनी आँगनबाड़ियों को उन्नयित कर पूर्ण आँगनबाड़ियों में परिवर्तित किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से सक्षम आँगनबाड़ी एवं पोषण-2.0 योजना के अंतर्गत 24 हज़ार 662 आँगनबाड़ी केंद्रों को सक्षम आंगनबाडी केन्द्र के रूप में उन्नत किया जा रहा है। पोषण-2.0 योजना के लिये रुपये 223 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग की ग्राम स्तरीय सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार, प्रभावी अनुश्रवण एवं हितग्राहियों को एक ही स्थान से विभिन्न सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से “स्वास्थ्य एवं आंगनवाड़ी सेवाओं हेतु एकीकृत अधोसंरचना” योजना प्रारम्भ की जा रही है। योजना अंतर्गत यथासंभव उप-स्वास्थ्य केंद्र एवं आँगनबाड़ी केन्द्रों का संयुक्त भवन तैयार किया जाएगा।
प्रधानमंत्री जनजातीय न्याय महाअभियान के तहत प्रदेश के 20 ज़िलों में 217 आँगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण की स्वीकृति दी गई है। वर्ष 2025-26 में आँगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण हेतु राशि रुपये 350 करोड़ का बजट प्रावधान प्रस्तावित है। इसी प्रकार आँगनबाड़ी सेवाओं के लिए रुपये 3 हज़ार 729 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता, छात्राओं को साईकिलों का प्रदाय, मुख्यमंत्री स्कूटी योजना सहित नारी शक्ति संबंधी विभिन्न योजनाओं के लिए वर्ष 2025-26 में रुपये 26 हज़ार 797 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
अधोसंरचना विस्तार तथा संधारण
महोदय, मैंने अपने बजट भाषण के प्रारंभ में विकसित मध्यप्रदेश की लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक औद्योगिक निवेश तथा प्रदेश के समावेशी विकास के लिये प्रारंभ किये गए 4 मिशनों से अवगत कराया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सुदृढ़ अधोसंरचना की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, अतः अब मैं प्रदेश में अधोसरंचना से संबंधित कार्यों एवं प्रस्तावों को सदन के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
वर्ष 2020-21 में केन्द्र सरकार द्वारा प्रारम्भ पूंजीगत व्यय के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता योजना में हमारा प्रदेश अग्रणी प्रदेश रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश का कुल पूँजीगत परिव्यय रुपये 57 हज़ार 348 करोड़ था जो लगभग 13 प्रतिशत वृद्धि के साथ वर्ष 2024-25 में रुपये 64 हज़ार 738 करोड़ अनुमानित है, जिसे वर्ष 2025-26 में 31 प्रतिशत बढ़ाकर रुपये 85 हज़ार 76 करोड़ किया जाना प्रस्तावित है।
हमारी सरकार द्वारा जन-निजी भागीदारी के माध्यम से संस्थाओं के निर्माण के लिए नवीन योजना ”निजी-निवेश से संपत्ति का निर्माण” प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। निजी निवेश से शासकीय सम्पत्ति एवं संस्थानों के संचालन हेतु योजना बनाई जा रही है, जिससे निजी क्षेत्र में अपनाये जा रहे बेहतर प्रबंधन मॉडल्स को शासकीय संस्थानों में भी लागू किया जा सकेगा। इस योजना के विचार क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं और छात्रावासों आदि का पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल आधारित संचालन किया जाना लक्षित है।
एक नवाचारी वित्तीय उपकरण के रूप में प्रदेश में “सोशल इम्पैक्ट बॉन्ड” जारी किए जायेंगे, जिसमें सामाजिक सेवा प्रदाता, हितग्राहियों को सेवा प्रदान करने के लिए रिस्क फंडर्स से धन जुटाता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का सोशल स्टॉक एक्सचेंज उक्त सम्पूर्ण कार्य को सम्पादित करने के लिए एक कॉमन प्लेटफार्म के रूप में कार्य करता है।
किसानों की आय वृद्धि के लिये पर्याप्त सिंचाई सुविधा आवश्यक है। प्रदेश में सिंचाई सुविधा के विस्तार हेतु अभूतपूर्व कार्य हो रहे हैं। नहरों के माध्यम से उपलब्ध कराये जा रहे सिंचाई जल के वाष्पीकरण एवं अन्य मानवीय हस्तक्षेपों के कारण हो रहे जल अपव्यय को कम करने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। सूक्ष्म सिंचाई पद्धति एवं दाबयुक्त पाइपों के माध्यम से सिंचाई जल के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। प्रदेश में उपलब्ध सिंचाई सुविधा को वर्ष 2029 तक 100 लाख हेक्टेयर किया जाएगा।
दो दशक पहले सिंचाई स्रोतों के अभाव में प्रदेश में ”धरती सूखी, जनता भूखी” की स्थिति बनी रहती थी। अब माननीय प्रधानमंत्री जी की पहल पर ”मिले जल हमारा तुम्हारा” के प्रयासों से नदियों को जोड़कर सिंचाई क्षेत्र में ऐतिहासिक काम होने जा रहा है। इन प्रयासों से नदियों को सदानीरा स्वरूप प्राप्त होगा।
प्रदेश में रुपये 24 हज़ार 293 करोड़ की अनुमानित लागत की केन-बेतवा लिंक परियोजना एवं रुपये 35 हज़ार करोड़ की अनुमानित लागत की पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतर्राज्यीय नदी लिंक परियोजना के कार्य प्रारंभ हो चुके हैं। ताप्ती नदी पर ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज योजना के लिये महाराष्ट्र सरकार से सहमति हेतु वार्ता प्रचलित है।
वर्ष 2025-26 में 19 वृहद एवं मध्यम तथा 87 लघु सिंचाई परियोजनाएँ प्रस्तावित हैं, जिनसे आगामी समय में 7 लाख 20 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित हो सकेगा। सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण व संधारण के लिये वर्ष 2025-26 में रुपये 17 हज़ार 863 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो वर्ष 2024-25 से 24 प्रतिशत अधिक है।
नागरिक सुविधाओं एवं औद्योगीकरण में वृद्धि के दृष्टिगत वित्त वर्ष 2024-25 में 3 हज़ार 750 किलोमीटर सड़क निर्माण तथा उन्नयन, 850 किलोमीटर सड़क नवीनीकरण एवं 42 पुलों तथा रेल्वे ओवर ब्रिज के निर्माण पूर्ण किये गये हैं।
रेल्वे क्रॉसिंग पर यातायात बाधित होने से समय एवं ईंधन के अपव्यय को रोकने हेतु रेल्वे ओव्हर ब्रिज (आर.ओ.बी.) एवं रेल्वे अण्डर ब्रिज (आर.यू.बी) के निर्माण कार्य रेल्वे से समन्वय कर प्राथमिकता से कराये जा रहे हैं। प्रदेश में रुपये 4 हज़ार 251 करोड़ लागत के कुल 116 नवीन रेल्वे ओव्हर ब्रिज निर्माण कार्य प्रगति पर हैं।
रोड नेटवर्क, एक्सप्रेस-वे, मेट्रो, एलिवेटेड कॉरिडोर जैसी अनेक परियोजनाओं के साथ प्रदेश अधोसंरचना विकास में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भोपाल, देवास, ग्वालियर, जबलपुर, सतना एवं इन्दौर में एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण कार्य प्रगतिरत हैं। उज्जैन-जावरा 4-लेन के निर्माण से उज्जैन, इन्दौर एवं आसपास के क्षेत्र, मुम्बई-दिल्ली 8-लेन कॉरिडोर से जुड़ जायेंगे। माननीय राष्ट्रपति जी के कर-कमलों से रुपये 1 हज़ार 692 करोड़ की अनुमानित लागत के उज्जैन-इन्दौर 6-लेन मार्ग का भूमि पूजन हो चुका है।
प्रदेश में सड़क निर्माण में नवीन तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से फुल डेप्थ रिक्लेमेशन पद्धति द्वारा ग्वालियर, गुना, दतिया ज़िलों में सड़कों का निर्माण प्रायोगिक तौर पर प्रारंभ किया गया है। जेट पेचर, वेलोसिटी पेचर, इन्फ्रारेड, माइक्रोसरफेसिंग पद्धति से सड़कों की मरम्मत, व्हाइट-टॉपिंग तकनीक से सीमेन्ट काँक्रीट सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।
प्रदेश में आगामी 5 वर्षों में एक लाख किलोमीटर सड़क बनाई जाने का लक्ष्य है। इसी तरह प्रदेश में आगामी 5 वर्षों में 500 रेल ओवर ब्रिज एवं फ्लाईओवर निर्मित किये जायेंगे। इस वर्ष 3 हज़ार 500 किलोमीटर नवीन सड़कें तथा 70 पुल बनाए जाने का लक्ष्य है।
”प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना” अंतर्गत वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 1 हज़ार किलोमीटर सड़कों के निर्माण एवं लगभग 5 हज़ार 200 किलोमीटर सड़कों के नवीनीकरण का लक्ष्य पूर्ण होगा। ”मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना” के अंतर्गत अब तक 8 हज़ार 631 ग्रामों को, 19 हज़ार 472 किलोमीटर लंबाई की सड़कें निर्मित कर, बारहमासी मार्ग से जोड़ा जा चुका है।
अनुभव में यह भी आया है कि कतिपय ग्राम पंचायतों में अभी भी कई बसाहटें ऐसी हैं, जिनमें मुख्य सड़क मार्ग से ग्राम पंचायतों में पहुँचने हेतु सड़क उपलब्ध नहीं है। अतः ग्रामवासियों को सुविधाजनक मार्ग उपलब्ध कराने हेतु नवीन योजना “मुख्यमंत्री मजरा-टोला सड़क योजना” प्रारंभ की जा रही है। इस योजना के लिये वर्ष 2025-26 में रुपये 100 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के प्रथम चरण में निर्मित मार्गों के एकरेखण में पूर्व से निर्मित पुल-पुलिया-वेन्टेड कॉज़वे में से, कुछ संरचनाओं के क्षतिग्रस्त हो जाने अथवा वर्षाकाल में जलमग्न हो जाने से बारहमासी सड़क संपर्क प्रभावित होता है, अतः एक नवीन योजना “क्षतिग्रस्त पुलों का पुनर्निर्माण योजना” प्रारम्भ की जा रही है। इस योजना के लिये वर्ष 2025-26 में रुपये 100 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
सड़कों एवं पुलों के निर्माण एवं संधारण के लिये वर्ष 2025-26 में रुपये 16 हज़ार 436 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है, जो वर्ष 2024-25 से 34 प्रतिशत अधिक है।
भारत सरकार द्वारा ”जल जीवन मिशन” के माध्यम से पूरे देश में जल क्रान्ति का श्रीगणेश किया गया है। मुझे अवगत कराते हुए प्रसन्नता है कि इस मिशन के अन्तर्गत रुपये 71 हज़ार करोड़ लागत की 27 हज़ार 990 एकल तथा 147 समूह नलजल योजनाओं के लिए प्रशासकीय स्वीकृतियाँ जारी की जा चुकी हैं।
माननीय प्रधानमंत्री जी एवं माननीय वित्त मंत्री, भारत सरकार का मैं हृदय से आभारी हूँ कि जल जीवन मिशन के कार्यों के लिए भारत सरकार की सहभागिता को वर्ष 2028 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस वर्ष जल जीवन मिशन के लिये रुपये 17 हज़ार 135 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश के औद्योगीकरण के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये प्रदेश में ऊर्जा के उत्पादन व उपलब्धता को और अधिक सुदृढ़ किया जा रहा है। यह हमारी सरकार के प्रयासों के परिणाम ही हैं कि आज प्रदेश के सुदूर तथा दुर्गम स्थलों पर भी विद्युत की अबाध उपलब्धता है। प्रदेश में विद्युत उपलब्धता क्षमता 24 हज़ार 108 मेगावाट हो चुकी है। दिनांक 20 दिसम्बर 2024 को प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक 18 हज़ार 913 मेगावाट की आपूर्ति की गई। प्रदेश में पारेषण हानि मात्र 2.61 प्रतिशत रह गई है जो पूरे देश में न्यूनतम है।
निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए रिवेम्पड ड्रिस्टीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आर.डी.एस.एस.) योजना को वर्ष 2025-26 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य है। इस योजना के अन्तर्गत प्री पेड स्मार्ट मीटरिंग, वितरण हानि में कमी तथा विद्युत उपकेन्द्रों के सुदृढ़ीकरण जैसे कार्य किए जा रहे हैं। विद्युत व्यवस्था अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण हेतु वर्ष 2024-25 में 6 नए अति उच्च दाब उपकेन्द्र, 33/11 किलोवाट के 126 उपकेन्द्र, 862 सर्किट किलोमीटर की अति उच्च दाब लाइन, 6 हज़ार 120 किलोमीटर एच.टी. लाइन एवं 7 हज़ार 710 किलोमीटर वितरण लाइन के केबलीकरण के कार्य पूर्ण किए गए हैं।
प्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा की स्थापना क्षमता में भी अभूतपूर्व वृद्धि की है। विगत 12 वर्षों में नवकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में 14 गुना वृद्धि हुई है। शाजापुर में 450 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क विकसित किया जा रहा है। 278 मेगावाट क्षमता की ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना से विद्युत उत्पादन प्रारंभ हो चुका है। मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के मध्य 2 हज़ार मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क विकसित किया जाएगा। मुरैना में प्रदेश के प्रथम सोलर पावर स्टोरेज संयंत्र की स्थापना की जा रही है। प्रधानमंत्री जन-मन योजना के तहत प्रदेश के 2 हज़ार 60 आदिवासी बहुल ग्रामों को सौर ऊर्जीकृत किए जाने का लक्ष्य है।
ऊर्जा क्षेत्र के लिए वर्ष 2025-26 में रुपये 19 हज़ार करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश में वायु सेवा के माध्यम से यात्रा सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है जिससे प्रदेश के शहरों तथा देश के महत्वपूर्ण शहरों के मध्य आवागमन शीघ्र तथा सुगम होगा। रीजनल कनेक्टिविटी योजना- उड़ान के अंतर्गत प्रदेश के छिंदवाडा़, नीमच, शहडोल, शिवपुरी, खंडवा, मंडला, झाबुआ एवं उज्जैन हवाई पट्टियों का विकास प्रगतिरत है। दतिया हवाई पट्टी को विमानतल के रूप में विकसित किया गया है एवं शिवपुरी हवाई पट्टी को विमानतल के रूप में विकसित किया जायेगा। रीवा विमानतल, प्रदेश का छठवां वाणिज्यिक विमानतल बन गया है। ग्वालियर विमानतल को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप दिया जा चुका है। उज्जैन हवाई पट्टी को हवाई अड्डे के रूप में विस्तारित किये जाने की कार्यवाही प्रगतिरत है।
पी.एम.श्री पर्यटन वायु सेवा एवं पी.एम.श्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा के माध्यम से प्रदेश के मुख्य शहरों एवं धार्मिक स्थलों के मध्य हवाई सम्पर्क स्थापित किया गया है।
नगरीय विकास
प्रदेश की विशिष्ट पहचान, नगरों में उपलब्ध अधोसंरचनाओं एवं सुविधाओं के आधार पर होती है। विगत वर्षों में प्रदेश के शहरों ने स्वच्छता, प्रदूषण नियंत्रण, सड़क निर्माण, आधुनिक तकनीक के उपयोग एवं जनसुविधाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है।
नगरीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण, उद्यान, नगर वन एवं अन्य हरित संरचनाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण किया जा रहा है। नगरीय निकाय, अपने बेहतर प्रशासन एवं कार्यप्रणाली से नगरों की विशिष्टता, ऐतिहासिकता एवं सांस्कृतिक महत्व को दृष्टिगत रखते हुये विकास कार्य कर रहे हैं।
तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण के दृष्टिगत बड़े शहरों का समेकित विकास मेट्रोपॉलिटन एरिया की तर्ज पर किया जाना लक्षित है। प्रदेश की खनन राजधानी कहे जाने वाले सिंगरौली को, खनन के साथ विकास के मद्देनज़र, एक नए नगर के रूप में विकसित किया जा रहा है जिससे लगभग 50 हज़ार नागरिकों को एक नवीन एवं सुव्यवस्थित नगर की सुविधाएँ मिल सकेंगी।
मुझे यह अवगत कराते हुये गर्व है कि हमारे प्रदेश को, देश में पी.एम. स्वनिधि योजना में प्रथम स्थान तथा प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के क्रियान्वयन में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 में प्रदेश को जहां दूसरे स्वच्छतम राज्य का सम्मान प्राप्त हुआ वहीं इन्दौर को सातवीं बार स्वच्छतम शहर का सम्मान प्राप्त हुआ। भोपाल को देश की स्वच्छतम राजधानी होने का सम्मान प्राप्त हुआ है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अन्तर्गत 8 लाख 30 हज़ार आवास निर्मित हो चुके हैं। अगले 5 वर्षों में 10 लाख नए आवासों के निर्माण का लक्ष्य है। अमृत 2.0 योजना के अन्तर्गत 1 लाख से अधिक आबादी वाले 33 शहरों में जल आपूर्ति तथा सीवर लाईन बिछाने का कार्य किया जा रहा है।
नगरों के विकास के लिए त्वरित व सुलभ शहरी परिवहन आवश्यक है। प्रदेश के इंदौर एवं भोपाल में मेट्रो रेल का संचालन शीघ्र प्रारंभ होने के साथ-साथ अन्य प्रमुख शहरों में केबल कार का भी संचालन किया जाएगा। सुगम शहरी परिवहन के लिए आधुनिक और आरामदायक बसों का संचालन किया जा रहा है, साथ ही पी.एम. ई-बस योजनांतर्गत प्रमुख शहरों में पर्यावरण अनुकूल ई-बसों का संचालन किया जायेगा।
इस बजट में नगरीय क्षेत्रों में आवास हेतु लगभग रुपये 1 हज़ार 700 करोड़, नगरों की सड़क मरम्मत के लिए रुपये 408 करोड़ तथा मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास के लिए रुपये 295 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित हैं। “नगरीय निकायों को मूलभूत सेवाओं हेतु एकमुश्त अनुदान” अंतर्गत वर्ष 2025-26 में रुपये 1 हज़ार 617 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो वर्ष 2024-25 से रुपये 506 करोड़ अधिक है।
सिंहस्थ महापर्व
‘सिंहस्थ’ महापर्व न केवल मध्यप्रदेश के लिए अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन है। सिंहस्थ-2028 महापर्व के अवसर पर देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में धर्मप्रेमी जनता का, श्रद्धायात्रा पर पधारना संभावित है। आयोजन की विशालता व महत्ता के दृष्टिगत सम्पूर्ण सिंहस्थ क्षेत्र में अधोसंरचना विकास के साथ-साथ श्रद्धालुओं के लिए सिंहस्थ को एक अविस्मरणीय अनुभव दिये जाने हेतु श्रेष्ठ जन-सुविधाओं की व्यापक व्यवस्था आवश्यक है। मैं अवगत कराना चाहता हूँ कि प्रदेश के कर्मनिष्ठ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के सक्षम व कुशल नेतृत्व में, प्रदेश सरकार द्वारा सिंहस्थ क्षेत्र में सुनियोजित विकास कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं। आयोजन वर्ष 2028 के पूर्व सभी कार्य पूर्ण करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस मद में लगभग रुपये 2 हज़ार करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
नगरीय विकास के लिये वर्ष 2025-26 हेतु रुपये 18 हज़ार 715 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो कि वर्ष 2024-25 से लगभग रुपये 2 हज़ार करोड़ अधिक है।
ग्रामीण विकास
हमारी सरकार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार तथा श्रेष्ठ स्तर, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधायें, ग्रामीण सड़कों का विस्तार, हर घर जल का लक्ष्य, रोज़गार के अवसर और आवास जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दृढ़संकल्पित है।
मुझे यह अवगत कराते हुये प्रसन्नता है कि ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत स्व-सहायता समूहों को ऑन-लाईन पोर्टल के माध्यम से बैंक ऋण स्वीकृत कराने में हमारा प्रदेश वर्ष 2020-21 से लगातार देश में प्रथम स्थान पर है। “नमो ड्रोन दीदी योजना” अंतर्गत प्रशिक्षित महिलाएँ ड्रोन पायलट के रूप में अन्य महिलाओं को भी प्रोत्साहित कर रही हैं।
”जल गंगा संवर्धन अभियान” अंतर्गत जल संरचनाओं, घाटों एवं धार्मिक स्थलों की साफ़-सफ़ाई एवं जीर्णोद्धार का कार्य किया गया है। इस अभियान में जनता की उत्साहपूर्ण व सकारात्मक भागीदारी से बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं।
समृद्ध व्यक्ति एवं परिवार के साथ ही समृद्ध ग्राम की संकल्पना के तहत “मुख्यमंत्री वृन्दावन ग्राम योजना” प्रारम्भ की जा रही है। पशुधन से समृद्धि के तत्व को समाहित करते हुए इसके अंतर्गत स्थानीय स्तर पर पशुपालन, मछलीपालन तथा खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जायेगा। इस हेतु बजट में रुपये 100 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
पंचायतों को सर्वांगीण विकास में सहायता देने के उद्देश्य से मूलभूत सेवाओं हेतु अनुदान में रुपये 2 हज़ार 507 करोड़ की वृद्धि करते हुए इस वर्ष रुपये 6 हज़ार 7 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। इसी क्रम में पंचायतों का वित्तीय सामर्थ्य बढ़ाने की दृष्टि से ग्राम स्वराज अभियान में कुल रुपये 238 करोड़ तथा अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क वसूली अनुदान में रुपये 2 हज़ार 41 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
ग्रामीण विकास से संबंधित महत्वपूर्ण योजनाओं यथा- प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए रुपये 4 हज़ार 400 करोड़, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के लिए रुपये 4 हज़ार 50 करोड़, प्रधानमंत्री जनमन योजना (आवास) के लिए रुपये 1 हज़ार 100 करोड़, प्रधानमंत्री जनमन योजना (सड़क) के लिए रुपये 1 हज़ार 56 करोड़, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण के लिए रुपये 960 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए रुपये 800 करोड़, स्वच्छ भारत मिशन के लिए रुपये 594 करोड़ तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए रुपये 274 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास के लिये वर्ष 2025-26 में रुपये 19 हज़ार 50 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
स्वास्थ्य सेवायें
हमारी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के साथ गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने की दिशा में निरन्तर कार्य कर रही है। प्रदेश के 52 ज़िला चिकित्सालय, 161 सिविल चिकित्सालय, 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1 हज़ार 442 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 10 हज़ार 256 उप स्वास्थ्य केन्द्रों में कुल 47 हज़ार 167 बिस्तर उपलब्ध हैं। इनके अतिरिक्त 539 शहरी स्वास्थ्य संस्थायें भी कार्यरत हैं। इस वर्ष पचोर, अमझेरा, सिंगरौली एवं महेश्वर में नवीन चिकित्सालय, 34 नवीन स्थलों पर 50 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा रीवा ज़िला चिकित्सालय में 100 बिस्तरीय वार्ड का निर्माण भी प्रारंभ हो चुका है। उच्च जोखिम वाले दूरस्थ क्षेत्रों में निवासरत गर्भवती महिलाओं हेतु स्वास्थ्य संस्थाओं में 249 बर्थ वेटिंग रूम स्थापित किए गए हैं।
प्रदेश में 17 चिकित्सा महाविद्यालयों में एम.बी.बी.एस पाठ्यक्रम के लिए 2 हज़ार 575 सीट्स एवं स्नातकोत्तर के लिए 1 हज़ार 337 सीट्स हैं। इस वित्तीय वर्ष में नीमच, मंदसौर एवं सिवनी में नवीन शासकीय चिकित्सालय महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ कर शासकीय एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में एम.बी.बी.एस. की 400 तथा स्नातकोत्तर की 252 सीट्स बढ़ाई गई हैं। प्रदेश में जन-निजी भागीदारी के आधार पर नवीन चिकित्सा महाविद्यालय प्रारंभ किए जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
प्रदेश में लगभग 1 हज़ार संजीवनी एम्बुलेन्स तथा 1 हज़ार 59 जननी एम्बुलेन्स संचालित हैं। इन एम्बुलेन्स के माध्यम से लगभग 22 लाख नागरिकों को सेवायें उपलब्ध कराई गई हैं। सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन कार्य योजना अंतर्गत आवश्यक उपचार तथा जन जागरूकता के कार्य किए जा रहे हैं।
मुझे यह अवगत कराते हुए हर्ष है कि नवीन योजना ”सी.एम. केयर योजना” के अन्तर्गत गंभीर बीमारियों से पीड़ित नागरिकों को निकटतम चिकित्सा संस्थानों में कैथ लैब तथा कैंसर उपचार सुविधाएँ उपलब्ध कराई जायेंगी। प्रदेश में अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए और अधिक अनुकूल वातावरण बनाने के प्रयास किए जायेंगे।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान) में 4 करोड़ 26 लाख से अधिक कार्ड जारी किए गए हैं। इस योजनान्तर्गत 497 शासकीय चिकित्सालय एवं 587 निजी चिकित्सालय सम्बद्ध हैं। आयुष्मान योजना के लिए वर्ष 2025-26 हेतु रुपये 2 हज़ार 39 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश में गम्भीर रोगियों को आपात स्थिति में उचित समय पर उच्च स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध कराये जाने हेतु ”पी.एम.श्री एयर एम्बुलेंस सेवा” प्रारंभ की गई है। इस सुविधा का लाभ प्रदेश के हर क्षेत्र को मिले, इस हेतु प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित खेल स्टेडियम का उपयोग हैलीपेड के लिए भी किया जायेगा।
स्वस्थ जीवनचर्या में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की महती भूमिका है। प्रदेश में 11 नवीन आयुर्वेद महाविद्यालय सह चिकित्सालयों की स्थापना की जानी है। प्रदेश में पन्ना, गुना, भिण्ड, श्योपुर तथा शुजालपुर में 50 बिस्तरीय आयुर्वेदिक अस्पताल, बड़वानी में 30 बिस्तरीय अस्पताल, बालाघाट, शहडोल, सागर, नर्मदापुरम एवं मुरैना में आयुष महाविद्यालयों तथा 4 ज़िला आयुष कार्यालयों के भवन निर्माण कार्य प्रगतिरत हैं। प्रदेश में संचालित आयुष संस्थाओं एवं शिविरों के माध्यम से एक वर्ष में लगभग 1 करोड़ 40 लाख नागरिकों को उपचार दिया गया है।
प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में कुल बजट प्रावधान रुपये 23 हज़ार 535 करोड़ प्रस्तावित है जो गत वर्ष की तुलना में रुपये 2 हज़ार 992 करोड़ अधिक है।
पर्यटन एवं संस्कृति
देश का हृदय प्रदेश- मध्यप्रदेश, पर्यटन के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना चुका है। राज्य में पर्यटन के विकास की दिशा में किए गए प्रयासों से न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है, बल्कि रोज़गार के अवसर भी सृजित हुए हैं।
प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के 14 स्मारकों का निर्माण लगभग रुपये 507 करोड़ की लागत से किया जा रहा है।
विश्व के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, ओंकारेश्वर में उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर ओंकारेश्वर महालोक का निर्माण किया जाएगा। अद्वैत वेदान्त दर्शन के प्रणेता आचार्य शंकर के जीवन दर्शन के प्रसार के उद्देश्य से संग्रहालय एवं “आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान” को विकसित किया जा रहा है।
हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि मध्यप्रदेश में जहाँ-जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जायेगा। इस हेतु श्रीकृष्ण पाथेय योजना के लिये रुपये 10 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। इसी प्रकार राम पथ गमन योजना में प्रभु श्री राम के वनगमन पथ अंचल का विकास तथा धार्मिक नगरी चित्रकूट का समग्र विकास किया जाएगा। इस योजना के लिये रुपये 30 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
वर्तमान समय में धार्मिक ग्रंथों, साहित्य, वैज्ञानिक अनुसंधानों के सुलभ अध्ययन को प्रोत्साहित करने और जनसाधारण में अध्ययन में घटती रुचि के परिष्कार के उद्देश्य से, प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में सर्वसुविधायुक्त वैचारिक अध्ययन केन्द्र के रूप में “गीता भवन” बनाये जाएँगे। इनमें पुस्तकालय, ई-लायब्रेरी, सभागार तथा साहित्य-सामग्री बिक्री केन्द्र भी होंगे। इस योजना के लिये रुपये 100 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्रदेश अपने वरिष्ठ नागरिकों को तीर्थ यात्रा का पुण्य लाभ प्रदान करने में सहभागी है। इस हेतु रुपये 50 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है। इस योजना में, प्रारंभ से अब तक 8 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिक लाभान्वित हो चुके हैं। इस योजना के तहत दिव्यांग नागरिकों को भी नि:शुल्क यात्रा की सुविधा दी जा रही है।
पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्व के क्षेत्र में रुपये 1 हज़ार 610 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो कि गत वर्ष से रुपये 133 करोड़ अधिक है।
सुशासन
प्रदेश के गतिशील आर्थिक विकास तथा समृद्धि के लिये सुस्थिर कानून व्यवस्था महत्वपूर्ण कारक है। इस लक्ष्य के साथ हमारा पुलिस बल पूरे समर्पण व प्रतिबद्धता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है। पुलिस बल में उत्साह, ऊर्जा एवं मनोबल बनाये रखने के लिए हमारी सरकार कार्मिकों के साथ उनके परिवारजनों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु कार्य कर रही है।
पुलिस बल के लिए लक्षित 25 हज़ार आवासों में से 10 हज़ार 352 आवास निर्मित हो चुके हैं। प्रदेश के विभिन्न स्थलों पर 24 नवीन प्रशासकीय भवन निर्माणाधीन हैं। भोपाल में 50 बिस्तरीय नवनिर्मित सर्वसुविधायुक्त पुलिस चिकित्सालय में उपचार प्रारंभ हो चुका है।
त्वरित आपातकालीन पुलिस सहायता के लिए डायल-100 योजना के वाहनों में आधुनिक तकनीकों एवं उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। सहायता के लिए संदेश प्राप्त होने के लगभग औसतन 18 मिनिट की अवधि में वाहन घटना स्थल पर पहुँच रहे हैं। प्रदेश के 60 शहरों में लगभग 2 हज़ार महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थापित सी.सी.टी.वी. प्रणाली से गैर कानूनी गतिविधियों पर अंकुश एवं यातायात प्रबंधन आदि में सहयोग मिल रहा है।
सायबर अपराधों को रोकने एवं अन्वेषण के लिए पुलिस को आधुनिक संसाधनों से सुसज्जित एवं प्रशिक्षित किया जा रहा है। पुलिस बल के आधुनिकीकरण हेतु केंद्रीय क्षेत्रीय योजना प्रारंभ की जा रही है। योजना अंतर्गत पुलिस बल को वाहन सुविधा एवं अन्य तकनीकी उपकरण उपलब्ध कराये जायेंगे।
गृह विभाग के लिए वर्ष 2025-26 हेतु रुपये 12 हज़ार 876 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है, जो वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान से लगभग रुपये 1 हज़ार 585 करोड़ अधिक है।
केंद्र प्रवर्तित “गरीब बंदी सहायता योजना” के क्रियान्वयन में प्रदेश का प्रथम स्थान रहा है। बंदियों के कौशल विकास एवं रोज़गार हेतु प्रदेश की उज्जैन, बैतूल एवं धार जेलों में आई.टी.आई. संचालित हैं।
जेलों की बेहतर अधोसंरचना के लिए 4 नवीन जेलों का निर्माण तथा नवीन बैरक निर्माण कर क्षमता वृद्धि के कार्य किए जा रहे हैं। बंदियों के भोजन की गुणवत्ता में सुधार के लिए बेहतर प्रावधान किए जा रहे हैं। जेल विभाग हेतु रुपये 794 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
वर्ष 2024-25 में अब तक सम्पन्न 3 राजस्व महाअभियानों में 1 करोड़ से भी अधिक नामांतरण, बँटवारा, सीमांकन, अभिलेख दुरुस्ती आदि राजस्व प्रकरणों का निराकरण हुआ है। अगस्त 2024 से प्रारम्भ साइबर तहसील 2.0 के माध्यम से अब तक 90 हज़ार से अधिक राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया गया है।
फार्मर आई-डी रजिस्ट्री योजना में 61 लाख से अधिक फार्मर आई-डी बना कर मध्यप्रदेश, देश में प्रथम स्थान पर है। हमें विश्वास है कि स्वामित्व योजना की सफलता उपरांत भारत सरकार की नवीन नक्शा योजना में भी प्रदेश उच्च स्थान पर रहेगा।
समस्त शासकीय वाहनों को 15 वर्ष की आयु के उपरांत पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फेसिलिटी (RVSF) के माध्यम से स्क्रैप कराया जाना अनिवार्य किया गया है। निजी वाहनों को भी इन रजिस्टर्ड वाहन स्क्रैपिंग सुविधा केन्द्रों के माध्यम से सुव्यवस्थित रूप से स्क्रैप कराया जा सकेगा। आम-जन द्वारा वाहन स्क्रैप कराने को प्रोत्साहित करने हेतु नवीन वाहन क्रय करने पर मोटरयान कर में परिवहन वाहन हेतु 15 प्रतिशत तथा गैर परिवहन वाहन हेतु 25 प्रतिशत की छूट प्रदान की गई है।
नवीन प्रस्तावित “मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा” के अंतर्गत ग्रामीण नागरिकों को सस्ता एवं सुलभ परिवहन उपलब्ध होगा। परिवहन के संसाधन, अधोसंरचना एवं आधारभूत सुविधाओं के विकास का लक्ष्य इस योजना के अंतर्गत चिह्नित किया गया है। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और गतिशील मध्यप्रदेश का स्वप्न साकार करेगी। इस हेतु रुपये 80 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
प्राकृतिक संसाधन
हमारा प्रदेश वन एवं वन्य प्राणियों की विविधता के लिए देश-विदेश में विशिष्ट पहचान रखता है। प्रदेश के वन क्षेत्र, इमारती लकड़ी के अतिरिक्त बाँस, लघु वनोपज, औषधीय पौधों तथा वन्य जीवों से परिपूर्ण हैं।
राज्य द्वारा वन्यजीव संरक्षण को उच्च प्राथमिकता दी गई है। प्रदेश में वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों का क्षेत्रफल लगभग 11 हज़ार 200 वर्ग किलोमीटर है। प्रदेश में 11 राष्ट्रीय उद्यान एवं 24 वन्यप्राणी अभयारण्य हैं। वन्य प्राणी संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय उद्यान तथा बफर क्षेत्रों में वन्य जीव, वन्य प्राणी मानव संघर्ष को रोकने हेतु लगभग 3 हज़ार किलोमीटर वन सीमा में फेन्सिंग कार्य किया जायेगा।
प्रदेश में स्थित 09 टाइगर रिज़र्व के बफर क्षेत्रों में स्थित ग्रामों का प्रबंधन, प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र के लिए बनाई गई प्रबंध योजनाओं के आधार पर किया जाता है। इन योजनाओं में मुख्यतः परिस्थितिकीय विकास, कौशल उन्नयन कार्य, हैबीटेट सुधार, अग्नि सुरक्षा, वन सुरक्षा, जल स्रोतों का विकास, संरचनाओं का निर्माण एवं उनका रखरखाव आदि कार्य किए जाते हैं। इसके साथ ही वन्य प्राणियों को उनकी जीवनशैली अनुसार वातावरण एवं उचित देखभाल के उद्देश्य से प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में चिड़ियाघर तथा बचाव केन्द्र स्थापित किया जाना प्रस्तावित है।
धार ज़िले में ”डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान” तथा डिंडोरी ज़िले के “घुघवा जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान” का पुनर्नवीकरण कर महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किये जायेंगे। हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि तकनीकी सहयोग से वनों के विषय में जागरुकता बढ़ाने, वानिकी गतिविधियों का विस्तार, वन्य जीवों के संरक्षण और वनाश्रित जन समुदाय की लघु वनोपज आधारित आजीविका सम्वर्द्धन हेतु वन विज्ञान केन्द्र की स्थापना की जायेगी।
प्रदेश की जीवन रेखा माँ नर्मदा के तटों के 10 किलोमीटर तक वन भूमि में पर्यावरण संरक्षण हेतु ”अविरल निर्मल नर्मदा योजना” प्रस्तावित है। योजना अन्तर्गत, वन भूमि में पौधा रोपण द्वारा जलवायु प्रबंधन के संभावित खतरों पर नियंत्रण तथा प्रकृति का मूल वैभव पुनर्स्थापित किया जाएगा। नर्मदा परिक्रमा पथ पर धर्मार्थियों हेतु सुविधाओं का विकास किया जाएगा तथा नर्मदा के निकटवर्ती कृषि क्षेत्रों में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा।
वन एवं पर्यावरण क्षेत्र के लिए रुपए 5 हज़ार 668 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है जो कि गत वर्ष की तुलना में रुपए 459 करोड़ अधिक है।
प्रदेश में कोयला, चूना पत्थर, ताँबा, मैगनीज़, लौह, बॉक्साईट एवं रॉक फास्फेट आदि प्रमुख अयस्कों तथा खनिजों का खनन किया जाता है। वित्त वर्ष 2023-24 में ताम्र अयस्क एवं मैगनीज़ के उत्पादन में प्रदेश पहले स्थान पर रहा है। रॉक फॉस्फेट एवं चूना पत्थर में प्रदेश का दूसरा एवं कोयला उत्पादन में चौथा स्थान है। लौह अयस्क एवं बॉक्साईट के उत्पादन में प्रदेश का स्थान छठवाँ है।
खनिजों के संरक्षण, अन्वेषण व विधिमान्य नियमों के अंतर्गत खनिजों के दोहन पर सतत निगरानी रखी जा रही है। इससे प्रदेश की आय में वृद्धि तथा नए खनिज संपदा की खोज का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। वर्तमान में प्रदेश में लाईमस्टोन, बॉक्साइट, ग्रेफाइट, कॉपर, वेनेडियम, टंग्स्टन, गोल्ड आदि के 32 अन्वेषण कार्य किए जा रहे हैं ।
शासकीय कार्यप्रणाली में नवाचार व सुधार
हमारी सरकार पारदर्शी, उत्तरदायी एवं तत्पर कार्य प्रणाली की सरकार है। मिशन कर्मयोगी के अंतर्गत प्रदेश के समस्त शासकीय सेवकों के प्रशिक्षण हेतु विभागों द्वारा योजनाबद्ध रूप से कार्य किया जा रहा है।
शासकीय सेवा के एन.पी.एस. अभिदाताओं को, उनके अंशदान निवेश विकल्प को विस्तारित किया जाकर पेंशन फण्ड मैनेजर के चयन की अधिकारिता उपलब्ध कराई गई है। भारत सरकार द्वारा 01 अप्रैल 2025 से वैकल्पिक रूप से प्रारंभ की जा रही यूनीफाइड पेंशन योजना को प्रदेश में लागू किए जाने की प्रक्रिया पर विचार के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाएगी।
सेवानिवृत्त होने पर पेंशन निर्धारण की ऑनलाइन प्रणाली के अन्तर्गत पेपरलेस व्यवस्था लागू है। वर्तमान पेंशन निर्धारण प्रक्रिया को केन्द्रीकृत तथा फेसलेस किया जाएगा, जिससे प्रदेश के किसी भी स्थान अथवा कार्यालय से सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेंशन निर्धारण की कार्यवाही केन्द्रीकृत कार्यालय में पदस्थ किसी भी अधिकारी द्वारा संपादित हो सकेगी।
शासकीय सेवकों के लिए लागू होने वाले विभिन्न सेवा एवं वित्तीय नियम बहुत पुराने होने से, उनके अनुप्रयोग में होने वाली कठिनाई एवं वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप उनके अद्यतनीकरण का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है।
हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि शासकीय सेवकों को वर्तमान में देय भत्तों का पुनरीक्षण, 01 अप्रैल 2025 से सातवें वेतनमान के सुसंगत स्तरों के अनुसार किया जाएगा।
माननीय महोदय, मैं आपके माध्यम से प्रदेश के समस्त शासकीय, अर्द्धशासकीय एवं स्वायत्त संस्थानों में कार्यरत कार्मिकों का आभार व धन्यवाद करना चाहूँगा कि शासन के सभी कार्यक्रमों एवं योजनाओं में उनका सराहनीय योगदान सदैव प्राप्त होता है। यह हमारी सरकार एवं कार्मिकों के मध्य विश्वास एवं समन्वय का अप्रतिम उदाहरण है।
मुझे विश्वास है कि, हम सभी मिलकर, हमारे प्रदेश को ऐसा आदर्श प्रदेश बनायेंगे जो अन्य प्रदेशों के लिए प्रेरणादायक हो, आकर्षण का केन्द्र हो एवं जो हमारे प्रदेश की योजनायें व उनके सफल क्रियान्वयन की प्रक्रिया को जानने की उत्सुकता पैदा करे।
कर-प्रस्ताव
गत वर्ष के बजट की तरह इस बजट में भी कोई नवीन कर अधिरोपित करने अथवा किसी भी कर की दर बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं है।
पुनरीक्षित अनुमान वर्ष 2024-25
वित्त वर्ष 2024-25 के पुनरीक्षित अनुमान के अनुसार कुल राजस्व प्राप्तियाँ रुपये 2 लाख 62 हज़ार 9 करोड़ तथा राजस्व व्यय रुपये 2 लाख 60 हज़ार 983 करोड़ अनुमानित हैं। राजस्व आधिक्य का पुनरीक्षित अनुमान रुपये 1 हज़ार 26 करोड़ है। माननीय प्रधानमंत्री जी के हम आभारी हैं कि केन्द्रीय करों से हिस्से के रुप में बजट अनुमान की तुलना में रुपये 5 हज़ार 267 करोड़ की राशि अधिक प्राप्त हुई।
राजकोषीय घाटे का पुनरीक्षित अनुमान रुपए 62 हज़ार 434 करोड़ है जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 4.15 प्रतिशत है, जिसमें भारत सरकार द्वारा पूँजीगत निवेश के लिए विशेष सहायता योजना में प्रदत्त ऋण तथा वर्ष 2021-22 से वर्ष 2023-24 की अनुपयोगित ऋण राशि शामिल है।
बजट अनुमान वर्ष 2025-26
राजस्व प्राप्तियां
वर्ष 2025-26 में कुल राजस्व प्राप्तियों का बजट अनुमान रुपए 2 लाख 90 हज़ार 879 करोड़ है। राजस्व प्राप्तियों में राज्य करों से प्राप्तियाँ, रुपए 1 लाख 9 हज़ार 157 करोड़ तथा केन्द्रीय करों में प्रदेश के हिस्से के अंतर्गत प्राप्तियाँ, रुपए 1 लाख 11 हज़ार 662 करोड़ अनुमानित हैं। कर भिन्न राजस्व प्राप्तियाँ, रुपए 21 हज़ार 399 करोड़ तथा केन्द्र सरकार से सहायक अनुदान अंतर्गत प्राप्तियाँ, रुपए 48 हज़ार 661 करोड़ अनुमानित हैं।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रदेश के स्वयं के कर राजस्व एवं गैर कर राजस्व में, वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान की तुलना में लगभग 6.4 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान है।
राजस्व प्राप्तियों का वर्ष 2024-25 का बजट अनुमान रुपए 2 लाख 63 हज़ार 344 करोड़ रहा है, जिसमें रुपए 27 हज़ार 535 करोड़ की वृद्धि कर वर्ष 2025-26 के लिये रुपए 2 लाख 90 हज़ार 879 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
कुल व्यय
वर्ष 2025-26 के लिये कुल विनियोग की राशि रुपए 4 लाख 21 हज़ार 32 करोड़, राजस्व व्यय रुपए 2 लाख 90 हज़ार 261 करोड़ तथा पूंजीगत परिव्यय रुपए 85 हज़ार 76 करोड़ प्रस्तावित है। सामाजिक, आर्थिक उत्थान की योजनाओं के लिये वर्ष 2025-26 के लिये समग्र रूप से बजट अनुमान रुपए 2 लाख 01 हज़ार 282 करोड़ है। मुख्य शीर्षवार बजट अनुमान खण्ड-1 में उपलब्ध है।
वर्ष 2024-25 का कुल व्यय बजट अनुमान रुपए 3 लाख 26 हज़ार 383 करोड़ का है, जिसमें रुपए 48 हज़ार 954 करोड़ की वृद्धि कर वर्ष 2025-26 के लिये रुपए 3 लाख 75 हज़ार 337 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।
शुद्ध लेन-देन
शुद्ध लेन-देन के लिये वर्ष 2024-25 का बजट अनुमान रुपए 3 हज़ार 810 करोड़ का है। वर्ष 2025-26 की कुल प्राप्तियां रुपए 3 लाख 75 हज़ार 340 करोड़ तथा कुल व्यय रुपए 3 लाख 75 हज़ार 337 करोड़ अनुमानित होने से वर्ष 2025-26 का शुद्ध लेन-देन रुपये 2 करोड़ 96 लाख अनुमानित है।
राजकोषीय स्थिति
राजकोषीय घाटे की सामान्य सीमा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की 3 प्रतिशत है। भारत सरकार द्वारा पूँजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना में वर्ष 2025-26 के लिये रुपये 11 हज़ार करोड़ दीर्घकालिक ब्याज रहित ऋण सहायता (राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 0.65 प्रतिशत) प्राप्त होने का अनुमान है, जो राजकोषीय घाटे की सीमा से पृथक है। साथ ही भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार वर्ष 2021-22 से वर्ष 2023-24 में राज्य द्वारा अनुपयोगित ऋण सीमा (राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 1.01 प्रतिशत), जो राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम द्वारा निर्धारित सीमा के अतिरिक्त है, का उपयोग वित्त वर्ष 2025-26 में किया जाना प्रस्तावित है। उपरोक्त को ध्यान में रखकर यह बजट अनुमान तैयार किया गया है।
वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटा रुपए 78 हज़ार 902 करोड़ अनुमानित है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.66 प्रतिशत है। वर्ष 2025-26 में रुपये 618 करोड़ का राजस्व आधिक्य अनुमानित है।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए राज्यों के राजकोषीय सुधार विषयक प्रतिवेदन में मध्यप्रदेश को सर्वश्रेष्ठ-A रेटिंग दी गई है। इसी प्रतिवेदन में मध्यप्रदेश के द्वारा विकास एवं सामाजिक क्षेत्र में किया गया व्यय तथा व्यय की गुणवत्ता के मानकों में राष्ट्रीय औसत से अधिक होना, उल्लेखित किया गया है। भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा राज्यों के फिस्कल हेल्थ इंडेक्स संबंधी प्रतिवेदन में, बजट राशि के व्यय की गुणवत्ता की दृष्टि से, मध्यप्रदेश राज्य, देश में प्रथम स्थान पर है।
मैं बजट भाषण का समापन इस भावना के साथ करना चाहूँगा कि हमारा प्रदेश देश के मध्य में है, इसलिए सबका है, हृदय भाग में है, इसलिए सबके लिए है। आज प्रस्तुत बजट प्रस्ताव, प्रदेश को विकास का स्वर्ण मुकुट पहनाकर आकाश छूने की समृद्ध कामना रखता है। यह बजट हमारे दिव्य प्रदेश को प्रणाम भर है।
उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने मुख्यमंत्री, मंत्रि-परिषद के साथियों, विधायकों, उद्योग व व्यवसाय जगत के महानुभावों एवं अर्थशास्त्रियों का आभारी हूँ, जिनके परामर्श से बजट को सर्व हितकारी स्वरूप दिया जा सका है। वित्त विभाग के समस्त अधिकारियों एवं कार्मिकों का भी आभारी हूँ, जिन्होंने अथक परिश्रम व प्रतिबद्धता से बजट को तैयार करने में सहयोग किया है।
उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने अंता में कहा की मैं हमारी सरकार के बजट प्रस्ताव को इन शुभ भावों के साथ सदन को सौंप रहा हूँ:-
आँकड़े नहीं, विश्वास लिखा है,
हमने अब आकाश लिखा है।
जय हिन्द, जय मध्यप्रदेश
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