“राइट टू वाटर’’ के द्वारा प्रदेश की जनता को स्वच्छ जल प्रदान करने के लिए कमलनाथ सरकार ने उठाया गंभीर और ऐतिहासिक कदम

“राइट टू वाटर’’ के द्वारा प्रदेश की जनता को स्वच्छ जल प्रदान करने के लिए कमलनाथ सरकार ने उठाया गंभीर और ऐतिहासिक कदम

जनता को पानी उपलब्घ कराने में नाकाम रही पिछली शिवराज सरकार के समय बलराम तालाबों और बुंदेलखंड पैकेज में हुआ था भारी भ्रष्टाचार

विरोध करने की बजाय ‘‘राइट टू वाटर’’ जैसे ऐतिहासिक व जनहितैषी कदम का स्वागत और समर्थन करे भाजपा : शोभा ओझा

भोपाल, 11 फरवरी, 2020
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने वक्तव्य में कहा कि ‘‘राइट टू वाटर’’ और स्वच्छ जल को लेकर मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी के नेतृत्व में भोपाल के मिंटो हाॅल में हुई कार्यशाला में पानी को सहेजने, भूजल स्त्रोतों को पुनर्जीवित एवं संरक्षित करने तथा पानी के दुरूपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने पर हुई गंभीर चर्चा से जहां जनता को स्वच्छ जल प्रदान करने के लिए कमलनाथ सरकार की प्रतिबद्धता सामने आई है, वहीं बलराम तालाबों और बुंदेलखंड पैकेज में हुए बडे़ भ्रष्टाचारों के मद्देनजर, इस मुद्दे पर पिछली शिवराज सरकार के अगंभीर रवैये के साथ ही, उसका भ्रष्टाचारी चेहरा और असली नीयत भी बहुत पहले ही उजागर हो गई थी।

आज जारी अपने वक्तव्य में उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए श्रीमती शोभा ओझा ने कहा कि ‘‘राइट टू वाटर’’ योजना लागू करने के साथ ही मध्यप्रदेश ऐसा पहला और अकेला राज्य बन गया है, जिसने अपने नागरिकों के लिए पानी की न्यूनतम उपलब्धता का अधिकार सुनिश्चित किया है। इस योजना के लागू होने के बाद प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को न्यूनतम 55 लीटर स्वच्छ जल मिलने लगेगा। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित कमलनाथ सरकार के सराहनीय प्रयासों की प्रशंसा प्रख्यात जल विशेषज्ञ श्री राजेन्द्र सिंह जैसे लोगों द्वारा भी किया जाना इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार की गंभीरता का जीवंत प्रमाण है।

अपने वक्तव्य में कांग्रेस की प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना करने के साथ ही श्रीमती शोभा ओझा ने कहा कि इसके ठीक विपरीत पिछली सरकार के द्वारा प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में लागू की गई बलराम तालाब योजना जहां पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई, वहीं केन्द्र सरकार के द्वारा बुंदेलखंड पैकेज के नाम पर दिये गए मध्यप्रदेश के हिस्से के 3860 करोड़ रूपये की जिस तरह से सरकारी संरक्षण में बंदरबांट की गई, उसी का यह परिणाम है कि बुंदेलखंड की पानी की समस्या आज तक हल नहीं हो पाई है।

अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि प्रदेश के नागरिकों को स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कमलनाथ सरकार की महत्वाकांक्षी ‘‘राइट टू वाटर’’ योजना का अकारण विरोध और उसके विरूद्ध आधारहीन दुष्प्रचार करने की बजाय भाजपा को चाहिए कि वह प्रदेश की जनता के हित में उठाए गए इस ऐतिहासिक कदम का समर्थन करने के लिए आगे आये।‘

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