केंद्रीय बजट से केवल शेयर बाजार ही नहीं, पूरे देश में है हताशा और निराशा का माहौल
नोटबंदी और अव्यावहारिक जीएसटी जैसे तुगलकी निर्णयों की “मोदीनॉमिक्स” का खामियाजा भुगत रहा है देश : शोभा ओझा
भोपाल, 1 फरवरी 2020
मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा आज संसद में प्रस्तुत आम बजट को घोर निराशाजनक, जुमलों की बौछार और झूठ का पुलिंदा निरूपित करते हुए कहा कि अब तक के सबसे लंबे बजट भाषण में देश की चरमराई अर्थव्यवस्था, किसानों और बेरोजगारों के लिए न तो कोई राहतकारी घोषणा हुई और न ही यह बताया गया कि पिछले जुमला-बजटों से देश को क्या हासिल हुआ, किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य कहां तक पहुंचा, नोटबंदी के बाद आतंकवाद की कमर कितनी टूटी, कितना काला धन प्राप्त हुआ, किसानों की आत्महत्याएं कितनी रुकीं और एयर इंडिया, रेलवे, भारत पेट्रोलियम, आईडीबीआई और एलआईसी जैसे महत्वपूर्ण संस्थान बिकने की कगार पर क्यों और कैसे आ पहुंचे हैं ?
आज जारी अपने वक्तव्य में केंद्रीय बजट पर उक्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा दिए गए लंबे और निराशाजनक भाषण में “रोजगार” शब्द का जिक्र तक नहीं था, 5 नए स्मार्ट सिटी बनाने की बेशर्म घोषणा करने के साथ उन्होंने यह नहीं बताया कि 2015 के बजट भाषण में घोषित 100 स्मार्ट सिटी आखिर कहां हैं? गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों की संख्या आखिर इतनी कैसे बढ़ गई? वर्ष 2024 तक इस देश को 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य आखिर वर्तमान 4.5 – 5 प्रतिशत की जीडीपी दर के साथ आखिर कैसे पूरा होगा? मोदी सरकार अब तक के कार्यकाल में कितने लोगों को रोजगार दे पाई? वर्ष 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की कृषि विकास दर चाहिए तो फिर वह लक्ष्य वर्तमान की 1.1 प्रतिशत की सालाना दर से कैसे हासिल हो पाएगा? नि:शक्तजनों के लिए बजट में कोई प्रावधान क्यों नहीं किया गया है? मोदी सरकार द्वारा पिछले वर्षों में लादा गया अवांछित “लाँग टर्म कैपिटल गेन टैक्स” क्यों नहीं हटाया गया? बजट पेश करने के दौरान सेंसेक्स 700 अंक क्यों गिरा? इन सब सवालों के जवाब भी यह देश अपनी वित्त मंत्री से जानने को उत्सुक है।
अपने बयान में श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि जहां तक इंकम टैक्स में राहत देने की बात है तो वह भी मोदी सरकार की नई “बाजीगरी” है, इसमें यदि कोई इंकम टैक्स के नए प्रावधानों का लाभ लेना चाहता है तो उसे पुराने टैक्स स्लैब की सभी छूटें छोड़नी पड़ेंगी, यही वह चिर-परिचित “मोदीनॉमिक्स” है, जिसे देश वर्ष 2014 के बाद से अब तक झेल रहा है। नए इन्कम टैक्स प्रावधानों से बैंकों, निर्माण क्षेत्र, बीमा, मेडिक्लेम, यूलिप, म्यूचुअल फंडों और छोटी बचतों पर निर्मम प्रहार किया गया है।
श्रीमती ओझा ने अपने बयान में यह भी कहा कि पिछले 20 वर्षों में यह पहला मौका है, जब इनकम टैक्स कलेक्शन में भारी कमी आई है, प्रत्यक्ष कर संग्रह 43 प्रतिशत घट गया है, जीएसटी संग्रह 50000 करोड़ रुपए से पीछे चल रहा है, दोनों से देश को लगभग ढाई लाख करोड़ का घाटा होने वाला है, साफ है कि आम नागरिकों की सालाना आमदनी में निराशाजनक गिरावट आई है, जिसके लिए नोटबंदी और अव्यावहारिक जीएसटी जैसे मोदी सरकार के तुगलकी फैसले पूरी तरह से जिम्मेदार हैं और वित्त मंत्री द्वारा पेश किये गये वर्तमान बजट में इस मुद्दे का कोई समाधान प्रस्तुत नहीं किया गया है।
श्रीमती ओझा ने अपने बयान में आगे कहा कि उपरोक्त तथ्यों के अलावा वर्ष 2019-20 के बजट में महिला सशक्तिकरण के लिए आवंटित कुल राशि का लगभग 85 प्रतिशत, बेटी बचाओ का 84 प्रतिशत, महिला कल्याण और निर्भया फंड का पूरा 100 प्रतिशत, उज्जवला योजना का 71 प्रतिशत, कामकाजी महिला छात्रावास योजना का 88 प्रतिशत, विधवा महिलाओं की आश्रय योजना का 100 प्रतिशत और राष्ट्रीय पोषण मिशन की 68 प्रतिशत राशि का उपयोग ही नहीं किया गया, इससे साफ जाहिर है कि मोदी सरकार के लिए महिला कल्याण की बातें एक जुमला हैं, महिला सशक्तिकरण कोरा झूठ है, बेटी बचाओ और उज्ज्वला योजना एक झांसा है और पोषण मिशन जैसे शब्द पूरी तरह से खोखले हैं।
अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि आज प्रस्तुत केंद्रीय बजट से न केवल शेयर बाजार बल्कि पूरे देश में ही हताशा और निराशा का माहौल है, पूरे बजट में देश की भयावह बेरोजगारी को दूर करने के लिए किसी ठोस प्रावधान का कोई जिक्र तक नहीं किया गया है, साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी सहित उनके पूरे मंत्रिमंडल को केवल मुंह चलाने में महारत हासिल है और उनसे सरकार चलाने की अपेक्षा करना बिल्कुल बेमानी है।