भाजपा ऐसे संवेदनशील विषयों पर राजनीति से बाज आये, पहले अपने कार्यकाल के आंकड़े देखें, कांग्रेस ने खोली पोल: नरेंद्र सलूजा
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प्रदेश के शहडोल में हुई नवजात बच्चों की मौत की घटना बेहद दुखद,
मुख्यमंत्री जी ने गंभीर चिंता जताते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए और
ऐसी घटनाओं की रोकथाम को लेकर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश भी दिए
भाजपा ऐसे संवेदनशील विषयों पर राजनीति से बाज आये, पहले अपने कार्यकाल के आंकड़े देखें, कांग्रेस ने खोली पोल: नरेंद्र सलूजा
भोपाल, 15 जनवरी 2020
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने बताया कि 2 दिन पूर्व शहडोल में 6 मासूम बच्चों की हुई दुखद मौत की घटना को मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने गंभीरता से लेते हुए तत्काल इसकी जांच के आदेश दिये और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने को लेकर आवश्यक कड़े कदम उठाने के निर्देश भी जारी किए हैं लेकिन भाजपा ऐसे संवेदनशील विषयों पर भी राजनीति कर रही है।
सलूजा ने बताया कि नवजात शिशुओं की मौत निश्चित तौर पर एक दुखद घटना है, सरकार इसको लेकर गंभीर है और यह राजनीति का विषय भी नहीं है लेकिन जिस तरह से भाजपा निरंतर इस पर राजनीति कर रही है, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लेकर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव इस मुद्दे पर बयानबाजी कर सरकार को कोस रहे हैं तो उन्हें पहले अपनी सरकार के समय की ऐसी घटनाओं के आंकड़े देख लेना चाहिए फिर ऐसे मुद्दों पर राजनीति करना चाहिए।
कांग्रेस का मानना है कि ऐसी घटनाएं दुखद होती है और इस पर सरकारों के बीच तुलना भी नहीं होनी चाहिए और इस पर राजनीति भी नहीं होना चाहिए लेकिन भाजपा ऐसे संवेदनशील विषयों को भी राजनीति का विषय बना रही है, इसलिए जरूरी हो गया है कि उनकी सरकार की वास्तविकता की पोल जनता के बीच खोली जावे।
सलूजा ने बताया कि शिवराज सरकार के समय उस समय की प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस ने खुद तत्कालीन विधायक रामनिवास रावत के एक प्रश्न के जवाब में स्वीकारा था कि मध्यप्रदेश में हर दिन 74.45 बच्चों की मौत होती है, प्रति घंटा 3 से ज्यादा बच्चों की मौत कुपोषण व बीमारियों के चलते होती है।
1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2017 के 396 दिनों में 29410 बच्चों की मौत हुई थी, यह खुद महिला बाल विकास मंत्री ने विधानसभा में स्वीकारा था। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने यह भी स्वीकारा था कि मध्य प्रदेश की राजधानी में इन 396 दिनों में 1704 बच्चों की मौत हुई थी।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में विधानसभा में खुद महिला बाल विकास विभाग ने स्वीकारा था कि अप्रैल 2017 से सितंबर 2017 के बीच 1 साल से कम उम्र के 13843 बच्चों की मौत हुई है और 1 वर्ष से 5 वर्ष के बीच की उम्र के 3047 बच्चों की मौत हुई है, जिसका कारण निमोनिया, डायरिया, बुखार, मिजल्स आदि बीमारियां हैं।यह सभी आँकड़े शिवराज सरकार के समय के है और उसके बावजूद भाजपा के नेता इस संवेदनशील विषय पर राजनीति कर रहे है, उन्हें इस पर राजनीति से बाज आना चाहिये।