किसानों के हर पल साथ-कमलनाथ,
नफरत, नकारात्मकता और निराशा से भरा विपक्ष: अभय दुबे
भोपाल, 18 दिसम्बर, 2019
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने बताया है कि निराश विपक्ष आजकल रोज अपनी हताशा का प्रदर्शन कर रहा है। भाजपा नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान सत्ता में होते हुए किसानों के सीने को गोलियांे से छलनी करते हैं और प्रतिपक्ष में आते ही उनके प्रति अपना छद्म दर्द छलकाते हैं।
श्री दुबे ने बताया कि आज प्रतिपक्ष ने किसानों के विषयों को लेकर कुछ तथ्यहीन बातें मीडिया के सम्मुख रखी हैं। जिसमें किसान कर्ज माफी, यूरिया, गेहूं का बोनस, अतिवृष्टि का मुआवजा प्रमुख है। हम प्रदेश की जनता के सामने उपरोक्त विषयों के तथ्यात्मक उत्तर देने चाहते हैं तथा प्रतिपक्ष से कुछ प्रश्न करना चाहते हैं।
आश्चर्यजनक रूप से शिवराजसिंह चैहान जी ने आज बिजली के बिलों के बारे में कोई बात नहीं की, क्योंकि वे जानते हैं कि जिस प्रकार उन्होंने सागर में एक बुजुर्ग महिला के गले में बिजली के बिलों की माला डाली थी और उनका झूठ पकड़ा गया तथा पूरी भाजपा को उन्होंने शर्मसार किया, इसलिए भी शायद उन्होंने बिजली के बिलों पर कोई बात नहीं की।
यूरिया:- सच्चाई यह है कि मध्यप्रदेश में विगत वर्ष कांगे्रस की सरकार बनाने में अन्नदाता किसानों की बड़ी भूमिका थी, यही बात शिवराजसिंह जी को अब तक खल रही है और वे किसानों से प्रतिशोध की आग में जल रहे हैं। रबी सीजन 2018-19 में दिसम्बर माह में शिवराजसिंह चैहान के इशारे पर केंद्र सरकार ने 3 लाख 70 हजार मैट्रिक टन यूरिया के आवंटन के एवज में सिर्फ 1 लाख 65 हजार मैट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति की थी। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने किसानों के हित में तुरंत मोर्चा संभाला और तीन दिन तक दिल्ली रूककर यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करायी। इस बार भी रबी सीजन 2019-20 में अच्छे मानसून के फलस्वरूप पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक बोवनी संभावना है। इसके दृष्टिगत केंद्र से 18 लाख मैट्रिक टन यूरिया की मांग की थी, मगर केंद्र ने 15 लाख 40 हजार मैट्रिक टन ही स्वीकृत किया। अक्टूबर माह में 4 लाख 25 हजार मैट्रिक टन यूरिया केंद्र से आना था, मगर आया 2 लाख 98 हजार मैट्रिक टन, नवम्बर माह में 4 लाख 50 हजार मैट्रिक टन यूरिया आना था, मगर आया 4 लाख मैट्रिक टन, दिसम्बर माह में 4 लाख 25 हजार मैट्रिक टन यूरिया केंद्र से अपेक्षित है और उम्मीद है कि जिस प्रकार प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा जी ने आश्वासन दिया है उसे पूरा करंेगे कि इस माह का पूरा अलोकेशन और पिछले माह की जो कमी है वो भी पूरी की जाएगी और अतिरिक्त यूरिया, जितना प्रदेश को लगेगा उसकी आपूर्ति भी की जायेगी।
देश के कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर जी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी को लिखते हैं कि यूरिया की परेशानी इसलिए है कि राज्य सरकार ने 80-20 का फार्मूला तय किया है अर्थात 80 प्रतिशत सहकारी समितियों से और 20 प्रतिशत निजी क्षेत्र से यूरिया का वितरण। श्री तोमर यह भूल जाते हैं कि पिछली भाजपा सरकार ने भी 28 जनवरी, 2015 को पत्र क्र. / बी-9-1/14/14-2 के माध्यम से यह आदेश जारी किया था कि खरीफ के लिये यूरिया 80 प्रतिशत संस्थाओं के माध्यम से तथा 20 प्रतिशत निजी क्षेत्र से वितरित किया जाये। इसी प्रकार रबी सीजन 2015-16 में भी 14 सितम्बर 2015 को 80-20 का फार्मूला तय किया था। इसी प्रकार 2016-17 में भी 75-25 और 10 जनवरी 2018 को भी 75-25 के फार्मूले से ही यूरिया का वितरण किया गया था।
किसान कर्जमाफी:- ज्ञातव्य है कि शिवराजसिंह चैहान जी की सरकार ने मध्यप्रदेश के खजाने को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया एवं अपनी प्रसिद्धी पर बर्बरतापूर्वक खर्च किया। हालात ये थे कि जब भाजपा सरकार गई तब पहले अनुरूपक बजट को देखने पर ज्ञात होता है कि न सिर्फ प्रदेश में 8 हजार करोड़ रूपयों का रेवेन्यु डेफिसिट था, बल्कि 1 लाख 87 हजार करोड़ का कर्ज भी था। इसके बावजूद प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने किसानों के पक्ष में कर्ज माफी का बड़ा फैसला लिया और तत्काल 20 लाख 22 हजार किसानों का 7100 करोड़ रूपयों का कर्ज माफ किया।
अब दूसरे चरण में 12 लाख किसानों का 11 हजार करोड़ रूपयों का कर्ज माफ करना प्रारंभ किया जा रहा है। कांगे्रस की सरकार वचनबद्ध है 2 लाख रूपये तक का चयनित सभी किसानों का कर्ज पूरी तरह माफ किया जायेगा।
शिवराजसिंह जी को तो इस बात का जबाव देना चाहिए कि वर्ष 2008 के चुनाव में उनकी पार्टी ने 50 हजार रूपये तक की किसान कर्जमाफी की घोषणा की थी, जिसे उन्होंने दस सालों में भी पूरा नहीं किया।
गेहंू का बोनस:- शिवराजजी किसानों से प्रतिशोध की आग में इतना जल रहे हैं और केंद्र पर दबाव बनाकर प्रदेश के किसानों को छल रहे हैं। हाल ही में एक बड़ा कुठाराघात मध्यप्रदेश के अन्नदाताओं के साथ केन्द्र सरकार द्वारा किया गया है। बीते दिनों केन्द्र सरकार के उभोक्ता मामले के मंत्रालय ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदे गए 73.7 लाख मेट्रिक टन गेहूँ में से 6.45 लाख मेट्रिक टन गेहूँ का पैसा देने से साफ इंकार कर दिया है। अर्थात लगभग 1400 करोड़ रूपये का भार मध्यप्रदेश पर डाल दिया है। उन्होंने कहा है कि चूँकि किसानों को मध्यप्रदेश की सरकार ने समर्थन मूल्य के ऊपर 160 रुपये प्रोत्साहन राशि की घोषणा की है इसलिए वे उतना ही गेहूँ मध्यप्रदेश से लेंगे जितना सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए लगता है। मोदी सरकार ने आते ही 2014 के जून माह में देश के सभी राज्यों को यह सरक्युलर भेजा था कि कोई भी राज्य समर्थन मूल्य के ऊपर प्रोत्साहन राशि की घोषणा ना करे। मगर मध्यप्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने प्रोत्साहन राशि की घोषणा की मगर उनकी अतिरिक्त खरीद पर केन्द्र ने कोई कार्यवाही नहीं की थी। अब चूँकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार है इसलिए किसानों के हक पर यह हल्ला बोला गया है।
पहले ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने जो गेहूँ पर प्रोत्साहन राशि की घोषणा की है, उससे किसानों को लगभग 1200 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश सरकार अपने पास से देगी और केन्द्र सरकार के इस कुठाराघात से मध्यप्रदेश का किसान बेहद आहत है।
अतिवृष्टि का मुआवजा:-
बीते दिनों मध्यप्रदेष में अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रदेष के 55 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर में फसलों को क्षति पहुँची, लगभग 1 लाख 20 हजार घर क्षतिग्रस्त हुए, 11 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों को नुकसान पहुँचा। 19735 स्कूल बिल्ंिडगों, 218 छात्रावासों, 230 स्वास्थ्य केन्द्रों, 17106 आँगनवाड़ियों को इस भीषण प्राकृतिक आपदा से क्षति पहुँची थी जिसके लिये देष के प्रधानमंत्रीजी को स्वयं मुख्यमंत्रीजी ने एक विस्तृत ज्ञापन सौंपकर 6621.28 करोड़ रुपये की माँग की थी। लम्बे समय तक तो इस माँग को अनदेखा कर हाल ही में मात्र एक हजार करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। जबकि प्रदेश सरकार अपनी ओर से लगभग 1400 करोड़ रूपये राहत कार्य में खर्च कर रही है। शिवराज जी, प्रदेश के पक्ष में क्या आपने एक भी बार केंद्र की भाजपा सरकार से बात की?
प्रधानमंत्री फसल बीमा:- शिवराजसिंह चैहान जी ने किसानों को किस हद तक छला है, इसका एक बड़ा उदाहरण और सामने आया है। किसानों के लिये इतनी विपरीत परिस्थिति में खरीफ 2019 की प्रधानमंत्री फसल बीमा का केन्द्र का हिस्सा रोक दिया गया, जबकि राज्य का अंष 509.60 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने पहले ही भेज दिया था। अपने पत्र मेें केन्द्र ने कहा कि पूर्ववर्ती षिवराजसिंह चैहान सरकार ने रबी सीजन 2017-18 का राज्यांष 165 करोड़ रुपये, खरीफ 2018 का 1772 करोड़ तथा रबी सीजन 2018-19 का 424 करोड़ अर्थात् कुल 2301 करोड़ रुपये का राज्यांष आज दिनांक तक नहीं भेजा है इसलिये पहले पुरानी राषि का भुगतान कीजिये तब ही वर्तमान फसल बीमा का केन्द्रांष भेजा जायेगा।
अंततः ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिपक्ष, यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की चुनौतियों को अवसर में तब्दील करने के प्रयासों से पीड़ित है उन्हें अपना आधार खिसकता नजर आ रहा है और शायद यही निराशा उन्हें इतनी नकारात्मक राजनीति के लिए बाध्य कर रही है, जो न तो प्रदेश के हित में है और न ही उनके राजनैतिक दल के भविष्य के लिए।