सहजता और सादगी को समर्पित राजनेता कमलनाथ

सहजता और सादगी को समर्पित राजनेता कमलनाथ

सामान्‍यत भारत में विशेषकर मध्‍यप्रदेश में राजनैतिक क्षेत्र में आपना योगदान देने वाले व्‍यक्तियों के बारे में अलग अलग राय होती है। नेताओं की कार्यशैली और उनका जीवन जीने का तरीका व चरित्र उनके व्‍यक्तित्‍व को परिलक्षित करता है। नागरिक इन्‍ही गुणों पर उनके बारे में धारणा कायम करता है। उसकी कार्यशैली ही उसकी सबसे बड़ी साक्षी होती है। भारतीय राजनीति में ऐसे अनेक उदाहरण मिले हैं जिसमें सीधे, सहज, सरल और ईमानदार देखने वाले नेता पद पर पहुंचने के बाद आम आदमी से दूर होते जाते हैं।

मुख्यमंत्री कमलनाथ अब तक के मुख्यमंत्रियों में अलग कार्य शैली के मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ सिंपल कुर्ता-पजामे में ही अधिकांश कार्यक्रम में शिरकत करते हैं। यहां तक कि पिछले दिनों इंदौर में हुई उद्योगपतियों की समिट में भी वे कुर्ते-पजामे में ही नजर आए। जबकि आर्थिक रूप से वो मध्‍यप्रदेश में जितने भी मुख्‍यमंत्री हुए उनमें सबसे सक्षम मुख्‍यमंत्री के रूप में शुमार होते हैं। वे एक ओर जहां वर्ल्‍ड इकोनोमी फोरम के सदस्‍य है तो एक ओर देश के और अंर्तराष्‍ट्रीय जगत के उद्योगपतियों से संबंध है लेकिन वे सादगी को ज्‍यादा अपने जीवन में तरजीह देते हैं जिसका उदाहरण राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता समय समय पर पेश करते हैं।

कमलनाथ जी बताते हैं कि राजनीति में काफी कुछ त्‍यागना पडता है और त्‍याग का परिणाम है कि वे सफेद कुर्ता पजामा में रहते हैं वे सभी मौसमें चाहे सर्दी हो या बारिश। इस उम्र में भी कुर्ता पजामा में ही रहते हैं वे किस्‍सा सुनाते हैं कि एक मर्तबा अपने पुत्र से कहा कि मैं आज आपको आपके स्‍कूल लेने आउंगा, पुत्र ने उन्‍हें यानि कमलनाथ जी को तपाक से मना किया कि आप स्‍कूल सफेद कुर्ता पजामा में आओगे आप मुझे स्‍कूल लेने नहीं आना। एक और किस्‍सा उनके बारे में बताते हैं कि वे बतौर मुख्‍यमंत्री अपने छिंदवाडा प्रवास के दौरान किसी बडे शासकीय कार्यक्रम मेंगये तो उनके कुर्ते में स्‍याही के निशान स्‍पष्‍ट दिखाई दे रहे थे।

राजनीति की शुरुआत में भले ही बने अनुकूल परिस्थितियां मिलीं। इंदिराजी जहां उन्हें तीसरा बेटा कहती थीं वहीं छिंदवाड़ा जैसी कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट से उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला लेकिन उन्होंने छिंदवाड़ा में सांसद, केंद्रीय मंत्री रहते हुए जो विकास किया उसके चलते छिंदवाड़ा मॉडल की चर्चा पूरे प्रदेश में होती है। बाकी प्रदेश में ऐसा कोई सांसद और केंद्रीय मंत्री नहीं हुआ जो अपने संसदीय क्षेत्र को मॉडल क्षेत्र के रूप में प्रस्तुत कर सके।

राजनीति के दीर्घकालिक अनुभव को समेटे मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी द्वारा सौंपी गई जिम्मेवारी को ना केवल स्वीकार किया, वरन पार्टी के भरोसे को कायम रखते हुए उन्होंने 15 वर्षों के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में सफलता हासिल की। पिछले 1 वर्ष से वे अपना अधिकांश समय राजधानी भोपाल में ही बिता रहे हैं।

कमलनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनकी चुनौतियां कम नहीं हुईं। चौतरफा चुनौतियों से जूझते हुए कमलनाथ ने राजनीतिक क्षेत्र में योगदान दे रहे व्‍यक्तियों के लिये सादगी और संतुलन के साथ काम कर एक आदर्श उदाहरण प्रस्‍तुत किया है जो राजनीतिक क्षेत्र में काम करने के लिए आनेवाले नागरिकों के लिए आदर्श हो सकता है।

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