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मध्यप्रदेश के राज्यपाल को मुख्यमंत्री कमल नाथ द्वारा दिए गये पत्र का मूल पाठ :-
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से भेंट करने के बाद कहा कि मैं 10 साल मुख्यमंत्री रहूंगा
भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से भेंट करने के बाद कहा कि मैं 10 साल मुख्यमंत्री रहूंगा। भाजपा षड्यंत्र कर रही है तो उसे करने दो। मैंने आज राज्यपाल से मिलकर बताया कि हमारे 22 विधायकों को कैद किया गया है उनसे मीडिया सहित अन्य किसी लोगों का संपर्क नहीं हो पा रहा यह पूरा षड्यंत्र भाजपा का है मैं पूरी हिम्मत और जोश से इस सरकार को बचा लूंगा।मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज राज्यपाल जी को होली की बधाई दी है..
राज्यपाल से यह माँग भी की है बेंगलोर में बंधक हमारे विधायकों को क़ैद से छुड़ाकर वापस लाया जाए.
यह सच्चाई पूरा देश देख चुका है कि किस प्रकार से कांग्रेस विधायकों को कैद रखा गया है.
22 विधायकों को कैद कर लें और फिर फ्लोर टेस्ट की माँग करें , यह पूरी तरह से गलत है.
फ़्लोर टेस्ट तब संभव , जब वे स्वतंत्र हो.उन्हें मीडिया के सामने लाया जाये.
उन्होनें कहा कोरोना वायरस राजनीति में भी है.
राज्यपाल के अभिभाषण और बजट पर फ्लोर टेस्ट हो ही जायेगा!
राज्यपाल मध्यप्रदेश को मुख्यमंत्री कमल नाथ ने जो पत्र दिया है उसका मूल पाठ :-मैं भाजपा के अनैतिक, कदाचार और गैरकानूनी कृत्य की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने पर बाध्य हूँ।
अपने पहले प्रयास में विधायकों को जबरदस्ती बेंगलुरु ले जाने का नाटक 3 और 4 मार्च 2020 की आधी रात को शुरू हुआ था जो सार्वजनिक है।
कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने विधायकों को लालच और बलपूर्वक बंधक बनाकर रखने के प्रयास को विफल कर दिया।
पहले प्रयास की असफलता के बाद भाजपा ने 8 मार्च 2020 को कांग्रेस पार्टी के 19 विधायकों को बेंगलुरु ले जाने के लिए तीन विशेष हवाई जहाजों का इंतज़ाम किया तब से 19 विधायक जिसमें से छह कैबिनेट मंत्री हैं उनसे कोई संपर्क नहीं है और वे भाजपा द्वारा प्रबंध किये गए एक रिसॉर्ट में बंधक है। उनसे किसी को मिलने नहीं दिया गया और न ही उन बंधक 19 विधायकों के साथ किसी प्रकार का संपर्क हो पाया है।
आश्चर्यजनक रूप से बीजेपी के नेता होली के दिन 10 मार्च 2020 को शाम 5:00 बजे विधानसभा अध्यक्ष के निवास पर पहुंचे और 19 विधायकों के त्याग पत्र उन्हें सौंपा जो जो कांग्रेस के विधायक हैं । इन 19 विधायकों में से कोई भी विधानसभा अध्यक्ष के निवास पर व्यक्तिगत रूप से त्यागपत्र देने प्रस्तुत नहीं हुआ । असामान्य तौर पर से और व्यवहार में 19 कांग्रेस विधायकों के त्यागपत्र भाजपा के नेताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए ना कि स्वयं विधायकों द्वारा। इससे इस पूरे षडयंत्र और गैरकानूनी कृत्य में भाजपा नेताओं की संलिप्तता प्रदर्शित होती है।
इससे संवैधानिक औचित्य और विधायी प्रक्रिया और पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं ।
12 मार्च 2020 को मध्य प्रदेश के दो कैबिनेट मंत्री श्री जीतू पटवारी और ओ श्री लाखन सिंह यादव , श्री नारायण सिंह चौधरी के साथ जो कांग्रेस के विधायक श्री मनोज चौधरी के पिता हैं बंधक विधायकों से से एक श्री मनोज चौधरी से मिलने बेंगलुरु पहुंचे । वहां इन तीनों के साथ बीजेपी के गुंडों और कर्नाटक पुलिस बल के सदस्यों द्वारा छीना झपटी की गयी और उन्हें गैरकानूनी रूप से हिरासत में ले लिया गया। यह कानून के शासन का मजाक है जब भाजपा के नेताओं ने षड्यंत्र करके कांग्रेस के विधायकों को बंधक बनाया और चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिए यह कृत्य किया। इस घटना की कई तस्वीरें और वीडियो उपलब्ध है।
इस व्यथित करने वाले वाली परिस्थितियों में प्रजातंत्र की इमारत खतरे में है। पारदर्शी प्रजातांत्रिक प्रक्रिया से विश्वास खो चुका है। इसमें पूरी तरह से जांच पड़ताल और अनुसन्धान की जरूरत है ताकि वे लोग जो प्रजातांत्रिक संस्थागत प्रक्रिया का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार है उजागर हो सके और उन्हें दंडित किया जा सके।
प्रजातान्त्रिक संस्थागत प्रक्रिया के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटल है। हम बंधक बनाए हुए कांग्रेस विधायकों के भाजपा द्वारा प्रस्तुत त्यागपत्रों के संबंध में विस्तृत जांच और अनुसंधान की अपेक्षा करते हैं । यह जांच जल्दी से जल्दी की जाना चाहिए और इस पर कार्रवाई होना चाहिए।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जिम्मेदार नेता के रूप में मैं विधान सभा में फ्लोर टेस्ट आमंत्रित करता हूं और 16 मार्च से प्रारंभ हो रहे विधानसभा सत्र में इसका स्वागत करूँगा जो पहले ही विधानसभा अध्यक्ष द्वारा निश्चित की गई तिथि में अधिसूचित है । यही पहल है जो इस वर्तमान अशांत परिदृष्य का हल निकालने के लिए संवैधानिक अथॉरिटी कर सकती है।
हम मध्य प्रदेश की जनता को आश्वस्त करते हैं हम प्रजातंत्र और विधायी प्रक्रिया की विजय और संविधान में उल्लेखित संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
आदरणीय महामहिम से निवेदन करते हैं कि वे राज्य के संविधान प्रमुख होने के नाते अपने ऑफिस का उपयोग कर केंद्रीय गृहमंत्री से बेंगलुरु में बंधक बनाए गए विधायकों को मुक्त करने के लिए कहें।