प्रदेश के 05 मेडिकल कॉलेजों में नि:शुल्क उपचार
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वी.सी. के माध्यम से दिए निर्देश
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए हैं कि ब्लैक फंगस ‘म्यूकॉरमाइकोसिस’ के उपचार संबंधी व्यवस्थाओं के लिए एक टास्क फोर्स बनाई जाए, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री, संबंधित विभागों के ए.सी.एस./पी.एस., ई.एन.टी. विशेषज्ञ डॉ. एस.पी. दुबे, डॉ. लोकेंद्र दवे तथा अन्य एक्सपर्ट रहेंगे। टास्क फोर्स तुरंत कार्य करना प्रारंभ कर दें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि प्रदेश में ब्लैक फंगस ‘म्यूकॉरमाइकोसिस’ की प्राथमिक अवस्था में ही पहचान कर हर मरीज का उपचार करें। इस कार्य को जनआंदोलन का रूप दिया जाए तथा हर जिले में इसकी जाँच की व्यवस्था हो। इस कार्य में निजी चिकित्सकों का भी पूरा सहयोग लिया जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में 05 मेडिकल कॉलेज इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर तथा रीवा में इसका नि:शुल्क उपचार किया जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिए कि इसके उपचार के लिए निजी अस्पताल भी चिन्हित किए जाए, जहाँ व्यवस्थाएं संभव हों।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंत्रीगणों एवं अधिकारीगणों के साथ ब्लैक फंगस रोग के संबंध में चर्चा कर रहे थे।
हर मरीज का हो नि:शुल्क इलाज
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ब्लैक फंगस का इलाज अत्यंत महंगा है। अत: प्रदेश में इसके नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
शासकीय के अलावा निजी अस्पतालों को भी दिए जाएंगे इंजेक्शन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि ब्लैक फंगस के इलाज में लगने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन शासकीय चिकित्सा केन्द्रों के अलावा निजी अस्पतालों को भी उपलबधता अनुसार प्रदान किए जाएंगे। प्रदेश में 2.5 हजार एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन प्राप्त हो गए हैं तथा 10 हजार इंजेक्शन शीघ्र ही मॉयलान कम्पनी के प्रदेश को प्राप्त हो जाएंगे। स्वास्थ्य आयुक्त श्री आकाश त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में ब्लैक फंगस के 573 प्रकरण 05 मेडिकल कॉलेजों में उपचाररत हैं।
नि:शुल्क नेजल एंडोस्कॉपी की व्यवस्था
चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग ने बताया कि ब्लैक फंगस की जाँच के लिए जिलों में नि:शुल्क नेजल एंडोस्कॉपी की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में भी इसकी नि:शुल्क जाँच के लिए डेस्क बनाई जा रही है।
ब्लैक फंगस : महत्वपूर्ण तथ्य
· कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, डायबिटीज के रोगी, श्वसन या गुर्दा रोगी, अंग प्रत्यायोजित करा चुके गंभीर रोग के रोगियों या पूर्व में कोरोना उपचार करा चुके लोगों को यह संक्रमण मुख्य रूप से अपना शिकार बना रहा है।
· यह संक्रमण रोगी की नाक, मुंह, दांत, आँख एवं गंभीर स्थिति में मस्तिष्क को संक्रमित करता है।
· मरीजों में डायबिटीज की मॉनीटरिंग करके, डॉक्टरों की सलाह पर स्टीरॉइड ले रहे मरीजों की निगरानी करके, स्टीरॉइड एवं ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंडीबायोटिक के अनुचित और अनावश्यक उपयोग को रोककर हम ब्लैक फंगस संक्रमण को रोक सकते हैं।
· कोरोना रोगियों में ऑक्सीजन के उपयोग के दौरान ह्यूमिडीफाई बोटल में स्टेराइल (Sterile) या डिस्ट्रिल्ड वाटर का उपयोग करके तथा नियमित रूप से पानी को बदल कर, हम इस संक्रमण को रोक सकते हैं।
· रोगी के ऑक्सीजन मास्क, केनुला आदि का नियमित विसंक्रमण एवं यथोचित बदलाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
· कोविड वार्ड, एचडीयू, आईसीयू आदि में भर्ती कोरोना मरीजों की आँख, नाक, मुँह की समुचित देखभाल करें, कोविड से ठीक होने के पश्चात 4-6 सप्ताह तक नमक के पानी के गरारे करें तथा नाक साफ करते रहें।
· ब्लैक फंगस के मुख्य लक्षण नाक, मुख आद आँख आदि से काले कण अथवा काला रिसाव, नाक बंद होना, नाक के आसपास गालों की हड्डियों में दर्द, दांतों और जबड़ों में दर्द, आँख में दर्द के साथ धुंधला दिखना, आँखों और नाक के आसपास दर्द और लालपन, बुखार आना, शरीर में नील पड़ना, सीने में दर्द, सांस लेने में दर्द, फेफड़ों में पानी आना, खून की उल्टी होना, मुँह से बदबू आना, मानसिक भ्रमण होना हैं।
· ब्लैक फंगस संक्रमण नाक के जरिए प्रवेश करता है और धीरे-धीरे आँख और मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
· शुरूआत में इसकी पहचान करके उचित इलाज किया जा सकता है। घबराएं नहीं, लक्षण आने पर तुरंत इलाज कराएं।
· ब्लैक फंगस के नि:शुल्क उपचार के लिए प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा चिकित्सा महाविद्यालयों में इकाइयों का गठन किया गया है। यहां उपचार शुरू हो गया है।