मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा जनजाति – आदिवासियों के कल्याण के लिए की कई योजनाओं की घोषणा

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज जबलपुर में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत जनजातीय नायकों के पुण्य स्मरण के अवसर पर जनजातीय बंधुओं को प्रदान कीं अनेकों सौगातें

– राशन आपके द्वार-
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 89 जनजातीय बाहुल्य विकासखंडों में अब किसी जनजाति भाई बहिन को राशन लेने नहीं जाना होगा, प्रदेश सरकार उनके घर घर पहुचायेगी राशन।
– राशन पहुँचाने में उन्हीं के वाहन का होगा प्रयोग, जिससे उन्हें रोजगार भी मिलेगा।

सामुदायिक वन प्रबंधन के अधिकार व देवारण्य योजना मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातियों बंधुओं को वनों से ही आजीविका के साधन उपलब्ध हो, इसलिए प्रदेश सरकार ग्राम सभाओं के माध्यम से सामुदायिक वन प्रबंधन के अधिकार देने जा रही है।
– प्रदेश सरकार द्वारा औषधीय पादप बोर्ड का गठन किया जाएगा

– पेसा कानून की भावना के अनुरूप जंगल का प्रबंधन मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पैसा ग्राम सभाओं का गठन किया जाएगा।
– ग्राम सभाएं अपने स्थानीय विकास के लिए स्वयं योजनाएं बना सकेंगीं।
– वनोपज के अधिकार से उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर होगी।
– ग्राम पंचायतों में गैर जनजातीय वर्ग के अधिकारों को भी संरक्षित रखा जाएगा।

– मिलेगी साहूकारों के शोषण से मुक्ति- मध्य प्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम को और अधिक प्रभावी बनाया गया है।
– यदि किसी साहूकार ने कानून में निर्धारित ब्याज दर से अधिक वसूलने की कोशिश की तो उसे कड़ा दंड दिया जाएगा।
– इस अधिनियम में संशोधन करके जनजाति क्षेत्रों में साहूकारी का धंधा करने वालों के लिए पंजीयन शुल्क में वृद्धि की गई है।

– सिकल सेल एनीमिया से बचाव – मध्य प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के सभी 89 जनजातीय विकास खंडों में सिकल सेल बीमारी से हमेशा के लिए निजात पाने हेतु मध्य प्रदेश राज्य सिकलसेल मिशन 15 नवंबर से प्रारंभ किया जाएगा।

जनजातीय शिक्षा में क्रान्ति लायेंगे हम मुख्यमंत्री ने कहा कि आठवीं और नौंवी से ही NEET, JEE के फाउंडेशन को सुधारने, स्मार्ट क्लास की ऑनलाइन व्यवस्था की जायेगी।
– अधिक से अधिक बेटा-बेटी विज्ञान, तकनीकी और चिकित्सा में अपना भविष्य बनायें, इसके लिए हम अपने पाठ्यक्रम को भी आज की आवश्यकताओं के अनुरूप बनायेंगे ।

जनजातीय कौशल विकास अब हर हाथ में होगा हुनर मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बच्चे किसी कारणवश आठवी के बाद स्कूल छोड़ चुके हैं। उन्हें पुन: कौशल विकास में प्रशिक्षित का सर्टिफिकेट दिये जायेंगे, ताकि वे फिर से शिक्षा व स्वरोजगार के माध्यमों का लाभ ले सकें।
– प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम चार लोगों को ग्रामीण इंजीनियर के रूप में कृषि उपकरण कौशल, आईटी सर्विसेस, भवन निर्माण संबंधित कौशल, जैविक खेती जैसे विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि वे कौशल विकास से अपनी आर्थिक उन्नति कर सकें।

– बैकलॉग के पदो की पूर्ति से रोज़गार के नए अवसर – मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस एक वर्ष के भीतर जनजाति वर्ग के सभी रिक्त पद भर दिये जायेंगे।
– जिन भर्तियों की प्रक्रिया बीच में रह गयी है, उन प्रक्रियाओं को पूर्ण करके जल्द ही नियुक्ति पत्र दिये जायेंगे।

मछली पालन, मुर्गीपालन व बकरी पालन के लिए एकीकृत योजना – मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में मुर्गीपालन, बकरीपालन और पशुपालन से अवसरों को विकास की अपार संभावना है।
– हम एकीकृत योजना बना रहे हैं कि जो भी इनमें उद्यमी बनना चाहे, उसे प्रशिक्षण, संसाधन विकास हेतु आर्थिक सहायता व बिक्री हेतु प्लेटफार्म उपलब्ध कराये जायेंगे।
– तीनों चरणों में शासन द्वारा “हेंड होल्डिंग” उपलब्ध करायी जायेगी, इस योजना में सरकार आपकी गेरेंटर बनेगी, ताकि आपको ऋण लेने में बाधायें न आयें। इसके लिए आवश्यक स्वसहायता समूह के निर्माण किये जायेंगे और सहकारी समितियों के द्वारा लाभ पहुंचाने की व्यवस्था की जायेंगी।

जनजातीय समाज- हम बनायेंगे नई पहचान
– मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सरकार के खजाने पर पहला हक जनजातियों का है और हम उनके लिए धन और अवसर दोनों के खजाने खोलने के लिए कृत संकल्पित हैं।
– हम प्रयास करेंगे कि प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में छात्रों को पुलिस व सशस्त्र सेनाओं में शामिल होने आवश्यक प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि वे अधिक से अधिक राष्ट्र रक्षा में शामिल हो सकें।

– छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम होगा राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय – मुख्यमंत्री श्री चौहान ने घोषणा करते हुए कहा कि राजा शंकर शाह के बलिदान दिवस पर आज 18 सितंबर को मैं हर्ष और गर्व के साथ घोषणा करता हूँ बलिदान दिवस पर छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम “राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय” होगा।
– ताकि इस विश्वविद्यालय से से पढ़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उनके जीवन से प्रेरणा से मिले।

– 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस
15 नवंबर जनजातीय गौरव दिवस तक हम इस अभियान में और कई बड़े कार्य करने का ध्येय रखा है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में जनजातीय समाज के अस्तित्व और अस्मिता की रक्षा करना ही मेरा ध्येय है।

– आजादी के अमृत महोत्सव के इस यज्ञ में हम “जनजातीय अधिकारों” को ग्राम ग्राम तक पहुँचायेंगे। जनजातियों के शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका व अधिकारों के लिये हम सब मिलकर प्रयास करें और जब 15 नवंबर आयें, तो हम सब मिलकर आजादी की लड़ाई में शामिल “जनजातीय गौरव को स्थापित करें।
हमने तय किया है की, हम ग्राम सुराज का सर्वोत्तम उदाहरण पेश करें।

पंचायती राज व्यवस्था की पांचवी अनुसूची के क्रियांव्यन में जो समस्याएं थी उनके समाधान का राज्य सरकार ने फैसला किया है।

अब इस निर्णय के कारण ऐसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए, पैशा ग्राम सभाओं का गठन किया जाएगा।

ग्राम सभाएं अपनी स्थानीय विकास की योजना बना सकेंगे।

और वनोपज के अधिकार से उनकी आर्थिक स्थिति और बेहतर होगी।

जैसा कि मैंने कहा गैर जनजाति भाइयों और बहनों के अधिकारों को भी पूरी तरह से संरक्षित रखा जाएगा।

किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है वर्ग संघर्ष नहीं वर्ग समन्वय सामाजिक समरसता इसका मूल मंत्र होगा।
कई जगह ऊंची ब्याज दरों के कारण गरीब जनजाति भाई बहनों का शोषण होता है और इसलिए हमने मध्य प्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम 1972 को अब और प्रभावी बनाया है और उसमें संशोधन करके जनजाति क्षेत्रों में साहूकारी का धंधा करके वालो के पंजीयन शुल्क में वृद्धि करने के साथ ब्याज की दरों को भी नियंत्रित कर दिया है जो तय दरें उससे ऊपर अगर कोई ब्याज लेगा उसको कड़ा दंड दिया जाएगा यह फैसला भी सरकार ने किया है।
जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने अनेकों प्रावधान किए हैं व्यवसायिक शिक्षा रोजगार उन्मुख शिक्षा एक नहीं अनेकों प्रावधान उन प्रावधानों का अक्षशह लागू करेंगे।

फीस भरवाने से ले के जनजातीय क्षेत्रों में आठवीं और नौवीं से ही हमारे बेटा बेटियों को NET और JEEE मेंस की परीक्षा की तैयारी करवाना, स्मार्ट क्लास की ऑनलाइन व्यवस्था करना यह जो प्रधानमंत्री जी का संकल्प है उसको पूरा करने का भी हम लोगों ने फैसला किया हैं।

और पाठ्यक्रम को भी आज की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा जनजाति कौशल विकास की दृष्टि से भी हमने कई फैसले किए हैं हमारे ऐसे बेटा बेटी जो आठवीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाते और स्कूल छोड़ देते हैं उनको फिर से कौशल विकास में प्रशिक्षित किया जाएगा सर्टिफिकेट दिए जाएंगे ताकि वो शिक्षा और स्वरोजगारो के माध्यम से फिर से अपनी रोजी-रोटी चला सके हर पंचायत में कम से कम 4 लोगों को ग्रामीण इंजीनियरिंग के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि गांव के काम सीख के जनजाति बेटा बेटी गांव के लोग ही कर सके।
एक देवारण्य योजना हमने बनाई है

हमारे जंगलों में अनेकों प्रकार की औषधियां हैं औषधियों की खेती भी हमारे आदिवासी भाई और बहन करते हैं। इसलिए जो कच्चा माल है

प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने यह फैसला किया है कि वनोपज को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा।

छिंदवाड़ा के भाई और बहन अच्छी तरह जानते हैं जब मैं पातालकोट गया था वहां अचार की चिरौंजी होती है 2-4-5 रुपए किलो बिकती थी

तब हमने फैसला किया था कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर इसको ₹100 किलो से कम में बिकने नहीं देंगे हमने ₹100 तय किया वो 100 रुपए किलो से ज्यादा बिकने लगी।

ऐसी जितनी वनोपज होती हैं रागी हो, महुआ हो, करण के बीज हो, नीम की निमोली हो, लाख हो अलग-अलग जितनी भी वनो में जो औषधियां होती हैं

और ऐसी चीजें होती है जिनको प्रोसेसिंग करके जिनसे निर्माण कर के लोगों को बेचा जा सकता है उसके लिए पूरी वैल्यू चैन बनाएंगे प्रोसेसिंग उसकी करेंगे

देवारण्य योजना के अंतर्गत वनों औषधियां और वनों उत्पाद को प्रोसेसिंग करके बेचके हमारे जनजाति भाई-बहन ज्यादा लाभ कमा पाए इस बात को हम प्रयास करेंगे।
हमारे जनजाति बहनों और भाइयों को राशन के वितरण की व्यवस्था राशन की दुकान पर दूसरे गांव से नहीं करेंगे हर गांव में हर घर राशन पहुंचकर करेंगे।

ताकि, मैं जानता हूं कई बार काम छोड़कर, राशन की दुकान अगर दूर है।

तो दूर राशन लेने जाना पड़ता है कई बार एक दिन खराब होता है इसलिए “घर पर राशन”, ये 89 विकास खंडों में अभियान चलाया जाएगा।

और राशन वितरण के लिए जो गाड़ियां लगेंगे वह गाड़ी भी कोई जनजाति बेटे, बेटी की होगी।

उसे भी फाइनेंस कराएंगे, और बैंक को भी गारंटी मामा देगा भारतीय जनता पार्टी की सरकार देगी।

ताकि, हमारे कई बच्चों को रोजगार मिल सके इस दिशा में हम लोग कदम उठाएंगे।

हम लोगों ने किराया भी फिक्स कर दिया एक गाड़ी के ₹26000 महीना!

ताकि, किस्त निकालकर भी पैसे बच जाएं और वह इमानदारी से राशन पहुंचाने का काम कर सके।
सबसे पहले जनजाति आयोग का गठन अगर किया तो, अटल जी द्वारा किया गया।

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वन उत्पादों की खरीदी के लिए अगर कोई फैसला लिया तो, हमारे श्रीमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लिया।

वनबंधु कल्याण योजना वन धन केंद्र, ट्राइफुड पार्क का निर्माण स्टैंडअप इंडिया के माध्यम से 10 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए की सहायता।

एक नही, स्वस्थ्य पोर्टल बना कर जनजातियों के स्वास्थ्य प्रबंधन हेतु प्लेटफार्म उपलब्ध कराने का काम, ऐसे अनेकों काम हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने जनजाति बहनों और भाइयों को दिए है।

और वन अधिकार का पट्टा भी देने का फैसला हुआ था वह भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किया गया था।
भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में भी 15-16 सालों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारो ने चाहे जनजाति क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण का सवाल हो, पीने के पानी की व्यवस्था हो, बिजली का इंतजाम हो, आश्रम शाला खोलना हो, छात्रावास खोलना हो, हाई स्कूल, हाई सेकेंडरी स्कूल खोलना हो अगर चारों तरफ इन का जाल बिछाया भारतीय तो जनता पार्टी की सरकार ने बिछाया।

हमने अपने बच्चे जो जनजाति बेटे बेटियां हैं ट्राइबल बेटे बेटियां कांग्रेस के जमाने में 200-300 रूपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति मिलती थी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उसको बढ़ाकर 11 सौ रुपए प्रतिमाह करने का काम किया। बेटियों को और भी ज्यादा देने का काम किया एक नहीं अनेकों कल्याणकारी योजनाएं बनाई।
भारतीय जनता पार्टी,मध्य प्रदेश की सरकार एक ऐतिहासिक फैसला कर रही है

पेसा एक्ट चरणबद्ध तरीके से मध्यप्रदेश की धरती पर लागू किया जाएगा

जनजातीय भाई और बहनों के लिए और जो बांकी जातियों के भी निवासी हैं उनके अधिकारों को संरक्षित रखते हुए उनको कोई नुकसान नहीं होगा

लेकिन उनके हितों की रक्षा करते हुए पेसा एक्ट को चरणबद्ध तरीके से हम मध्य प्रदेश में लागू करेंगे

पेसा एक्ट ग्राम सभा को समुदायिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार देती है

वन भी सामुदायिक संसाधन है, इस कारण पेसा एक्ट वनों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार ग्राम सभा को देता है

और इसलिए हम इसे अमलीजामा पहनाने के लिए सामुदायिक वन प्रबंधन समितियों के गठन की जिम्मेदारी ग्रामसभा को देने की शुरुआत करेंगे

ग्राम सभा को ही अधिकार जाएंगे, अब सामुदायिक वन प्रबंधन समितियां वर्किंग प्लान के अनुसार हर साल माइक्रो प्लान बनाएगी,और उसे ग्राम सभा से अनुमोदित करवाएगी और समितियां ही उस प्लान को क्रियान्वित करेगी

वन विभाग का अमला,समितियों को केवल मदद करेगा बांकी काम समितियां करेंगी और समिति को ग्राम सभा के सामने कामों का लेखा-जोखा देना पड़ेगा

वनों के प्रबंधन के दौरान कटाई और छटाई से बांस और बल्ली जैसी जलाऊ लकड़ियां निकलेगी उस पर भी अधिकार समिति का होगा।

समिति उसको बेचकर आए कमा सकेगी और अंत में जब कटाई से इमारती लकड़ी प्राप्त होगी उसका भी एक अंश समिति को जाएगा।

ताकि जनजाति का आर्थिक सशक्तिकरण हो सके

ग्रामसभा यदि समिति के काम से खुश नहीं होगी तो खुद ही उस समिति को भंग करके नई समिति का गठन कर सकेगी यह प्रावधान भी हम इसके अंतर्गत कर रहे हैं

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