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मध्यप्रदेश विधानसभा में सदन के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा का उत्तर दिया। प्रस्तुत है उत्तर का मूल पाठ :

 

मध्यप्रदेश विधानसभा में 24 एवं 25 फरवरी,2021 को राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा का उत्तर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज,26 फरवरी, 2021को देते हुए सरकार की नीतियों , उपलब्धियों और भविष्य के कार्यकर्मों के वारे में विस्तार से जानकारी दी।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा वे चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने मैं यह दंभ और अहंकार से नहीं कह रहा हूं लेकिन उसके बाद मैं शायद पहली बार सदन में नीति विषयक मामले पर बोल रहा हूं, मध्यप्रदेश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण जिसमें हम दूसरों की सेवा करने का अवसर भी चाहे व्यक्ति हो, चाहे स्वयं सेवी संस्थाएं हों, उनको दे सकें और सरकार तथा समाज भी मिलकर यह काम कर सकें. मेरे हिसाब से यह आत्मा का सुख होगा तो आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में हम इस तरह की व्यवस्था को भी खड़ा करना चाहते हैं. समाज के जितने कमजोर वर्ग हैं।

भोपाल,26 फरवरी 2021, एमपीपोस्ट । मध्यप्रदेश विधानसभा में 24 एवं 25 फरवरी,2021 को राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा का उत्तर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज,26 फरवरी, 2021को देते हुए सरकार की नीतियों , उपलब्धियों और भविष्य के कार्यकर्मों के वारे में विस्तार से जानकारी दी।

मध्यप्रदेश विधानसभा में सदन के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा का उत्तर देते वक्त पुनः कहा की वे चौहान हमेशा कहता रहा कि यह सदन केवल ईंट और गारे का भवन नहीं है, लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है. इसमें हम चर्चा, संवाद, विचार, चिंतन और मंथन करते हैं और उसी चर्चा, चिंतन एवं मंथन से कई बार अमृत निकलता है, जो जनता के बीच पहुंचाने का हम प्रयास करते हैं। सदन में सार्थक चर्चा हो और जब चर्चा हो तो चर्चा करने वाले भी मौजूद रहें,आपने अपनी उपस्थिति यहां दर्ज कराई है, हमने कहा था कि हम जब उत्तर दें तो हमें भी सुनना. सीतासरन शर्मा वरिष्ठ विधायक हैं, उन्होंने इस चर्चा का प्रारंभ किया और चर्चा बड़ी सार्थक हुई है। सर्वश्री बहादुर सिंह , लक्ष्मण सिंह , देवेन्द्र वर्मा , यशपाल सिंह , अशोक मर्सकोले , हिरालाल , शैलेन्द्र जैन , प्रियव्रत सिंह , सूबेदार सिंह , पी.सी. शर्मा ,श्रीमती मालिनी गौड़ , श्रीमती झूमा सोलंकी , श्रीमती कृष्णा गौर , बृजेन्द्र सिंह राठौर , दिलीप सिंह परिहार, जालम सिंह पटेल, जितु पटवारी, बाला बच्चन , आशीष गोविन्द शर्मा , तरुण भनोत , फुन्देलाल सिंह मार्को , धर्मेन्द्र लोधी , कमलेश्वर पटेल , संजीव सिंह , प्रहलाद लोधी , सुखदेव पांसे , महेन्द्र हार्डिया , नीलांशु चतुर्वेदी , विनय सक्सेना , राजेश कुमार प्रजापति , नारायण सिंह पट्टा , उमाकांत शर्मा , आरिफ मसूद , पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय , सोहनलाल बाल्मीक , बापू सिंह तंवर आप सबने चर्चा में भाग लिया और चर्चा सच में बहुत सार्थक हुई है. कमलनाथ जी ने निश्चित तौर पर भाग लिया है, मैं सबसे पहले उन्हीं को धन्यवाद दिया है. लेकिन सदन का वरिष्ठ सदस्य होने के नाते भी और नेता होने के नाते भी जिस गंभीरता से विशेषकर नये सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया है, मैं उनको बहुत बधाई देना चाहता हूं. कई सदस्यों ने तो बहुत सारगर्भित अपने उद्बोधन दिये हैं। यह सदन का कार्यकाल ऐसा रहा है कि जिसमें साल, सवा साल हम लोग चर्चा में भाग नहीं ले पाये. आज मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि चाहे वह पक्ष के हमारे साथी हों, चाहे हमारे प्रतिपक्ष के साथी हों, सब काहू का लीजिये, साचा असद निहार। पछपात ना कीजिये कहै कबीर विचार।। आपने जो जो कहा है चाहे पक्ष के मित्रों ने कहा हो, चाहे प्रतिपक्ष के मित्रों ने कहा हो, सकारात्मक सुझाव आपने दिये हैं. सदन का नेता और मुख्यमंत्री होने के नाते मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि गंभीरता से विचार करके जो क्रियान्वित किये जा सकते हैं, उसको क्रियान्वित करने की भरपूर कोशिश करेंगे. हम केवल इसमें नहीं पड़ेंगे कि मैं अच्छा और तू बुरा. आखिर सार्थक चर्चा से जनता के हित के कुछ फैसले होने चाहिये और चर्चा को मैं इसी रुप में लूंगा. कुछ आलोचनाएं भी हुई हैं, होती हैं लोकतंत्र में जरुरी है यह. निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय. सकारात्मक आलोचनाओं का स्वागत है और वह सत्ता पक्ष को और जिम्मेदार बनाती है,वह जो सकारात्मक आलोचना हुई है, उसको भी हम सकारात्मक भाव से ही लेंगे. दो चीजे नेता प्रतिपक्ष ने बड़े जोर देकर कहीं. एक उन्होंने कहा कि प्रस्तावित है, प्रस्तावित है. जब हम पहले योजना बनाते हैं तो प्रस्तावित ही करते हैं और अकेले हमने ही प्रस्तावित ही नहीं की, मैंने फिर आपकी सरकार का, पिछली बार का राज्यपाल महोदय का अभिभाषण पढ़ा, तो आपने भी दो बार प्रस्तावित है. 3 बार करना है और 6 बार किया जाएगा तो आपने प्रस्तावित किया, हमने भी प्रस्तावित कर दिया, इसमें क्या आपत्ति है।

श्री कमलनाथ ने कहा आपको हमारा समय बहुत याद आ रहा है, कोई चिंता की बात नहीं है. परन्तु मैंने उस संदर्भ में कहा था कि प्रस्तावित मैं कहना चाहता था. यह बात मैंने कही थी कि अगले साल भी, आप भी वहां बैठे होंगे और जो चीजें इस दफे कही हैं और जो राज्यपाल महोदया ने प्रस्तावित है, इस पर विचार किया जा रहा है, इसका हिसाब आप इस सदन को जरूर दीजिएगा कि हमने यह कहा था. मैं जानता हूं कि प्रस्तावित का क्या मतलब होता है, थोड़ा बहुत ज्ञान मुझे भी है. आपके जितना नहीं होगा, परन्तु यह शैली का ज्ञान मुझे नहीं है, जो आपकी शैली है.

श्री शिवराज सिंह चौहान – अब यह प्रस्तावित है तो इसीलिए कि यह किया जाएगा. आप अगली बार हिसाब लो और हम भी हिसाब लेंगे, हमको पूरा वचन पत्र भी याद है अभी.

श्री कमलनाथ ने कहा पूरे साल का भी तो आप हिसाब दे दीजिए, वह भी तो कोई न कोई समय आएगा, कोई बात नहीं, परन्तु मैं तो इसी साल की बात कर रहा हूं, 15 साल का तो जवाब मिल गया था वर्ष 2018 में, मेरा आपसे यही निवेदन है कि आप सदन को यह आश्वासन दे दीजिए कि जो हमने कहा है उसका हम हिसाब अगले साल इसी समय इसी सदन में देंगे.

श्री शिवराज सिंह चौहान – हिसाब-किताब हम लेंगे भी और हम देंगे भी, कोई चिंता की बात नहीं है लेकिन अध्यक्ष महोदय, एक बात का और बहुत उल्लेख किया, “मोदी जी का नाम क्यों लिया.” लिया तो बार-बार क्यों लिया. मोदी नाम ही ऐसा है कि बार-बार लेने को जी करता है.

मोदी जी की चर्चा तो पूरी दुनिया में है. वह भारत की करोड़ों करोड़ जनता के हृदय के हार हैं, उनकी की एक आवाज़ पर पूरा देश उठकर खड़ा हो जाता है. मोदी जी ने कहा, जनता कर्फ्यू तो जनता कर्फ्यू. मोदी जी ने कहा, ताली और थाली तो पूरा देश ताली और थाली बजा रहा था. (मेजों की थपथपाहट)..

श्री कमलनाथ ने बीच में कहा – किसानों का भी आप बता दीजिए, किसानों ने तो उनकी बात नहीं सुनी जो दिल्ली के बार्डर पर हैं.

श्री शिवराज सिंह चौहान – लेकिन पूरे देश का किसान साथ में है.

श्री शिवराज सिंह चौहान,एक वैभवशाली भारत, एक गौरवशाली भारत, एक संपन्न भारत, एक समृद्ध भारत और एक सशक्त भारत के निर्माण का सपना नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज पूरा हो रहा है. मैं बहुत विस्तार में नहीं जाना चाहता हूं, जिस ढंग से कोरोना की लड़ाई लड़ी गई, वैक्सीनेशन का काम जैसे हो रहा है, केवल यही नहीं, दुनिया के बाकी देशों को भी वैक्सीन देने का गौरव अगर आज किसी को प्राप्त हुआ है तो वह हमारा देश है भारत.और दूसरे राष्ट्रों के प्रमुख कह रहे हैं. संजीवनी बूटी का उदाहरण दे रहे हैं. जैसे हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर आए थे, वैसे हमारे देश को भी मोदी जी ने संजीवन बूटी भेज दी है. वह देश के प्रधानमंत्री हैं, उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाएगा, उनका मार्गदर्शन और नेतृत्व हमें मिल रहा है और इसका हमें गर्व है, इसलिए बार-बार मोदी जी का नाम लेंगे.

श्री कमलनाथ ने टोक कर कहा मैंने कभी नहीं कहा कि उनका नाम सम्मान से नहीं लिया जाय, लेना चाहिए प्रधानमंत्री हैं अपने देश के और जब भी नाम लें सम्मान से लें. मैंने एक बात और कही थी कि क्या आवश्यकता मोदी जी को सदन में प्रचार करने की है? यह भी बात मैंने कही थी. अध्यक्ष महोदय हमने वह दौर भी देखा है, मैं यहां पर नाम नहीं लेना चाहता हूं विषयांतर हो जायेगा, इस बात को छोड़ते हैं. वह देश के प्रधानमंत्री हैं और देश का कुशल नेतृत्व कर रहे हैं. मैं यहां पर एक बात और आपको याद दिलाना चाहता हूं. हमने सदैव मानवीय गरिमा का स्वागत किया है. एक बार मैं अमेरिका गया था उस समय मैं मुख्यमंत्री था. आदरणीय मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे. मुझसे वहां पर एक सवाल किया गया. भारत के प्रधानमंत्री क्या अण्डर अचीवर हैं . मैंने कहा कि भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है और मनमोहन सिंह जी कांग्रेस के नहीं पूरे हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री हैं वह अण्डर अचीवर कैसे हो सकते हैं. हम किसी भी दल में रहें लेकिन एक दूसरे का सम्मान और विशेषकर ऐसे मुद्दे आयें और इतना बड़ा नाम आये तो हमें करना चाहिए।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा वे चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने मैं यह दंभ और अहंकार से नहीं कह रहा हूं लेकिन उसके बाद मैं शायद पहली बार सदन में नीति विषयक मामले पर बोल रहा हूं. मैं अपने इस भाव का प्रगटीकरण करना चाहता हूं, पूरी निष्ठा से, पूरी प्रमाणिकता से, अस्तित्व की पूरी क्षमता से दिन और रात जनता की सेवा में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. मैं फिर एक बार हृदय से दोहराना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश मेरा मंदिर है, उसमें रहने वाली जनता मेरी भगवान है और उस जनता का पुजारी शिवराज सिंह चौहान है. हम परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे, हम प्रयत्नों की परिसीमा करेंगे , मध्यप्रदेश के और बेहतर निर्माण के लिए अपने आपको समर्पित करेंगे और उसमें मैं चाहे इधर रहूं और चाहे उधर आप रहें आप सबका सहयोग चाहता हूं, सकारात्मक सहयोग चाहता हूं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2018 में जनता ने कचरा हटा दिया तो मैं उस कचरे की गहराई में जाना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय 2018 के चुनाव परिणाम एक तरफा नहीं थे. वोट हमें आपसे ज्यादा मिले थे , सीटों की गिनती में हम कम रह गये थे,लेकिन एक बात और मैं आज यहां पर कहना चाहता हूं कि रात के 11 – 12 बजे तक जिस दिन चुनाव परिणाम आ रहे थे 111 और 112 चल रहा था. लेकिन जैसे ही हमने देखा कि दमोह से जयंत मलैया जी, ग्वालियर से नारायण कुशवाह और शरद जैन जबलपुर उन सीटों पर पीछे हुए तो मैंने रात में ही तय कर लिया था कि मैं सुबह सीएम हाऊस खाली करना प्रारम्भ कर दूंगा, एक क्षण भी मेरे मन में नहीं आया कि हमें दोबारा सरकार बनाने की कोशिश करना चाहिए. उस चुनाव में आपको 41 प्रतिशत वोट मिले थे हमें 41.1 प्रतिशत वोट मिले थे. उस समय भी हम चाहते तो जोड़ तोड़ की कोशिश कर सकते थे लेकिन मैं रात को 2 और 2.30 बजे सोया तो यह सोचकर सोया कि सुबह, हम भी सोच सकते थे, और आज मैं यहां सदन को बताना चाहता हूं कि कई ऐसे मित्र थे जो कांग्रेस के नहीं थे लेकिन हमारे साथ आना चाहते थे. लेकिन मैं सीधे प्रेस के पास गया और मैंने तय किया कि मैं इस्तीफा दूंगा और उसके बाद में मैंने आपको फोन करके बधाई दी . राजभवन गया त्यागपत्र दिया क्योंकि आपकी 114 सीट थी हमारी 109 सीट थीं हमने कहा कि अब सरकार बनाने का अधिकार आपका है.

शिवराज सिंह ने कहा जब मैं वहां से बाहर निकलकर आया तो पत्रकारों ने मुझसे प्रतिक्रिया पूछी तो मैंने एक ही बात कही कि नॉऊ आई एम फ्री , अब यह जिम्मेदारी कांग्रेस संभाले. आपने सरकार बनाई और उस समय भी मैंने कहा था कि सकारात्मक सहयोग और रचनात्मक विरोध करेंगे. हम तो तब से झोला टांगकर निकल गये थे जहां पर गड़बड़ होती थी हम विरोध करते थे आंदोलन धरना प्रदर्शन वह लोकतत्र में अधिकार होता है. उसका हम इस्तेमाल करते थे लेकिन अध्यक्ष महोदय उम्मीदें बहुत थी कि 15 साल के बाद में सरकार आयी है प्रदेश की प्रगति और विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगे. कल बात हो रही थी, परसों भी चर्चा हुई, इस पक्ष में जो हमारे साथी आये हैं उन पर कटाक्ष किये जा रहे थे, लेकिन सरकार गिरी क्‍यों ? वादे पूरे नहीं किये गये, वचन नही निभाये गये. मेरे पास वचन पत्र की कॉपी है, मैं बहुत विस्‍तार में नहीं जाना चाहता.

श्री शिवराज सिंह चौहान,केवल एक बात जो देश के सम्‍मानित नेता ने सभाओं में कई बार कहा था और गिन-गिन के 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, दस दिन में कर्जा माफ नहीं तो 11 वें दिन मुख्‍यमंत्री बदल देंगे और मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि वर्ष 2018 में अगर इतने वोट आपको मिले तो मैं इसमें कर्जा माफी की घोषणा को एक बड़ा कारण मानता हूं. हमने यह घोषणा नहीं की. लोगों ने हमसे कहा कि वह कर रहे हैं तुम भी करो.

श्री कमल नाथ ने सदन को बताया मुख्‍यमंत्री जानते हैं इन्‍होंने बहुत साल सरकार चलाई है. जो हमारे नेता ने कहा था उसका पालन किया गया. पहले दिन, पहले घंटे में हमने आदेश दिये और आप क्‍या चाहते हैं अगर आप सोचते हैं कि इतने साल के अनुभव के बाद कि 10 दिन में कर्ज का सबके बैंकों में पैसा चला जाता, सबकी जानकारी होती, सब कार्यवाही पूरी हो जाती, सब चेकिंग हो जाती, तो क्‍या आप सोचते हैं यह संभव था ? परंतु एक आखिरी बात, आपने खुद इस सदन में यह आंकड़े पेश किये हैं कि 26 लाख, कुछ हजार किसानों का कर्जा माफ हुआ है. यह तो आपने कहा है. आप तो कहते गये कि कोई कर्जा माफ नहीं हुआ, परंतु अंत में इस सदन में जो आंकड़े आपने पेश किये मेरे ख्‍याल में तीन महीने पहले, जहां आपने कहा लगभग 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ है.

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा जब पूरा हो नहीं सकता था तो कहा क्‍यों और कितना माफ हुआ 60 हजार करोड़ का होना था श्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन को बताया की जब किसी ने साइकिल, डीजल, पेट्रोल की बात उठा ही दी है तो मैं आपको बताना चाहता हूँ. वर्ष 2017 के अक्‍टूबर में हमारी सरकार ने डीजल पर वेट की दर 27 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत किया था. पेट्रोल पर वेट की दर 31 प्रतिशत से घटाकर 28 प्रतिशत किया था. अक्‍टूबर, 2018 में भी हमारी सरकार ने डीजल पर वेट 22 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत किया था और पेट्रोल पर अतिरिक्‍त वेट की दर को 4 रुपये प्रति लीटर से घटाकर डेढ़ रुपये प्रति लीटर कर दिया था. लेकिन जब आपकी सरकार आई तो आपने जुलाई, 2019 में पहले तो डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्‍त वेट लगा दिया, फिर सितंबर, 2019 में 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 23 प्रतिशत कर दिया. इसी प्रकार आपकी सरकार ने जुलाई, 2019 में पेट्रोल पर अतिरिक्‍त वेट 2 रुपये से बढ़ाकर साढ़े तीन रुपये किया और फिर सितंबर, 2019 में वेट की दर 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया. मैं इस पर आरोप-प्रत्‍यारोप नहीं कर रहा हूँ, लेकिन तब आपको साइकिल याद नहीं आई. जब हम आ जाएं तब साइकिल याद आ जाती है।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा एक नहीं, अनेक वचन नहीं निभाए, इसके कारण जनता में नाराजगी पैदा हुई. मैं सचमुच में आपको बता रहा हूँ. मैं जब मुख्‍यमंत्री नहीं था, सरकार नहीं रही, उसके बाद भी मैं जनता के बीच में जाता रहा और जनता का स्‍नेह और प्‍यार मुझे तब भी लगातार मिलता रहा. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ सरकार चलाने का अपना तरीका होता है, काम करने का अपना ढंग होता है. लोगों के काम करने के तरीकों में भी अंतर होता है. लेकिन आपकी प्राथमिकताएं क्‍या थीं, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं स्‍वस्‍थ आलोचना कर रहा हूँ, व्‍यक्‍तिगत राग-द्वेष का सवाल ही पैदा नहीं होता. मैं आपका सम्‍मान करता हूँ. अगर कहीं प्राकृतिक आपदा आई, मैं दौड़कर जाता था, पहले भी मुख्‍यमंत्री था, तब भी जाता था. कहीं ओले पड़ गए और मैं जाता था तो कई बार मुझे कहा जाता था कि ओला पर्यटन कर रहे हैं. क्‍या संकट के समय जनता के बीच में नहीं जाना चाहिए. बाढ़ आ जाए, प्राकृतिक आपदा आ जाए, जनता संकट और मुसीबत में रहे और तब ये कहें कि नहीं, हम तो वल्‍लभ भवन में ही बैठकर काम चलाएंगे।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा की जब सही मुआवजे का सवाल उठ ही गया है तो मैं पूरी जिम्‍मेदारी के साथ इस सदन में कह रहा हूँ, प्राकृतिक आपदा में जो नुकसान हुआ, आपने उसका मुआवजा तक नहीं दिया, 25 प्रतिशत दिया और बाकी पैसा आपने दिया ही नहीं. यह सच्‍चाई है.सही मुआवजा देने का काम आपने नहीं किया और आप कर्जा माफी की बात करते हों. आप सही मुआवजा देने की बात करते हों, पिछले साल प्राकृतिक आपदा, जब आप कमलनाथ – मुख्यमंत्री थे शायद 4700 करोड़ रुपये के आसपास किसानों को बाँटा जाना था. केवल एक किश्त दी गई थी. उसके बाद जिक्र तक नहीं किया गया और मैंने कर्ज माफी का जो जिक्र किया था, आपने 7-8 हजार करोड़ के किए और आज मैं आप से कहना चाहता हूँ, आप सही मुआवजे की बात कर रहे हैं. फसल बीमा योजना 2200 करोड़ रुपये प्रीमियम के जमा करने थे, आपने प्रीमियम के जमा नहीं किए और इसके कारण किसानों के 3100 करोड़ नहीं मिले. शिवराज सिंह चौहान सदन के नेता ने कहा की मुख्यमंत्री बनने के बाद कोरोना से निपटने के साथ-साथ पहला काम यह किया 2200 करोड़ रुपये किसानों के प्रीमियम के हमने जमा किए।

श्री कमल नाथ ने बीच में बोला की 2017-18 का प्रीमियम आपने जमा नहीं किया था. मैं कह रहा हूँ मुझे ताज्जुब हुआ कि 2017-18 का प्रीमियम जमा नहीं हुआ था, यह बात मैं बड़ी जिम्मेदारी से कह रहा हूँ।

इस पर श्री शिवराज सिंह चौहान ने पुनः कहा मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूँ हमने हमेशा फसल बीमा योजना का पैसा दिया, हमारे मित्र नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ जब मुख्यमंत्री थे 2200 करोड़ रुपया उन्होंने नहीं दिया, हमने दिया और उसके कारण 3100 करोड़ रुपये फसल बीमा योजना के किसानों को मिले और 2019 और 2020 की फसल बीमा योजना का भी प्रीमियम जमा करके केवल एक साल में 8800 करोड़ रुपये किसानों के खाते में डाला तो इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने डाला,आपकी पूरी कर्जा माफी 8000 करोड़ की और हमने 8800 करोड़ रुपये केवल फसल बीमा योजना की राशि में दे दिया. उद्यानिकी फसलों की बीमा की राशि हमने 100 करोड़ रुपये अलग से डाली. , सहकारी बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए 800 करोड़ रुपये हमने अलग से खाते में डाल दिया।

श्री शिवराज सिंह चौहान यह कहते हुए बताया की केवल एक बानगी प्रस्तुत कर रहा हूँ उधर कर्जा माफी और इधर देख लो कोरोना काल में किसानों के खाते में हमने कितने पैसे डाले हैं. अब हिसाब किताब पूरा ही हो जाए. सहकारी बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए 800 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ आपने किसानों की पूरी सूची नहीं भेजी जिसके कारण हरेक किसान के खाते में 6000 रुपये आना था वह नहीं आ पाया. आपने आधी अधूरी सूची भेजी. हमने पूरी सूची बनाई 78 लाख किसानों की और 78 लाख किसानों के खाते में 5474 करोड़ रुपये आए तो इस सरकार के आने के बाद आए.और केवल इतना ही नहीं किया हमने यह भी तय किया कि छः हजार प्रधानमंत्री भेज रहे हैं तो दिल ने कहा शिवराज तू भी तो चौथी बार बना है, डाल चार हजार और तो हमने तय किया कि छःहजार वहाँ से आएँगे तो चार हजार हम भी डालेंगे।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा अब ये मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना, इसके चार हजार रुपये और जा रहे हैं, 750 करोड़ रुपये डाल चुके हैं. कल 400 करोड़ और डालेंगे. मार्च में फिर 400 करोड़ डालेंगे. 3700 करोड़ रुपये ये जाएँगे किसान के खाते में अरे कर्जा लेकर अगर किसान के खाते में डाल रहे हैं तो आपको तकलीफ क्यों हो रही है. अभी पूरा हिसाब देख लो. खरीफ 2020 की फसलों के नुकसान और कीट व्याधि के 1550 करोड़ डाल चुका हूँ और 1550 करोड़ मार्च के महीने में फिर डालूंगा, किसानों के खाते में.फसल खरीदी का मामला कोरोना काल में 1 करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीदा तो इस सरकार ने खरीदा, एक-एक दाना खरीदा. धान खरीदी 37 लाख मीट्रिक टन. जब आप मुख्यमंत्री थे दमोह, कटनी, सतना दौरे पर गए तो मंडियों में धान के ढेर लगे थे. किसान रो रहा था कि खरीद ली पर्ची भी दे दी पर उठा ही नहीं रहे हैं, वे आन्दोलन करते घूम रहे थे. हमने धान का एक-एक दाना खरीदा, 37 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी. हमने ज्वार-बाजरा खरीदा, चना खरीदा, सरसों खरीदी. चने में केवल एक जिले में एक हेक्टयर में 19 क्विंटल खरीदने का फैसला हुआ लेकिन बाकी जिले में नहीं, लेकिन हमने सभी जिलों में 20 क्विंटल प्रति हेक्टयर खरीदने का काम किया. सरसों को हमने 1320 किया. 36 हजार करोड़ रुपए फसल खरीदे के किसान के खाते में डाले तो इस सरकार ने डाले. किसानों की खेती के लिए बिजली कनेक्शन में अनुदान 14,804 करोड़ रुपए, शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसान को ऋण 12 हजार करोड़ रुपए, मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना में 6 हजार से अधिक किसानों को अनुदान 65 करोड़ रुपए. एक हेक्टयर भूमि तक के और गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति के 8 लाख किसानों को नि:शुल्क बिजली 4200 करोड़ रुपए. कोरोना काल के 10-11 महीने में 86,493 करोड़ रुपए किसानों के खाते में इस सरकार ने डाले हैं।

शिवराज सिंह ने कहा लोग नाराज क्यों हुए एक तो यह कारण है, दूसरा मैं बताना चाहता हूँ. आप बुरा मत मानिएगा, आपके पास अपने विधायकों से मिलने के लिए टाइम नहीं था. मुझे तो जो उधर से इधर आए हैं उन्होंने बताया है कि कहते थे चलो, चलो. 24 घंटे हैं, 26 घंटे नहीं हैं मेरे पास, ऐसा कहते थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, ठेकेदारों से मिलने के लिए पर्याप्त समय था लेकिन विधायक और मंत्रियों से मिलने के लिए समय नहीं था और हमसे कह रहे हैं कि उधर ले गए, हम क्या करें आ गए तो।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा एक बात और देख लीजिए जब भी उधर के सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री खड़े होते थे तो कहते थे कि पैसा ही नहीं है, मामा खा गया, पैसा ही नहीं है, मामा ले गया. क्या कोई औरंगजेब का खजाना था जो मैं ले गया और मेरे पास कहां से आ गया. हमने भी व्यवस्था की. यह तो किसानों के 86 हजार करोड़ रुपए हैं, मैं तो किसानों की पूरी सूची दे दूंगा आपको पढ़ने के लिए क्योंकि पढ़ने में देर लगेगी. इन सभी को कोरोना काल में प्रधानमंत्री आवास योजना, श्रम सिद्धी अभियान, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, शहरी के साथ ग्रामीण, बिजली के बिलों में राहत, स्व-सहायता समूहों का पैसा, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना यह पूरी सूची है. 1 लाख 18 हजार 455 करोड़ रुपया जनता के खाते में डाला है। शिवराज सिंह चौहान कभी नहीं रोया कि खजाना खाली है, पैसा ही नहीं है, अरे नहीं है तो मुख्यमंत्री काहे के और हो तो पैसे की जुगाड़ करो, लेकर आओ और जनता के काम करो।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में कहा की केवल यह निवेदन कर रहा हूं कि गलतियां कहां- कहां हुई हैं. मैं नहीं कहता था उधर मंत्री रहते हुए भी कहते थे कि कौन क्‍या-क्‍या करता था. आपने तो संग ही ऐसा बना लिया कि वर्ष 2003 में भी बंटाढार और वर्ष 2020 में भी बंटाढार हम क्‍या करें? समझे ही नहीं, सुधरे ही नहीं जो आपके सहयोगी थे उनसे प्रेम से मिलना आपने उचित नहीं समझा मैं राजनैतिक प्रतिद्वंदिता की बात ही नहीं कर रहा हूं. हमें तो आपने कह दिया हमारे लोगों पर आरोप लगा दिए लेकिन वह क्‍यों आए आप उसकी गहराई में नहीं गए. शुरुआत किसने की आप यहां बैठे थे हम वहां बैठे थे और बाद में यह प्रचारित हुआ कि मुख्‍यमंत्री मेनेजमेंट गुरू हैं वह विधायक ले गए. आप करो तो पुण्‍य है।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा मैं बड़ी तकलीफ के साथ यह कहता हूं कि हम तो सत्‍ता छोड़कर चले गए थे. हम तो पांच साल विरोध की राजनीति करना चाहते थे लेकिन आज मुझे आपसे कहना चाहिए आप आगे के लिए भी समझ लें. आपने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को कुचलना शुरू कर दिया. एक जगह नहीं कई जगह यहां हमारे बरसों पुराने कार्यकर्ता नेता मीणा साहब उनकी दुकानें तोड़ दो, ग्‍वालियर के डॉक्‍टर भल्‍ला, कुकरेजा, संजय सत्‍येन्‍द्र पाठक क्‍या स्‍वर्गीय सत्‍येन्‍द्र पाठक जी को आप नहीं जानते थे. राजनैतिक प्रतिद्व‍ंदिता के वशीभूत तोड़ दो भूपेन्‍द्र सिंह जी की होटल नपवा दो. मध्‍यप्रदेश में यह बदले की राजनीति कभी नहीं हुई थी, कुचलने की कोशिश की गई. हमने तय किया कि कुचलने वाली मानसिकता को हम कुचलेंगे और आज पूरी जिम्‍मेदारी के साथ में मैं यह कहना चाहता हूं कि मन में बिलकुल यह इच्‍छा नहीं थी कि जल्‍द ही कोई सत्‍ता में लौटे लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन गईं, वातावरण ऐसा बन गया. लोग कुचले जाने लगे, वादे पूरे नहीं हुए, चारो तरफ त्राही-त्राही हुई और यहां तक हुआ कि अधिकारी स्‍तर पर उच्‍च पदों की भी बोलियां लगीं और कई जगह चारो तरफ दलाल घूमने लगे. यह परिस्थितियां बनीं।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा मैं बहुत विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि परिस्थितियां ऐसी बनीं और मुझे आज आश्‍चर्य होता है कि वर्ष 2018 में कचरे को जनता ने साफ किया, यह आपने कहा लेकिन जिन मेरे साथियों ने, जो आपको छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आये, उन पर आरोप लगाये गये. आखिर वे अपना कैरियर दांव पर लगा कर आये थे, इस्‍तीफा देकर आये थे और फिर चुनाव के मैदान में गए. मुझे तो इन पर गर्व होता है कि श्री तुलसीराम सिलावट , सांवेर विधान सभा में दो-ढाई हजार वोटों से अधिक से न कभी कांग्रेस जीती, न कभी भारतीय जनता पार्टी जीती लेकिन श्री तुलसीराम सिलावट जी 57 हजार वोटों से, वहां से जीत कर आये, आज तक के सारे रिकॉर्ड उन्‍होंने ध्‍वस्‍त कर दिये, डॉ. प्रभुराम चौधरी हैं. सांची में कभी दो-तीन हजार वोटों से ज्‍यादा की जीत नहीं होती थी. ये सांची से 63800 रिकॉर्ड वोटों से जीत कर आये हैं. प्रद्युम्‍न सिंह तोमर, बिसाहूलाल सिंह, श्री गोविंद सिंह राजपूत, श्री महेन्‍द्र सिंह सिसोदिया ये लोग 53-53 हजार वोटों से जीत कर आये हैं.

श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया15 साल में क्‍या हुआ समृद्ध मध्‍यप्रदेश, विकसित मध्‍यप्रदेश, स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश, अब मैं आपको बताना चाहता हूं कि हां हमने समृद्ध बनाया कैसे, जब 2003 में कांग्रेस सरकार छोड़ कर गयी थी तो गड्डों में सड़क थी कि सड़क में गड्डा था कि गड्मगड्डा था, पता ही नहीं चलता था. हमने 2 लाख किलोमीटर शानदाद सड़कें बनाकर मध्‍यप्रदेश को दी. आप जानते हैं कि शानदार सड़कों का जाल बिछाया, क्‍या मध्‍यप्रदेश की समृद्धि की प्रतीक नहीं बनी.

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा सिंचाई साढ़े सात लाख हेक्‍टेयर से बढ़कर 41 लाख हेक्‍टेयर हो गयी, अब मुझे यह बताना पड़ेगा. आप अच्‍छी तरह जानते हैं की जब नर्मदा और क्षिप्रा को जब उस काल में जोड़ने की बात आयी थी तो उस समय 2003 के पहले की सरकार थी, तब यह कहा गया था कि यह असंभव है, नहीं हो सकता है. हमने नर्मदा जी, क्षिप्रा जी जोड़ी, हमने नर्मदा जी गंभीर जोड़ी और कालीसिंध जोड़ने पर काम चल रहा है. उस काम को आपने भी जारी रखा. पार्वती नदी को भी जोड़ने की कोशिश की, हमने सिंचाई की अप्रत्‍याशित व्‍यवस्‍थाएं की, आप जानते हैं. मैं कृषि के क्षेत्र में बहुत विस्‍तार में नहीं जाऊंगा नहीं तो आप कहेंगे कि पुरानी बातें करने लगे, कृषि के क्षेत्र में मध्‍यप्रदेश में चमत्‍कार हुआ, मैं पूरे आंकड़े बता सकता हूं लेकिन मैं आंकड़ों में नहीं जाऊंगा कि कितने गुना उत्‍पादन बढ़ा है. मध्‍यप्रदेश में पहले कितनी सिंचाई थीं, अब कितनी सिंचाई है, पहले कितना गेहूं पैदा होता था अब कितना गेहूं पैदा होता है, बाकि फसलें कितनी पैदा होती हैं. मैं आपको एक-एक आंकड़ा बता सकता हूं लेकिन कृषि के क्षेत्र का सवाल हो, महिलाओं के मामले में, मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहना चाहूंगा और मुझे कहते हुए गर्व है कि लाडली लक्ष्मी योजना से लेकर अब पहली बार मध्यप्रदेश में हमारी बहिनों एवं बेटियों को 50 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय निकाय के चुनावों में किसी ने दिया है, वह मध्यप्रदेश है. यह हमने तय किया है कि शासकीय भर्तियों में 33 प्रतिशत भर्ती होगी तो बेटियों की होगी. उस समय पुलिस में भी इसका बहुत विरोध हुआ था. अगर पुलिस में भी भर्ती होगी तो बेटियों की 30 प्रतिशत बेटियों की भर्ती होगी, यह भी हमने तय किया कि बेटी पैदा हो तो लाड़ली लक्ष्मी, स्कूल जाये तो किताबें, दूसरे गांव जाये तो सायकिल. बारहवीं में प्रथम श्रेणी में पास हो जाये तो गांव की बेटी कहलाये. कालेज की पढ़ाई के लिये हर साल पांच हजार रूपये और पाये. हमने विवाह की योजना बनायी मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता. एक नहीं अनेकों कदम जन्म लेने से लेकर अंतिम सांस तक बहिन बेटियों और मां के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. हमने गरीबों के लिये संबल जैसी योजना बनायी मैं उसके विस्तार में भी नहीं जा रहा हूं. संबल योजना आपने बंद करवा दी फिर कहने लगे कि हम तो नया सवेरा ले आये. संबल के बने बनाये कार्ड थे उसमें मेरा फोटो था, क्योंकि तब मैं मुख्यमंत्री था उन्होंने कहा कि इसको पटक दो इसमें तो इनका फोटो है. मेरे फोटो के कार्ड हटवा सकते हैं जनता के दिलों से शिवराज सिंह चौहान को कभी नहीं निकाल सकते हैं. फोटो का मलाल नहीं है, फोटो तो आते जाते रहते हैं लेकिन संबल में से कई नाम कटवा दिये और कह दिया कि हम नया सवेरा लायेंगे मेरे पास पूरी सूची है जो योजना आपने बंद की थी.

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा हमने ग्रामीण विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी. पंच परमेश्मर योजना बनायी। लेपटॉप के लिये बच्चों के खाते में 25 हजार रूपये डालते थे ताकि बच्चे अपनी मनपसंद का लेपटॉप ले सकें लेपटॉप की खरीदी के चक्कर में कौन पड़े सरकार को नहीं पड़ना चाहिये इसका हमने सोचा था उसमें डीवीटी करें इसलिये पहले सायकिल के पैसे भी उनके खाते में डालना शुरू किये थे और बाद में उनके लेपटॉप के पैसे बच्चों के खातों में डालना हमने शुरू कर दिया ताकि वह लेपटॉप खरीदें. अच्छा वह तो बंद कर दी कोई बात नहीं. मामा के कारण भांजों से नाराज हो गये होंगे आप, लेकिन एक आहार अनुदान योजना थी जो बैगा, भारिया तथा स.हरिया बहिनों को दी जाती थी हमने यह योजना गरीबों के लिये आदिवासी भाईयों तथा बेटे बेटियों के लिये चालू की थी. आपने आहार अनुदान योजना भी बंद कर दी।

यह विषय बहुत संवेदनशील है इसको इधर की और उधर की सरकारों से न जोड़ा जाए. हम जानते हैं. अगर एक भी बेटी के साथ अन्‍याय होता है तो वह सारी सरकार और समाज के लिए शर्मनाक है और आप इधर और उधर में बांटकर देखते हैं. जब आप मुख्‍यमंत्री थे इसी भोपाल की मनुआभान टेकरी पर बेटी के साथ रेप हुआ और कुचल-कुचलकर हत्‍या कर दी गई. झुग्‍गी झोपड़ी में रेप हुआ कुचलकर हत्‍या कर दी गई. इसको इधर और उधर के नजरिए से न देखें.

मैं अपनी बात पूरी कर लूं, लोकतंत्र में स्‍वस्‍थ बहस होती है, इसमें बुरा लगने का सवाल नहीं है, आपको लगता है कोई बात है तो बाद में उत्‍तर दे दीजिए. लेकिन बीच बीच में रोका टोकी में, मैं समझता हूं मेरा आधे से ज्‍यादा समय तो इसी में चला जाएगा. अब बीच में कोई बात आती है तो मैं उसका जवाब देने लगता हूं. यही सरकार थी जिसने तय किया था कि मासूम बिटियों के साथ यदि दुराचार होगा तो सीधे फांसी की सजा होगी और बहन जी ने पूछा इसलिए बताना चाहता हूं कि 74 प्रकरणों में न्‍यायालय ने मृत्‍युदंड की सजा दी है और 24 प्रकरण माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय में अपील स्‍तर पर लंबित है. सरकार इधर की हो या उधर की हो इस तरह की घटनांए दुर्भाग्‍यपूर्ण है, शर्मनाक है, उनको रोकने के लिए पूरी तत्‍परता के साथ कार्यवाही होनी चाहिए और हम भी कोई कसर नहीं छोडेंगे. कुछ दुर्भाग्‍यपूर्ण घटनाएं सारी सतर्कता के बाद भी होती है, हम जानते हैं. आप भी दिल पर हाथ रखकर सोचेंगे तो इस तरह की घटनाओं को पूरी तरह रोकना कई बार संभव नहीं होता, चाहकर भी संभव नहीं होता, लेकिन इस मामले में हम पूरी तरह से गंभीर है. मैं कोई 2018 की विस्‍तार से बात नहीं करना चाहता हूं, लेकिन मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि हमने मध्‍यप्रदेश को जहां था, 15 साल में हम काफी आगे मध्‍यप्रदेश को ले गए, चाहे बिजली, पानी, सड़क का मामला हो, ग्रामीण विकास का मामला हो, शहरी विकास का मामला हो. अगर शहरी विकास के मामले देखें तो कस्‍बा जैसे हमारे शहर हुआ करते थे, वहां सड़कों का निर्माण, पार्कों का निर्माण, यहां तक कि पहली बार हमने योजना बनाई शहरों में मुख्‍यमंत्री शहरी पेयजल योजना, नहीं तो छोटे छोटे शहर पीने के पाने के लिए तरसते थे, उन पर हमने तेजी से काम किया. मैं बहुत विस्‍तार में उसके नहीं जा रहा हूं. आपने कहा था कि इन्‍वेस्‍टमेंट का क्‍या हुआ? इन्‍वेस्‍टमेंट हुआ था, 3 लाख करोड़ रूपए का इन्‍वेस्‍टमेंट हमारे समय में आया. यह बात सही है कि हम प्रयास बहुत करते हैं कई बार उसका आउटपुट कम निकलता है और इन्‍वेस्‍ट जैसे मामले में माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से मैं कहना चाहता हूं, माननीय अध्‍यक्ष जी हमने कभी राजनीति नहीं की. जब आप मुख्‍यमंत्री थे इंदौर में आपने समिट किया था, मेरे पास उस समय भी पत्रकार पूछने आए थे कि समिट हो रही इससे क्‍या फायदा होगा. मैंने साफ कहा था कि मैं समिट का स्‍वागत करता हूं, मध्‍यप्रदेश में अगर कोई बाहर का इन्‍वेस्‍टर आ रहा है तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस नहीं होगी, पूरा मध्‍यप्रदेश को स्‍वागत करना चाहिए, इसलिए इन्‍वेस्‍टमेंट समिट का स्‍वागत है. जब भी ऐसे मामले आए, प्रदेश के हित के हमने कभी राजनीति नहीं की. हमने कोशिश की है कि मध्‍यप्रदेश का उसमें फायदा हो, मध्‍यप्रदेश का लाभ हो, अब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम मध्‍यप्रदेश को समृद्ध और विकसित बनाने के रास्‍ते पर ले गये. अब सवाल यह खड़ा हुआ कि इसमें आत्‍मनिर्भर कहां से आ गया।

किसी मित्र ने भी यह कहा था कि यह आत्‍मनिर्भर, समृद्ध प्रदेश कैसे आया, यह विकास की यात्रा कभी रुकने वाली नहीं है. हम कल आगे बढ़ेंगे तो और आगे की यात्रा हमको करनी पड़ेगी, उससे आगे बढ़कर अब मैंने कहा है कि आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश की यात्रा।

शिवराज सिंह चौहान ने सदन में बताया की मनुष्‍य जीवन में आखिर क्‍या चाहता है एक इच्‍छा सभी की होती है कि वह सुखी जिये, पर यहां अलग-अलग विचारधाराओं का उद्भव हुआ है तो वह इसलिए हुआ है कि मनुष्‍य को हम कैसे सुखी कर सकते हैं, जनता को हम कैसे सुखी कर सकते हैं. जितनी भी राजनीतिक विचारधाराओं का उदय हुआ है कि मनुष्‍य सुखी कैसे रहे अनेक तरह की विचारधारा पश्चिम की देन है. किसी ने यह कहा है कि मनुष्‍य साढ़े 3 हाथ का हाड़-मांस का पुतला है. इसको भोजन दे दो, घर दे दो, कपड़ा, मकान, रोटी यदि यह सब मिल जाये तो मनुष्‍य सुखी हो जायेगा. हमारे यहां पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी ने भी कहा कि मनुष्‍य शरीर है, शरीर का सुख चाहिए, ‘शरीर माध्‍यम, खलु धर्म साधनम’. जो बुनियादी आवश्‍यकता है, वह पूरी होनी चाहिए. जो आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश का रोडमैप हमने तैयार किया है, उसमें सबसे पहला अगर कोई हमारा बिन्‍दु है तो यही है कि मनुष्‍य की आम आदमी की और विशेषकर गरीब की बुनियादी आवश्‍यकताओं को हम पूरा करने का काम करें. यह बुनियादी आवश्‍यकताएं क्‍या हैं रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई, लिखाई, दवाई और रोजगार का इन्‍तजाम. अब रोटी के लिए आप भी उस योजना को चलाते रहे. एक रुपये किलो गेहूँ अगर देने का काम किया, क्‍या हमारे किसी मित्र ने सवाल उठाया इतने लोगों को एक रुपये किलो गेहूँ दे रहे हो. हां, हम दे रहे हैं. हां, 5 करोड़ कुछ लाख लोग हैं. जिनको दिया जा रहा है और जो छूटे थे, बिसाहूलाल सिंह जी यहां बैठे हैं. आपने इनकी भी सही कद्र नहीं की. बिसाहूलाल जी हमारे खाद्य मंत्री हैं. हमने तय किया है कि 37 लाख वे गरीब लोग जिनके नाम एक रुपये की सूची में नहीं थे, पात्रता पर्चियां बनाकर उनको पात्रता पर्ची दी और उनको हमने अनाज देना प्रारंभ किया।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा यह सवाल बार-बार उठता है कि फिर इतने गरीब हैं क्‍या. देखिये, हम लोग कोशिश यह करते हैं कि गरीब की पूरी ऊर्जा मेहनत और मजदूरी केवल एक दिन की रोटी में कम न हो जाये और इसलिए उसको सस्‍ता राशन देंगे. एक दिन की मजदूरी में महीने भर का राशन आ जाये तो 29 दिन की मजदूरी में वह अपना बाकी काम कर पायेगा. वह कपड़े खरीदेगा, बर्तन खरीदेगा एवं दूसरी चीजें करेगा और इसलिए रोटी की व्‍यवस्‍था होनी चाहिए. मकान में मामले में, मैं फिर निवेदन करना चाहता हूँ हम लोगों का संकल्‍प है- आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश. हमारी कोशिश होगी कि कोई गरीब बिना छत के न रहे, सबको मकान मिले, आपके समय भी प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान आते थे लेकिन हम जानते हैं कि उसमें 2 लाख आपने उसमें कम कर किये थे, 8 लाख आये थे, 6 लाख मकान बने लेकिन मकान बनाने का यह सिलसिला चाहे शहरी गरीब हों, चाहे ग्रामीण गरीब हों, उसके लिए आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश में लगातार जारी रहेगा और हम तब तक करते रहेंगे, जब तक हर गरीब को छत न मिल जाये. सन् 2011 का मामला आया था, आपमें से किसी मेरे साथी ने यह उठाया था. अब 2011 के अलावा भी फिर से सर्वे हो रहा है, उस सर्वे के हिसाब से जिनकी पात्रता आयेगी।

जैसी पात्रता होगी, उसको मकान देने का प्रयास किया जायेगा और मकान केवल मकान नहीं हैं. मकान के साथ शौचालय भी हो और मकान में प्रधानमंत्री जी की कृपा से उज्‍जवला रसोई गैस का कनेक्‍शन भी हो, गांव में कनेक्‍टिविटी भी बेहतर हो, उसकी हम लगातार कोशिश करेंगे. गांव की कनेक्टिविटी के बारे में कल शायद श्री हीरालाल जी ने कहा था कि कई आदिवासी टोले-मजरे जुड़े हुए नहीं हैं. अरे जितने भी जुड़े हैं चाहे धार जिले में देख लो, झाबुआ जिले में देख लो, वह हमने ही जोड़े थे, और बाकी भी जो बचे हैं तो उनको जोड़ने का काम सरकार करेगी।

तीसरी बहुत महत्‍वपूर्ण चीज होती है, बच्‍चों की पढ़ाई. मैं बहुत विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं कि बच्‍चों की पढ़ाई के लिये जो शिक्षा की व्‍यवस्‍था है, उसमें बड़े परिवर्तन की आवश्‍यकता है. अभी जो भारत सरकार की नई शिक्षा नीति आई है, उस शिक्षा नीति में छठवीं क्‍लास से व्‍यावसायिक शिक्षा की बात कही गई है. मैं यह नहीं कहता हूं कि सब बच्‍चों को हम वह छठवीं क्‍लास से दे ही देंगे, लेकिन उस दिशा में हम गंभीर कदम उठायेंगे.

दूसरी हमारी प्रतिबद्धता है, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और बाकी प्रतिपक्ष के मित्रों के साथ-साथ मैं अपने मित्रों को कहना चाहता हूं, मित्र तो आप भी हैं, मैं अपने पक्ष के साथियों को कहना चाहता हूं कि हमारी कोशिश यह रहेगी कि धन के अभाव में किसी गरीब का बेटा-बेटी बिना पढ़े लिखे न रहे, संबल उसका सही अर्थों में संबल बनेगी, यह आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश में हम करने का पूरा प्रयास करेंगे.
सी.एम.राइज स्‍कूल की बात आई. देखिये हमको एक नई कल्‍पना करना पड़ेगी. एक गलती ओर हुई, मैं तीखी आलोचना नहीं करूंगा लेकिन एक गलती हुई थी, जब वर्ष 2003 के पहले की सरकार थी, तब उसने शिक्षा की पूरी व्‍यवस्‍था को चौपट कर दिया था, शिक्षाकर्मी, गुरूजी, अलग-अलग इतने कैडर बन गये. गांव के ही कोई देख लो, उसी गांव में कोई पढ़ा-लिखा, सचमुच में उसे नुकसान हुआ..

हमने एक कल्‍पना की है, जिसको हम साकार रूप देंगे और वह है सी.एम.राइज स्‍कूल की कल्‍पना. कई बार हमारे अनुसूचित जनजाति के मित्रों ने कहा कि आप फलाने स्‍कूल बंद कर रहे हो, आप डिमका स्‍कूल बंद कर रहे हो. आज जिम्‍मेदारी के साथ मैं इस सदन में कह रहा हूं कि यह भ्रम फैलाने का काम मत कीजिये, न तो अनुसूचित जनजाति विभाग के जो स्‍कूल थे, वह बंद किये जा रहे हैं और न ही कोई ओर स्‍कूल बंद किया जा रहा है. (मेजों की थपथपाहट) यह देखिये भ्रम फैलाने का काम मत कीजिये. आपने पहले आरक्षण के मामले में भ्रम फैलाया. उसके बाद दूसरा यह भारतीय जनता पार्टी वाले स्‍कूल बंद कर देंगे, इसका कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है.

कई तरह के विचार विमर्श होते हैं, लेकिन सदन के नेता के नाते मैं आश्‍वस्‍त कर रहा हूं कि कोई भी स्‍कूल अभी बंद नहीं किया जायेगा कल्‍पना यह की है कि हम 20-25 किलोमीटर के दायरे में एक बहुत उत्‍कृष्‍ट स्‍कूल खोलें, वहां दस हजार बच्‍चे पढ़ें, वहां आठ हजार बच्‍चे पढ़ें, वहां स्‍कूल का भवन हो, वहां लैब हो, वहां लाइब्रेरी हो, वहां प्‍ले ग्राउंड हो, वहां शिक्षकों की पूरी व्‍यवस्‍था हो, बिना कोई स्‍कूल बंद किये हम कोशिश करेंगे कि उस स्‍कूल में बच्‍चे आयें और उन्‍हें लाने के लिये हम बसों की व्‍यवस्‍था करेंगे, परिवहन की व्‍यवस्‍था करेंगे. देखो अच्‍छी शिक्षा की चाह में प्रायवेट स्‍कूलों में कहां-कहां से बच्‍चों को लेकर माता पिता स्‍कूल में भेजते हैं. हम सरकारी स्‍कूल ऐसे बनायेंगे और जब उन स्‍कूलों में बच्‍चे पढ़ेंगे, तब उसके बाद अगर कहीं यह लगेगा कि कहीं किसी स्‍कूल के दो किलोमीटर दूर प्रायमेरी स्‍कूल की जरूरत नहीं है, तब विचार करेंगे लेकिन कोई स्‍कूल न तो आदिमजाति कल्‍याण का, न ही कोई जनरल स्‍कूल, कोई स्‍कूल बंद नहीं किया जायेगा. यह प्रयोग हम कर रहे हैं. अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो हम बेहतर गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा, जहां विज्ञान के टीचर भी हों, जहां गणित के टीचर भी हों, जहां अग्रेंजी के टीचर भी हों और मैं यह कहना चाहता हूं कि मात्र भाषा में अपनी शिक्षा होना चाहिये लेकिन अग्रेंजी के ज्ञान से भी अब मध्‍यप्रदेश के बच्‍चे वंचित नहीं रहना चाहिये क्‍योंकि कैरियर में कई बार यह अग्रेंजी ही बाधा बन जाती है और इसलिये शिक्षा की व्‍यवस्‍था में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्‍यकता है. मैं नहीं कह रहा कि एक दिन में हम खोल देंगे. अभी हमने 9 हजार की 3 साल की योजना बनाई है. धीरे-धीरे हम उस दिशा में बढ़ने का काम करेंगे ताकि बच्‍चों को हम ठीक गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा देने की कोशिश कर सकें और इसमें मैं आपका सहयोग चाहूंगा, आपका साथ भी चाहूंगा, आखिर हमारे बच्‍चे हैं. हम सब लोग मिलकर काम करने का प्रयास करेंगे. शिक्षा के साथ-साथ एक है इलाज का मामला, स्‍वास्‍थ के क्षेत्र में, मैं मानता हूं. हृदय से मानता हूं।

सदन के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया की स्‍वास्‍थ के क्षेत्र में अभी काम करने की बहुत आवश्‍यकता है. कल हमारे मित्रों ने कहा मैं दोहराना नहीं चाहता, कितने नये मेडीकल कॉलेज हमने खोले हैं, यह मेडीकल कॉलेज नये खुलेंगे, इनके अलावा भी, अरे हम ऐसे नहीं हैं, हमने यह देखा था कि हमने छतरपुर में भूमि पूजन किया, हमारा मेडीकल कॉलेज गायब हो गया. हमने सिवनी में भूमिपूजन किया, सिवनी का मेडीकल कॉलेज हमारा गायब हो गया. मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा, लेकिन हमारा भूमिपूजन किया गया धरा रहा, पता नहीं पैसा कहां चला गया, मैं नहीं कहूंगा कि छिंदवाड़ा में गया, वहां भी विकास का काम होना चाहिये छिंदवाड़ा भी तो अपना है, वहां भी विकास का काम होना चाहिये। शिक्षा की बात की है, कोरोना काल में प्राइवेट स्‍कूल भी बंद रहे, समस्‍यायें दोनों तरह की आईं, एक प्राइवेट स्‍कूल की तरफ से यह बात आती थी कि हम तनख्‍वाह कैसे बांटे, हमने आदेश जारी कर दिया था कि केवल ट्यूशन फीस ले पायेंगे. अब मुझे यह शिकायतें मिलीं कि कई जगह बच्‍चों से परीक्षा के समय पूरी फीस वसूल करने की बात हो रही है. मैं इस बात की पुख्‍ता व्‍यवस्‍था करूंगा कि इस कारण कोई भी बच्‍चा परीक्षा देने से वंचित न रह जाये, यह हमारी ड्यूटी है. हमारे शिक्षा मंत्री और हमारे बाकी मित्र मिलकर इस व्‍यवस्‍था कों करेंगे, लेकिन माननीय अध्‍यक्ष महोदय मैं स्‍वास्‍थ की सेवाओं की बात कर रहा था. हम लोगों ने तय किया है।

आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश की बात करें तो हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में तय किया है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी मेडिकल कालेज से जो जुड़े अस्पताल हैं, हमारे चिकित्सा शिक्षा मंत्री बैठे हैं, उनको बेहतर हम बनाएंगे. जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं हम ठीक करेंगे और जहां आवश्यकता है ट्रामा सेंटर और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की, उस दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ने का काम करेंगे. एक बात और, ईलाज गरीबों का, कैसे बिना किसी कठिनाई से हो जाये इसीलिये प्रधानमंत्री जी ने आयुष्मान भारत योजना बनाई और हमने युद्ध स्तर पर प्रयास किये और 2 करोड़ आयुष्मान कार्ड जनता के बनवाए हैं ताकि 5 लाख रुपये तक का साल में ईलाज चिह्नित प्रायवेट अस्पतालों में भी हो सके. हम पीपीई मोड में भी जो अस्पताल आएंगे उनको भी टाईअप करने का प्रयास करेंगे ताकि शिक्षा की व्यवस्था को हम ठीक कर सकें. सबसे बड़ा सवाल रोजगार का है. रोजगार आज बहुत ज्वलंत मुद्दा है और उसका समाधान कोई बहुत आसान नहीं है. मैं करना चाहता हूं कि हमने एक नहीं कई तरह की योजनाएं बनाईं. हमने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप बनाया. उसमें एक चीज,रोजगार के अवसर कैसे जुटाएंगे, सरकारी क्षेत्रों में हम सब जानते हैं कि रोजगार की संभावनाएं सीमित हैं. कोई भी सरकार असीमित नौकरियां नहीं दे सकती. तो शासकीय क्षेत्र में नौकरियां निकल रही हैं. हम लोग भर्तियां जारी रखेंगे लेकिन इसके साथ-साथ प्रायवेट सेक्टर और प्रायवेट सेक्टर में भी कैसे इन्वेस्टमेंट आए उसमें मैं सभी का सहयोग चाहूंगा. उसमें हम कसर नहीं छोड़ेंगे. हमारी जो इन्वेस्टमेंट पालिसी है उसको हमने और बेहतर बनाया है सिंगल विंडो के नाम पर जो दिक्कतें होती हैं उसका समाधान करने का हम पूरा प्रयास कर रहे हैं. हमने एक और योजना बनाई है. Start your business in thirty days . तीस दिन में सारे क्लियरेंस हम उद्योग को करके दे दें. ताकि वे अपना उद्योग लगाने का काम चालू कर सकें. केवल बड़े उद्योग न हीं एमएसएमई को भी हमने काफी सशक्त करने का काम किया है. अलग-अलग क्लस्टर्स हम डेव्लहप करने की कोशिश कर रहे हैं. कहीं फर्नीचर, कहीं नमकीन, अलग-अलग मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता. वहां भी छोटे-छोटे उद्योग लगें. लघु और कुटीर उद्योगों का जाल फैले, इसका भी हम प्रयास कर रहे हैं।

एक जिला एक उत्पाद. उस योजना को भी हम बढ़ावा दे रहे हैं. जैसे हमारे मंदसौर और नीमच का लहसुन. एक कली का लहसुन, पूरी दुनियां मे प्रसिद्ध है. हम उस लहसुन की मार्केटिंग कर रहे हैं, ब्रांडिंग कर रहे हैं कि उसको अलग-अलग प्रोसेसिंग के काम करके कैसे देश और दुनियां में भेज पाएं. हमारा आगर का, शाजापुर का, बैतूल,छिन्दवाड़ा का संतरा, हमारे बुरहानपुर का केला, हमारे निमाड़ की मिर्ची. मैं एक नहीं कई ऐसी चीजें गिना सकता हूं. तो हमने तय किया है कि एक जिला, एक उत्पाद, और उसके लिये हमने तय किया है कि कैसे हम उसकी गुणवत्ता इतनी बढ़ायें कि उसको हम विदेशों में भी निर्यात कर सकें. एक्सपोर्ट के लिये भी हमने काउंसिल बनाने का हमने फैसला किया है ताकि हम अपने उत्पाद को एक्सपोर्ट कर सकें. हम महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप को बहुत मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं. मुझे बताते हुए खुशी है. इस साल हम लगभग 1150 करोड़ रुपये महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप के खाते में, बैंकों के सहयोग से डाल चुके हैं और तेजी से हमारे महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप काम कर रहे हैं. लोकल को वोकल बनाने की बात माननीय प्रधानमंत्री जी ने कही थी. हम लोकल उत्पादों को कैसे लोग बेहतर बना सकें उसके लिये उनको ट्रेनिंग देने का भी काम कर रहे हैं और मुझे कहते हुए गर्व है कि कोरोना काल में भी जब हमें मास्क की जरूरत पड़ी, पीपीई किट की जरूरत पड़ी, सेनेटाईजर की जरूरत पड़ी तो महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप ने चमत्कार करके दिखाया. 2 करोड़ मास्क बनाकर दे दिये. एक नहीं अनेकों तरह के उत्पाद हमारी बहनें बना रही हैं. हम तेजी से उनको आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि एक बहन की आय अगर घर के कामकाज के साथ-साथ 8-10 हजार हो जाती है तो उसकी जिंदगी बदल जाती है. पी.एम. स्ट्रीट वेंडर योजना, शहरों में,फुटपाथ पर काम करने वाले हमारे भाई और बहन कोई जूता पालिश करने का काम कर रहा है, कोई कचोरी,समोसा बेचने का काम कर रहा है, कोई पान का ठेला लगाने का, कोई सब्जी-भाजी बेचने का, फल बेचने का, बाल काटने का, किराने की दुकान का, एक नहीं अनेकों काम, मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता. मध्यप्रदेश ने सबसे पहले इनीशियेटिव लिया और उसके क्रियान्वयन में हम देश में पहले स्थान पर रहे।

सी.एम.स्वनिधि योजना में लगभग 2 लाख से ज्यादा स्ट्रीट वेंडर्स को हम 10-10 हजार रुपये बिना ब्याज का दिला चुके हैं उसके बाद मेरे ध्यान में आया कि केवल शहरों में नहीं, ग्रामीण कस्बों में फुटपाथ पर सामान बेचने वाले हमारे गरीब भाई,बहन होते हैं जिनका काम धंधा पूरी तरह से कोरोना काल में छिन गया और अगर ये ब्याज पर पैसा लेकर काम करेंगे तो ऊंची ब्याज की दरों पर इनको पैसा लेना पड़ेगा और जितना कमाएंगे नहीं उससे ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा. इसीलिये मुख्यमंत्री ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर की योजना हमने बनाई.115 करोड़ रुपये उनके खाते में हम लोग डाल चुके हैं. लगभग सवा लाख से ज्यादा ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर के लगातार हमारे यह प्रयास चालू रहेंगे, तो रोजगार के लिये एक नहीं बहुकोणीय योजना हमने बनाई है और हम हर महीने रोजगार मेले भी लगा रहे हैं, जिससे भी 1 लाख 44 हजार लोगों, बच्चों को रोजगार मिला है. तो रोजगार देने के जितने प्रयास हो सकते हैं, पूरी शिद्दत और गंभीरता के साथ करेंगे।

श्री कमल नाथ ने सदन के नेता को रोककर कहा मुख्यमंत्री जी ने अभी सहयोग की बात की. इसमें कोई शक नहीं है कि आज हमारे प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है रोजगार की. हमारी आगे आने वाली पीढ़ी है, हमारे नौजवान हैं, इसमें जो सहयोग हमारा हो सकता है, मैं आपको यकीन दिलाना चाहता हूं कि हमारी तरफ से और मेरी व्यक्तिगत ओर से पूरा सहयोग मिलेगा कि इनवेस्टमेंट आये. आप प्रयास करिये, आप प्रयास कर रहे हैं. हमने भी प्रयास किया था, पर इसमें निवेश तब आता है, जब लोगों को विश्वास होता है इस प्रदेश पर और यह विश्वास की बहुत बड़ी आवश्यकता है. मैंने एक बात कही थी, जब मैं बोल रहा था कि मध्यप्रदेश 5 राज्यों से घिरा हुआ है. यह एक मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है. एक कारखाना लगता है तो इसके साथ जो संबंधित रोजगार के मौके बनते हैं, कोई गाड़ी चला लेता है, कोई ढाबा खोल लेता है, कोई मरम्मत का काम कर लेता है. तो किस तरह हमारा सहयोग आप चाहते हैं, मुझे बड़े खुले रुप से और मैं इन्वेस्टमेंट हो, इम्पलायमेंट हो, पूरा सहयोग हमारा रहेगा।

इस बात पर श्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ को धन्यवाद देते हुए कहा कोरोना काल में भी 17 उद्योग लगने का काम प्रारम्भ हो चुका है और रोज अनेकों उद्योगपति सम्पर्क कर रहे हैं, बड़े भी, छोटे भी और मैंने कहा कि लघु और कुटीर भी. ऐसे मामलों में हम मिलकर काम करेंगे, कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि यह प्रदेश के हित का सवाल है,सरकारें आती जाती रहती हैं, लेकिन विकास की दिशा निरंतर जारी रहनी चाहिये, यह मेरा भी सोच है,हम लोग उस दिशा में मिलकर काम करें।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा एक तो यह सवाल रोजी रोटी पर है, लेकिन दूसरा शरीर के साथ साथ व्यक्ति का मन भी है. उसको मन का सुख भी चाहिये. केवल रोटी से व्यक्ति पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होता, तो हमने आगे सोचा है कि मन के सुख का भी कई बार यह होता है कि मन का सुख क्या होता है. मैं केवल एक उदाहरण आपको छोटा सा देना चाहूंगा, जो शरीर के सुख से भिन्न होता है. अगर दो मित्र बहुत दिनों के बाद मिलें, तो एक दूसरे को गले लगा लेते हैं. गले लगाकर जो सुख मिलता है, उसको हम मन का सुख कहते हैं. मैं एक छोटी सी घटना सुनाना चाहता हूं. मैं युवा मोर्चा का कार्यकर्ता था, मध्यप्रदेश का महामंत्री था, तब छत्तीसगढ़ एक था. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़. बिलासपुर में एक वर्ग था भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं का. उस वर्ग में मैं भी गया था. पहले हम लोग ट्रेन से जाते थे, वर्ग दोपहर में खत्म हो गया, ट्रेन शाम को थी. हम लोग ट्रेन के इंतजार तक धर्मशाला में लेटे हुए थे कि ट्रेन आयेगी एक कमरे में. तो तभी कुछ नौजवान एक बुजुर्ग सज्जन को लेकर के मेरे पास आये और उन्होंने कहा कि यह आपके उद्बोधन से प्रभावित हुए हैं. ये आपसे कुछ बात कहना चाहते हैं. तो मैं उठकर खड़ा हो गया, क्योंकि वे बुजुर्ग थे. उनको बिठाया, बातचीत की. मैंने कहा कि बताइये, तो उन्होंने कहा कि देश की हालत बहुत खराब है. मैंने कहा कि हां बात तो सही है, बोले उस खराब हालत को देखकर मैं बहुत व्यथित हूं. मैंने कहा कि हां तकलीफ तो हमें भी होती है. बोले उस व्यथा से व्यथित होकर मैंने कुछ पंक्तियां लिखी हैं, वह आपको सुनाना चाहता हूं. मैंने कहा कि मर गये, ये तो कवि हैं. कविता सुनने का मेरा मूड नहीं था. तो मैंने मेरे अध्यक्ष उस समय हुआ करते थे बृजेन्द्र सिंह जी, उनसे कहा कि जरा इनको सुनाओ, यह ज्यादा समझते हैं. तो वे लेटे लेटे ही बोले कि शिवराज ज्यादा कद्र दान है. अब मेरी मजबूरी थी कि वह कविता सुनाने लगे, मैं भी बैठ गया. अब वह पंक्तियां सुनाये तो बीच में कहना पड़ता है कि वाह क्या शब्द,भाव है. तो मैं भी कह रहा था कि वाह क्या शब्द है. अब कविता और लम्बी हो गई, खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी. मुझे कहना पड़ रहा था कि वाह क्या शब्द है. अब ये कहते कहते मेरे हाथ में पानी का ग्लास वहीं रखा था, वह आ गया, प्यास लगी थी, तो मैंने एक घूंट पानी पिया और मैंने उसके पहले कहा कि वाह क्या शब्द है, तो बृजेन्द्र सिंह जी मुझे देख कर हंस रहे थे. तो मेरे मुंह का पूरा पानी मुझे भी हंसी आई और कवि जी के मुंह पर चला गया. मुझे ठसका लगा खांसी हुई और नाक एवं आंख में पानी आ गया. थोड़ी देर के बाद मैं सामान्य हुआ, तो मैंने यह कहा कि यह क्या कहेगा कि बड़ा बदतमीज है, कैसा युवा मोर्चा वाला है. तो मैंने सोचा कि करुं क्या और कुछ समझ में नहीं आया तो मैं दोनों घुटने टेक करके उनके सामने बैठ गया और उनसे हाथ जोड़कर कहा कि मुझे माफ करें, मुझसे बड़ी गलती हो गई, तो वे बोले कि बेटा कोई बात नहीं है, तुम तो अगली पंक्तियां सुनो.. यह जो अगली पंक्ति सुनाने का सुख है, इसको कहते हैं मन का सुख. तो रोटी के अलावा भी कुछ चाहिये. इसलिये मेरे आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में हमने तय किया है, चाहे वह सांस्कृतिक कार्यक्रम हो. हमारी लोक कला हो, हमारे खेलकूद हों, जितनी तरह की गतिविधियां हैं.हमने यह सोचा है कि इस तरह की गतिविधियां राज्य शासन की जवाबदारी और जिम्मेदारी होती है कि वह चालू करे, इसलिए खेल भी मन को और शरीर को दोनों को सुख देता है. हमने तय किया है खेलमंत्री यहां बैठी हुई हैं कि हम कम से कम हर पंचायत में कई जगह, जगह नहीं होगी तो अतिक्रमण हटाकर भी एक खेल का मैदान तो अपने बच्चों के लिए बना दें ताकि वह ढंग से खेल सकें.मन के सुख को भी प्राप्त कर सकें. हमारे यहां अलग अलग अनेकों उत्सव होते हैं, अब मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता, अभी खजुराहो उत्सव चल रहा है, भूरी बाई हमारी एक ऐसी कलाकार है जो जनजाति कलाकार है और उनको भी पदम श्री से सम्मानित किया गया, भारत भवन में काम करती थीं. हमको गर्व होता है. ऐसी गतिविधियां बढ़ाने की भी आवश्यकता है .मैं विस्तार में नहीं जा रहा तो मेरे आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में मन का सुख भी लोगों को मिले, इस बात की हम कोशिश करेंगे.

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में फिर बुद्धि भी चाहिए, बुद्धि का सुख भी चाहिए और अनेकों तरह की जिज्ञासाएं बच्चों के मन में रहती हैं बहुत टैलेंट रहता है, वह कुछ करना चाहते हैं, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनती है कि वह कर नहीं पाते. अब जिनका दिमाग चलता है अन्वेषण में, अनुसंधान में, सोच में.

अब आप जानते हैं कि न्यूटन एक दिन पेड़ के नीचे बैठे थे, अचानक पेड़ हिला हवा चली, फल टूटा और जमीन पर गिर पड़ा. अब न्यूटन सोचने लगे कि यह फल टूटकर जमीन पर क्यों गिरा, यह आसमान में क्यों नहीं गया, यह बीच में क्यों नहीं अटका, उत्तर मिल नहीं रहा था तो रास्ते में जितने लोग आ जा रहे थे, उनको बुलाकर उन्होंने पूछना शुरू किया कि भई, यह हवा चली, पेड़ हिला, फल टूटा, यह जमीन पर ही क्यों गिरा तो लोगों ने कहा कि जमीन पर नहीं गिरता तो कहां जाता तो न्यूटन बोले बीच में क्यों नहीं अटका, आसमान में क्यों नहीं गया तो लोगों ने कहा कि यह तो गया, यह पागल हो गया है, गया काम से. बरसों से देखते चले आ रहे हैं, फल टूटता है तो जमीन पर ही तो गिरता है, लेकिन न्यूटन नहीं माने और खोजते रहे, अंततः उन्होंने खोजकर निकाल लिया कि पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण की शक्ति होती है, इसलिए हर चीज को पृथ्वी अपनी तरफ खींचती है, आकर्षित करती है और इस गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को खोजकर जो सुख न्यूटन को मिला, उसको कहते हैं, बुद्धि का सुख.

मुख्यमंत्री और सदन के नेता श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा हमारे बच्चों में बहुत जिज्ञासाएं होती हैं, हमको ऐसी व्यवस्थाएं खड़ी करनी पड़ेगी कि जिससे उनके टैलेंट का प्रकटीकरण होता रहे और इसलिए स्टार्ट अप जैसी योजनाएं, वह ठीक से बनाकर हम अपने बच्चों के टैलेंट को प्रकट भी होने देंगे, उससे हमारे प्रदेश को समृद्ध और विकसित करने का प्रयास करेंगे.

एक और अंतिम सुख होता है उसको कहते हैं आत्म का सुख. वह मिलता है दूसरों की सेवा करने से, दूसरों की भलाई करने से. इस कोरोना काल की गाथा मैंने आपके सामने नहीं कही क्योंकि कई मित्र कह चुके थे. लेकिन यह मध्यप्रदेश की जनता है. कहते हुए गर्व होता है कि एक तरफ जब मजदूर अपने सिर पर अपना सामान लेकर दूर दूर के प्रदेशों से अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में आ रहे थे, मध्यप्रदेश सरकार ने विनम्र कोशिश की. बसें लगाई, हमने बसों से बार्डर तक छुड़वाने का इंतजाम किया, लेकिन मध्यप्रदेश की जनता ने चाय, नाश्ता, भोजन और पांव में जूते और चप्पल पहनाने तक का काम, आप में से हरेक ने किया. अपने अपने क्षेत्र में कोई वंचित नहीं रहा. पक्ष के लोगों ने भी किया, प्रतिपक्ष के लोगों ने भी किया. अब इसको कहते हैं आत्मा का सुख. जिस गरीब की, जरूरतमंद की आम इंसान की आप जरूरत पर मदद कर दें तो उसको मदद करने के बाद जो उसके चहरे की चमक है, कैबिनेट का एक दिन था तेजी से मैं अपने मुख्यमंत्री निवास से निकलकर वल्लभ भवन की तरफ आ रहा था तो मेरे सहयोगियों ने कहा कि एक सज्जन हैं वह मान नहीं रहे, मंगलवार को मैं कोशिश करता हूं कि लोगों से न मिलना पड़े क्योंकि कैबिनेट की ब्रीफिंग होती है तो मैंने कहा कि नहीं, आज तो टाइम नहीं है. उन्होंने कहा कि वह तो कह रहा है, रो रहा है कि मैं मिलूंगा. अब जब वह मिलने आया तो मैंने कहा कि जल्दी काम बताओ तो मुझे कहा एक माला निकालकर कि यह माला मैं आपके गले में पहनाना चाहता हूं तो मुझे थोड़ा गुस्सा आया कि यह माला पहनाना भी कोई काम है, उसने कहा कि आपने पहचाना नहीं. मैंने कहा कि अभी तो नहीं पहचाना, बोले आप गये थे, मैं लाइन में खड़ा था, मेरा हाथ नहीं था. आपने कलेक्टर को बुलाकर कहा था कि इसको हाथ लगवा दो, मेरा वह हाथ लग गया है मैं उस हाथ से आपके गले में यह माला पहनाना चाहता हूं. मेरी आंखों में आंसू आ गये और यह हरेक महसूस करता होगा. अगर किसी की बाईपास सर्जरी आपने करवा दी, वह ठीक होकर आपके सामने आ गया, मन गद्-गद् और प्रसन्न हो जाता है और इसलिए मध्यप्रदेश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में ऐसी व्यवस्था का निर्माण जिसमें हम दूसरों की सेवा करने का अवसर भी चाहे व्यक्ति हो, चाहे स्वयं सेवी संस्थाएं हों, उनको दे सकें और सरकार तथा समाज भी मिलकर यह काम कर सकें. मेरे हिसाब से यह आत्मा का सुख होगा तो आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में हम इस तरह की व्यवस्था को भी खड़ा करना चाहते हैं. समाज के जितने कमजोर वर्ग हैं.

शिवराज सिंह ने कहा अनुसूचित जाति या जनजाति हो, कल यहां पर पांचवीं अनुसूची की बात कही गई, यहां पर पैसा एक्ट की बात कही गई. मैं कहना चाहता हूं कि भाजपा समाज के हर वर्ग की हितैषी है और मैंने टीएसी(ट्रायबल एडवायजरी कमेटी) के सदस्यों की भी एक समिति बनाई है, हम पैसा एक्ट के बारे में विचार करेंगे. हम पांचवीं अनुसूची के बारे में विचार करके हमारे जनजाति के भाई और बहनों को भी पूरा पूरा न्याय देकर रहेंगे, उस दिशा में हम गंभीर कदम उठायेंगे. जनजाति भाई और बहनों को जो ऋण दिये थे आपने भी उनके लिए पहल प्रारम्भ की थी प्रायवेट लोगों ने उनको जो ऋण दिये थे, जो कि बिना किसी नियम प्रक्रिया के दिये थे.अब हमने यह फैसला कर दिया है कि ऐसे ऋणों की वसूली अब किसी भी हालत में नहीं हो पायेगी. उटपटांग दरों पर जो दिये गये हैं, हम उस व्यवस्था को भी बनाने की कोशिश करेंगे. अनुसूचित जाति जनजाति या पिछड़े वर्ग की बात हो, पिछड़े वर्ग को भी 27 प्रतिशत आरक्षण मिले, कोर्ट में मामला है हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे पूरी ताकत के साथ में उस मामले में लड़ेंगे और हमारे सवर्ण समाज के सामान्य वर्ग के जो गरीब भाई बहन बेटे बेटियां हैं, सर्वण आयोग भी भाजपा की सरकार बनाकर उनके कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. समाज का हर वर्ग अपना है इसलिए समाज के हर वर्ग की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए मेरी सरकार काम करेगी.

एक नया आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने की दिशा में हमने कदम उठा दिये हैं. मैं केवल यह निवेदन करना चाहता हूं कि यह काम केवल मुख्यमंत्री नहीं कर सकता है, मेरे मंत्री साथी यहां पर बैठे हैं, हम लोग कई बार बैठे हैं, हम लोगों ने विचार मंथन किया है और हमने यह संकल्प लिया है कि हर एक अपनी संपूर्ण क्षमता को लगाकर इसे आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिए काम करेगा, हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. मंत्रियों को दिन और रात काम करना है. मैं अपने पक्ष के विधायक साथियों के साथ में बैठा था देखिये मैं रहूं या और कोई मुख्यमंत्री हों , अकेला मुख्यमंत्री और मंत्री मध्यप्रदेश को नहीं बना सकते हैं, जरूरत है हम सब उसमें महती भूमिका निभायें. मैं अपने मित्रों के साथ में बैठा था सबने मिलकर तय किया है अपने क्षेत्र में योजनाओं के क्रियान्वयन में कोई कसर नहीं रखेंगे और मैं आपसे भी आज खुले हृदय से आव्हान कर रहा हूं. मेरे प्रतिपक्ष के मित्रों से हम विधायक हैं. अपने क्षेत्र के विकास के लिए हम जिम्मेदार हैं तरूण जी ने कल बहुत सकारात्मक बातें कही थीं. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में आप आलोचना करें मुझे कोई दिक्कत नहीं है जहां पर गड़बड़ हैं वहां के बारे में बतायें लेकिन क्रियान्वयन में आप भी सहयोग करें, देखिये मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर कब बनेगा, तब बनेगा जब हर विधान सभा क्षेत्र आत्मनिर्भर बनेगा.

एक एक योजना ठीक से नीचे जमीन पर जाय उसका क्रियान्वयन हो उसके लिए मैं सभी का सहयोग चाहता हूं. हर एक मित्र से मैं अंतरआत्मा से कह रहा हूं, मैं दिल से कह रहा हूं, हम ऐसे मतभेद नहीं रखेंगे क्योंकि मध्यप्रदेश की जनता तो 8 करोड़ है, कहीं पर कोई पार्टी जीती होगी कहीं पर कोई पार्टी जीती होगी. इसलिए मैं आपसे भी अपील करता हूं कि विकास के लिए धन की कुछ सीमाएं होती हैं उन सीमाओं में रहते हुए हम सभी मिलकर काम करें कि योजनाओं का लाभ कैसे आम आदमी तक ठीक ढंग से पहुंच पाय. स्वशासन का जहां तक सवाल है, किसी मित्र ने कहा था कि बिना लिये दिये, मैं आज यह कहना चाहता हूं कि माफियाओं की बात बार बार उठी आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी ने भी कहा है कि मैं कह रहा हूं कि जमीन में खोद दूंगा, गाड़ दूंगा, पटक दूंगा, अब जमीन में खोदने का मतलब कोई गड्डा खोदकर गाड़ना नहीं होता है. मैं साफ बात कहना चाहता हूं एक बार फिर दोहराना चाहता हूं. मध्यप्रदेश में कोई भी माफिया हो अनेकों प्रकार की घटनाएं होती हैं. हर एक घटना को आप नहीं रोक सकते हैं. रोज कहीं न कहीं इस तरह की घटना होती है. कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस तरह की गतिविधियां संचालित की हैं मुझे यह कहने में संकोच नहीं है. उसमें कई बार ऐसे लोग जो सत्ता के दलाल होते हैं किसी भी पार्टी की सरकार हो, इधर की हुई तो इधर चिपकेंगे, उधर की हुई तो उधर चिपकेंगे और सत्ता का लाभ उठाकर कैसे अपना साम्राज्य कायम रख पायें इस बात का वह कुत्सित प्रयास करते हैं, कई बार वह सफल भी हो जाते हैं.

सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं और सदन के माध्यम से प्रदेश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं. ऐसा कोई भी सत्ता का दलाल और माफिया छोड़ा नहीं जायेगा किसी भी कीमत पर, हम भरपूर प्रयास करेंगे, अब इक्का दुक्का घटनाएं होती हैं अब रेत माफिया को पकड़ने जायेंगे तो कई बार कोई घटना भी हो जाती है मैं पूरी सिद्दत के साथ कह रहा हूं. आपमें से कई मित्रों ने यह मामला उठाया है. मैं यह भी जानता हूं कि रेत के काम धंधे में किस किस तरह के लोग लगे रहते हैं. मैं सबसे अपील करना चाहता हूं नियम से आपने ही ठेके दिये थे कोई गलत नहीं किया और काफी राशि उसके माध्यम से खजाने में आयी.

काफी राशि उसके माध्‍यम से खजाने में आई, तो जो वैध ठेकेदार हैं उसको उत्‍खनन का, अवैध उत्‍खनन का नहीं वैध उत्‍खनन का उसको अधिकार है. वैध उत्‍खनन होना चाहिये. जितनी रेत जरूरी है उतनी निकलनी भी चाहिये. जनता की जरूरतें भी पूरी होनी चाहिये, लेकिन अगर कोई अवैध ढंग से करेगा तो हम सख्‍त कार्यवाही करेंगे कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. उसमें सबका सहयोग चाहिये, इधर का भी उधर का भी, हम अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. चाहे वह शराब माफिया हो, शराब की बात उठती है, मैं मानता हूं कि शराब पर भी बहुत गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. नशामुक्‍त मध्‍यप्रदेश मैं भी चाहता हूं, लेकिन केवल क्‍या नशामुक्ति की घोषणा के साथ शराबबंदी हो जाएगी ? हमने कई प्रदेश देखे हैं, मैं किसी प्रदेश का नाम नहीं लूंगा, जिनकी पूरी एनर्जी इसी में लगती है कि कैसे अवैध शराब रोकें और पिछली बार भी कुछ ऐसी चीजें हुई हैं, शराब के रेट इतने बढ़ गये, मैं आलोचना में नहीं जा रहा, इतने रेत बढ़ गये कि वैध शराब के बजाय अवैध शराब पीने का प्रचलन बढ़ गया. इधर-उधर अगर सस्‍ती बना दी तो इधर कहीं से लाकर, अब मैं तो उसकी सब चीजें भी नहीं जानता क्‍या-क्‍या लगती हैं, उससे बना लो और बेच दो, अब इस तरह की चीजें बढ़ी हैं. हमको इस समस्‍या को भी संपूर्णता के साथ सोचना पड़ेगा. टुकड़ों-टुकड़ों में इसका विचार नहीं होगा. हां, मैं चाहता हूं नशामुक्‍त मध्‍यप्रदेश हो. उसके लिये मैं कोई कसर नहीं छोडूंगा, लेकिन हम शराब के बारे में एक बार ढंग से सब विचार करके हम उसमें नीति बनाएं, हम तो आपके सुझावों का भी स्‍वागत करेंगे. रेत के अवैध उत्‍खनन के मामले में, रेत की नीति क्‍या होनी चाहिये, मैं आपसे भी विचार-विमर्श करने को तैयार हूं, हम लोग मिलकर करें, यह किसी एक का काम नहीं है. हां जहां तक प्रशासन का सवाल है, प्रशासन कोई कसर नहीं छोड़ेगा. यह कुछ ऐसे मामले हैं जिस पर हम सबको मिलकर संपूर्णता के साथ विचार करना पड़ेगा, लेकिन वह प्रभावशाली लोग जो सत्‍ता का संरक्षण प्राप्‍त करके जनता को लूटने का काम करते हैं ,मैं आज सदन के माध्‍यम से फिर आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि उनको नेस्‍तनाबूत करने में कोई कसर किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ी जाएगी.

सदन के नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में बताया की अभी कुछ दिन पहले ही इंदौर गया था, तो महेन्‍द्र हार्डिया जी ने मिलवाया था, कालोनी के बुजुर्ग लोगों के 20-20, 25-25 सालों से प्‍लाट के पैसे सोसायटी वालों ने ले लिये और प्‍लाट नहीं दे रहे हैं, उनके प्‍लाट दूसरों को बेच दिये गये. हमने तय किया कि चाहे कोई कितना शक्तिशाली हो छोड़ा नहीं जाएगा और वह माफिया आज भागते फिर रहे हैं और मुझे कहते हुये खुशी है कि गरीबों को अब प्‍लाट मिल रहे हैं. प्‍लाट पर गरीब टेंट गड़ा रहे हैं उनको अपना आशियाना मिल रहा है और कई तो यह कह रहे हैं कि प्‍लाट मिलने से हमारी उम्र 10 साल बढ़ गई है. कोई भी माफिया हों, शराब माफिया, ड्रग माफिया, भूमाफिया, अतिक्रमण माफिया, सायबर माफिया, रेत माफिया, राशन माफिया, यह राशन माफिया भी चाहे इधर की हो या उधर की सरकार आये मिल-मिलाकर दुकानें ले लो और राशन बेचते रहो. हमने इन लोगों को भी पकड़ा है. रासुका में भी लोग भेजे गये हैं. यह राशन माफिया, चिटफंड माफिया, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि चिटफंड माफिया के मामले में हमने 850 करोड़ रुपया वापस दिलवाने का काम पहली बार किया है, नहीं तो छोटी-मोटी कार्यवाही हो जाती थी. भूमाफियाओं के खिलाफ 1,500 भूमाफियाओं जिनका शासकीय जमीनों पर अवैध कब्‍जा था उनके कब्‍जे से 3,300 एकड़ से अधिक शासकीय भूमि हमने मुक्‍त करवाई है. लगभग 8,800 करोड़ इसकी कीमत होती है. 466 अपराध पंजीबद्ध किये हैं. 38 को एनएसए में भेजा है. 288 के खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही की गई है और इंदौर में जो जमीन हम मुक्‍त करवा रहे हैं कम से कम 3,000 करोड़ रुपया उसकी कीमत होगी और ऐसे एक नहीं हमने अनेकों आपराधिक प्रकरण दर्ज किये हैं. 840 करोड़ रुपया, 52,300 से अधिक निवेशकों को हमने वापस दिलवाये हैं. मैंने यही कहा है कि चिटफंड कंपनी के मामले में केवल एजेंट मत पकड़ो जड़ पकड़ो, जहां जड़ मिले पकड़कर लेकर आओ और जरूरत पड़े तो उसकी जमीन, उसकी संपत्ति जो भी हो नीलाम करके चिटफंड कंपनी में जो लोग ठगे गये हैं उनको न्‍याय दिलवाने का काम करो.

सदन के नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया की रेत माफिया के मामले में भी 4,618 अपराध पंजीबद्ध किये गये हैं. अवैध उत्‍खनन कर भंडारित की गई लगभग 25 करोड़ रुपये की 1 लाख, 10 हजार घन मीटर से अधिक रेत और 5 हजार ट्रेक्‍टर-ट्राली, डम्‍पर, ट्रक, जेसीबी जप्‍त किये गये हैं और जप्‍त में से 131 वाहन राजसात कर लिये गये हैं. अवैध उत्‍खनन करते अगर पकड़ाएंगे तो वाहनों को नियमानुसार राजसात करने की भी कार्यवाही की जाएगी. चिह्नित अपराधों में भी 58 को आजीवन कारावास और 35 को कारावास की सजा 134 प्रक्ररण में हुई है. शराब के मामले में अवैध शराब के परिवहन के 51 और संग्रहण के 91,401 अपराधियों को गिरफ्तार किया है. 18 करोड़ 41 लाख रुपये की शराब बरामद की गई है और 33,564 प्रक्ररण दर्ज किए गए हैं. लगभग 4 लाख 72 हजार लीटर शराब और 673 वाहन जब्‍त किए गए हैं. 34 आरोपियों की विरुद्ध एनएसए और 288 के विरुद्ध जिला बदर की कार्यवाही की गई है. बहन और बेटियों के खिलाफ, मैं यह कहते हुए कोई गर्व का अहसास नहीं कर रहा, लेकिन हमारी कई बेटियां जो गायब हुई थीं, हमने अभियान चलाया, 9500 से ज्‍यादा बेटियां हम वापिस ला चुके हैं और हमने धर्म स्‍वातंत्र्य कानून का भी विधेयक यहां पारित किया है. लोभ, लालच, भय, प्रलोभन और दबाव में कोई बेटियां इधर-उधर हो जाएं या उनसे जबरदस्‍ती विवाह कर लिया जाए, उनकी जिंदगी नरक बना दी जाए, यह मध्‍यप्रदेश की धरती पर किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा और इसलिए हम यहां विधेयक लेकर आए हैं.

सदन के नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बताया की मिलावटखोरों के खिलाफ विधेयक लाए हैं. आपने -कमलनाथ ने भी कार्यवाही शुरू की थी. हम लगातार ताकत के साथ कार्यवाही कर रहे हैं. अभी तक मिलावटखोरों के खिलाफ कार्यवाही होती थी तो केवल 6 महीने की सजा मिलती थी, अब उस सजा को बढ़ाकर 10 साल किया जा रहा है. उन्‍हें जिंदगी भर हम जेल की चक्‍की पिसवाएंगे. मिलावटखोर किसी भी हालत में न बचें, यह हमारी कोशिश रहेगी.

सदन के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कह कोई भी माफिया हो, ये माफिया समाज के दुश्‍मन हैं और मैं कहना चाहता हूँ कि चाहे वह भ्रष्‍ट राजनेता हो, चाहे वह भ्रष्‍ट अफसर हो और चाहे वह भ्रष्‍टाचार करने वाले इस तरह के माफिया हों, कोई नहीं छोड़ा जाएगा. ”आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश” में इनके लिए कोई स्‍थान नहीं होगा. मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि इंसान की चिंता तो हम करेंगे ही, साथ ही मेरे ”आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश” में पशु-पक्षी और जीव-जंतु की भी चिंता है. हमारे वन मंत्री बैठे हुए हैं. फिर टाइगर स्‍टेट हम हो गए हैं. तेंदुओं की संख्‍या बढ़ती जा रही है. तेंदुआ स्‍टेट भी हम हो गए. अब गिद्ध भी आसमान में फिर मंडराने लगे हैं. घड़ियाल लगातार बढ़ते जा रहे हैं. गौ-सेवा में भी हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. हम पशु-पक्षियों का भी ध्‍यान रखेंगे. कीट-पतंगों का भी ध्‍यान रखेंगे. पर्यावरण बचाने के लिए मुझ पर व्‍यंग्‍य किया जा रहा था. पर्यावरण बचाने का गंभीर प्रयास ”आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश” में किया जाएगा. कल मुझ पर व्‍यंग्‍य किया गया कि बेटी के पांव धो रहे हैं, पूजा करवा रहे हैं, हां, मुझे गर्व है, मैं बेटियों के पांव धोऊंगा और हमारी सरकार जो भी कार्यक्रम करेगी तो बेटी की पूजा से प्रारंभ करेगी ताकि समाज की मानसिकता स्‍वस्‍थ बनाए रखने में हम सहयोग कर सकें.

सदन के नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में अपील करते हुए कहा मैं तो रोज एक पेड़ लगाऊंगा ही, लेकिन साल में एक पेड़ मध्‍यप्रदेश की जनता में से भी हर व्‍यक्‍ति लगाए, यह हमारी विनम्र कोशिश रहेगी. पर्यावरण बचाना है. नदियों को बचाना है. कल मंदाकिनी की बात हो रही थी. नर्मदा हो, मंदाकिनी हो, बेतवा हो, क्षिप्रा मैयां हो, उस दिशा में भी हम गंभीर प्रयास करेंगे. हमारा जो एकात्‍म मानव दर्शन है, जिसकी कल्‍पना पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी ने की थी, वह शरीर, मन, बुद्धि और आत्‍मा के साथ-साथ पेड़ एक ही चेतना, समस्‍त जड़ एवं चेतन में स्‍थित है. एक ही चेतना, और इसलिए उस दिशा में भी हमारी सरकार गंभीर प्रयास करेगी. मैं फिर एक बार कहना चाहता हूँ, चाहे मेरे पक्ष के विधायक साथी हों, चाहे प्रतिपक्ष के हों, आइये, हम मध्‍यप्रदेश का ऐसा माहौल बनाएं. आलोचना की जगह आलोचना कीजिए, विरोध का स्‍वागत है, लेकिन जहां सकारात्‍मक काम करने की बात आए, मध्‍यप्रदेश की प्रगति की बात आए, विकास की बात आए, मैं आप सबका आह्वान करता हूँ कि आइये, हम मिल-जुलकर चलें और मध्‍यप्रदेश को उस मुकाम पर पहुँचाएं कि वास्‍तव में वह जिसका हकदार है. मैं अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ूंगा. मैं फिर कह रहा हूँ परिश्रम की पराकाष्‍ठा और प्रयत्‍नों की परिसीमा करेंगे, लेकिन आप, हम, सब मिलकर साथ चलेंगे तो ”आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश” के सपने को हम सच कर पाएंगे।

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