सीएए-एनआरसी भारत के सामाजिक ताने बाने,अर्थव्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देगा-अभय दुबे
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे कि जो कानून नागरिकों के अधिकारों की रक्षा न कर सकता हो, उनमें भेदभाव पैदा करता हो, ऐसे कानून का उल्लंघन करना हमारा परम कर्तव्य है। यह बात मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने भोपाल में 24 दिसम्बर, 2019 को जारी एक बयान के जरिए कही।
श्री दुबे ने कहा कि सनातन समय से भारत वर्ष विभिन्न भाषा, भूषा, भेषज, धर्म, संस्कृति, संस्कारों का देश है। भारत की आत्मा उसके बहुलतावाद में ही बसती है। केंद्र की भाजपा सरकार को देश के नागरिकों ने प्रचंड बहुमत भारत की प्रगति के लिए दिया है, न कि देश के नागरिकों को प्रताड़ित करने के लिए। जिस प्रकार केंद्र सरकार ने नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था को अंधकार में धकेल दिया है, उसी प्रकार नागरिकता संशोधन अधिनियम और नेशनल रजिस्ट्रर आॅफ सिटीजन भारत के सामाजिक तानेबाने और अर्थव्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देगा।
अभय दुबे ने नागरिकता संशोधन अधिनियम कुछ महत्वपूर्ण तथ्य पेश करते हुए बताया की नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 पर पाॅर्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा हुआ जो इस बात को सिद्ध करता है कि कैसे वर्तमान में नागरिकता संशोधन अधिनियम देश के लिए घातक सिद्ध होगा।
देश के इंटेलिजेंस ब्यूरो ने कमेटी के सम्मुख बताया कि अब तक भारत में पड़ोसी देशों के धर्म के आधार पर सताये हुए सिर्फ 31313 लोगों को भारत में लाॅग-टम वीजा दिया गया है, जिसमें 25447 हिन्दू, 5807 सिक्ख, 55 क्रिश्चयन, 02 बौद्ध और 02 पारसी हैं। जो लंबे समय से भारत में निवास कर रहे हैं। सिर्फ इन्हीं लोगों को इस नये कानून का लाभ मिलने की संभावना है। क्योंकि इन लोगों ने भारत आते समय बताया था कि धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किये गये हैं।
अभय दुबे ने बताया की भारत की खुफिया एजेंसी राॅ ने भी व्यक्त की चिंता
भारत की खुफिया एजेंसी राॅ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए पाॅर्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी को बताया था कि इस कानून का लाभ लेकर हमारे पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश बड़े पैमाने पर घुसपैठ करा सकते हैं अर्थात कुछ अतिवादी लोगों को भारत का नागरिक बनवा सकते हैं।
असम के एनआरसी से केंद्र की भाजपा सरकार सबक लेने की अपेक्षा अपने छोटे राजनैतिक उद्देश्यों के लिए इसे पूरे देश पर थोपकर देश को बर्बाद कर देना चाहती है। अकेले असम में 1200 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं और लगभग 19 लाख लोग असम में नागरिकता के दायरे से बाहर कर दिये गये हैं। इन 19 लाख में से लगभग 12 लाख हिन्दू जो बिहार, बंगाल, उत्तरप्रदेश, विभिन्न प्रांतों से असम में निवास कर रहे थे। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि पाॅर्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी के सम्मुख यह कहा गया कि इस प्रक्रिया से निराश होकर 25 हिन्दुओं ने आत्महत्या की है। असम के एनआरसी में कई शहीद सैनिकों के परिवारों को भी भारत की नागरिकता से वंचित किया गया है।
अर्थात एक ओर केंद्र की भाजपा सरकार पड़ोसी देश के लोगांे को नागरिकता देगी और भारत के 130 करोड़ लोगों को अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए कतारबद्ध कर प्रताड़ित करेगी।
नागरिकता संशोधन अधिनियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 5, 6, 8 के दायरे से बाहर जाकर बनाया गया कानून है। वहीं यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का भी सीधा उल्लंघन है जो यह कहता है कि किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समता से या कानून के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
नागरिकता संशोधन अधिनियम से समूचा पूर्वोत्तर जल रहा है। खासकर असम के नागरिकों में इसे लेकर खासा रोष व्याप्त है। क्योंकि यह असम एकाड-1985 का सीधा उल्लंघन है। जिसमें यह कहा गया था कि बंगला देश से भारत में सिर्फ 25 मार्च, 1971 से पहले आये हुए लोगों को ही नागरिकता दी जाएगी, बाकी लोगों को डिपोर्ट किया जाएगा।
अभय दुबे ने कहा की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ दृढ़ संकल्पित हैं कि मध्यप्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द को कायम रखेंगे, ताकि प्रदेश की समृद्धि और प्रगति को प्रशस्त मार्ग दिया जा सके। प्रदेश के नागरिकों से आग्रह है कि वे 25 दिसम्बर को आयोजित होने वाले संविधान बचाओ न्याय शांति यात्रा में सम्मिलित होकर भारत के संविधान के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करें।