एमपी के बिजली उपभोक्ताओं की सुविधाओं के साथ-साथ गुणवत्ता नियंत्रण एवं सामग्री प्रबंधन पर विशेष ध्यान
उपभोक्ता सुविधाओं के साथ-साथ गुणवत्ता नियंत्रण एवं सामग्री प्रबंधन पर विशेष ध्यान
ऊर्जा की रिएक्टिव हानि रोकने केपेसिटर बैंक लगाए
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने बताया है कि इंडक्टिव लोड जैसे सिंचाई मोटरें आदि के लोड बढ़ने के साथ-साथ उप-केन्द्रों पर रिएक्टिव हानि अर्थात अनुपयोगी ऊर्जा बढ़ती है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को लो वोल्टेज की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, बल्कि कंपनी को वित्तीय हानि भी होती है। कंपनी द्वारा इन हानियों को रोकने के लिए चालू वर्ष 2020-21 में दिसंबर माह तक 79 चिन्हित स्थानों पर 100 के.व्ही.ए.आर क्षमता की केपेसिटर यूनिट को 200 के.व्ही.ए.आर. क्षमता की यूनिट से बदलकर पूर्व से स्थापित अधोसंरचना के 1200 के.व्ही.ए.आर. केपेसिटर को 1800 के.व्ही.ए.आर. केपेसिटर में परिवर्तित किया गया है। इससे कंपनी को रबी तथा खरीफ सीजन में पीकलोड के दौरान इन उपकेन्द्रों पर रिएक्टिव हानि को रोकने में मदद मिली वहीं दूसरी ओर क्षमतावृद्धि के माध्यम से कंपनी के सकल तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियों में भी कमी लाने के प्रयास किये गये।
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा विभिन्न सामग्री जैसे-ट्रॉसफार्मर, सीटी, पीटी, एमई, इंसुलेटर, केपीसीटर बैंक आदि की टेस्टिंग एन.ए.बी.एल. मान्यता प्राप्त लेब से करवायी जा रही है। वर्ष 2020-21 में अभी तक सभी सामग्रियों का सेम्पल ईआरपी के माध्यम से करवाकर इनकी टेस्टिंग की जा रही है।
कंपनी द्वारा एरिया स्टोर में प्राप्त एनर्जी मीटर की टेस्टिंग सभी स्थानीय स्टोर (भोपाल, ग्वालियर, गुना) में स्थापित उच्च परिशुद्ध मापन टेस्टिंग बेंचों द्वारा किये जाने के पश्चात् ही मैदानी क्षेत्र में उपभोक्ता परिसर में लगाये जाने के लिए दिये जा रहे हैं ताकि उपभोक्ता परिसर में अच्छी गुणवत्ता के मीटर की स्थापना सुनिश्चित हो सके।
कंपनी द्वारा ट्रॉसफार्मर, कंडक्टर, केवल की टेस्टिंग के लिये इन-हाउस टेस्टिंग लेब (निष्ठा टेस्टिंग प्रयोगशाला) की स्थापना की गई है। इसके एन.ए.बी.एल प्रमाणीकरण के लिये कंपनी प्रयासरत है। साथ ही ग्वालियर एवं गुना में भी ट्रॉसफार्मर, केवल, कंडक्टर की टेस्टिंग लेब निर्माण एवं अन्य आवश्यक सामग्री जैसे इंसुलेटर, लाइटनिंग अरेस्टर, ए.बी. स्विच डी.ओ. फ्यूज तथा ऑल टेस्टिंग के लिये भी परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण प्रक्रिया