आनंद विभाग के नवाचार को सराहा गया
मध्यप्रदेश के जन-भागीदारी मॉडल ने मुख्यमंत्री परिषद में सबको किया आकर्षित
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में मंगलवार को बनारस में हुई मुख्यमंत्री परिषद में सुशासन और जन-भागीदारी से जन-कल्याण की मध्यप्रदेश की बेस्ट प्रेक्टिसेस ने सबको आकर्षित किया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिये गये प्रेजेन्टेशन के बाद परिषद में शामिल अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मध्यप्रदेश के जन-भागीदारी मॉडल को भरपूर सराहा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर का सामना भी राज्य सरकार ने जन-भागीदारी से किया। अब प्रदेश में शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में भी विभिन्न स्तर पर जनता की जवाबदेही तय की गई है, जिसके सफल परिणाम भी मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने देश में पहली बार मध्यप्रदेश में गठित अपनी तरह के आनंद विभाग और आनंद संस्थान की भी जानकारी दी, जिसे परिषद में सराहा गया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनता को समय पर, बिना किसी असुविधा और संतुष्टि के साथ लोक-सेवाएँ प्रदान करना सरकारों के लिए चुनौती के साथ प्राथमिकता भी रही है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2010 में समय-सीमा में लोक सेवाएँ देने के लिए देश और दुनिया का अनूठा लोक सेवा गारंटी कानून लागू किया गया। आज 560 सेवाएँ सफलतापूर्वक दी जा रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में आमजन की सुविधाओं के लिए कानून, नियम और प्रक्रियाओं में संशोधन के साथ उन्हें सरल भी बनाया गया है। डिजिटल इंडिया लेंड रिकार्ड मॉर्डनाइजेशन से अभिलेखों के डिजिटाइजेशन के साथ सेवा प्रदाय के नए साधनों जैसे कॉल सेंटर्स और मोबाइल का उपयोग बढ़ाया गया है। भू-अभिलेखों की डिजिटल उपलब्धता, ऑनलाइन डायवर्सन, ऑनलाइन भूमि-बंधक प्रक्रिया, सीएम जन सेवा और डीम्ड सेवा प्रदाय के लिए नवाचार किए गए हैं। इनसे अब नागरिकों को जानकारी और आवश्यक अभिलेख समय-सीमा में प्राप्त होने लगे हैं। सीएम जनसेवा से खसरा नकल, खतौनी, नक्शा, आय प्रमाण-पत्र और स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र नागरिकों को उनके मोबाइल पर ही उपलब्ध हो रहे हैं। इस सेवा का लाभ 66 हजार से अधिक लोग ले चुके हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार की नीति-निर्माण में जनता की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न वर्गों की महापंचायतें मुख्यमंत्री निवास पर आंमत्रित की गई। इन पंचायतों में प्राप्त सुझावों के आधार पर योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। लाड़ली लक्ष्मी, संबल, मेधावी विद्यार्थी, मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन जैसी प्रभावी योजनाएँ इन्हीं पंचायतों की देन हैं।
मध्यप्रदेश में कोविड प्रबंधन एवं टीकाकरण में जो जन-सहभागिता हुई, वह भी अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बनी। जिला से लेकर ग्राम पंचायत एवं शहरी क्षेत्रों में वार्ड स्तर तक 30 हजार 600 क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप जन-सहभागिता के उदाहरण बने। कोविड जागरूकता कार्यों में एक लाख से अधिक वॉलेंटियर्स और जन-प्रतिनिधि, धर्मगुरू, स्वयंसेवी संस्थाओं, चिकित्सा विशेषज्ञ सहित गणमान्य नागरिकों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई है, जो अभी भी सतत जारी है। समन्वित प्रयासों और जन-भागीदारी से टीकाकरण महाअभियानों में भी मध्यप्रदेश ने राष्ट्रीय रिकार्ड बनाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी के मिले-जुले प्रयासों से हम मध्यप्रदेश में दिसम्बर अंत तक सौ फीसदी पात्र आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लगाने लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
प्रदेश में हरित क्षेत्र और प्राणवायु वृद्धि वाले अंकुर कार्यक्रम में भी व्यापक जन-भागीदारी मिली है। अभी तक 3 लाख से अधिक नागरिक अपना पंजीयन करा कर 4 लाख 39 हजार पौधे लगा चुके हैं। कार्यक्रम में नागरिकों को डिजिटल प्रमाण-पत्र और प्राण-वायु पुरस्कार देने का प्रावधान भी है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य में राशन वितरण, मध्यान्ह भोजन, जननी सुरक्षा, लाड़ली लक्ष्मी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, छात्रवृत्ति वितरण और संबल सहित अनेक प्रमुख योजनाओं की मॉनिटरिंग जन-भागीदारी से की जा रही है। ग्राम पंचायत, विकासखंड, नगर परिषद, नगर पालिका, नगर निगम, जिला एवं राज्य स्तर पर मॉनिटरिंग समितियाँ गठित हैं, जिनमें जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा अशासकीय सदस्यों का नामांकन हुआ है। दीनदयाल अंत्योदय समितियाँ भी योजनाओं की सतत मॉनिटरिंग करती हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने प्रेजेन्टेशन में मध्यप्रदेश में केन्द्र की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की भी जानकारी दी। स्वामित्व, पीएम स्वनिधि, प्रधानमंत्री आवास सहित आयुष्मान भारत निरामयम योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है।