टेक्नोलॉजीदेशप्रमुख समाचारराज्‍य

एमपी में कृषि क्षेत्र में करेंगे उन्नत तकनीक का इस्तेमाल

कृषि विभाग ने की एग्री-जीआईएस पोर्टल की समीक्षा

Story Highlights
  • संचालक कृषि श्रीमती प्रीति मैथिल मध्यप्रदेश के किसानों को अधिकतम लाभान्वित करने के लिये कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा। संचालक कृषि श्रीमती प्रीति मैथिल ने कृषि विभाग के पोर्टल की समीक्षा के लिये शुक्रवार को विभागीय एवं संबंधित संस्थाओं के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में यह बात कही।

संचालक कृषि श्रीमती प्रीति मैथिल

मध्यप्रदेश के किसानों को अधिकतम लाभान्वित करने के लिये कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा। संचालक कृषि श्रीमती प्रीति मैथिल ने कृषि विभाग के पोर्टल की समीक्षा के लिये शुक्रवार को विभागीय एवं संबंधित संस्थाओं के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में यह बात कही। उन्होंने बताया कि किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा फसलों की स्थिति एवं उत्पादकता के सटीक और त्वरित आकलन के लिये सेटेलाईट डेटा तथा रिमोट सेसिंग तकनीक के उपयोग लिये Agri – GIS portal बनवाया जा रहा है। पोर्टल निर्माण नेशनल रिमोट सेन्सिंग केंद्र-ISRO तथा प्रदेश की तकनीकी संस्थाओं (MPSeDC तथा MPCST) के समन्‍वय से हो रहा है।

संचालक कृषि श्रीमती मैथिल ने बताया कि सेटेलाईट डेटा तथा रिमोट सेसिंग तकनीक का उपयोग कर फसल क्षेत्रफल की प्रणाली विकसित की गयी है। इस वर्ष से पूर्णतया ई-गिरदावरी की जा रही है। किसानों को सुगमता एवं समय पर बीमा लाभ सुनिश्चित किये जाने हेतु भारत सरकार के फसल बीमा पोर्टल का भू-अभिलेख से इंटीग्रेशन किया गया है। इससे भू-अभिलेख में दर्ज भूमि संबंधी जानकारी सीधे फसल बीमा पंजीयन में लायी जा सकेगी। किसान भाई मोबाइल ऐप से सेटेलाईट डेटा तथा रिमोट सेसिंग तकनीक द्वारा उनके खेत पर लगाई गयी फसल जानकारी की पुष्टि की जा सकेगी। साथ ही किसान अपनी फसल भी संसोधित कर दर्ज कर सकते हैं।

पोर्टल के लाभ

किसानों के त्रुटि रहित पंजीयन होने से पात्र किसानों को बिना किसी परेशानी के सीधे उनके आधार पंजीकृत खाते में लाभ मिल सकेगा एवं नुकसान एवं आपदा की स्थिति में फसल बीमा का सही-सही लाभ भी समय पर प्राप्त होगा। साथ ही कृषि संबंधी विभिन्न सूचनाएँ एक ही स्थान पर होने से बेहतर आंकड़ा आधारित नियोजन तथा अनुश्रवण संभव हो सकेगा।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button