भाजपा आधारहीन तथ्यों से स्थानीय निकायों में अपनी भावी हार पर पर्दा नहीं डाल सकती: अभय दुबे
भाजपा आधारहीन तथ्यों से स्थानीय निकायों में अपनी भावी हार पर पर्दा नहीं डाल सकती: अभय दुबे
भोपाल, 30 अक्टूबर, 2019
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने जारी एक बयान में बताया है कि मप्र में भाजपा को एक सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाना चाहिए। प्रदेश भाजपा का शीर्षस्थ नेतृत्व आये दिन हताशा से भरी मनोवृत्ति का परिचय देता है। आज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, उपाध्यक्ष प्रभात झा इत्यादि बड़े नेताओं ने राज्यपाल महोदय को एक तथ्यहीन ज्ञापन सौंपकर अपनी निराशा मात्र का प्रदर्शन किया है।
भोपाल नगर निगम की सीमाओं में परिवर्तन:-
दिनांक 9 अक्टूबर, 2019 को भोपाल कलेक्टर ने अधिसूचना जारी करते हुये अधिसूचना 1956 की धारा 405 (1) के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये भोपाल नगर निगम की बाह्य सीमाओं में परिवर्तन किये बिना वर्तमान नगर निगम भोपाल को दो पृथक नगर निगम बनाने के आशय से नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 405 (2) के अनुसार दावे-आपत्ति आमंत्रित किये थे। नगर पालिका अधिनियम की धारा 405 के प्रावधानों के अनुसार राज्यपाल महोदय को अधिकार दिया गया है कि वे स्थानीय निकाय में किसी क्षेत्र को समाहित कर सकते हैं या उसे निकाल सकते हैं। जहां तक दो नगर निगमों के गठन का प्रश्न है, तो वह नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 7 और 10 में प्रावधानित किया गया है। चूंकि भोपाल नगर निगम को दो भागों में विभक्त करने के लिये दावे-आपत्ति पर सुनवायी की जा चुकी है। अतः पूर्व में जारी अधिसूचना में नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 7 एवं 10 का एक शुद्धी पत्र सरकार द्वारा जल्द ही जारी किया जायेगा। पूर्व में जारी की गई अधिसूचना की वैधानिकता पर कोई सवाल नहीं है। राज्यपाल महोदय के अधिकार के हरण का सवाल भाजपा नेताओं ने खड़ा करके राज्यपाल महोदय के पद की गरिमा को आघात पहुंचाया है।
इंदौर-भोपाल मेट्रोपाॅलिटन अर्थाटी:-
कमलनाथ सरकार ने इंदौर और भोपाल को मेट्रो पाॅलिटन अर्थाटी घोषित करने की सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इसलिए भी भाजपा का भोपाल शहर को दो नगर निगमों में विभक्त करने पर सवाल खड़ा करना प्रासांगिक नहीं रह जाता। भोपाल महानगर क्षेत्र लगभग 711 स्कयर किलोमीटर का होगा, जिसमें मंडीदी, औबेदुल्लागंज, सीहोर, बैरसिया इत्यादि क्षेत्रों को सम्मिलित कर एक वृहद महानगर भोपाल को बनाया जायेगा। इसी प्रकार इंदौर महानगर लगभग 4000 स्कयर किलोमीटर क्षेत्र में फैला होगा, जिसमें इंदौर, उज्जैन, देवास, पीथमपुर और महू को समाहित किया जायेगा। इन सभी क्षेत्रों के स्थानीय निकाय इस वृहद महानगर का हिस्सा होंगे।
देश के ज्यादातर प्रदेशों में महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से:-
वर्तमान में देश में सिर्फ पांच राज्यों में ही प्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुना जाता है, जिसमें मध्यप्रदेश, झारखंड, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल है। इसके अलावा सभी भाजपा शासित राज्यों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटका इत्यादि में पार्षदगण अपना प्रतिनिधि महापौर या नगर परिषद अध्यक्ष के रूप में चुनते हैंं।
क्या मध्यप्रदेश भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं का यह वक्तव्य कि अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर का चुनाव अस्थिरता और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा, भाजपा शासित राज्यों के लिए भी है, जहां अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर का चुनाव हो रहा है।
श्री दुबे ने आगे बताया कि हिमालच प्रदेश में वर्ष 2010 में प्रत्यक्ष रूप से महापौर का चुनाव कराने का निर्णय लिया गया था, 2012 में हुये शिमला के चुनाव में महापौर सीपीएम का बना और 26 सदस्यों वाले काॅर्पोरेशन मंे 12 पार्षद भाजपा और 10 पार्षद कांगे्रस के जीते। ऐसी परिस्थितियां राजस्थान, तमिलनाडु जैसे कई राज्यों में निर्मित हुई, जिससे शहर का विकास प्रभावित हुआ और बाद में सरकार ने फिर से अप्रत्यक्ष रूप से महापौर का चुनाव प्रारंभ किया। कर्नाटका में तो महापौर का कार्यकाल सिर्फ एक वर्ष का होता है और वह भी अप्रत्यक्ष रूप से महापौर चुना जाता है। इसी प्रकार दिल्ली की तीनों नगर पालिका निगम नार्थ, साउथ और ईस्ट दिल्ली का चुनाव भी अप्रत्यक्ष रूप से होता है और वहां भी महापौर का कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
श्री दुबे ने बताया कि मप्र कांगे्रस सरकार का स्थानीय निकायों में महापौर, अध्यक्ष के चुनाव को लेकर किया गया फैसला इन पदों की साख को पुर्नस्थापित करेगा। साथ ही यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 डब्ल्यु में राज्यों को अधिकार देता है कि वे स्थानीय निकाय की चुनावी प्रक्रिया कैसे निर्धारित करते हैं।