शिवराज का अर्द्धसत्य,शिवराज, नवंबर 2005 को मुख्यमंत्री बने, 2011 में नहीं
शिवराज में पांच से सात गुना बढ़ा था
शराब का उपभोग: अभय दुबे
मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने जारी एक बयान में बताया कि शिवराजसिंह चौहान जी का यह तर्क हास्यास्पद है कि वर्ष 2011 के बाद शराब की नई दुकान नहीं खोली। शिवराज जी को जानना चाहिए कि वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 2005 में बने, न कि वर्ष 2011 में और उन्होंने मध्यप्रदेश में अपने कार्यकाल में न सिर्फ 891 देशी और विदेशी शराब की नई दुकानें खोलीं, अपितु मध्यप्रदेश को मद्य प्रदेश बना दिया था अर्थात जहां वर्ष 2003-04 में कांगे्रस शासनकाल में देशी शराब का उपभोग 390.58 लाख प्रोफ लीटर होता था, वहीं शिवराज जी को जब मप्र की जनता ने सत्ता से बेदखल किया तब देशी शराब का उपभोग 1164.47 लाख प्रोफ लीटर हो गया। अंग्रेजी शराब जहां 2004 में 149.18 लाख प्रोफ लीटर उपभोग की जाती थी, वहां वर्ष 2018-19 में 551.54 लाख प्रोफ लीटर उपभोग की जाने लगी। इसी प्रकार बीयर जो वर्ष 2003-04 में 149.46 लाख बल्क लीटर उपभोग की जाती थी, वह वर्ष 2018-19 में 1044.42 लाख बल्क लीटर उपभोग की जाने लगी अर्थात मध्यप्रदेश को पांच से सात गुना अधिक शराब की आग में झोंकने वाले शिवराजसिंह चौहान आज नैतिकता का मुखौटा लगा रहे हैं।
श्री दुबे ने कहा कि समूचे देश में इतने गुना शराब की बिक्री शायद ही किसी भी राज्य में बढ़ी हो। वर्ष 2011 के बाद नई दुकान नहीं खुलने के बावजूद शराब की खपत मध्यप्रदेश में इतनी कैसे बढ़ गई। सही मायने में तो यह आंकड़ा कई गुना अधिक है। क्योंकि मध्यप्रदेश को बीते 15 वर्षों में शिवराजसिंह चौहान सरकार ने अवैध शराब के गढ़ के रूप में तब्दील कर दिया था। कमलनाथ सरकार चाहती है कि मध्यप्रदेश में पूरी तरह अवैध शराब की बिक्री प्रतिबंधित हो जाये, ताकि प्रदेश को वास्तविक राजस्व हासिल हो सके।
श्री दुबे ने कहा कि शिवराजसिंह चौहान सरकार ने मध्यप्रदेश की साख पर इस कदर बट्टा लगाया था कि मध्यप्रदेश अपराध में नंबर-1 हो गया था, कुपोषण में नंबर-1 हो गया था, भ्रष्टाचार में नंबर-1 हो गया था। न औद्योगिक निवेश मध्यप्रदेश में होता था, न नये रोजगार के अवसर सृजित किये गये। एक प्रत्यक्ष उदाहरण तो यह है कि जहां शिवराज सरकार में रेत का राजस्व 223 करोड़ रूपये सालाना आता था, वहां यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने नीति परिवर्तित कर उस राजस्व को 1234 करोड़ रूपये सालाना पहुंचा दिया अर्थात अकेले रेत में ही भाजपा शासनकाल के 15 वर्षों में लगभग 15 हजार करोड़ रूपये की लूट की गई। कमलनाथ सरकार, शिवराज सरकार की लूट की छूट की नीति को प्रदेश में प्रगति और विकास की नीति में परिवर्तित कर रही है।