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उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में आगामी 3 वर्षों में स्थापित होंगे 5 अत्याधुनिक कलस्टर – मुख्यमंत्री श्री चौहान

भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए आगामी 3 वर्षों में 5 अत्याधुनिक कलस्टर स्थापित किए जाएंगे। इनमें से एक कलस्टर विश्व स्तर का होगा। मध्यप्रदेश में परम्परागत फसलों की तरह ही उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा दिया जाएगा। कोल्ड चैन, वैल्यू एडिशन एवं फूड प्रोसेसिंग के माध्यम से किसानों की आमदनी दोगुना करने की पूरे प्रयास किए जाएंगे। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का सपना किसान कल्याण से ही पूरा होगा। हम किसानों को ‘इन्कम सिक्योरिटी’ देंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मध्यप्रदेश में ‘उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण : भविष्य की रणनीति’ विषय पर आयोजित वेबिनार के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल, केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग राज्यमंत्री श्री रामेश्वर तेली, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के राज्य प्रमुख श्री कुमार साकेत ने किया।

वेबिनार में केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में बागवानी के क्षेत्र में गंभीर चिंतन हो रहा है। इसके निष्कर्षों के आधार पर केन्द्र और राज्य सरकार‍ मिलकर मध्यप्रदेश को कृषि की ही तरह बागवानी के क्षेत्र में ऊचाईयों पर ले जाएंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान की किसानों के प्रति संवेदना तथा किसान हितैषी नीतियां अद्भुत हैं। बागवानी से किसानों की आय कई गुना बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में उद्यानिकी मिशन का केन्द्रीय कार्यालय शीघ्र ही प्रारंभ किया जाएगा। केन्द्र एवं राज्य सरकार मिलकर किसानों की तस्वीर और तकदीर बदलेंगे।

वेबिनार में केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ‘शिवराज जी आपने गेहूँ उत्पादन में हमारे पंजाब को पीछे छोड़ दिया है’। इसके साथ ही जैविक कृषि में भी मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। प्रदेश में दो मेगा फूड पार्क (खरगौन और देवास) तथा आठ कोल्ड चैन पर कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में 800 करोड़ रूपए के कुल 30 प्रोजेक्ट्स पर कार्य चल रहा है। इसमें 250 करोड़ का अनुदान, 24 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा तथा 01 लाख किसानों को फायदा होगा। साथ ही प्रतिवर्ष 15 हजार करोड़ रूपए की ‘एग्रो प्रोसेसिंग’ हो सकेगी। उन्होंने मध्यप्रदेश के ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना की सराहना करते हुए कहा कि इससे मध्यप्रदेश के उत्पाद विदेशों में भी लोकप्रिय होंगे। केन्द्र सरकार की ‘ऑपरेशन ग्रीन’ योजना के अंतर्गत कम से कम 100 किलोमीटर की दूरी तक किसानों द्वारा फल एवं सब्जियों का परिवहन करने पर 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा। किसानों द्वारा कोल्ड स्टोरेज में अपनी उपज रखे जाने पर आगामी तीन महीनों में 50 प्रतिशत की सब्सिडी भी मिलेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान से आग्रह किया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए बिजली को कृषि दर पर प्रदान किया जाए।

उत्पादन और प्रसंस्करण दोनों में मध्यप्रदेश आगे बढ़ेगा

उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश उद्यानिकी फसलों के उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण दोनों क्षेत्रों में आगे बढ़ेगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में जो मध्यप्रदेश से अपेक्षाएं की हैं, उनको मध्यप्रदेश अवश्य पूरी करेगा।

खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन महत्वपूर्ण

केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन दोनों अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हमें इन क्षेत्रों में आगे बढ़ना होगा। देश में किसानों एवं उद्यमियों के लाभ के लिए ‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना’ प्रारंभ की गई है। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश में 08 मेगा/मिनी फूड पार्क, कोल्ड चैन, फूड प्रोसेसिंग यूनिट आदि पर कार्य चल रहा है। ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी।

पंजाब हमारा आदर्श भी और प्रेरणा भी

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में पंजाब हमारा आदर्श भी है और प्रेरणा भी। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, श्रीमती हरसिमरत कौर एवं श्री रामेश्वर तेली द्वारा मध्यप्रदेश को निरंतर दिए जा रहे सहयोग की सराहना की।

वेबिनार के निष्कर्षों पर तैयार करेंगे रोडमैप

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया‍वेबिनार के निष्कर्षों के आधार पर मध्यप्रदेश में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में आगामी 03 वर्षों में किए जाने वाले कार्यों का रोडमैप तैयार‍किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में वर्तमान में 21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 308 लाख मीट्रिक टन से भी अधिक उद्यानिकी फसलें होती हैं। मध्यप्रदेश का संतरा, धनिया, अंगूर, मिर्ची, मटर, आलू देश-दुनिया में प्रसिद्ध है।

केन्द्रीय दल से शीघ्र सर्वे का अनुरोध

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में इस बार बाढ़ से किसानों की फसलों को अत्यधिक नुकसान हुआ है। उन्होंने अनुरोध किया कि केन्द्रीय दल शीघ्र मध्यप्रदेश आकर किसानों की फसलों का सर्वे करे जिससे कि किसानों को जल्दी से जल्दी केन्द्र की राहत भी मिल सके।

प्रथम सत्र : उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाना (फार्म गेट मैनेजमेंट) के प्रमुख निष्कर्ष

(टीम लीडर और मॉडरेटर, श्री पुष्कर सिंह, आयुक्त, उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग)

  • उद्यानिकी में मशीनीकरण को बढ़ावा देना।

  • एकीकृत कीट प्रबंधन तथा एकीकृत पौध संरक्षक कौशल को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता।

  • सौर आधारित सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना।

  • कृषि में प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप को बढ़ाना।

  • एफपीओ के लिए गारंटी फंड/रिजर्व फंड की स्थापना।

  • उद्यानिकी उत्पादों के ग्रेडिंग, सोर्टिंग की ट्रेनिंग देकर गुणवत्ता युक्त मार्केट तैयार किया जाना।

  • सेटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल, (अभी इसराइल इस तकनीक का प्रयोग करता है)।

द्वितीय सत्र खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्यानिकी के प्रमुख निष्कर्ष

(टीम लीडर और मॉडरेटर, श्रीकांत बनोठ (IAS) प्रबंध निदेशक, मध्यप्रदेश स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज एवं

  • श्री कुमार साकेत, राज्य कार्यालय प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, मध्यप्रदेश)

  • एकीकृत कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण प्रोत्साहन पॉलिसी की जरूरत।

  • ‘एक जिला एक उत्पाद’ को अपनाते हुए वैल्यू चेन का विकास करना।

  • प्रसंस्करण व मार्केट योग्य किस्मों को बढ़ावा देना।

  • शूक्ष्म इकाइयों को ब्याज दर में छूट एंव बैंकों से जोड़ना।

  • शूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए कृषि की तरह कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना।

  • बागवानी उत्पादों की गुणवत्ता प्रमाणन/जैविक प्रमाणीकरण को बढ़ावा देना।

  • भण्डारण क्षमता में 25 प्रतिशत वद्धि।

  • फलों और सब्जियों के लंबे भंडारण और परिवहन के लिए संशोधित वातावरण तैयार करना, किसानों को छोटी भण्डारण क्षमता के लिए गाँव में ही उन्हें अच्छी पैकेजिंग के लिए ट्रेनिंग देना।

  • भंडारण की सुविधा/मूल्यवर्धन/अनुबंध खेती को बढ़ावा।

  • अगले 5 वर्षों में 10000 शूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का उन्नयन।

  • वर्तमान में खाद्य प्रसंस्करण 2 से 3 प्रतिशत है अगले 3 वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण में 8 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि करना।

  • भंडारण सुविधाओं में सुधार।

  • कृषि को सेवा मॉडल के रूप में बढ़ावा देते हुए 100 किसान स्टार्ट-अप्स व उद्यानिकी उद्यमियों को प्रोत्साहित करना।

  • बाजार लिंकेज, सलाहकार सेवाएं।

  • फार्म टू फोर्क – बाजार लिंकेज को प्रोत्साहित करना।

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