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गांधी के ग्राम स्वराज का मूल मंत्र-कुटीर एवं ग्रामोद्योग- मंत्री हर्ष यादव

गांधी के ग्राम स्वराज का मूल मंत्र-कुटीर एवं ग्रामोद्योग- मंत्री हर्ष यादव

भोपाल, 10 दिसम्बर, 2019
हमारे ग्रामीण भाईयों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री ने कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग की गतिविधियों को जनोन्मुखी बनाने का प्रयास किया है। इसमें काफी सफलता भी प्राप्त की है। हस्तशिल्प विकास निगम, हाथकरघा आयुक्त, खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड, रेशम संचालनालय, और मध्यप्रदेश माटीकला बोर्ड संस्थाओं के माध्यम से प्रदेश के शिल्पीयों, ग्रामीण कारीगरों और हुनरमंद कलाकारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्हें प्रशिक्षण और रोजगार के माध्यम से आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने में सहायता दी जा रही है। कई तरह की शिल्प कलाओं से जुड़े हमारे ग्रामीण बन्धु पूर्व वर्षों में अपने कार्य और जीविका में कोई नया आयाम नहीं जुड़ने से निराश और हताश थे। इन्हें बढ़ावा देते हुए हमारे विभाग ने न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि मजबूत मनोबल प्रदान करते हुए उनके जीवन में उत्साह का संचार किया है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि प्रत्येक नागरिक सुखी, समृद्ध हो। यह बात नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग मंत्री हर्ष यादव ने मंगलवार 10 दिसम्बर, 2019 को भोपाल में एक पत्रकारवार्ता के दौरान कही।

हस्तशिल्प विकास निगम/हाथकरघा:-
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में मृगनयनी एम्पोरियम होगा। इस समय करीब 10 जिलों में केन्द्र हैं। इस वर्ष होशंगाबाद एवं बैतूल में मृगनयनी के नए विक्रय केन्द्र शुरू किए गए हंै।

देश के विभिन्न प्रमुख नगरों में करीब 20 मृगनयनी केन्द्र प्रारंभ करने के प्रयास प्रारंभ हुए हैं। हमारे प्रयासों की शुरूआत आकार ले चुकी है।

अन्य राज्यों में हैदराबाद (आन्ध्रप्रदेश) और केवडिया (गुजरात) एवं छत्तीसगढ के रायपुर में मृगनयनी शो-रूम शुरू किए हैं।

सागर और छिंदवाडा में नए मृगनयनी शो-रूम शुरू करने की कार्यवाही अंतिम चरण में है।

आन्ध्र के शो-रूम में जहाॅ इकत साड़ी ही उपलब्ध रहती थी अब वहाॅ मध्यप्रदेश की चंदेरी एवं माहेश्वरी साड़ियों के साथ ही पीतल शिल्प, दरियां और ट्रायबल पेंटिंग उपलब्ध रहेगी।

मृगनयनी विक्रय केन्द्रों से गत वर्ष दीपावली के अवसर पर हुई बिक्री से इस वर्ष ढाई गुना ज्यादा बिक्री हुई है। गत वर्ष जहां 105.9 लाख (एक करोड़ पांच लाख) का विक्रय हुआ था इस वर्ष मृगनयनी से 267.79 लाख (02 करोड़ 67 लाख) का विक्रय हुआ है।

छत्तीसगढ़ और आन्ध्रप्रदेश सरकार के साथ अनुबंध कर हाथकरघा एवं हस्तशिल्प का व्यापक बाजार प्रदान किया गया।

मृगनयनी ने पहली बार उच्च श्रेणी और गुणवत्ता के वैवाहिक वस्त्रों के उत्पादन और विपणन के लिए चंदेरी एवं महेश्वर के बुनकरों को प्रोत्साहित किया है।

अब देश में वैवाहिक साड़ियों के बाजार में ’’द राॅयल हैरिटेज कलेक्शन’’ के नाम से मध्यप्रदेश के बुनकरों के बनाए गये साड़ी और लहंगा वस्त्र अपना स्थान बना रहे हैं।

वधु के साथ ही वर के लिए भी वैवाहिक वेशभूषा शेरवानी की उपलब्धता मृगनयनी में रहेगी।

अब चंदेरी रेशम, महेश्वरी रेशम के वस्त्र मृगनयनी में वैरायटी के साथ उपलब्ध रहेंगे।

उन्होंने बताया कि नवाचार के अंतर्गत उत्पादों की आन-लाइन बिक्री के लिए मृगनयनी की वेब साईट के साथ ही अमेजन के माध्यम से उपभोक्ताओं के हित में क्रियान्वयन किया जा चुका है।

यही नहीं एफ.एम. रेडियो और सोशल मीडिया के फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, टिकटाॅक जैसे माध्यमों का उपयोग मृगनयनी उत्पादों के विक्रय के लिए किया जा रहा है।

भोपाल के गौहर महल के अलावा अर्बन हाट इंदौर और शिल्प बाजार ग्वालियर में नई गतिविधियाॅ प्रारंभ की गई हैं।

नेशनल एक्सपो पहली बार जबलपुर में लग रहा है। राजधानी भोपाल में भी इसका आयोजन होगा। प्रशिक्षित बुनकरो द्वारा अपने उत्पाद का स्टाल लगाया जायेगा ।

मध्यप्रदेश के गौंड कलाकारों की चित्र कलाकृतियों को देश के मृगनयनी केन्द्रों में विक्रय के लिए उपलब्ध कराया गया।

विशेष रूप से डिंडोरी में पारंपरिक रूप से यह कला अपनाने वाले आदिवासी बंधु प्राकृतिक विषयों को अपनी कला के लिए चुनते हैं।

इन कलाकारों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग ने गंभीर प्रयास किए हैं।

पहली बार मध्यप्रदेश के वस्त्र शिल्पी लंदन में अध्ययन एवं भ्रमण के लिए भेजे गए। इनमें महेश्वर (खरगौन) चंदेरी (अशोकनगर) और बाघ (धार) के शिल्पी शामिल हैं।

मंत्री श्री यादव ने कहा कि प्रदेश के हाथकरघा एवं हस्तशिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये उनकी ब्रांडिंग के लिए ब्रान्ड बिल्डिंग नवीन योजना प्रारंभ की गई। गत वर्ष इस योजना में मात्र 50 लाख रूपए की राशि का प्रावधान था जिससे उत्पादों की न्याय पूर्ण ब्रांडिंग संभव ही नहीं थी। कमलनाथ जी की सरकार ने इस राशि को 9.80 करोड़ कर दिया है। यह वृध्दि लगभग 20 गुना है।

ग्वालियर के कालीन पार्क में 20 करघे स्थापित कर बुनकरों को कार्य का अवसर दिया गया। योजना में 120 नवीन करघे स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।

निगम के मृगनयनी एम्पोरियम से राष्ट्रीय फैशन संस्थान के विद्यार्थियों को जुड़ने का अवसर दिया गया है।

मंत्री श्री यादव ने बताया कि इसके अंतर्गत बुनकरों के लिए कोई डिजाईन विकसित की जाती है तो उसे उपभोक्ता को क्रय करने के लिए उपलब्ध कराते हुए प्राप्त राशि में से 2 प्रतिशत अंश रायल्टी के रूप में विद्यार्थियों को प्रदान किया जायेगा। प्रत्येक तिमाही में विद्यार्थी को राशि प्राप्त होगी।

बारकोडिंग पध्दति से विद्यार्थी का विवरण दर्ज कर लाभान्वित करने की पारदर्शी योजना लागू की गई है।

अंतराष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश के शिल्पकारों के उत्पाद प्रदर्शन और विक्रय के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि सरकार की इस नई पहल के अंतर्गत आगामी अप्रैल माह में लंदन में मृगनयनी प्रदर्शनी आयोजित करने के प्रयास किए जा रहेे हैं।

लंदन के पश्चात् अन्य देशों के प्रमुख नगरों में मध्यप्रदेश की कला, हुनर और विशिष्ट उत्पाद भी प्रदर्शित होंगे।

विशेष रूप से घरों की आंतरिक सज्जा में उपयोग में लाई जाने वाली मध्यप्रदेश में तैयार कलात्मक वस्तुओं को वैश्विक मंच मिलेगा।

काष्ठ शिल्प को प्रोत्साहन देते हुए सागर, छतरपुर, बैतूल, मंडला तथा छिंदवाडा जिलों में फर्नीचर एवं मूर्ति उत्पादन केंद्र की स्थापना की पहल की गई।

पत्थर शिल्प के क्षेत्र में रोजगार वृध्दि के लिए छतरपुर, मुरैना, ग्वालियर और जबलपुर जिले के शिल्पियों को प्रशिक्षण और मार्केटिंग की सुविधा दी जा रही है।

छतरपुर जिले के खजुराहो, मुरैना जिले की मितावली, रायसेन जिले की सांची आदि के स्मारक पत्थर शिल्प की उत्कृष्टता के प्रमाण हैं।

इन स्थानों के शिल्पियों को लाभ दायक रोजगार के लिए निगम ने प्रयास प्रारंभ किए हंै।

उन्होंने बताया कि खजुराहो स्मारकों और प्राचीन मंदिरों और मितावली ऐसे स्मारक के लिए प्रसिध्द है जिसके वास्तुशिल्प पर भारतीय संसद के भवन का निर्माण किया गया है।

इन स्थानों पर रहने वाले मध्यप्रदेश के प्रतिभाशाली पत्थर शिल्पकार देशी-विदेशी पर्यटकों के समक्ष कलाकृतियां तैयार करेंगे, जिससे उनकी कला का अधिक विस्तार होगा। शिल्पियों को आर्थिक उन्नयन का अवसर भी मिलेगा।

प्लास्टिक के उपयोग के नियंत्रण के उद्देश्य एवं पर्यावरण रक्षा के लिए दोना पत्तल, कुल्हड़ एवं कागज के बैग तैयार करने वाले शिल्पियों को प्रशिक्षण देकर रोजगार प्रदान किया जायेगा। जिससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।

मंत्री श्री यादव ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हस्तशिल्प उत्पादों की उपलब्धता के उद्देश्य से हाल ही में राजधानी भोपाल में गौहर महल में बेग बाजार लगाया गया। यहाॅ बड़ी संख्या में लोगों ने कपड़े के विभिन्न तरह के बेग खरीदें। आकर्षक सज्जा के कारण मृगनयनी के बेग लोकप्रिय हो रहे हैं।

खादी एवं ग्रामोद्योग:-
उन्होंने बताया कि यह वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म का 150 वाॅं वर्ष होने के कारण गांधी जी की जीवन शैली के प्रमुख माध्यम खादी वस्त्र के प्रचार-प्रसार का वर्ष भी है।

कबीरा और विन्ध्यावैली के उत्पाद उपभोक्ताओं द्वारा पसंद किए जा रहे हैं। कबीरा फैशन-शो से भी खादी वस्त्रों के प्रचार का कार्य किया गया।

नए वर्ष मेें 4 से 14 जनवरी तक गौहर महल में इसी तरह का आयोजन किया जाना है। आपको यह भी बताना प्रासंगिक होगा कि फैम इंडिया जैसे संस्थान हम से ही खादी लेकर रेडीमेड गारमेंट के विक्रय करते रहे हैं।

मंत्री श्री यादव ने बताया कि खादी उत्पादों और उसके विपणन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न एम्पोरियम पी.पी.पी. मोड पर संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसकी कार्यवाही प्रचलन में है। होशंगाबाद, खण्डवा, गुना, सतना, शहडोल और सागर में एम्पोरियम प्रारंभ करने के संबंध में कार्यवाही की जा चुकी है।

छिंदवाडा एम्पोरियम का संचालन गत माह पी.पी.पी मोड पर प्रारंभ किया गया है।

प्रदेश में खादी वस्त्रों के लिए शासकीय विभागों से गत एक वर्ष में 10 करोड़ 25 लाख 9 हजार के आदेश प्राप्त हुए हैं। इससे प्रदेश के 380 बुनकर एवं कत्तिन परिवार लाभान्वित हुए हैं।

मंत्री श्री यादव ने कहा कि कौशल विकास प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत गत वर्ष से डेढ़ गुना अधिक हितग्राही प्रशिक्षित किए गए हैं। दिसम्बर 2018 से अक्टूबर 2019 तक 480 हितग्राहियों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया। यह प्रशिक्षण विभिन्न कुटीर एवं ग्रामोद्योग गतिविधियां ब्यूटी पार्लर, कम्प्यूटर टेली एकाउण्ट, इलेक्ट्रिशियन, दोना-पत्तल, चर्म सामग्री आदि में दिया जाता है। प्रशिक्षण सेडमेप एवं अन्य संस्थाओं के माध्यम से दिया गया।

रेशम संचालनालय:-
निजी क्षेत्र के मलबरी हितग्राहियों के चयन, पंजीकरण और भुगतान प्रकिया को पारदर्शी बनाने के लिए ई-रेशम पोर्टल प्रारंभ किया गया।

चयनित कृषकों को योजना अनुबंध में प्रावधान के अनुसार पौध रोपण कार्य, कृमि पालन भवन निर्माण कार्य, कृमि पालन उपकरण एवं सिंचाई संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए सत्यापन के बाद ई-रेशम पोर्टल पर भुगतान आदेश की व्यवस्था की गई है।

इस व्यवस्था से आर्थिक अनियमितता एवं भ्रष्टाचार की आशंका को निर्मूल करने में सफलता मिली है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में माह अक्टूबर 2019 तक प्रदेश के किसानों का ककून भुगतान एवं रेशम धागाकारो की मजदूरी लगभग 3 करोड़ का भुगतान विगत 2 वर्षाे से बकाया था जिसके कारण किसानो में रेषम खेती के प्रति अरूचि हो रही थी एवं हतोत्साहित हो रहे थे ।

विगत 3 माह में अभियान चलाकर सिल्क फेडरेशन में भण्डारित विगत 4-5 वर्षाे से रेषम धागा, ककून की बिक्री कर, 2 करोड़ 66 लाख का भुगतान किया जा चुका है । शेष 34 लाख की राशि भी शीघ्र ही हकदार किसानो को प्रदान कर दी जायेगी । जिससे किसानों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।

नवीन किसानों को रेशम खेती अपनाने के लिए ई रेशम पोर्टल पर पंजीयन की अवधि 20 दिसम्बर 2019 तक बढ़ाई गई है ताकि प्रदेश के अधिक से अधिक किसान लाभ ले सकें ।

मध्यप्रदेश में किसानों के हित में उन सभी विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं जहाॅ, किसानों के कल्याण की योजना लागू है।

हमारे कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के अंतर्गत रेशम संचालनालय द्वारा एक महत्वपूर्ण उपलब्धि अर्जित की है। लगभग 30 करोड़ रूपए मूल्य का ककून, कच्चा धागा, प्लेन पोत एवं तैयार उत्पाद के रूप में स्टाॅक जो कई वर्षो से भंडारित था ।

नवीन क्षेत्रों में रेशम गतिविधि प्रारंभ करने हेतु 2 नवीन कार्यालय की स्थापना जिला रेशम कार्यालय सागर एवं जिला रेशम कार्यालय छिंदवाड़ा की गई है।

मंत्री श्री यादव ने बताया कि रेशम धागाकरण ईकाई की स्थापना के लिए 02 आटोमैटिक रीलिंग मशीन नरसिंहपुर एवं बैतूल का चयन किया गया। आटोमैटिक मशीन संस्थापन हेतु ई-टेंडर जारी कर दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त धागा करण ईकाईयों (रीलिंग सेंटर) को उन्नत किस्म का धागा उपलब्ध कराने हेतु 02 मल्टी एन्ड रीलिंग मशीन की स्थापना जिला छिंदवाड़ा तथा इंदौर में की जा रही है, इस हेतु ई-टेंडर जारी किए जा चुके हैं।

कृषकों की भूमि पर 180 एकड़ मलबरी पौधरोपण का कार्य किया गया।

आगामी वर्ष में मलबरी पौधरोपण हेतु 90 एकड़ की नर्सरी की स्वीकृति जारी की जा चुकी है।

रेशम गतिविधियों में 10 हजार से अधिक हितग्राही लाभान्वित हुए। कुल 7.166 लाख किलोग्राम मलबरी ककून और 74.26 लाख टसर कोया का उत्पादन किया गया।

प्रदेश के सभी केन्द्रों में व्यापारियों को आमंत्रित कर सिल्क फेडरेशन के पास उपलब्ध स्टाॅक के संबंध में जानकारी दी गई।

उन्होंने बताया कि मालाखेड़ी, जिला होशंगाबाद में केन्द्रीय भण्डार स्थापित किया गया। जिसमें प्रदेष के 08 ककून बैंक एवं 05 यार्न बैंक से उत्पादित रेषम धागा मलबरी/टसर एवं प्लेन पोत का भण्डारण व्यावसायिक दृष्टि से अधिक उपयुक्त होने के कारण मालाखेड़ी जिला होषगाबाद में केन्द्रीय भण्डार स्थापित करने के आदेष जारी किये गये।

इससे देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले व्यापारियों को एक ही स्थान पर समस्त इकाईयों का उत्पाद देखने एवं खरीदने की सुविधा होगी।

मालाखेड़ी होशंगाबाद इटारसी मुख्य रेल्वे जंक्षन के पास होने के कारण व्यापारियों को होषंगाबाद पहुंचने में सुविधा होगी। पूर्व में प्रदेष के छोटे-छोटे दूरस्थ पहुॅंच विहीन गांवों में धागा ककून भण्डारित था। जिसे क्रय करने के लिये व्यापारियों को अधिक समय एवं खर्चा व कठिनाई होती थी। इस समस्या को दृष्टिगत रखते हुये मालाखेड़ी होषंगाबाद में केन्द्रीय भण्डार प्रथम बार प्रारंभ किया गया।

मंत्री श्री यादव ने कहा कि इससे मध्यप्रदेश सिल्क फेडरेयशन के व्यापार व्यवसाय में वृद्धि व प्रदेश के बाहर यथा बैंगलोर, वाराणसी, मालदा, कोलकत्ता, भागलपुर, हैदराबाद, तथा नासिक से आने वाले व्यापारियों को सुविधा होगी। उदाहरण के तौर पर पूर्व में रेषम केन्द्र हीरापुर जिला बैतूल जो कि मुख्य सड़क मार्ग से 30 कि.मी. अंदर स्थित है एवं मुख्य रेल्वे मार्ग से भी दूरस्थ है। अब इसके उत्पाद मालाखेड़ी होषंगाबाद में भण्डारित किये गये हैं।

माटीकला बोर्ड:-
प्रशिक्षण योजना, प्रचार प्रसार योजना और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से माटीकला बोर्ड सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

पर्यावरण की रक्षा के लिए माटीकला बोर्ड मिट्टी के कुल्हड़ एवं टेराकोटा कला से संबंधित बर्तनों एवं ईको फ्रेंडली मूर्तियों के निर्माण एवं विक्रय को बढ़ावा दे रहा है।

टेराकोटा शिल्प का प्रशिक्षण देकर उत्पादन की योजना है। इस वर्ष सागर में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होगा। राज्य विभाजन के बाद मध्यप्रदेश की ये कला छत्तीसगढ़ तक सीमित हो गई थी।

मध्यप्रदेश के माटीकला शिल्पियों को पुनः प्रोत्साहित कर उनकी जीविका को अधिक लाभकारी बनाने की ठोस पहल की गई है।

माटीकला बोर्ड द्वारा विभिन्न उद्यमियों को बाजार मांग अनुरूप उत्पाद तैयार करने के लिए उन्नत प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण उपरान्त 75 प्रतिशत अनुदान पर विद्युत चलित चाक का प्रदाय किया जाता है। फरवरी 2019 में छिंदवाड़ा में माटीशिल्पियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

बोर्ड द्वारा माटीकला उद्यमियों के उत्पादों के विक्रय हेतु भोपाल में ’’माटी की महक’’ मेले का आयोजन किया जाएगा। साथ ही अन्य संस्थाओं द्वारा आयोजित मेले प्रदर्शनी में भागीदारी हेतु सहायता दी जाएगी।

पुरस्कार:-
उन्होंने बताया कि हाथकरघा, हस्तशिल्प एवं माटी कला शिल्प के उत्कृष्ट शिल्पियों को प्रतिवर्ष पुरस्कार दिए जाते हैं। पुरस्कार राशि को दुगुना करने का निर्णय लिया गया है। अब इन क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए 01 लाख, 50 हजार, 25 हजार के स्थान पर 2 लाख, 1 लाख और 50 हजार रूपए के क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

स्वरोजगार उपलब्धियां:-
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना अंतर्गत हाथकरघा संचालनालय, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं माटीकला बोर्ड में गत एक वर्ष में 3693 हितग्राही लाभान्वित हुए। इन्हें 4223.77 लाख की राशि उपलब्ध कराई गई । इस योजना में 50 हजार से लेकर 10 लाख तक के प्रस्ताव बैंकों को स्वीकृति हेतु प्रेषित किए जाते हैं। स्वीकृति उपरान्त सामान्य वर्ग को 15 प्रतिशत अधिकतम 01 लाख तथा अजा/अजजा/अन्य पिछड़ा वर्ग/निःशक्तजन/गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार एवं महिला हितग्राहियों को 30 प्रतिशत अधिकतम रूपए 2 लाख मार्जिन मनी अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। बैंक को देय ब्याज पर 05 प्रतिशत एवं महिला हितग्राहियों को 06 प्रतिशत ब्याज अनुदान (अधिकतम रूपए 25 हजार प्रतिवर्ष) सात वर्षो तक दिया जाता है।

मंत्री श्री यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना अंतर्गत हाथकरघा संचालनालय, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं माटीकला बोर्ड में वर्ष 2019 में 1556 हितग्राहियों को बैंक से ऋण दिलवाकर मार्जिन मनी की राशि 228.52 लाख रूपए उपलब्ध कराई गई। इस योजना में रूपए 25 हजार तक की परियोजनाएं बैंकों को स्वीकृति हेतु प्रेषित की जाती है। सामान्य वर्ग के हितग्राही को 15 प्रतिशत तथा अजा/अजजा/अन्य पिछड़ा वर्ग/निःशक्तजन/गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार एवं महिला हितग्राहियों को 50 प्रतिशत अधिकतम रूपए 15 हजार मार्जिन मनी अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।

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