MP ASSEMBLY-मध्यप्रदेश विधान सभा की गौरवपूर्ण यात्रा के 68 वर्ष पूर्ण होने पर
श्री नरेंद्र सिंह तोमर अध्यक्ष, मध्यप्रदेश विधान सभा का सदन में उद्बोधन
मध्यप्रदेश विधान सभा के स्पीकर श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज 17 दिसंबर 2024 को अपने विशेष वक्तव्य में कहा की राज्य विधानसभा में लोकतंत्र की जननी कहे जाने वाले दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत ने अपने महान् संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से प्रजातांत्रिक व्यवस्था का एक अनुपम उदाहरण स्थापित किया है। लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में राज्यों के विधानमंडलों की महती भूमिका रही है। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि अपनी स्थापना के 68 वर्ष पूर्ण कर रही मध्यप्रदेश विधान सभा का संसदीय परंपराओं के निर्वहन में एक गौरवशाली इतिहास रहा है।
15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत जब 1956 में राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो मध्यप्रदेश एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। इसके घटक राज्यों में मध्यप्रदेश, मध्य भारत, विन्ध्य प्रदेश एवं भोपाल थे, जिनकी अपनी-अपनी विधान सभाएं थीं। पुनर्गठन के पश्चात् चारों विधानसभाएं एक विधान सभा में समाहित हो गई एवं 1 नवंबर, 1956 को नई विधान सभा अस्तित्व में आई एवं इसका पहला अधिवेशन 17 दिसम्बर 1956 को प्रारंभ हुआ था।
मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष पद्मविभूषण स्व. कुंजीलाल दुबे जी ने सदन में अपने पहले अध्यक्षीय संबोधन में विश्वास जताया था कि ”मध्यप्रदेश देश का गौरव बनेगा, प्रदेश की विधानसभा संसदीय नियमों के निर्वहन में एक मिसाल कायम करेगी।” आज 68 वर्ष उपरांत मुझे यह कहते हुए बहुत संतोष और हर्ष होता है कि इन सात दशकों में मध्यप्रदेश की विधानसभा ने भारत के संसदीय इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों से अंकित किया है। सात दशक के इस कालखण्ड में विधानसभा ने प्रदेश के विकास और यहां के नागरिकों के कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए, वे सरकारों के माध्यम से धरातल पर उतरे और आज जब हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में ‘विकसित भारत’ के संकल्प की सिद्धी में द्रुतगति से जुटे हुए हैं, स्व. कुंजीलाल दुबे जी के शब्दों में मध्यप्रदेश, देश का गौरव बन रहा है।
भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है, क्योंकि यही वह भूमि है जहां शासन व्यवस्था में लोकतांत्रिक मूल्यों का सर्वप्रथम बीजारोपण हुआ। ऋग्वेद और अथर्ववेद, सबसे पुराने उपलब्ध पवित्र ग्रंथ, सभा, समिति और संसद जैसी भागीदारी वाली संस्थाओं का उल्लेख करते हैं, जिनमें से अंतिम शब्द अभी भी प्रचलन में है जो हमारी संसद को दर्शाता है। रामायण और महाभारत, इस भूमि के महान महाकाव्य भी निर्णय लेने में लोगों को शामिल करने की बात करते हैं। अतएव यह साक्ष्य प्रमाणित तथ्य है कि ‘भारत लोकतंत्र की जननी’ है। स्वतंत्रता उपरांत एक सुदृढ़ संघीय किंतु विकेंद्रीकृत लोकतांत्रिक व्यवस्था के आयामों में केंद्र एवं राज्यों की अपनी-अपनी सुस्पष्ट भूमिका है। मध्यप्रदेश में विधानसभा ने संसदीय प्रक्रियाओं, नियमों, परंपराओं एवं सदन संचालन के माध्यम से प्रदेश को एक सुशासित, जनकल्याणकारी एवं विकासोन्मुखी राज्य बनाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया है।
मध्यप्रदेश के निर्माण से अब तक 15 विधानसभा कार्यकाल पूर्ण हो चुके हैं, 16 वां जारी है। इस कालखण्ड में मध्यप्रदेश विधानसभा अपने यशस्वी अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, मुख्यमंत्रियों, प्रतिपक्ष के नेताओं, मंत्रियों, समिति सभापतियों, सम्माननीय सदस्यों एवं विधानसभा सचिवालयीन अधिकारियों−कर्मचारियों के अतुलनीय योगदान एवं असाधारण सहयोग के बल पर सदैव जनकल्याण एवं प्रदेश के विकास को समर्पित रही है। यह उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के अब तक 2600 से अधिक सदस्य रहे हैं। 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य के गठन से पूर्व अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 320 थी और विभाजन के पश्चात यह संख्या 230 हो गई है।
इन सात दशकों में यह सदन कई ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी रहा है। विधेयकों के माध्यम से प्रदेश के विकास और जनकल्याण के कई निर्णय इसी सदन में हुए। यहां प्रदेश हित में गंभीर संवाद हुआ, पक्ष-विपक्ष में सार्थक वाद-विवाद हुआ, तीखी नोकझोंक भी हुई और हास-परिहास के क्षण भी आए। मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए यह गर्व का विषय है कि कुछ एक अप्रिय प्रसंगों को छोड़कर यहां सदस्यों ने सदैव ही संसदीय मर्यादाओं का पालन किया है।
मध्यप्रदेश विधान सभा में महिला शक्ति की भी सदैव महत्ता स्थापित रही है। सदन में महिला सदस्यों की पर्याप्त संख्या एवं महिला सदस्यों को अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय एवं स्थान प्रदान किया जाता रहा है। यह भी एक उल्लेखनीय तथ्य है कि मुख्यमंत्री के रूप में सुश्री उमा भारती एवं नेता प्रतिपक्ष के रूप में स्व. श्रीमती जमुना देवी ने महिला नेतृत्व को सदन में प्रबल किया है। वर्तमान में कुल 27 महिलाएं सदन की सदस्य हैं। मध्यप्रदेश विधान सभा में प्रत्येक सत्र में प्रति मंगलवार को प्रश्नकाल में महिलाओं एवं प्रथम बार निर्वाचित सदस्यों का प्रश्न लिये जाने का निर्णय लिया गया है। आज के दिन मंगलवार को भी प्रश्नकाल में हमारी 7 माननीया सदस्यों के प्रश्न तारांकित प्रश्नों में लिये गये हैं।
इसी सदन से ‘मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना’ का सूत्रपात हुआ जो प्रदेश में बालिका सशक्तिकरण और लिंगानुपात में सुधार के लिए पूरे देश में एक मिसाल बनीं। निर्भया कांड के पश्चात बलात्कार के प्रकरण में दुष्कर्मी को फांसी की सजा का प्रावधान करने वाली देश की पहली विधानसभा मध्यप्रदेश ही थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हो या एक देश एक कर की भावना से परिपूर्ण जीएसटी, संसद के जनहित के हर निर्णय को प्रदेश में वैधानिक सहमति प्रदान करने में मध्यप्रदेश विधानसभा अग्रणी रही है।
मध्यप्रदेश विधानसभा जन-सरोकारों से भी जुड़ी रही है। यहां आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति का उल्लेख करना आवश्यक होगा। मध्यप्रदेश का कोई भी नागरिक जिसका शासन स्तर पर कोई कार्य नहीं हुआ हो और उसके द्वारा शासन एवं अधिकारियों के समक्ष आवेदन देने के पश्चात भी कार्य का निराकरण नहीं हुआ हो तो वह आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति के समक्ष प्रमाण के साथ आवेदन कर सकता है। इस आवेदन पर समिति संज्ञान ले सकती है।
मध्यप्रदेश विधानसभा ने कोरोना के संकटकाल में लॉकडाउन के दौरान लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का बीड़ा मध्यप्रदेश विधानसभा ने उठाया। इस दौरान विधानसभा में एक कॉल सेंटर स्थापित किया गया, जिस पर संपर्क करने वाले लोगों को इस विषम परिस्थिति में उनके घर पहुंचाया गया। मध्यप्रदेश विधानसभा की महिला एवं बाल कल्याण समिति, कृषि विकास समिति, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कल्याण संबंधी समिति और पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति ने समय-समय पर इन वर्गों के कल्याण एवं उत्थान में अपनी भूमिका निभाई है।
माननीय सदस्य जनता की आवाज होते हैं इसलिए विधान सभा अध्यक्ष के नाते मैंने पहल की है कि सदन में पहली बार चुनकर आए विधायकों को प्रोत्साहित किया जाए, उनकी आवाज अनुभव के आगे अनसुनी न रह जाए। सदन की गौरवशाली परंपराओं को बनाए रखते हुए यह व्यवस्था बनाने का प्रयत्न किया है कि शून्यकाल की सूचनाओं में पहली बार चुनकर आये विधायकों की सूचनाओं को प्राथमिकता क्रम में सबसे ऊपर रखा जाय। पहली बार निर्वाचित तीन सदस्यों की सूचनाओं को उसी दिन स्वीकार किये जाने की व्यवस्था भी दी गई जिस दिन वे प्राप्त हुईं थी। इस कदम को 16वीं विधान सभा में एक नई परिपाटी निरूपित किया गया। नवाचार को आगे बढ़ाते हुए एक और व्यवस्था दी गई कि प्रश्न पूछने वाले सदस्यों को विधान सभा का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद भी अपने प्रश्न का उत्तर मिल सकेगा। व्यवस्था के अनुसार ‘अब विधान सभा के विघटन के पूर्व सत्र तक लंबित प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के उत्तर व्यपगत नहीं होंगे। इसके संबंध में परीक्षण कर प्रश्न एवं संदर्भ समिति द्वारा कार्यवाही की जायेगी तथा समिति द्वारा अनुशंसा सहित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जायेगा।”
समन्वय, प्रशिक्षण और नवाचार की त्रिवेणी के माध्यम से यह प्रयत्न किया गया है कि विधानसभा की कार्यवाहियां राजनीतिक विचार से ऊपर उठ कर जन सरोकारों का मंच बन सकें। प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप से विधान सभा के कार्य को प्रभावी, पारदर्शी, त्वरित और जवाबदेह बनाने की दिशा में ई-विधान पोर्टल और मोबाइल एप एक उल्लेखनीय पहल है। तकनीक के साथ कदमताल मिलाते हुए ई विधान सभा की प्रक्रिया को अपनाया गया है ताकि पूरी विधान सभा हाईटेक और डिजिटल बनाई जा सके।
मध्यप्रदेश विधान सभा का पुस्तकालय बहुत धनाढ्य इन अर्थों में है कि सम्पूर्ण भारत में अन्य किसी भी राज्य विधान सभा के पास इतना वृहत् एवं समृद्ध पुस्तकालय संभवत: नहीं है। प्राचीन ग्रन्थों, संदर्भ पुस्तकों, विधि, साहित्य, इतिहास, पुराण, संसदीय प्रणाली, मानव शास्त्र एवं अनेक विषयों पर कई भाषाओं में विश्व लेखों की असंख्य पुस्तकों का भण्डार है। विधान सभा सदस्यों और शोध छात्रों को प्रचुर साहित्य सामग्री सहज उपलब्ध हो जाती है।
26 नवंबर 2024 को भारतीय संविधान ने गौरवशाली 75 वर्ष पूर्ण कर लिए है। यह संविधान का वह अमृतकाल है जिसमें राज्यों के विधानमंडलों की भूमिका रही है। संविधान के 75 वर्ष के अवसर पर हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने संसद को संबोधित करते हुए 11 संकल्प रखें है। इन सभी संकल्पों का पालन एक नागरिक के साथ-साथ विधानमंडल के सदस्य के रूप में हम सभी के लिए करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। मध्यप्रदेश विधानसभा लोकतंत्र का एक ऐसा मंदिर है जहॉं संविधान में पूर्ण आस्था के साथ जनकल्याण की ऋचाएं रची जाती हैं। सात दशक की इस संसदीय यात्रा ने इस विधान सभा को अपने हर अनुभव के साथ समृद्ध बनाया है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह सदन सदैव लोककल्याण की पताका फहराता रहेगा।
जय मध्यप्रदेश । वन्दे मातरम् ।