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किसानों के सशक्तिकरण के लिये संकल्पित मध्यप्रदेश की शिव-राज सरकार

कमल पटेल,मंत्री, मध्यप्रदेश शासन

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  • धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है।

 

 

धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।

प्रदेश आज विकसित राज्यों की दौड़ में शामिल है। गेहूँ उत्पादन के साथ ही उपार्जन में भी हम अव्वल हैं। हमने पंजाब जैसे राज्यों को पीछे कर बता भी दिया है और जता भी दिया है कि प्रदेश के किसान मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा करने को दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। गुणवत्ता में भी हम सबसे मुकाबला करने को तत्पर हैं। राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाएँ, कुशल और सक्षम नेतृत्व, वैज्ञानिकों के साथ ही किसानों की मेहनत का सुफल है कि प्रदेश की रायसेन मण्डी में धान समर्थन मूल्य से 1200 रूपये अधिक तक बिक रहा है। सरकार सतत प्रयास कर रही है कि किसानों को उनकी उपज का दोगुना से ज्यादा लाभ मिले।

प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से जनता को लाभान्वित करने में मध्यप्रदेश प्रथम पयदान पर है। उक्त योजना का लाभ देश में सबसे पहले हरदा जिले के किसान रामभरोस विश्वकर्मा को मिला। प्रदेश कृषि अधो-संरचना निधि के उपयोग में भी देश में अव्वल है। प्रदेश में इस निधि से 1508 प्रकरण में 852 करोड़ रूपये की राशि वितरित की गई है, जो देश में अब तक किये गये व्यय की कुल 45 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के साथ ही मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में किसानों को प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 2-2 हजार रूपये की दो किश्तें प्रदान की जा रही हैं। अब तक प्रदेश के 80 लाख किसानों को 4751 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है। प्रदेश प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सबसे अधिक किसानों को लाभान्वित करने वाला राज्य है। योजना में रबी 2020-21 में ही 49 लाख किसानों को 7618 करोड़ रूपये की दावा राशि का भुगतान किया गया।

सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभान्वित करने के लिये वन ग्रामों को भी योजना में शामिल करना, फसल अधिसूचित करने के लिये न्यूनतम सीमा 100 के स्थान पर 50 हेक्टेयर करना, क्षति आकलन के लिये बीमा पोर्टल को लेण्ड रिकॉर्ड के एनआईसी पोर्टल से लिंक करना, अवकाश के दिनों में भी बैंक खुलवा कर किसानों का बीमा कराना और बीमा कव्हरेज के स्केल ऑफ फायनेंस को 100 प्रतिशत तक करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये।

प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। सिंचाई सुविधाओं में अकल्पनीय विस्तार हुआ है। आज प्रदेश में सिंचित क्षेत्र का रकबा लगभग 45 लाख हेक्टेयर तक पहुँच चुका है। वर्ष 2025 तक इसे बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। प्रदेश जैविक खेती में पहले स्थान पर है। गुड गवर्नेंस इण्डेक्स 2021 में कृषि संबद्ध क्षेत्र में मध्यप्रदेश नम्बर वन है। कृषि विकास के लिये प्रदेश में ड्रोन, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक पर काम हो रहा है। इसके लिये कृषि क्षेत्र में आधुनिक एवं उन्नत तकनीकों के प्रयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान, इंटरनेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च इन ड्राई एरिया (एकार्डा) की मदद ली जा रही है। एम-पोर्टल से एसएमएस द्वारा कृषि संबंधी सलाह किसानों को दी जा रही है। प्रदेश में बीज, उर्वरक, कीटनाशक लायसेंस प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन की गई है।

प्रदेश में किसानों के हित में निर्णय लिया जाकर अब गेहूँ के साथ ही मूंग, चना, उड़द और मसूर जैसी दलहन और सोया, सरसों जैसी तिलहन का भी उपार्जन किया जा रहा है। सरकार किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग का उपार्जन भी कर रही है। इन सबसे किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग खुला है। सरकार ने फसलों के आने के साथ ही उपार्जन से किसानों को उपज का वाजि़ब दाम मिलना सुनिश्चित किया है। किसान आधुनिक तकनीक से लैस हो रहे हैं।

प्रदेश में ग्रीष्मकालीन फसलों के लिये सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के अतिरिक्त प्रयास किये जा रहे हैं। इसकी बदौलत ग्रीष्मकालीन फसलों के रकबे में 3 गुना तक की वृद्धि हुई है। आज ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल का रकबा बढ़ कर 7 लाख हेक्टेयर हो गया है। प्रदेश में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिये प्राकृतिक कृषि बोर्ड गठित किया गया है। प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों में जैविक/प्राकृतिक कृषि शाखाएँ प्रारंभ की गई हैं। किसानों को फसल तकनीकी समस्याओं से निजात दिलाने के लिये कृषि विज्ञान केन्द्र में कृषि ओपीडी की स्थापना की गई है, जहाँ से कृषक व्हाटसअप और आईटी से कृषि वैज्ञानिकों से सम्पर्क कर अपनी समस्याओं का निराकरण करा सकते हैं। सरकार ने किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिये किसानों का सच्चा साथी कमल सुविधा केन्द्र (दूरभाष क्रमांक 0755-2558823) की स्थापना भी की है।

लेखक कृषि मंत्री मध्यप्रदेश शासन है।

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