देशप्रमुख समाचारराज्‍य

मध्यप्रदेश में एनजीओ को कोई समस्या न हो, देश तो जन-सहयोग से ही बनेगा- सीएम एमपी ने कहा

 

सतत विकास में जन-भागीदारी और अनुभवों से करेंगे नए युग का सूत्रपात : मुख्यमंत्री श्री चौहान
जन अभियान परिषद जिला स्तर पर स्वयंसेवी संस्थाओं के पंजीयन में करेगी सहयोग
मुख्यमंत्री ने विकास में सहभागिता के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के सम्मेलन को किया संबोधित

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सतत विकास में भागीदारी और अनुभवों को साझा करने के लिए आयोजित स्वयंसेवी संस्थाओं का सम्मेलन जन-सहभागिता के नए युग का सूत्रपात करेगा। सम्मेलन के निष्कर्षों को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। निष्कर्षों का क्रियान्वयन राज्य सरकार और स्वयंसेवी संस्थाएँ मिलजुलकर करेगी। स्वयंसेवी संस्थाएँ भी राज्य सरकार के लक्ष्य और उद्देश्य के अनुसार विकास और जन-कल्याण के कार्य में लगी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि देश बनेगा तो जन-सहयोग से ही बनेगा। प्रदेश में कोविड-19 के प्रबंधन में सामने आई जन-भागीदारी इसका उदाहरण है। इंदौर नगर को स्वच्छता के क्षेत्र में जो सफलता मिली है, वह भी जन-भागीदारी से ही संभव हुई है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में अटल बिहारी वाजपेई सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान द्वारा सतत विकास में सहभागिता तथा अनुभवों को साझा करने के लिए आयोजित स्वयंसेवी संस्थाओं के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में विकास और जन-कल्याण के क्षेत्र में आगे आने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो, इस उद्देश्य से जिला स्तर पर जन अभियान परिषद द्वारा पंजीयन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। जन अभियान परिषद को इस कार्य के लिए सुशासन संस्थान द्वारा प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जन-जन की पहल को विकास की प्रक्रिया में सम्मिलित करना है। प्रदेश में गठित महिलाओं के स्व-सहायता समूह 20 हजार करोड़ रुपए का योगदान प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था में दे रहे हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं को ऊर्जा साक्षरता के लिए भी अभियान चलाना चाहिए। बिजली की बचत को अभियान बनाकर हम प्रदेश में चार हजार करोड़ रुपए की बचत कर सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में हो रहे सकारात्मक कार्यों और नवाचारों के व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि सम्मेलन से प्राप्त सुझावों और अनुशंसाओं को राज्य में लागू किया जाएगा। साथ ही शासकीय व्यवस्था में सुधार से संबंधित प्राप्त सुझावों का भी क्रियान्वयन होगा।

सम्मेलन को सुशासन संस्थान के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने बताया कि सम्मेलन में विकास में साझेदारी, स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा-कौशल और आजीविका, कृषि क्षेत्र में उन्नति के नए अवसर तथा वित्तीय समावेश आदि विषयों पर विशेष सत्र रखे गए। सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में स्वयंसेवी संस्थाओं की भागीदारी बढ़ाने और उनके अनुभवों को साझा करने के लिए दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया। डेवलपमेंट अल्टरनेटिव नई दिल्ली के संस्थापक डॉ. अशोक खोसला, प्रिया संगठन के अध्यक्ष तथा संस्थापक डॉ. राजेश टंडन ने भी विचार व्यक्त किए।

सुशासन संस्थान की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती जी. वी. रश्मि ने सम्मेलन के उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के लिए राज्य सरकार की एजेंसियाँ और सिविल सोसाइटी संगठन मिलकर परस्पर, पूरक के रूप में कार्य करें, इसकी रूपरेखा पर मंथन किया गया। सम्मेलन के 6 सत्र में 64 विषय-विशेषज्ञ शामिल हुए। आभार प्रदर्शन सुशासन संस्थान के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री लोकेश शर्मा ने आभार माना

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button