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मध्यप्रदेश में 404.37 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन के साथ प्रदेश के लाजवाब 4 साल

मध्यप्रदेश में 404.37 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन के साथ प्रदेश के लाजवाब 4 साल – खाद्य मंत्री श्री सिंह
2020-21 में प्रदेश बना देश का सर्वोच्च गेहूँ उपार्जक

 

एमपीपोस्ट, 11,फरवरी 2022 ,भोपाल। मध्यप्रदेश के किसानों से समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न उपार्जन के लिये प्रतिबद्ध प्रदेश सरकार ने गेहूँ उपार्जन के साथ धान, ज्वार एवं बाजरे की खरीदी की। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री बिसाहूलाल सिंह ने बताया कि विगत 4 वर्षों में 73 लाख 29 हजार किसानों से 535.28 लाख मीट्रिक टन गेहूँ एवं धान की खरीदी की गई। इसमें वर्ष 2020-21 में 15 लाख 94 हजार किसानों से 129.42 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जित कर प्रदेश देश में सर्वोच्च गेहूँ उपार्जन के साथ प्रथम स्थान पर रहा। मंत्री श्री सिंह ने बताया कि मोटे अनाज के रूप में ज्वार एवं बाजरे की भी समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई। इसमें 17 हजार 868 किसानों से 73 हजार 902 लाख मीट्रिक टन ज्वार एवं 47 हजार 108 किसानों से 2 लाख 2 हजार 355 मीट्रिक टन बाजरे का उपार्जन किया गया।

मंत्री श्री सिंह ने बताया कि किसानों से उनकी फसल के उपार्जन की प्रक्रिया पारदर्शी एवं सरल बनाई गई है। यह प्रक्रिया समर्थन मूल्य पर किसान पंजीयन से प्रारंभ होती है। किसानों की सुविधा एवं पंजीयन के विभिन्न विकल्प उपलब्ध कराने की दृष्टि से किसान पंजीयन सहकारी समिति के अतिरिक्त महिला स्व-सहायता समूह, कृषि उत्पादक संगठनों, एमपी ऑनलाइन कियोस्क, कॉमन सर्विस सेन्टर, लोक सेवा केन्द्र, ग्राम पंचायतों के स्तर पर स्थापित सुविधा केन्द्रों के साथ-साथ साइबर कैफे पर भी किसान पंजीयन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

भुगतान की व्यवस्था ई-बैंकिंग से

मंत्री श्री सिंह ने बताया कि समर्थन मूल्य पर उपार्जित फसल की राशि का भुगतान ई-बैंकिंग के माध्यम से किया गया। इसमें विगत 4 वर्षों में गेहूँ एवं धान की खरीदी के विरुद्ध किसानों को 98441.25 करोड़ रुपये एवं ज्वार एवं बाजरा के उपार्जन के भुगतान स्वरूप 64 हजार 976 किसानों को 711.672 करोड़ की राशि किसान के बैंक खाते में सीधे अंतरित की गई। इससे किसानों को राशि प्राप्त करने की समितियों पर निर्भरता समाप्त हो गई है। किसानों के पंजीयन में बैंक खाते की प्रविष्टि में त्रुटि के कारण भुगतान में आ रही समस्या के निराकरण हेतु आधार से लिंक बैंक खाते में भुगतान की व्यवस्था की जा रही है, जिसके अतिरिक्त समितियों के कमीशन, प्रासंगिक व्यय, परिवहन व्यय, हेण्डलिंग व्यय आदि का भी ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है।

वास्तविक किसान से खरीदी की सुनिश्चितता

मंत्री श्री सिंह ने बताया कि उपार्जन में वास्तविक कृषकों से ही उपज की खरीदी सुनिश्चित करने के लिये किसान की फसल एवं बोये गये रकबे की जानकारी राजस्व विभाग के गिरदावरी डाटाबेस से ली जाती है। पंजीकृत किसानों में से दो हेक्टेयर से अधिक रकबे, सिकमी/बटाईदारी/वनपट्टाधारी/ विगत वर्ष के पंजीयन से 50 प्रतिशत से अधिक रकबा एवं आधार डाटाबेस तथा पंजीयन में नाम में भिन्नता वाले किसानों के रकबे एवं फसल के सत्यापन की व्यवस्था की गई है, ताकि बिचौलियों को उपार्जन व्यवस्था से बाहर किया जा सके।

मंत्री श्री सिंह ने बताया कि किसानों की उपज समय-सीमा में उपार्जन केन्द्रों पर तौल करने के लिये उपार्जन केन्द्र की तौल क्षमता का निर्धारण किया गया है। प्रदेश में लगभग 4663 रबी में एवं 1558 केन्द्र खरीफ में स्थापित किये गये हैं। उपार्जन का कार्य सहकारी समिति के साथ-साथ महिला स्व-सहायता समूहों, FPO/FPC एवं गोदाम संचालकों के माध्यम से कराया जा रहा है। उपार्जित स्कंध के परिवहन व्यय को सीमित करने एवं किसानों के शीघ्रता से भुगतान के लिये गोदाम स्तर पर केन्द्र स्थापित किये गये हैं।

मंत्री श्री सिंह ने बताया कि किसानों को अपनी उपज विक्रय करने के लिये SMS के माध्यम से सूचना देने की व्यवस्था की गई, जिसमें लघु एवं सीमांत कृषकों को प्राथमिकता दी जाती है। इस व्यवस्था में सुधार करते हुए किसानों को उपज विक्रय करने के लिये पोर्टल पर अपनी स्वयं स्लॉट बुक कर विक्रय के लिये समय निर्धारित करने की कार्यवाही प्रचलित है। किसानों को पंजीयन, विक्रय योग्य उपज की मात्रा, खरीदी एवं भुगतान की सूचना SMS के माध्यम से दी जाती है।

किसानों के हित में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की व्यवस्था

मंत्री श्री सिंह ने बताया कि किसानों को पंजीयन, समर्थन मूल्य पर उपज के विक्रय, बारदाना, गुणवत्ता, केन्द्र संचालन एवं भुगतान में किसी प्रकार समस्या होने पर शिकायत के लिये मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 181, राज्य एवं जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष में शिकायत करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिसकी सतत् मॉनीटरिंग कर निराकरण किया जाता है।

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