शिवराज सरकार-भरोसा बरकरार मध्यप्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को बेहतर बनाने के प्रयासों का एक साल
• विश्वास कैलाश सारंग,चिकित्सा शिक्षा एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री,मध्यप्रदेश शासन
बीते एक साल में प्रदेश में राज्य सरकार ने अथक परिश्रम से चिकित्सा शिक्षा को नई ऊँचाई दी है जिससे न केवल मध्यप्रदेश बल्कि देश के अन्य प्रदेशों के लिए भी मध्यप्रदेश की चिकित्सा शिक्षा, मॉडल के रूप में आज चर्चा का विषय है। कोविड-19 जैसी मानव समाज की दुश्मन बीमारी के समय भी मध्यप्रदेश की चिकित्सा सेवा विश्वसनीय रही। कोरोना आपदा में नि:स्वार्थ सेवाएँ देने के लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग के सभी कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित किया गया है।
मध्यप्रदेश शायद पहला राज्य होगा जहाँ व्यावसायिक जोखिमों को देखते हुए सभी शासकीय स्वशासी महाविद्यालयों में अध्ययनरत् चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल के छात्रों को उनकी पढ़ाई के दौरान जीवन बीमा एवं मेडिक्लेम का कवच दिया गया है। इसी तरह चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार करने के लिए चिकित्सा की गुणवत्ता को बढ़ावा देना, सहयोगी अनुसंधान विकसित करना, विचारों के आदान-प्रदान की सुविधा, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान कौशल को बढ़ाने की भी कोशिश की गई है। इस पहल के तहत चिकित्सा महाविद्यालयों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के लिये अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान और चिकित्सा शिक्षा विभाग के मध्य एम.ओ.यू. किया गया है। इसमें चिकित्सा शिक्षा में शोध के क्षेत्र में मल्टी सेन्ट्रीक स्टडीज को बढ़ावा देना एवं पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना भी शामिल है।
लोक स्वास्थ्य के विभिन्न आयामों पर शोध को बढ़ावा देने की दिशा में पहल करते हुए भोपाल में क्षेत्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र स्थापित करने का फैसला लिया गया है। यह केन्द्र स्वास्थ्य संबंधित आपात स्थितियों में ज्ञान एवं तथ्य संबंधी संसाधनों से सुसज्जित रहेगा। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय रीवा में 225 बिस्तरों और शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर में 400 बिस्तरों के सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल शुरू किये गये हैं। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय रतलाम, विदिशा एवं शहडोल में नवीन मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल शुरू किये जा रहे हैं। इससे प्रदेश में कुल 2250 बिस्तरों की चिकित्सा सेवा की वृद्धि होगी। चिकित्सा महाविद्यालय जबलपुर में सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल और चिकित्सा महाविद्यालय शिवपुरी में निमार्णाधीन 300 बिस्तरों के अस्पताल के लिए पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। मान्यता नियम 2021 स्थापित करने से पुराने नियमों में स्पष्टता के साथ अनियमितताओं पर रोक लगी है।
चिकित्सा सुविधा में विस्तार
चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा चिकित्सा महाविद्यालय सागर में वायरल रिसर्च डायग्नोस्टिक लैब के निर्माण और उपकरणों के स्वीकृति दीगई है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तृतीय चरण में चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की स्थापना की स्वीकृति देने के साथ 970 नये पदों का सृजन किया गया है। चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल से संबद्ध हमीदिया चिकित्सालय में रोगियों को विश्व-स्तरीय चिकित्सा सुविधा के उद्देश्य से 1498 बिस्तर अस्पताल के नये भवन के निर्माण कार्य के लिये 436 करोड़ रूपये स्वीकृत किये गये हैं। हमीदिया चिकित्सालय में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये दूसरी हाईटेंशन फीडर लाइन की स्वीकृति दी गई है। भारत सरकार की अल्पसंख्यक बहुल जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण की योजना में चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में रीजनल रेस्पिरेट्री सेंटर, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन ऑर्थोपेडिक एवं आधुनिक मर्च्यूरी की स्थापना की जा रही है।
चिकित्सा महाविद्यालय जबलपुर में स्टेट एलाईड हेल्थ सांईस इंस्टीट्यूट की स्थापना तथा इंदौर चिकित्सा महाविद्यालय में स्थापित स्टेट एलाईड हेल्थ साईंस इंस्टीट्यूट इंदौर के संचालन के लिये आवश्यक पदों का सृजन किया गया है।
चिकित्सा महाविद्यालय, इन्दौर से सम्बद्ध एम.वाय. चिकित्सालय, इन्दौर में प्रदेश का पहला बोनमेरो ट्रांसप्लांट सेन्टर स्थापित कर प्रशिक्षित विशेषज्ञ चिकित्सकों को पदस्थ किया गया है। मानसिक चिकित्सालय इंदौर के लिए भी भारत शासन के सहयोग से 30 करोड़ से ज्यादा की परियोजना स्वीकृत की गई है।
कैंसर रोगियों के लिए विशेष पहल
‘स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट’ चिकित्सा महाविद्यालय जबलपुर में अतिरिक्त निर्माण कार्य स्वीकृत करने के साथ ही 153 करोड़ रूपये से ज्यादा की स्वीकृति दी गई है। कैंसर के उपचार के लिये 5 चिकित्सा महाविद्यालयों में लीनियर एक्सलरेटर उपकरण की पीपीपी मोड पर स्थापना की जा रही है। इस अत्याधुनिक उपकरण की सुविधा प्राप्त होने पर प्रदेश के लगभग 80 हजार कैंसर मरीजों को प्रति वर्ष प्रदेश में ही उपचार की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। चिकित्सा महाविद्यालय, ग्वालियर में टर्सरी कैंसर यूनिट की स्थापना की जा रही है। यूनिट की स्थापना से ग्वालियर-चम्बल संभाग के कैंसर मरीजों को आधुनिकतम जाँच एवं उपचार की सुविधा मिल सकेगी।
चिकित्सा महाविद्यालयों की सीटों में वृद्धि
बीते वर्ष में सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में स्नातक स्तर की कुल 165 सीट एवं स्नातकोत्तर स्तर की 190 सीट की वृद्धि की गयी हैं। इससे प्रदेश के नागरिकों को चिकित्सा सेवाएँ सुगमता से प्राप्त हो सकेगी। पहले से संचालित चिकित्सा महाविद्यालय खण्डवा, शिवपुरी, छिंदवाडा, शहडोल, दतिया, विदिशा, रतलाम एवं रीवा में प्रति महाविद्यालय 250 एम.बी.बी.एस. सीट्स का प्रस्ताव भारत शासन को भेजा गया है। इस साल चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर एवं रीवा में 646 पी.जी.सीट्स वृद्धि के लिए 614 करोड़ रूपये से ज्यादा की स्वीकृति दी गई हैं।
नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की पहल
मध्यप्रदेश में केन्द्र प्रवर्तित योजना में 6 नये चिकित्सा महाविद्यालय जिला राजगढ़, मण्डला, नीमच, मंदसौर, श्योपुर एवं सिंगरौली में स्थापित किये जाएंगे। चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में रीजनल स्पाईनल इंजुरी सेंटर की स्थापना के लिये योजनाबद्ध तरीके से निर्माण, उपकरण एवं अन्य कार्यो की स्वीकृति दी गई है। शहडोल, रतलाम, विदिशा चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्ध चिकित्सालय का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। सतना चिकित्सा महाविद्यालय का निर्माण कार्य प्रगति पर है ।
पैरा मेडिकल कोर्स के लिए नई पहल
प्रदेश में पहले से संचालित शासकीय पैरामेडिकल इंस्टीटयूट में नये पाठ्यक्रम प्रारंभ किये गये हैं और संचालित पाठ्यक्रमों में सीट्स वृद्धि की गई है। सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों का संचालन शुरू किया गया हैं। रोजगार उन्नयता एवं पैरामेडिकल क्षेत्र को बढ़ावा देने की दृष्टि से 5 नये रोजगारोन्मुखी पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों को शुरू किया गया है। चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर में स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एलाईड हेल्थ साईसेंस की स्वीकृति दी गई है।
मेडिकल स्टूडेंट के लिए बॉण्ड मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर
मेप आईटी के माध्यम से तैयार बॉण्ड मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर में मध्यप्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा वर्ष 2001 से प्रवेशित चिकित्सा छात्रों की लीगेसी एवं वर्तमान डेटा का इन्द्राज किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर से प्रदेश के बांडेड तथा अन्य प्रवेशित छात्रों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। विभिन्न वर्षों के बॉण्ड डिफाल्टर्स छात्रों द्वारा 32 करोड़ की राशि चिकित्सा महाविद्यालयों में जमा करायी जा चुकी है। बॉण्ड डिफाल्टर छात्रों के प्रकरणों के निराकरण के लिये चिकित्सा महाविद्यालय स्तर पर हाई पावर कमेटी गठित की गई
‘‘ईज ऑफ हैल्थ सर्विसेस’’
मध्यप्रदेश में कोविड-19 महामारी के पीक अवर्स में मरीजों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना को देखते हुए प्रदेश के अधीन स्थापित शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों से सम्बद्ध भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सागर, रतलाम, खंडवा, शिवपुरी, दतिया एवं छिंदवाड़ा चिकित्सालय में कोविड-19 के लिये आरक्षित कुल 4825 बिस्तरों पर 31 करोड़ 7 लाख रुपये की लागत से मेडिकल गैस पाइप लाइन स्थापित की गई। चिकित्सा शिक्षा विभाग के सभी अस्पतालों में ‘‘ईज ऑफ हैल्थ सर्विसेस‘‘ शुरू किया जा रहा है। इससे नागरिकों को निर्धारित अवधि में सुगमता से तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा।
चिकित्सा शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में यह आरंभ है। चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश आने वाले वर्षों में देश के चुनिंदा राज्यों की पहली पंक्ति में खड़ा होगा। मध्यप्रदेश में पढऩे आने वाले चिकित्सा शिक्षा विद्यार्थियों को इस बात का भरोसा रहे कि वे एक कुशल डॉक्टर ही नहीं बल्कि मानवता के दूत बनकर समाज की सेवा करेंगे। शिक्षा के साथ विश्वास का भाव भी उत्पन्न हो, यही हमारी कोशिश है।
(लेखक: चिकित्सा शिक्षा एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री हैं।)