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खजुराहो नृत्य समारोह में ई-बाइक टूर और धुबेला पर्यटन का रोमांच

खजुराहो नृत्य समारोह में ई-बाइक टूर और धुबेला पर्यटन का रोमांच
भोपाल। विश्व धरोहर ‘खजुराहो’ में आयोजित ’47वें खजुराहो नृत्य समारोह’ में सांस्कृतिक नृत्य संध्या से मन पुलकित होने के बाद अगली सुबह पर्यटकों के लिए साहसिक गतिविधियों के रोमांच से भरी होती है। संस्कृति और पर्यटन विभाग द्वारा कलाप्रेमियो और पर्यटकों के लिए आयोजित ई-बाइक टूर और धुबेला बस यात्रा आकर्षण का केंद्र है। निःशुल्क धुबेला बस यात्रा में महाराजा छत्रसाल की समाधि, धुबेला संग्रहालय और मस्तानी महल देखने का लुफ्त उठा रहे हैं, वहीं ई-बाइक टूर से स्थानीय मंदिरो के वैभव, वास्तुकला और संस्कृति से पयर्टक अभिभूत हो रहे है।

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि देश और विदेश के विभिन्न भागों से आए पर्यटकों ने प्राचीन मंदिरों के शहर खजुराहो के सुंदर परिदृश्य और वास्तुकला को ई-बाइक टूर के माध्यम से जाना। पश्चिमी समूह के मंदिरों से पूर्वी समूह के मंदिरों तक की यात्रा के दौरान स्थानीय इतिहास और मंदिर निर्माण की विशिष्ठ शैली के बारे में जानकारी देने के लिए गाइड की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। पर्यटकों ने स्थानीय जवारी मंदिर, वामन मंदिर, दुल्हादेव मंदिर, पुराने खजुराहो के मंदिर शिल्प और इतिहास को समझा एवं स्थानीय संस्कृति और कला से भी परिचित हुए।

उल्लेखनीय है कि मस्तानी महल का निर्माण महाराजा छत्रसाल ने लगभग 1696 ई. में अप्रतिम सुंदरी, नृत्यांगना मस्तानी के लिए करवाया था। वाजीराव पेशवा बंगश पर विजय के पश्चात यहाँ आए और मस्तानी से विवाह किया। धुबेला महल वर्तमान में संग्रहालय में परिवर्तित है, जहाँ कल्चुरी एवं गुप्त काल के शिलालेख, ताम्र पत्र, शिव लिंग एवं उत्कीर्ण चित्र देखने को मिलते हैं। महाराजा छत्रसाल द्वारा इसका निर्माण 17वीं और 18वीं शताब्दी के बीच पतली ईटों, रेट और चूने के मिश्रण से करवाया गया था। महाराजा छत्रसाल की समाधि 18 वीं शताब्दी में निर्मित एक अष्टकोणीय संरचना है। समाधि परिसर के बीच में एक प्रदक्षिणा पथ भी स्थित है।

खजुराहो में भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा की विधाओं पर आधारित 47वां खजुराहो नृत्य समारोह 20 से 26 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा हैं। 44 वर्ष बाद यह समारोह एक बार फिर पश्चिमी मंदिर समूह के अंदर मंदिर प्रांगण में आयोजित हो रहा है। इससे दर्शकों को एक बार फिर मंदिर की आभा के बीच कलाकारों के नृत्य देखने का अवसर मिला हैं।

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