प्रमुख समाचारमहत्वपूर्ण आलेख

सभी श्रेणी की कर प्रणाली को सरल और सुगम बनाने का साल रहा-2019

सभी श्रेणी की कर प्रणाली को सरल और सुगम बनाने का साल रहा-2019
भोपाल। राज्य सरकार ने पिछले एक वर्ष में सभी श्रेणी के करदाताओं के लिये कर प्रणाली को सरल और सुगम बनाया है। अब कम्प्यूटर प्रणाली से जीएसटी सिस्टम में पंजीयन की कार्यवाही की जा रही है। जीएसटी में अनिवार्य पंजीयन के लिये एक जुलाई 2019 से करदाताओं की वार्षिक टर्नओव्हर सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख किया गया। वेट अधिनियम में 2,90,457 पंजीबद्ध करदाता एक जुलाई 2017 को जीएसटी में माइग्रेट हुए थे। इनकी संख्या बढ़कर अब 4 लाख 17 हजार से ज्यादा हो गई है। अप्रैल 2019 के बाद से अब तक जीएसटी में 41 हजार 136 नये पंजीयन जारी किये गये।

कम्पोजिशन की सुविधा
सालाना डेढ़ करोड़ तक टर्नओव्हर वाले छोटे निर्माता करदाताओं को कम्पोजिशन की सुविधा का विकल्प दिया गया, जिसमें उन्हें हिसाब रखने से छूट दी गई। त्रैमासिक कर चुकाने और वार्षिक विवरणी की सुविधा देने के लिये जीएसटी के नियमों में जरूरी बदलाव किये गये। सभी करदाताओं को प्रतिमाह वापसी के आवेदन करने की सुविधा दी गई। अब करदाता गलती से कर की राशि किसी अन्य हेड में जमा होने पर वापसी के लिये स्वयं ही उसे सही हेड में ट्रांसफर कर सकेंगे।

जीएसटी प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण
पिछले एक वर्ष में लगभग 22 करोड़ 30 लाख रुपये वाणिज्यिक कर राजस्व अर्जित किया गया। जीएसटी लागू होने के बाद इसमें समाहित मालों पर वर्ष 2015-16 में प्राप्त राजस्व के आधार पर प्रतिवर्ष 14 प्रतिशत की वृद्धि दर से क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया गया। इस दौरान रिटर्न कम्प्लाइंस का प्रतिशत भी 81 से बढ़कर 90 हो गया। एक साल में 8208 रिफण्ड आवेदन का निराकरण किया गया और 427 करोड़ की क्लेम राशि की वापसी स्वीकार की गई। जीएसटी प्रणाली कम्प्यूटरीकृत की गई। व्यवसायिक संगठनों, व्यवसाइयों, कर सलाहकारों आदि को प्रणाली के बारे में 1200 कार्यशालाओं में पूरी जानकारी दी गई।

कर की दरों में कमी
प्रदेश में वर्ष 2019 में वाणिज्यिक कर की दरों में कमी की गई। इलेक्ट्रिक व्हीकल पर 12 से घटाकर 5 प्रतिशत, इनके चार्जर पर 18 से घटाकर 5 प्रतिशत और दोना-पत्तल पर 5 से घटाकर जीरो प्रतिशत कर निश्चित किया गया। रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिये अफोर्डेबल हाउसिंग (45 लाख के मूल्य तक) कर की दर 8 से घटाकर एक प्रतिशत की गई। नान अफोर्डेबल हाउसिंग पर कर की दर 12 से घटाकर 5 प्रतिशत की गई। करदाताओं के लिये कार्यालयों में 100 हेल्प डेस्क की सुविधा सुनिश्चित की गई।

डीम्ड कर निर्धारण योजना
करदाताओं को कार्यालय में बुलाये बिना प्रकरणों के निराकरण के लिये डीम्ड कर निर्धारण योजना लागू की गई। इसमें उन प्रकरणों का निराकरण किया जा रहा है, जिनमें स्व-कर निर्धारण संभव नहीं है। योजना में वर्ष 2017-18 के प्रथम त्रैमास के 3,27,178 प्रकरणों का निराकरण किया गया। स्व-कर निर्धारण सुविधा में वेट और जीएसटी लागू होने के पूर्व वर्ष 2017-18 की प्रथम तिमाही के 3,12,102 प्रकरणों का निराकरण किया गया। एनफोर्समेंट कार्यवाही में 879 पंजीबद्ध करदाताओं को चिन्हित कर उनके व्यवसाय स्थल की जाँच कर 342 पंजीयन निरस्त किये गये और 30 करोड़ रुपये कर जमा कराया गया। परिवहित मालों की जाँच की कार्यवाही में 27 करोड़ से ज्यादा की शास्ति वसूल की गई।

पंजीयन मुद्रांक राजस्व संग्रहण में 10.20 और 13 प्रतिशत की वृद्धि
प्रदेश में पिछले वित्त वर्ष में करीब 5305 करोड़ और और इस वित्त वर्ष में अब तक करीब 3922 करोड़ पंजीयन एवं मुद्रांक राजस्व संग्रहण किया गया। यह संग्रहण गत वर्षों की तुलना में क्रमश: 10.20 और 13 प्रतिशत अधिक रहा। पारिवारिक बँटवारे के दस्तावेजों पर स्टाम्प शुल्क की दर को ढाई से घटाकर आधा प्रतिशत किया गया। महिलाओं को सभी सम्पत्तियों में सह-स्वामी बनाने की पहल शुरू की गई। स्टाम्प शुल्क की दर शहरी क्षेत्र में 5.9 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 2.9 प्रतिशत से घटाकर एकजाई 1100 रुपये की गई।

गाइड लाइन दरों में 20% की उल्लेखनीय कमी
राज्य शासन ने प्रचलित बाजार मूल्य गाइडलाइन की स्थलवार दरों को एक जुलाई 2019 से पूरे प्रदेश में 20 प्रतिशत घटाकर लागू किया। इससे आम जनता का अपना घर बनाने का सपना साकार हुआ और रियल एस्टेट को भी बढ़ावा मिला। नगर निगम/नगर पालिका/ नगर पंचायत क्षेत्र में क्रमश: एक हजार, पाँच सौ और तीन सौ वर्ग मीटर तक कृषि भूमि के मामले में भू-खण्ड के मान से मूल्यांकन के प्रावधान को सरल किया गया। फलस्वरूप कृषि भूमि की खरीदी-बिक्री को बढ़ावा मिला। अब किसान अपनी जमीन का एकमुश्त क्रय-विक्रय कर सकेंगे। पुराने भवनों की खरीद-बिक्री में भवन की आयु के अनुरूप छूट देने का प्रावधान लागू किया गया। अब भवन की आयु 10 से 20 वर्ष तक होने पर 20 प्रतिशत और इसके आगे प्रत्येक पाँच वर्ष के लिये 5 प्रतिशत के साथ अधिकतम 50 प्रतिशत छूट का प्रावधान किया गया।

‘सम्पदा’ सॉफ्टवेयर का उन्नयन
प्रचलित ‘सम्पदा’ सॉफ्टवेयर का उन्नयन कर इसमें नई तकनीक का उपयोग करते हुए आम जनता के लिये उपयोगी बनाने का निर्णय लिया गया। इसके उपयोग से पक्षकार खुद अपने दस्तावेज का ऑनलाइन पंजीयन करा सकेंगे। पंजीकृत दस्तावेजों के प्रारूप वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगे। बैंकों में बंधक विलेखों के पंजीयन की सुविधा बैंक अधिकारियों को प्रदान करने का भी निर्णय लिया गया। इससे आम आदमी को उप पंजीयक कार्यालय आने की जरूरत नहीं होगी।

सभी गाइडलाइन क्षेत्र जीपीएस से टैग करने का निर्णय
प्रदेश के समस्त गाइडलाइन क्षेत्रों को जीपीएस से टैग करने का निर्णय लिया गया। इससे कोई भी व्यक्ति मध्यप्रदेश के किसी भी क्षेत्र में नये मोबाइल एप से अंचल सम्पत्ति की दर जान सकेगा। जिस जगह पर व्यक्ति खड़ा होगा, उस क्षेत्र की गाइडलाइन दरों के साथ आसपास के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की जानकारी भी ले सकेगा। इस व्यवस्था से राजस्व अर्जन की दृष्टि से सम्पत्ति की फोटो मोबाइल एप में लेने पर कर अपवंचन की स्थिति नहीं बनेगी।

सम्पदा परियोजना से जुड़ेंगे सभी संबंधित विभाग
सम्पदा परियोजना को भू-अभिलेख, नगरपालिका, टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग आदि विभागों के सॉफ्टवेयर से जोड़ने का निर्णय लिया गया। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि क्रय-विक्रय की जाने वाली भूमि शासकीय, वक्फ बोर्ड, धार्मिक ट्रस्ट (मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि) की तो नहीं है। इससे भूमि संबंधी विवादों में कमी आयेगी और शासन की सार्वजनिक सम्पत्ति तथा धार्मिक स्थल आदि की सम्पत्ति सुरक्षित रह सकेगी। यह परियोजना प्रारंभ होने के पूर्व के भौतिक रूप से पंजीकृत दस्तावेजों का डिजिटाईजेशन भी कराया जा रहा है। यदि सम्पत्ति पर कोई भार है, तो उसकी जानकारी अब बेहतर तरीके से प्राप्त हो सकेगी। इस परियोजना का आधार से एकीकरण करने के फलस्वरूप दस्तावेजों का पंजीयन कराये जाने में गवाहों की आवश्यकता नहीं होगी। इससे पंजीयन की कार्यवाही में पारदर्शिता आयेगी।

वन क्षेत्रों में रिसोर्ट बार लायसेंस फीस में कमी
वन क्षेत्रों और कम आबादी के पर्यटन क्षेत्रों में अवैध शराब की गतिविधियों को रोकने के लिये रिसोर्ट बार (एफ एल-3) के लायसेंस की फीस कम कर दी गई है। फलस्वरूप बाँधवगढ़, कान्हा और अन्य वन क्षेत्रों में रिसोर्ट बार खोलने के 13 नये प्रस्ताव राज्य शासन को प्राप्त हुए। मदिरा पर लगने वाले टैक्स को 5 से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया गया। इससे साल भर में 250 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। रेस्तरां बार लायसेंस और होटल बार लायसेंस के लिये जीएसटी को अनिवार्य कर दिया गया है। विशिष्ट श्रेणी के होटलों के लिये यह प्रावधान किया गया कि उनके द्वारा ऑनलाइन आवेदन और निर्धारित फीस जमा करने के एक सप्ताह के भीतर लायसेंस का रिन्यूवल हो जाये अन्यथा डीम्ड बार लायसेंस जारी किया जाना माना जायेगा। विदेशी मदिरा विक्रय के लिये जारी विभिन्न लायसेंसों, विनिर्माणी इकाइयों के लायसेंसों और अन्य लायसेंसों की फीस में वृद्धि भी की गई।

अवैध मदिरा निर्माण, परिवहन, भण्डारण के 61,511 प्रकरणों में कार्यवाही
इस वित्त वर्ष में आबकारी ठेकेदारों के विरुद्ध अनियमितता के 62 हजार 932 और अवैध रूप से मदिरा निर्माण, परिवहन, भंडारण और विक्रय करने वालों के विरुद्ध 61 हजार 511 प्रकरण पंजीबद्ध कर कार्यवाही सुनिश्चित की गई। अवैध मदिरा परिवहन में उपयोग में लाये गये 432 वाहन जप्त किये गये हैं। साथ ही, हरियाणा और पंजाब राज्य से आने वाली अवैध मदिरा भी बड़ी मात्रा में जप्त की गई।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button