शिवराज सरकार का कमाल, चुनौतीपूर्ण सौ दिन को बनाया स्वर्णिम काल
भोपाल । यह तेजी से आगे बढ़ता हुआ मध्यप्रदेश है जो कोविड 19 की चुनौतियों का सामने करते हुए भी विकास के नित नये आयाम स्थापित कर रहा है। दरअसल मध्यप्रदेश के जनमानस को समझने और राज्य का सर्वांगीण विकास करने की जो जिजीविषा शिवराज में दिखाई पड़ती है उसकी कोई और मिसाल नहीं हो सकती। राज्य में अचानक सत्ता परिवर्तन के बाद कोरोना काल का शुरू होना वज्रपात जैसा था लेकिन शिवराज सरकार ने जिस प्रकार विपरीत परिस्थितियों का सामना कर बेहद संयमित होकर राज्य में निराशा का भाव उत्पन्न न होने दिया,वह सराहनीय है।
कोरोना काल में सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना था कि कोई भूखा न रहे। सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं में लाखों हितग्राहियों के खातों में पेंशन राशि अग्रिम जमा करवाकर मानवीय सरोकारों की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। जनजातीय इलाकों में रोजगार की समस्या को देखते हुए महिलाओं के खातों में भी राशि जमा की गई,जिससे इन गरीब महिलाओं को परिवार चलाने में मदद मिल सके।
मध्यप्रदेश गांवों का प्रदेश है और यहाँ का जनजीवन ग्रामीण पृष्ठभूमि का है। प्रदेश में ग्राम पंचायतें जितनी सशक्त होगी उतना ही प्रदेश मजबूत होगा। कोरोना काल में अन्य राज्यों से पुनः अपने घर लौटने वाले मजदूरों के सामने रोजी रोटी की बड़ी समस्या उठ खड़ी हुई थी। शिवराज सरकार ने ग्राम पंचायतों में पंच परमेश्वर योजना की प्रशासकीय मद में उपलब्ध राशि को प्रवासी श्रमिकों एवं अन्य निराश्रितों एवं असहायों के भोजन आदि की व्यवस्था करने के लिए तुरंत राशि जारी की गई।
पंचायतों के साथ ही प्रवासी मजदूरों के आत्मविश्वास को पुनः लौटाना भी बेहद जरूरी था,अत: मुख्यमंत्री प्रवासी मजदूर सहायता योजना 2020 के माध्यम से श्रमिकों के खातों में राशि जमा की गई। मध्यप्रदेश में संबल योजना बेहद लोकप्रिय है और समाज के सभी वर्ग इससे लाभांवित होते रहे है। किसी परिवार पर अचानक जब कोई बड़ी समस्या आ जाती है तो उस परिवार को संबल योजना से संबल और शक्ति मिलती है। कोरोना काल की आर्थिक चुनौतियों के बाद भी सरकार ने प्राथमिकता से संबल योजना का सुचारू संचालन सुनिश्चित किया।
कोरोना काल में प्रवासी मजदूर मध्यप्रदेश के मार्गो से लाखों की संख्या में गुजरे। इस समय प्रवासी मजदूरों के लिए मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने जो व्यवस्थाएं की उसे पूरे देश ने सराहा। सरकार ने हर जिले में राहत शिविरों को भोजन समेत सर्व सुविधायुक्त कर यह सुनिश्चित किया कि मध्य प्रदेश की भूमि पर कोई मजदूर भूखा और बेहाल न रहे। कोरोना काल में सरकार का यह मानवीय कार्य अन्य राज्य सरकारों के लिए एक मिसाल है। अन्य प्रदेशों में फँसे मध्यप्रदेश के श्रमिकों को सुरक्षित उनके घरों तक और दूसरे प्रदेशों के श्रमिकों को जो मध्यप्रदेश से ट्रांजिट कर रहे थे,उन्हे उनके राज्यों की सीमा तक पहुँचाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया गया। मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलो में श्रमिकों के लिये भोजन, अस्थायी ठहरने, चिकित्सा जांच और बसों की व्यवस्था की गयी। प्रदेश के मजदूरों को तुरन्त काम मिले और उनके घरों में खुशहाली बने रहे,इसलिए शिवराज सरकार श्रम सिद्धि अभियान बेहद प्रभावपूर्ण रहा है। घर घर सर्वे कर जॉब कार्ड बनाने और योग्यता के अनुसार काम देने के इस अभियान के अभूतपूर्व प्रभाव पड़े।
रोजगार सेतु पोर्टल से प्रवासी मजदूरों की व्यक्तिगत जानकारी, उनकी शैक्षणिक योग्यता, कौशल, उनकी पहली नौकरी, मासिक वेतन, उनके पिछले नियोक्ताओं एवं प्रवासी किस क्षेत्र में काम करने के इच्छुक है,जैसी जानकारियां प्राप्त करने में मदद मिली। इस समय रोजगार सेतु पोर्टल प्रवासी श्रमिकों एवं अन्य श्रमिकों को उनकी दक्षता एवं कौशल के अनुसार रोजगार दिलवाने के लिए एक प्रभावी मंच का कार्य कर रहा है। इसी प्रकार कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित पथ व्यवसाइयों को पुन: रोजगार से जोड़ने तथा उनकी पूरी जानकारी एकत्रित करने के उद्देश्य से शहरी असंगठित कामगार एकीकृत पोर्टल तैयार कर उसमें उनके पंजीयन की व्यवस्था की गयी है। शहर के कोरोना से अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावित होने की आशंकाओं के बीच यह पोर्टल बहुउपयोगी और कारगर रहा है।
15वें वित्त आयोग के अंतर्गत वर्ष 2020-21 के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना बनाने एवं उसे भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड करने में मध्यप्रदेश पूरे देश में प्रथम है। शिवराज सरकार की लोककल्याणकारी योजनाओं के दूरगामी परिणाम हुए और प्रदेश में हजारों लघु उद्योग क्रियाशील हो गये हैं, वहां श्रमिकों समेत अन्य अमले काम कर रहे हैं साथ ही सैकड़ों बड़े उद्योगों ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया हैं।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बेहतर किया गया वहीं फसल बीमा राशि एक क्लिक से भुगतान की गयी। किसानों की बेहतरी के लिए प्रदेश में प्रधानमंत्री किसान योजना के अंतर्गत उन्हें लाभ दिया गया,वहीं समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर पहुँच गया है। जीवन शक्ति योजना के अंतर्गत शहरी महिला उद्यमियों को इसका व्यापक लाभ मिला।
कोरोना संकट के कारण शालाओं में मध्यान्ह भोजन का वितरण करना संभव न था, इसलिये बच्चों को खाद्य सुरक्षा भत्ता देने का फैसला लिया गया। वहीं विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के अंतर्गत वन क्लिक के माध्यम से छात्र–छात्राओं के खातों में जमा कराई गयी है। प्रदेश में कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन में सी.एम. हेल्पलाइन नम्बर 181 के जरिए सहायता की मांग पर लाखों लोगों को तुरंत भोजन, राशन, दवाओं, परिवहन, फसल कटाई, फसल परिवहन तथा अन्य प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई गई है।
कोरोना काल में भी विकास को गति देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी और ग्रामीण के हितग्राहियों को राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से अंतरित की गयी। धार्मिक स्थान हमारी आस्था का केंद्र होते हैं और उनका बेहतर रख रखाव जरूरी है। प्रदेश के शासकीय देवस्थानों के पुजारियों को मानदेय का भुगतान सरकार द्वारा किया गया है,इसके अलावा शासन संधारित 29 मंदिरों के जीर्णोधार के लिए भी आवंटन जारी किया। प्रदेश के नगरीय निकायों एवं छावनी परिषदों को सिंगल क्लिक के माध्यम से राशि अंतरित की जिससे नगरीय निकायों में पेयजल व्यवस्था, नाली निर्माण, सीवरेज कार्य, सड़क निर्माण, सड़क मरम्मत, अधोसंरचना विकास, गंदी बस्ती विकास, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, अग्निशमन सेवाओं आदि से संबंधित कार्य निर्विग्न सम्पन्न हो सके। सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा एकमुश्त ई-भुगतान सिंगल क्लिक पर किया गया वहीं कोरोना लॉक डाउन के कारण प्रदेश के 97 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत बिजली बिलों में राहत दी गयी हैं। मध्यप्रदेश में कोविड संक्रमित मरीजों के स्वस्थ्य होने की दर (रिकवरी रेट) में जबर्दस्त इजाफा हुआ। अब तक करोड़ो लोगों को आयुर्वेदिक/होम्योपैथिक एवं यूनानी दवाओं के पैकेट्स/शीशियाँ बांटे गए हैं। जीवन–अमृत योजना के अंतर्गत रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला आयुर्वेदिक काढ़ा लगातार अब तक वितरित किये जा रहे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए राज्य के प्रयासों की केंद्र सरकार द्वारा सराहना की गयी है। प्रदेश के सभी जिलों में फीवर क्लीनिक की स्थापना करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश के सभी कोरोना पैरामीटर्स में उल्लेखनीय सुधार हुआ है,रिकवरी रेट में मध्यप्रदेश भारत में दूसरे स्थान पर है।
जाहिर है शिवराजसिंह की सरकार ने इन 100 दिनों में कोरोना संकट से उपजी तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच जिस प्रकार लोककल्याणकारी कार्यों को पूरा करने का सामर्थ्य दिखाया है, वह अभूतपूर्व और ऐतिहासिक है। इससे मध्यप्रदेश के विकसित राज्य बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।