मीठे जहर से बचें, वर्ना इन बड़ी बीमारियों से बचना मुश्किल होगा
मीठे जहर से बचें, वर्ना इन बड़ी बीमारियों से बचना मुश्किल होगा
मीठा खाना पसंद है, लेकिन क्या आपका शरीर इसके लिए तैयार है? क्या आप इस बात के प्रति सतर्क हैं कि कहीं आपका पसंदीदा खान-पान आपके लिए मीठा जहर तो साबित नहीं हो रहा? जब तक हम बीमार नहीं पड़ते या शरीर जवाब नहीं देता हम अक्सर खान-पान को नियंत्रित करने के बारे में नहीं सोचते। हमारे शरीर की पचाने की क्षमता से ज्यादा शुगर हमारा जीवन बर्बाद कर देती हैं। शरीर की आवश्यकता से ज्यादा शक्कर वाली चीजों से इन बड़ी बीमारियों का खतरा बना रहता है। जानिए इन बड़ी बीमारियों और इनके खतरों के बारे में :-
कैंसर का खतरा
बहुत ज्यादा मीठा या शर्करायुक्त आहार लेने से कुछ किस्म के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हाई कैलोरी डायट से बढ़ने वाला मोटापा भी कैंसर के खतरे में इजाफा करता है। इससे शरीर में सूजन बढ़ती है, जो इन्सुलिन प्रतिरोध को प्रोत्साहित करती है। यह दोनों ही कैंसर के लिए बड़ा जोखिम होते हैं। 4 लाख 30 हजार लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शुगर के ज्यादा सेवन से एसोफेगियल कैंसर, प्लूरल कैंसर और छोटी आंत के कैंसर की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। अतिरिक्त शक्कर और कैंसर के बीच संबंधों को लेकर रिसर्च अभी जारी है।
दिल की बीमारी का खतरा
हाई शुगर डायट मोटापे, सूजन और हाई ट्राइग्लिसराइड, हाई ब्लड शुगर और हाई ब्लड प्रेशर की वजह होता है। यह सभी दिल की बीमारियों के खतरे को बढ़ा देते हैं। शर्करायुक्त पेय के माध्यम से अतिरिक्त शुगर का सेवन का एथेरोस्लेरोसिस से सीधा संबंध पाया गया है। इस बीमारी में धमनियों में वसा के थक्के जम जाते हैं जो हृदयाघात की वजह बनते हैं।
डिप्रेशन का ज्यादा खतरा
पोषक और स्वस्थ आहार जहां आपके उत्साह को दोगुना कर सकता है, वहीं अधिक शकर वाला और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ या पेय के सेवन पर अवसाद (डिप्रेशन) का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्चर्स के मुताबिक ब्लड शुगर ही मूड में बदलाव, न्यूरोट्रांसमीटर्स के गड़बड़ाने और सूजन की वजह हो सकता है। यह शुगर की अधिकता के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर की ओर संकेत करता है।
फैटी लिवर का खतरा
फैटी लिवर का मतलब है लिवर में ज्यादा चर्बी या वसा (फैट) का जमना और इस वजह से इसमें सूजन और जलन होना। फ्रक्टोज की ज्यादा मात्रा फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ा देती है। ग्लुकोज और अन्य किस्म की शुगर, जिसे शरीर के कई कोशिकाएं (सेल्स) स्वीकार लेते हैं, फ्रक्टोज पर केवल लिवर द्वारा ही काम किया जाता है। लिवर में फ्रक्टोज ऊर्जा या ग्लायकोजेन के तौर पर स्टोर होता है। लिवर की ग्लायकोजेन को स्टोर करने की सीमा होती है। जब उस पर अतिरिक्त शुगर का फ्रक्टोज के रूप में भारी मात्रा में हमला होता है तो यह नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीज की वजह बनता है। इसमें लिवर में बहुत ज्यादा मात्रा में फैट्स जमा हो जाते हैं।
चेहरे पर झुर्रियां
चेहरे और शरीर के कई हिस्सों पर झुर्रियों को बुढ़ापे का संकेत माना जाता है। वैसे आपका स्वास्थ्य चाहे जैसा हो जो वह सही वक्त पर आती ही हैं, लेकिन खान-पान को लेकर नासमझी आपको वक्त से पहले बुढ़ापे की ओर धकेल सकती है। शुगर और प्रोटीन के बीच शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया से एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रॉडक्ट्स (एजीई) तैयार होते हैं। यही हमारी त्वचा पर झुर्रियों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।
ऊर्जा की कमी उत्साह पर पानी
आपने देखा होगा कि कई लोग बुढ़ापे में भी उत्साह से लबरेज होते हैं, जबकि कई युवा हमेशा थके-थके से लगते हैं। इसकी वजह गलत खान-पान होता है। अतिरिक्त शुगर वाली खाद्य सामग्री ब्लड शुगर और इन्सुलिन में तेजी से इजाफा करती है। जिसके कारण कुछ वक्त के लिए तो हम बहुत ज्यादा उत्साहित महसूस करते हैं, लेकिन इसका असर खत्म होते ही हम पहले से ज्यादा थका महसूस करने लगते हैं। ज्यादा शक्कर वाले ऐसे आहार, जिनमें प्रोटीन, फाइबर या फैट न हो, ऊर्जा के स्तर को जितनी तेजी से ऊपर ले जाते हैं, उससे दोगुनी तेजी से फिर वह नीचे आता है। ब्लड शुगर के स्तर में नाटकीय उतार-चढ़ाव आपके मूड और उत्साह को बुरी तरह से प्रभावित करता है। इस स्थिति से बचने के लिए ऐसे काब्रोहाइड्रेट आहार को चुनिए, जिसमें अतिरिक्त शक्कर तो कम हो ही, फाइबर भरपूर हो। कार्बोहाइड्रेट्स के साथ प्रोटीन या फैट्स का कॉम्बिनेशन भी बहुत फायदेमंद होता है। यह आपकी ब्लड शुगर और ऊर्जा के स्तर को स्थिर रखता है। उदाहरण के लिए कुछ बादामों के साथ सेब खाना ज्यादा फायदेमंद होगा।