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मध्यप्रदेश में 28 दिनों में 105 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उपार्जन का देश में रिकार्ड

भोपाल । किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन अभियान में 28 दिनों में निर्धारित लक्ष्य से अधिक मात्रा में गेहूँ खरीदा गया है। प्रतिवर्ष सामान्यत: 50 दिवस तक उपार्जन का कार्य चलता है लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस वर्ष देर से गेहूँ उपार्जन प्रारंभ किया गया था। समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन के लिए किसानों द्वारा पंजीयन कराया गया। उन्हें एसएमएस भेजकर गेहूँ का उपार्जन की पुख्ता व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की गयी। रबी विपणन वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर गेहूँ उपार्जन के निर्धारित लक्ष्य 100 लाख मीट्रिक टन के विरूद्ध 105.32 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीदी 28 दिनों में की गई है। मध्यप्रदेश के इतिहास में इतनी रिकार्ड खरीदी पहली बार हुई है, जबकि कोविड-19 के संक्रमण के कारण यह कार्य अधिक चुनौतीपूर्ण था।

प्रदेश में गेहूँ उपार्जन का कार्य अभी जारी है, लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद भी सभी किसानों से गेहूँ खरीदी के लिए आगे की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पंजीकृत सभी किसानों का पूरा गेहूँ समर्थन मूल्य पर खरीदा जायेगा। किसी भी किसान को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। जो भी आवश्यक होगा वह व्यवस्था की जायेगी।

वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश में 10.27 लाख किसानों से 84.90 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की उच्चतम मात्रा खरीदने का रिकार्ड था, जो इस वर्ष टूट गया है। अभी तक 14.16 लाख किसानों से 105.32 लाख मीट्रिक टन उपार्जन किया जा चुका है। प्रदेश में एक दिवस में लगभग 5 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन करने का भी रिकार्ड बना है। इसके पहले गेहूँ की इतनी मात्रा एक दिवस में कभी भी नहीं खरीदी गई। इस वर्ष का रिकार्ड इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि विगत वर्षों में खरीदी का कार्य 50 दिनों में किया गया था। चालू वर्ष में 28 दिनों में ही लक्ष्य से अधिक गेहूँ का उपार्जन किया गया है।

राज्य शासन द्वारा गेहूँ उपार्जन के लिए लॉकडाउन अवधि में बारदानों की पर्याप्त व्यवस्था की गई। उपार्जित गेहूँ के सुरक्षित भंडारण पर विशेष ध्यान दिया गया है। अभी तक 87.20 लाख मीट्रिक टन का परिवहन कर सुरक्षित भंडारण कराया गया है। विगत वर्ष 45 लाख मीट्रिक टन गेहूँ, 16 लाख मीट्रिक टन चना, 26 लाख मीट्रिक टन धान, इस प्रकार कुल 87 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक पहले से उपलब्ध होने के बावजूद इस वर्ष उपार्जित गेहूँ का भंडारण सुनिश्चित किया गया है। इसके लिए 10 लाख मीट्रिक टन क्षमता की नवीन केप निर्माण की गई है। समर्थन मूल्य पर खरीदी का भुगतान भी किसानों को किया गया है। लगभग 12 हजार करोड़ का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। गेहूँ खरीदी के मामले में मध्यप्रदेश पंजाब के बाद देश में दूसरे नंबर पर है।

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