मध्यप्रदेश मंत्रिपरिषद ने 1547 करोड़ रूपये से 6 चिकित्सा महाविद्यालयों के निर्माण को मंजूरी दी
मुख्यमंत्री श्री चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई। मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में 1547 करोड़ 45 लाख रूपये से 6 नवीन चिकित्सा महाविद्यालय के निर्माण कार्य की मंजूरी दी। इसमें मण्डला, सिंगरौली, श्योपुर, राजगढ़, नीमच तथा मंदसौर में नवीन चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना के लिये क्रमश: राशि रुपये 249.63 करोड़, 258.07 करोड़, 256.83 करोड़, 256.55 करोड़, 255.78 करोड़ तथा 270.59 करोड़ रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई।
सीमेट स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थापित होगा
मंत्रि-परिषद द्वारा निर्णय लिया गया कि मध्यप्रदेश राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमेट) को वर्तमान में प्रशासन अकादमी से पृथक कर एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थापित किया जाएगा। सीमेट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक योजना एवं शैक्षणिक प्रबंधकीय क्षमता का विकास तथा इसके विकेन्द्रीकरण के संबंध में उचित प्रक्रिया का निर्धारण एवं विकास करना है। इसके लिये व्यावसायिक दक्षता के विकास, शैक्षिक प्रबंधन में पाठ्यक्रमों का संचालन, शिक्षा से जुड़े अधिकारियों की क्षमता संवर्धन एवं प्रशिक्षण वातावरण के निर्माण में सहयोग करना शामिल है। सीमेट में स्कूल शिक्षा विभाग एवं स्कूल प्रबंधन से जुड़े जनजाति कार्य विभाग, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग तथा श्रम विभाग के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा।
मध्यप्रदेश वित्त निगम को 90 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता
मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया कि सिडबी को एक मुश्त समझौता राशि 90 करोड़ रूपये का भुगतान करने के लिये मध्यप्रदेश वित्त निगम को 90 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता लघु अवधि ऋण के रूप में स्वीकृत की जायेगी। इस पर वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर निर्धारित दर से ब्याज अधिरोपित किया जायेगा। मध्यप्रदेश वित्त निगम के इंदौर में नव-निर्मित व्यवसायिक कार्यालय परिसर का विक्रय लोक परिसम्पति प्रबंधन विभाग के माध्यम से किया जाएगा। परिसर के विक्रय से प्राप्त होने वाली राशि से विक्रय प्रक्रिया में किये गये व्यय शुल्क लीज आदि के समायोजन के बाद उपलब्ध राशि से राज्य शासन द्वारा स्वीकृत लघु अवधि ऋण का ब्याज सहित एक मुश्त भुगतान किया जायेगा। शासन से पूर्व में प्राप्त ऋण रूपये 25 करोड़ 76 लाख का ब्याज सहित भुगतान किया जायेगा। भुगतान के बाद शेष राशि से निगम अपनी शेष देयताएँ चुकायेगा।
शेयर्स बायबेक प्रस्ताव
वर्तमान में मॉयल लिमिटेड के एक करोड़ 28 लाख 13 हजार 840 शेयर्स हैं, जो कि मॉयल लिमिटेड की अंश पूंजी का 5.40 प्रतिशत है। मॉयल लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत बॉयबेक प्रस्ताव में बॉयबेक शेयर्स की दर आकर्षक होने के कारण, मॉयल लिमिटेड को 25 लाख शेयर्स तक बॉयबेक किये जाने का प्रस्ताव राज्य शासन द्वारा दिया जाएगा। मध्यप्रदेश शासन द्वारा मॉयल लिमिटेड द्वारा किये जा रहे शेयर्स बॉयबेक में हिस्सा लिये जाने से शासन को रूपये 37 करोड़ 46 लाख से 51 करोड़ 25 लाख रुपये तक का राजस्व प्राप्त होना संभावित है। इस प्रस्ताव का मंत्रि-परिषद ने अनुमोदन किया।
1818 करोड़ रूपये से विद्युत कम्पनियों की पूंजीगत योजनाओं एवं वितरण प्रणाली का सुदृढीकरण
मंत्रि-परिषद ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, म.प्र. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड एवं तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की परियोजनाओं की कुल लागत राशि 1818 करोड़ 47 लाख रूपये तथा राज्य शासन से वर्षवार आवश्यक राशि (अंशपूंजी एवं ऋण) बजट के माध्यम से प्राप्त किए जाने तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 में तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा क्रियान्वित की गई निरंतर/प्रचलित उप-पारेषण एवं वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण योजना राशि 230 करोड़ रूपये के लिये स्वीकृति प्रदान की।
दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2017 को वापस लिए जाने का निर्णय
मंत्रि-परिषद ने गृह मंत्रालय, भारत सरकार के राष्ट्रपति महोदय की अनुमति के लिये भेजे गए दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2017 (क्रमांक 26 वर्ष 2017) के संबंध में केन्द्रीय अधिनियम दण्ड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 (क्रमांक 22 सन 2018 अधिनियमित होने के फलस्वरूप उक्त रक्षित विधेयक वापस लिये जाने का अनुमोदन किया।
चावल गुणवत्ता सुधार को प्रोत्साहन
मंत्रि-परिषद ने कृषि उत्पादनों की गुणवता उन्नयन तथा मूल्य संवर्धन की दृष्टि से धान मिलों में तकनीकी उन्नयन अंतर्गत धान मिलिंग का कार्य करने वाली इकाइयों को स्वयं का सॉर्टेक्स प्लांट स्थापित करने के लिये मध्यप्रदेश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास नीति 2021 में सुविधाओं का लाभ प्रदान करने के लिये नीति में संशोधन का निर्णय लिया गया। इस निर्णय से चावल की उच्च गुणवत्ता प्राप्त होगी तथा कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के उद्देश्य की पूर्ति हो सकेगी।