बाल दिवस पर लें बच्चों की सेहत का संकल्पः मोटापा, मजाक नहीं चिंता का विषय
बाल दिवस पर लें बच्चों की सेहत का संकल्पः मोटापा, मजाक नहीं चिंता का विषय
गोलमटोल बच्चे एक उम्र तक ही प्यारे लगते हैं, उसके बाद यह न केवल उनके खुद के लिए परेशानी का सबब बनते हैं, बल्कि वह हंसी का पात्र बनने के कारण उनका आत्मविश्वास और विकास भी प्रभावित होता है। एक अभिभावक के तौर पर यह आपकी जिम्मेदारी है कि इस दौरान आप अपने बच्चे को भावनात्मक संरक्षण भी दें। सबसे पहले आपको बच्चे की खान-पान की आदतों को उसी लाड़-दुलार के साथ बदलना होगा जिसके साथ आपने उसे यह आदतें लगाई थीं। उसे यह समझाना होगा कि पढ़ाई की ही तरह शारीरिक स्वास्थ्य भी उसकी जिंदगी का उतना ही अहम हिस्सा है। इस अभियान में पूरे परिवार को उस बच्चे का साथ देना होगा। परिवार में उसकी खिल्ली उड़ाने का दौर समाप्त होना चाहिए। उसे लगना चाहिए कि परिवार वाकई उसका हितैषी है और इसीलिए उसे उसकी खान-पान की पसंदीदा वस्तुओं के अतिरेक से रोका जा रहा है।
चिंताजनक आंकड़े
8 अक्तूबर 2019 को व्यापक राष्ट्रीय पोषक सर्वेक्षण (सीएनएनएस) जारी किए गए, जो चिंताजनक हैं। इसके मुताबिक देश में 5 से 9 वर्ष आयु वर्ग के एक फीसदी बच्चे डायबिटीज की चपेट में आ चुके हैं। 5 प्रतिशत बच्चे और 5 से 19 वर्ष के दरमियानी किशोरों को सर्वेक्षण में ही सामान्य से ज्यादा वजन के पाए गए हैं। 2016 से 2018 के बीच यह सर्वेक्षण केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनिसेफ और भारतीय जनसंख्या परिषद के साथ मिलकर किया था। यह सर्वेक्षण 30 राज्यों के 1 लाख 12 हजार बच्चों पर किया गया।
कुछ और चिंताजनक तथ्य
बच्चों और किशाेरों में हाई कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स, जो दिल के लिए घातक
मोटापे पर नियंत्रण नहीं किया तो बढ़ेंगे गैर-संक्रामक रोग
भारत पर बढ़ेगा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च का बोझ
इससे देश की आर्थिक प्रगति में आएगा रोड़ा
माता-पिता की जिम्मेदारी
बच्चे के बढ़ते वजन पर नजर रखें, क्योंकि बहुत ज्यादा बढ़ने पर यह स्वास्थ्य समस्या में तब्दील हो सकता है
देखें कि वह सांस फूलने, पैर दुखने, टांगों में दर्द, जोड़ों में दर्द जैसी शिकायत तो नहीं करता
यह न भूलें कि आपकी अनदेखी उसे टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी दिक्कतों में डाल सकती है
कुछ बच्चों को स्कूल में साथी या दूसरे बच्चे मोटापे को लेकर परेशान तो नहीं कर रहे
इस बाबत उसके शिक्षक के साथ भी निरंतर संपर्क में रह सकते हैं
बच्चा अवसाद में तो नहीं है, उसका आत्मविश्वास तो कम नहीं हुआ
बच्चे में अच्छे खान-पान, शारीरिक गतिविधियों, नींद की आदत विकसित करें
उसे खान-पान के नफे-नुकसान के बारे में बताएं
तैराकी या किसी अन्य आउटडोर खेल से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें
उसके वजन कम करने की प्रक्रिया को ऊबाऊ बनाने से टालें
शारीरिक गतिविधियों में संभव हो तो खुद बच्चे का साथ दें
बच्चे दरअसल अपने अभिभावकों की नकल करते हैं सो आपकी अच्छी आदतें उसे लाभ पहुंचाएंगी
कम से कम एक घंटे की शारीरिक गतिविधि, उसका पसंदीदा खेल पता करें और उसमें ही उसे प्रोत्साहित करें
स्क्रीन टाइम (कम्प्यूटर, टीवी, मोबाइल, टेबलेट) स्कूल के अतिरिक्त दो घंटे से ज्यादा न हो
साइक्लिंग, जॉगिंग, रस्सी कूदने, योगा, जुम्बा जैसे विकल्प भी फायदेमंद होते हैं
कुछ स्वस्थ विकल्प
जंक फूड, कैंडी, कुकीज कम से कम
बिना बटर के पॉपकॉर्न
ताजे फल
वसामुक्त दही
फलों का ताजा जूस
गाजर, ककड़ी, जुकिनी या चेरी टोमेटो
पत्तेदार सब्जियों को बढ़ावा
दालों से भरपूर खिचड़ी
वसामुक्त या कम वसा वाला दूध
कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट
मिल्क शेक या आईसक्रीम की जगह फलों और सब्जियों की स्मूदीज
एकाएक सभी बातें परोसने की बजाय थोड़ा-थोड़ा परोसें और बच्चे को और भूख लगी हो तो ही परोसें