नेहरू मेमोरियल की नई समिति में एक भी कांग्रेस नेता का नाम नहीं, खड़गे ने फैसले को बताया राजनीति से प्रेरित
नेहरू मेमोरियल की नई समिति में एक भी कांग्रेस नेता का नाम नहीं, खड़गे ने फैसले को बताया राजनीति से प्रेरित
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के पैनल से पूरी तरह से कांग्रेस नेताओं को हटा दिया है। अब किसी भी कांग्रेस नेता का नाम इस पैनल में नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार रात को मेमोरियल के नए सदस्यों की के नामों की घोषणा की गई। समिति के पुनर्गठन में मल्लिकार्जुन खड़गे, करन सिंह और जयराम रमेश को जगह नहीं मिली है।
समिति में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रकाश जावडे़कर, रमेश पोखरियाल निशंक, वी. मुरलीधरन, प्रह्लाद सिंह पटेल, प्रसार भारती के चेयरमैन ए. सूर्य प्रकाश के नाम हैं। नए सदस्यों का कार्यकाल 26 जुलाई, 2020 या फिर अगले आदेश तक बना रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समिति के अध्यक्ष और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समिति के उपाध्यक्ष होंगे। नई समिति में 28 सदस्य के नाम हैं। पिछली समिति में 34 सदस्यों के नाम शामिल थे।
टीवी एंकर रजत शर्मा, गीतकार प्रसून जोशी, पीएम मोदी पर किताब लिखने वाले किशोर मकवाना, सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर कमलेश जोशीपुरा, जेएनयू के पूर्व वीसी कपिल कपूर और राघवेंद्र सिंह को समिति में जगह मिली है। गौर करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार की तरफ से समिति का पुनर्गठन निर्धारित समय से 6 महीने पहले ही कर दिया गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसायटी के पैनल से कांग्रेस नेताओं के नाम हटाए जाने पर कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार सब कुछ राजनीतिक रूप से ले रही है। सरकार ने यह निर्णय लिया क्योंकि वे अपने लोगों को पैनल में शामिल करना चाहते हैं।”
गौरतलब है कि कि केंद्र की मोदी सरकार तीन मूर्ति इस्टेट में सभी प्रधानमंत्रियों के लिए संग्राहलय की आधारशिला रखने के कुछ दिन बाद ही नेहरू मेमोरियल के सदस्यों अर्थशास्त्री नितिन देसाई, प्रो उदयन मिश्रा और पूर्व नौकरशाह बीपी सिंह को किनारे कर दिया था।
खबरों के मुताबिक, नेहरू मेमोरियल के संबंध में मोदी सरकार के रवैये को लेकर नितिन देसाई, प्रो. उदय मिश्रा और पूर्व नौकरशाह बीपी सिंह कड़ी आलोचना की है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन लोगों ने केंद्र सरकार की तरफ से सभी प्रधानमंत्रियों के लिए संग्राहलय बनाए जाने के कदम का भी खुलकर कर विरोध किया था। यह तीनों लोग नेहरू मेमोरियल के सदस्य रह चुके हैं।