नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश लीड ले
भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि केंद्र द्वारा घोषित नई शिक्षा नीति देश में शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। इसके क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश लीड ले। इसके सभी प्रावधानों पर राज्य की परिस्थितियों के अनुसार तत्परता के साथ अमल किया जाए। विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान न देकर उनका कौशल विकसित करने के लिए प्रदेश में कक्षा छठवीं से ही व्यवसायिक शिक्षा दिए जाने के प्रावधान को जल्द से जल्द लागू किया जायेगा। स्कूली पाठ्यक्रम में संगीत दर्शन कला नृत्य के साथ ही योग का भी समावेश किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज चिरायु अस्पताल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में शिक्षा विभाग की गतिविधियों तथा नई शिक्षा नीति के संबंध में प्रदेश में की जाने वाली कार्रवाईयों संबंधी बैठक ले रहे थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग में स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री इन्दर सिंह परमार शाजापुर से शामिल हुए। आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती जयश्री कियावत, आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र श्री लोकेश कुमार जाटव, उप सचिव श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव एवं श्री प्रमोद सिंह, श्री के.के. द्विवेदी उपस्थित थे।
शिक्षा मंत्री टीम गठित करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को तत्परता के साथ लागू करने के लिए शिक्षा मंत्री एक टीम गठित करें जो इस संबंध में कार्रवाई के लिए रूपरेखा बनाए। प्रदेश में विशेष रूप से व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाना है, जिससे बच्चा शुरू से ही अपने क्षेत्र में दक्षता हासिल कर ले तथा उसे भावी जीवन में एक अच्छी आजीविका प्राप्त हो सके।
कर्मयोग एवं नैतिक शिक्षा का समावेश
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली पाठ्यक्रम में योग एवं नैतिक शिक्षा को विशेष महत्व दिया जाए। इसके साथ ही संगीत, दर्शन कला, नृत्य, आदि विषय भी पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे।
उच्च गुणवत्ता वाले स्कूल विकसित किए जाएंगे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में गांवों के क्लस्टर में उच्च गुणवत्ता वाले स्कूल विकसित किए जाएंगे। इस संबंध में भी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने बताया कि प्रदेश में इस प्रकार के 10 हजार स्कूल विकसित किए जाने की योजना बनाई जा रही है।
निजी स्कूल किसी विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकेंगे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोरोना संकट के चलते निजी विद्यालय विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क वसूल नहीं कर पाएंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करे कि यदि कोई अभिभावक बच्चे की फीस नहीं चुका पा रहा है तो भी उसका नाम विद्यालय से किसी भी हालत में नहीं कटना चाहिए। कोरोना संकटकाल में निजी विद्यालयों की समस्याओं के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने स्कूल शिक्षा मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार से कहा कि वे प्रदेश के स्कूल संचालकों एवं अभिभावकों से बातचीत कर हल निकाले।
कोविड-19 में डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था
प्रदेश में कोविड-19 काल में डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था के संबंध में मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में प्री प्राइमरी के विद्यार्थियों के लिए भी डिजिटल शिक्षा प्रारंभ होगी जो उन्हें प्रत्येक सप्ताह 3 दिन दी जाएगी तथा प्रतिदिन 30 मिनट का समय निर्धारित होगा। इसके अलावा पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में सप्ताह में 5 दिन तथा हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में सप्ताह में 6 दिन डिजिटल शिक्षा दी जाएगी।
लैपटॉप वितरण के लिए रूपरेखा बनाएं
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि प्रदेश में 12वीं कक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को लैपटॉप वितरण के लिए रूपरेखा बनाई जाए। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने बताया कि इस कार्य में लगभग 40 करोड़ की राशि खर्च होगी।
328 शाला भवनों का होगा लोकार्पण
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा ने बताया कि प्रदेश में 328 स्कूल भवन पूर्ण हो गए हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि इनके लोकार्पण के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विधायकों, सांसदों आदि के माध्यम से लोकार्पण कराए जाने की रूपरेखा बनाई जाए।
गांवों में टीवी के माध्यम से शिक्षा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि कोरोना संकटकाल में गांवों में टीवी के माध्यम से शैक्षणिक सामग्री पहुंचाने एवं शिक्षा देने की व्यवस्था की जाए। इससे विद्यार्थी अपने घर बैठे ही टीवी पर शैक्षणिक सामग्री प्राप्त कर सकेंगे। मुख्यमंत्री निर्देश दिए कि इस कार्य को अभियान के रूप में जन सहयोग से किया जाए। ग्राम पंचायत आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें।
स्कूल शिक्षा विभाग प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने जानकारी दी कि 10वीं परिणाम में इस वर्ष सुधार हुआ है जबकि कोरोना संक्रमण की वजह 12वीं के परिणाम में मामूली गिरावट आई है। उन्होंने कोरोना संक्रमण के दौरान ‘अब पढ़ाई नहीं रूकेगी’ की थीम पर विभाग द्वारा किये गये नवाचारों जैसे रेडियो स्कूल कार्यक्रम, डिजिटल लर्निंग एनहांमेंट कार्यक्रम, टीवी/केबल प्रसारण, वर्कबुक एवं पाठ्य पुस्तक वितरण, शिक्षक छात्र संवाद, लॉकडाउन का अनुभव साझा करने वाली बहुभाषायी लॉकडाउन प्रतियोगिता, हमारा घर-हमारा विद्यालय प्रतियोगिता की विस्तृत जानकारी दी।
शिक्षक प्रशिक्षण
प्रमुख सचिव श्रीमती शमी ने शिक्षक के प्रशिक्षण के लिये सीएम राईज डिजिटल शिक्षक प्रशिक्षण की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिक्षकों द्वारा बच्चों से घर-घर सम्पर्क कर पाठ्य पुस्तकों एवं दक्षता उन्नयन की वर्क बुक्स का वितरण किया गया। राज्य स्तर के अधिकारियों द्वारा फेस बुक लाइव के माध्यम से संभाग, जिला एवं विकासखंड स्तर के अधिकारियों, विद्यार्थियों एवं पालकों से सीधा संवाद किया गया।
सीएम राइज-शिक्षक प्रशिक्षण
सीएम राइज कार्यक्रम के तहत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षकों के व्यवसायिक उन्नयन एवं कौशल विकास के लिये कुल 15 लाख कोर्स पूर्ण किये गये हैं। जिनमें 3 लाख 50 हजार यूजर्स ने लगभग 18 लाख घंटे प्रशिक्षण लिया। राजस्थान और हरियाण सरकार द्वारा भी सीएम राइज के कोर्स का अनुसरण किया जा रहा है। दस हजार शिक्षकों को आनन्दम संस्थान में ‘अलोहा हैप्पीनेस’ कार्यक्रम के तहत ‘खुशहाल और सन्तुष्ट जीवन’ के तहत प्रशिक्षित किया गया। ब्रिटिश काउंसिल के साथ 6वीं से 12वीं कक्षा के 7 हजार अंग्रेजी भाषा शिक्षकों को मूक (एमओओसी) कोर्स का प्रशिक्षण दिया गया।
कैरियर पोर्टल
विद्यार्थियों के कैरियर काउंसिलिंग के लिये यूनीसेफ के सहयोग से ‘एमपी एस्पायर पोर्टल’ तैयार किया गया है जिसमें 550 से अधिक कैरियर एवं 1150 से अधिक परीक्षाओं एवं व्यवसायिक कोर्स तथा 1120 से अधिक छात्रवृत्ति की जानकारी दी जाती है। इससे अभी तक लगभग 2 लाख विद्यार्थियों ने जानकारी ली है।
उमंग हेल्पलाइन
यूएनएफपीए के सहयोग से जीवन कौशल कार्यक्रम के तहत उमंग हेल्पलाइन नम्बर 14425 क्रियान्वित किया जा रहा है। इसमें कोविड-19 के दौरान किशोरों के लिये मनो सामाजिक काउसिलिंग की जा रही है। इसमें प्रशिक्षित काउंसलर द्वारा सुबह 8 से रात 8 तक विद्यार्थियों की समस्या का समाधान किया जाता है।