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जापानी बुखार की कमर तोड़ने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने कसी कमर

जापानी बुखार की कमर तोड़ने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने कसी कमर
नई दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में 70 हज़ार से ज्यादा बच्चों का काल बनके आने वाले जापानी इंसेफेलाइटिस बुखार की कमर तोड़ने की जुगत लगाई है. कृषि मंत्रालय से जुड़े संस्थान ICAR -IVRI इज्जत नगर के वैज्ञानिकों ने देश में ही एक ऐसी किट बनाई है जिससे जापानी बुखार फैलने से से पहले ही पता लग जाएगा. इस किट को मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाया गया है. अब तक ये किट इंपोर्ट हुआ करती थी.दरसल जापानी इंसेफेलाइटिस के फैलने का प्रमुख कारण सूअर (Swine) है और ये मच्छरों के ज़रिये फैलता है. मच्छर सूअर को काटने के बाद इंसानों को भी काटता है इससे ये इंसानों में आ जाता है खासतौर पर बच्चों में.

भारत सरकार के पुशपालन और डेयरी विभाग के सचिव अतुल चतुर्वेदी के मुताबिक – ”अब तक हम इसे इंपोर्ट करते थे इससे ये टेस्ट महंगा पड़ता था लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने देसी तकनीक से इसे बनाया है ये बहुत ही सस्ता पड़ेगा. इससे जापानी इनसिफेलाइटिस के खिलाफ लड़ाई में बहुत ही मदद मिलेगी”.

वहीं कृषि मंत्रालय (DARE) सेक्रेटरी और ICAR के जनरल त्रिलोचन मोहपात्रा के मुताबिक ”इस किट के ज़रिये सूअरों में बीमारी आने पर सूअरों की तुरंत आसान टेस्टिंग होगी जिससे, टेस्ट में पता लगने के बाद इसे इंसानों तक फैलने से रोका जा सकता है. पहले एक सैंपल टेस्ट का खर्च 1200 से 1400 रुपये आता था पर अब इस देसी किट के बाद 180 रुपये का ही खर्च आएगा.”

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