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जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता पर फैसला लेने की अध्यक्ष की शक्तियों पर पुन: विचार करे संसद : सुप्रीम कोर्ट

जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता पर फैसला लेने की अध्यक्ष की शक्तियों पर पुन: विचार करे संसद : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संसद से कहा कि वह जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता की मांग करने वाली याचिकाओं पर फैसला लेने संबंधी अध्यक्ष की शक्तियों के बारे में पुन: विचार करे क्योंकि अध्यक्ष स्वयं किसी राजनीतिक दल से आते हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष से कहा कि वह मणिपुर के वन मंत्री एवं बीजेपी विधायक टी. श्यामकुमार को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली कांग्रेस नेता की याचिका पर चार हफ्ते में फैसला लें।

इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाओं को देखने के लिए एक स्वतंत्र प्रणाली बनाने का सुझाव दिया। न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस विधायक फाजुर रहीम और के. मेघचंद्र से कहा कि यदि विधानसभा अध्यक्ष बीजेपी के मंत्री की अयोग्यता की मांग करने वाली याचिका पर चार हफ्ते के भीतर फैसला नहीं ले पाते हैं तो वह फिर से शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

बीजेपी के मंत्री ने विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था लेकिन बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए और मंत्री बन गए। कोर्ट ने कहा कि संसद को इस पर पुन: विचार करना चाहिए कि अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर फैसला अध्यक्ष द्वारा लिया जाना चाहिए अथवा नहीं। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर पुन: विचार का सुझाव देते हुए कहा कि यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अध्यक्ष स्वयं किसी राजनीतिक दल से आते हैं।

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