पर्यटन

गोवा की बात ही अलग है, दिन भर करिये मस्ती और रात को पार्टी

गोवा की बात ही अलग है, दिन भर करिये मस्ती और रात को पार्टी
गोवा का नाम सामने आते ही आंखों के सामने घूमने लगते हैं खूबसूरत और लंबे-चौड़े समुद्री किनारे, ऐतिहासिक चर्च, इमारतें, शाम की ठंडी हवा, क्रूज का शानदार सफर, फेनी, पब्स, काजू, डांस पार्टीज, बाइक पर मस्ती करते युवा और ना जाने क्या क्या…। गोवा घूमने के लिए वैसे तो आप कभी भी जा सकते हैं लेकिन अक्तूबर से दिसबंर तक यहाँ घूमने का अपना अलग मजा है। खासकर दिसंबर में तो गोवा विदेशी पर्यटकों से भरा रहता है और यहां की न्यू ईयर पार्टीज पूरी दुनिया में मशहूर हैं। अब तो मुंबई से गोवा के लिए क्रूज भी चलने लगा है जिससे पर्यटकों की तादाद बढ़ गयी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि गोवा में वो सबकुछ है जो एक पर्यटक चाहता है।

गोवा लगभग 450 साल तक पुर्तगाली शासन के आधीन रहा इसलिए यहां पर यूरोपीय संस्कृति का प्रभाव अधिक महसूस होता है। दिसंबर 1961 में गोवा को भारतीय प्रशासन को सौंपा गया था। संस्कृति की दृष्टि से गोवा की संस्कृति काफी प्राचीन है। मान्यता है कि 1000 साल पहले गोवा “कोंकण काशी” के नाम से जाना जाता था। क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाये तो गोवा भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने खूबसूरत समुंदर के किनारों और मशहूर स्थापत्य कला के लिये जाना जाता है।

बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि गोवा के बारे में एक मान्यता यह भी है कि इसकी रचना स्वयं भगवान परशुराम ने की थी। भगवान परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने बाणों की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था। इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।

गोवा के मनभावन समुद्री किनारों की बात करें तो इनमें पणजी से 16 किलोमीटर दूर कलंगुट बीच, उसके पास बागा बीच, पणजी बीच के निकट मीरामार बीच, जुआरी नदी के मुहाने पर दोनापाउला बीच प्रमुख हैं। इसके अलावा दूसरी दिशा की ओर देखेंगे तो कोलवा बीच पर मानसून के समय पर्यटक बड़ी तादाद में जुटते हैं। बागाटोर बीच, अंजुना बीच, सिंकेरियन बीच, पालोलेम बीच जैसे अन्य सुंदर सागर तट भी मन को बड़े लुभावने लगते हैं। गोवा में कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर भी हैं जिनमें श्री कामाक्षी, सप्तकेटेश्वर, श्री शांतादुर्ग, महालसा नारायणी, परनेम का भगवती मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर आदि दर्शनीय हैं।

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