अलग-अलग सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवहार पोषण स्थिति को प्रभावित करता है
भोपाल । विभिन्न क्षेत्रों तथा गाँवों के निवासियों का अलग-अलग सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवहार उनकी पोषण स्थिति को प्रभावित करता है। मध्यप्रदेश भौगोलिक आकार में वृहद होने के साथ सांस्कृतिक पोषण विविधता वाला राज्य है। स्वस्थ समाज की अवधारणा के अनुरूप पोषण की आवश्यकता को स्थानीय स्तर पर समझते हुए उसके लिये समन्वित प्रयास करना जरूरी है। संचालक महिला-बाल विकास श्रीमती स्वाति मीणा नायक ने बुधवार को भोपाल में आयोजित पोषण प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही।
श्रीमती नायक ने कहा कि पोषण के बारे में समुदाय से संवाद करना, उन तक सही संदेश पहुँचाना एक चुनौती है। समुदाय की पोषण आवश्यकता को समझने, पहचानने और पोषण साक्षरता के लिये यह सबसे जरूरी है कि समुदाय के साथ उनकी ही भाषा में संवाद किया जाये, उन्हें सही संदेश दिये जायें। इससे संतुलित पोषण के प्रति समुदाय का व्यवहार परिवर्तन आसानी से हो सकेगा। सतत विकास लक्ष्यों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों को पाने के लिये यह आवश्यक है कि समुदाय अपने स्तर पर ही अपनी पोषण कार्य-योजना तैयार कर उसका बेहतर क्रियान्वयन भी करे। इन्हीं उद्देश्यों के लिये ऐसे टूल्स विकसित किये जाने आवश्यक हैं, जिनके माध्यम से समुदाय पोषण प्रबंधन स्थानीय स्तर पर ही कर सकें। उन्होंने कहा कि बेहतर पोषण प्रबंधन के लिये स्थानीय समुदाय द्वारा अपने क्षेत्र की पोषण आवश्यकताओं को पहचानना, चिन्हित करना जरूरी है।
कार्यशाला में महिला-बाल विकास विभाग के डेव्हलपमेंट पार्टनर्स के पोषण एवं स्वास्थ्य सलाहकारों, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष-2018 से पोषण अभियान को पूरे देश में लागू किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्थिति में तेज गति से सुधार लाना है। कार्यशाला का आयोजन पोषण अभियान अंतर्गत किया गया।