अयोध्या फैसले पर बोली कांग्रेस- हम राम मंदिर के निर्माण के हैं पक्षधर
अयोध्या फैसले पर बोली कांग्रेस- हम राम मंदिर के निर्माण के हैं पक्षधर
नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि वह राम मंदिर के निर्माण की पक्षधर है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि अब इस फैसले से आस्था के नाम पर राजनीति करने वालों के लिए दरवाजे हमेशा लिए बंद हो गए हैं।
कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि पार्टी इस फैसले का सम्मान करती है और अब सभी को शांति एवं सौहार्द सुनिश्चित करना चाहिए। बैठक के बाद सुरजेवाला ने एक सवाल के जवाब में कहा, “निर्णय आ चुका है। कांग्रेस भगवान राम के मंदिर के निर्माण की पक्षधर है।” उन्होंने कहा, “वर्षों बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का पटाक्षेप कर दिया है। यह मामला किसी व्यक्ति विशेष, समूह या दल को श्रेय देने का नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने आस्था और विश्वास का सम्मान किया है।”
सुरजेवाला ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “आज के फैसले से जहां एक तरफ राम मंदिर के निर्माण के द्वार खुल गए वहीं दूसरी तरफ इस फैसले से भाजपा के लिए सत्ता भोग की खातिर आस्था पर राजनीति करने के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए क्योंकि भगवान राम वचन की मर्यादा और त्याग के प्रतीक हैं।”
सीडब्ल्यूसी की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया, ”भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का सम्मान करती है।” पार्टी ने कहा, ”हम सभी संबंधित पक्षों और सभी समुदायों से निवेदन करते हैं कि वे भारत के संविधान में स्थापित ‘‘सर्वधर्म समभाव’’ तथा भाईचारे के उच्च मूल्यों को निभाते हुए अमन-चैन का वातावरण बनाए रखें।” पार्टी ने आह्वान किया, “हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि हम सब देश की सदियों पुरानी परस्पर सम्मान और एकता की संस्कृति एवं परंपरा को जीवंत रखें।”
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और केन्द्र को निर्देश दिया कि नई मस्जिद के निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया।